राजपूत सरदार मान सिंह
राजपूत सरदार मान सिंह जिन्हें आमतौर पर राजा मान सिंह के नाम से जाना जाता है, 16वीं शताब्दी के एक प्रमुख राजपूत सरदार और कच्छवाहा राजपूत वंश के सदस्य थे. उनका जन्म 1550 में हुआ था और वे आमेर (आधुनिक जयपुर) के राजा थे. मान सिंह का योगदान भारतीय इतिहास में विशेष रूप से मुगल काल के दौरान महत्वपूर्ण है.
मान सिंह मुगल सम्राट अकबर के सबसे महत्वपूर्ण सेनापतियों और भरोसेमंद सहयोगियों में से एक थे. अकबर ने उन्हें राजा का खिताब दिया और वे अकबर के “नवरत्नों” (नौ रत्नों) में से एक थे. उन्होंने मुगलों के लिए कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े और साम्राज्य के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इनमें राणा प्रताप के खिलाफ हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध (1576) भी शामिल है, जहां उन्होंने मुगल सेना का नेतृत्व किया था.
मान सिंह की कूटनीतिक क्षमताओं ने उन्हें अकबर और बाद में जहांगीर के शासनकाल में उच्च सम्मान दिलाया. उन्होंने मुगलों के अधीनस्थ अन्य राजपूत राजाओं के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में मदद की. उनकी सेवाओं के बदले में, अकबर ने उन्हें बंगाल, बिहार, और उड़ीसा के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया. उन्होंने इन क्षेत्रों में मुगल प्रशासन को मजबूत किया और स्थिरता बनाए रखी.
मान सिंह ने कई महत्वपूर्ण निर्माण कार्य करवाए. जयपुर में आमेर किला (जिसे आमेर पैलेस भी कहा जाता है) का निर्माण उन्हीं के शासनकाल में हुआ था. यह किला राजपूत स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और आज एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. उन्होंने अन्य कई किलों और महलों का भी निर्माण करवाया, जिनमें बनारस में मान मंदिर घाट भी शामिल है.
मान सिंह ने धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहित किया और विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सद्भावना को बढ़ावा दिया. उन्होंने अपने राज्य में कई हिंदू मंदिरों का निर्माण और संरक्षण किया.
राजा मान सिंह का योगदान भारतीय इतिहास में विशेष रूप से मुगल-राजपूत संबंधों में महत्वपूर्ण माना जाता है. उनकी सैन्य और राजनीतिक सेवाएं, साथ ही उनके निर्माण कार्य, आज भी उनके महान योगदान का प्रमाण हैं. वे एक महान योद्धा, कुशल प्रशासक, और कूटनीतिज्ञ थे, जिन्होंने अपने राज्य और मुगल साम्राज्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी विरासत आज भी राजस्थान और भारतीय इतिहास में सम्मान के साथ याद की जाती है.
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अभिनेता गोविंदा
अभिनेता गोविंदा भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के एक प्रमुख अभिनेता हैं, जिन्होंने वर्ष 1980 के दशक के अंत से लेकर वर्ष 2000 के दशक तक अपनी अदाकारी से बॉलीवुड में विशेष पहचान बनाई. उनका जन्म 21 दिसंबर 1963 को मुंबई में हुआ था. गोविंदा ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1986 में फिल्म ‘इल्जाम’ से की थी, और उन्होंने अपनी कॉमिक टाइमिंग और नृत्य क्षमता के लिए प्रसिद्धी प्राप्त की.
फिल्में: – इल्ज़ाम (1986), किशन कन्हैया (1990), शेहज़ादा (1991), दूल्हे राजा (1998), हसीना माण जावेंगी (1999), पार्टनर (2007), सुर्यवंशी (2021).
गोविंदा ने अपने कैरियर में 165 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है और उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें फिल्मफेयर अवार्ड भी शामिल है. वे अपनी डांसिंग स्किल्स के लिए भी जाने जाते हैं और उन्होंने कई सुपरहिट गानों में डांस किया है. गोविंदा की खासियत उनकी शारीरिक भाषा, नृत्य और कॉमिक किरदारों में असाधारण प्रदर्शन है.
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अभिनेत्री तमन्ना भाटिया
तमन्ना भाटिया एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से तमिल और तेलुगु सिनेमा में सक्रिय रही हैं, लेकिन उन्होंने हिंदी फिल्मों में भी काम किया है. उनका जन्म 21 दिसंबर 1989 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. तमन्ना का फिल्मी कैरियर वर्ष 2005 में तमिल फिल्म “Kalloori” से शुरू हुआ था, और उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से एक लंबा सफर तय किया है. वे अपनी सुंदरता, अभिनय क्षमता और नृत्य कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं.
फिल्में: – हैप्पी डेज (2006) – तेलुगु फिल्म, अकिरा (2016) – हिंदी फिल्म, बाहुबली: द बिगिनिंग (2015) – हिंदी, तमिल, तेलुगु में, बाहुबली: द कन्क्लूजन (2017) – हिंदी, तमिल, तेलुगु में, साहो (2019) – हिंदी, तेलुगु, जीत (2009) – तमिल फिल्म, पेड्डा गोडी (2006) – तेलुगु फिल्म.
तमन्ना भाटिया ने कई अवार्ड्स जीते हैं, जिसमें दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग से संबंधित पुरस्कार भी शामिल हैं. उन्होंने अपनी अभिनय में विविधता दिखाई है, चाहे वो रोमांटिक ड्रामा हो या एक्शन फिल्म. तमन्ना को उनकी नृत्य शैली के लिए भी सराहा जाता है. “बाहुबली” जैसी भव्य और ऐतिहासिक फिल्म में उनकी उपस्थिति ने उन्हें एक अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई. तमन्ना ने कई ब्रांड एंडोर्समेंट्स भी किए हैं और वह एक प्रमुख फैशन आइकन भी हैं.
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क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित
गेंदालाल दीक्षित भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे, जिनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में विशेष रूप से उल्लेखनीय है. उनका जन्म 30 नवंबर 1888 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के बसई गांव में हुआ था. वे एक शिक्षक थे और अपने राष्ट्रप्रेम के कारण ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष में शामिल हुए.
गेंदालाल दीक्षित ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ हथियारों और गोला-बारूद का संग्रह करने की योजना बनाई. उन्होंने स्थानीय युवाओं को संगठित कर उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. उनकी इस योजना को “मैनपुरी षड्यंत्र” के नाम से जाना गया. उन्होंने ‘मातृवेदी’ नामक एक संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारतीय युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के लिए तैयार करना था. इस संगठन में भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों ने प्रेरणा प्राप्त की.
दीक्षित ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ हथियार उठाने की वकालत की. उनके नेतृत्व में कई गुप्त बैठकें आयोजित की गईं, जहां स्वतंत्रता संग्राम की रणनीतियां बनाई गईं. ब्रिटिश सरकार ने उनकी योजनाओं को विफल कर दिया, और वर्ष 1919 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. जेल में अमानवीय यातनाएं झेलने के बाद उन्होंने 21 दिसंबर 1920 को आत्महत्या कर ली ताकि वे ब्रिटिश सरकार की योजनाओं का हिस्सा न बनें.
गेंदालाल दीक्षित का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना. उनका नाम भारतीय इतिहास में उन वीर सपूतों में लिया जाता है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को स्वतंत्रता दिलाने की राह को प्रशस्त किया.
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साहित्यकार महावीर प्रसाद द्विवेदी
महावीर प्रसाद द्विवेदी हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण साहित्यकार और आलोचक थे. वे हिंदी कविता, गद्य, और आलोचना के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्ट कृतियों के लिए प्रसिद्ध हैं. उनका जन्म 1864 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के काकोरी गाँव में हुआ था. वे हिंदी भाषा के एक महान सुधारक, कवि और पत्रकार थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य की दिशा को नया आकार दिया और उसे समृद्ध किया.
महावीर प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी गद्य के क्षेत्र में अनेक सुधार किए. उन्होंने शुद्ध और सरल हिंदी को बढ़ावा दिया, जिससे अधिक से अधिक लोग साहित्य से जुड़ सकें. उनके गद्य लेखन ने साहित्यिक पंरपरा को नया मोड़ दिया और उसे अधिक सटीक और समृद्ध किया. महावीर प्रसाद द्विवेदी हिंदी के प्रसिद्ध पत्रिका “सरस्वती” के संपादक थे, जो वर्ष 1900 -10 तक प्रकाशित होती रही. इस पत्रिका ने हिंदी साहित्य को न केवल एक दिशा दी, बल्कि इसे समाज में महत्वपूर्ण स्थान भी दिलवाया। सरस्वती पत्रिका में उन्होंने साहित्य, कला, संस्कृति, और समाज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिससे हिंदी साहित्य में क्रांति आई.
द्विवेदी जी ने हिंदी काव्यशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी आलोचनात्मक दृष्टि ने साहित्यिक कृतियों के मूल्यांकन में एक नई परंपरा की शुरुआत की. वे कविता के शास्त्रीय रूपों को मान्यता देते हुए उसे समाज के संदर्भ में भी जोड़ते थे. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी साहित्य में शुद्धता और प्रभावशालीता की ओर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने तत्कालीन हिंदी साहित्य की अशुद्धता को दूर करने के लिए कठोर कदम उठाए, जिससे भाषा में शुद्धता और बौद्धिकता का संचार हुआ.
प्रमुख कृतियाँ: – “काव्यशास्त्र”, “हिंदी साहित्य का इतिहास”, “सरस्वती के संपादक के रूप में लेखन”, “हिंदी गद्य में सुधार”.
महावीर प्रसाद द्विवेदी का निधन 21 दिसम्बर 1938 ई. को रायबरेली में हुआ था. महावीर प्रसाद द्विवेदी का योगदान हिंदी साहित्य के इतिहास में अनमोल है. वे न केवल एक बड़े आलोचक और काव्यशास्त्री थे, बल्कि एक ऐसे साहित्यकार थे जिन्होंने हिंदी साहित्य को एक नया आयाम दिया. उनकी दृष्टि ने हिंदी साहित्य को गहरी सांस्कृतिक, सामाजिक, और बौद्धिक समझ से जोड़ा.
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तेजी बच्चन
तेजी बच्चन एक जानी-मानी भारतीय व्यक्तित्व थीं, जो हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की पत्नी और बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की मां थीं. तेजी बच्चन का जन्म 12 अगस्त 1914 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के फैसलाबाद (जिसे पहले लायलपुर कहा जाता था) में हुआ था.
वह साहित्य और कला में गहरी रुचि रखती थीं और उन्होंने अपने जीवन में कई सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाई. तेजी बच्चन एक शिक्षिका भी थीं और उन्होंने कई वर्षों तक पढ़ाया. उन्होंने अपने पति हरिवंश राय बच्चन के साहित्यिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, उन्हें प्रोत्साहित किया और उनके रचनात्मक कार्यों में सहयोग दिया.
तेजी बच्चन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही राष्ट्रीय आंदोलन से भी जुड़ाव था. वह महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थीं और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया. उनका निधन 21 दिसंबर 2007 को मुंबई में हुआ. उनके जीवन और कार्यों ने न केवल उनके परिवार, बल्कि हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति पर भी गहरा प्रभाव डाला.