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व्यक्ति विशेष

भाग – 349.

अभिनेता दिलीप कुमार

दिलीप कुमार जिन्हें भारतीय सिनेमा के महानतम अभिनेताओं में से एक माना जाता है, उनका वास्तविक नाम मोहम्मद यूसुफ खान था. उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान मे) में हुआ था. वे भारतीय सिनेमा के “ट्रैजेडी किंग” के रूप में प्रसिद्ध थे और उनकी अभिनय कला ने हिंदी फिल्म उद्योग को एक नई दिशा दी.

दिलीप कुमार का जन्म पेशावर के एक पठान परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम लाला गुलाम सरवर था, जो एक फल व्यापारी थे. दिलीप कुमार की प्रारंभिक शिक्षा नासिक में हुई. परिवार के मुंबई (तब बॉम्बे) स्थानांतरित होने के बाद, उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा मुंबई में पूरी की. दिलीप कुमार ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1944 में फिल्म “ज्वार भाटा” से की, जो एक औसत फिल्म थी. लेकिन उन्होंने अपने अभिनय कौशल से जल्द ही फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई.

फिल्में: – 

अंदाज़ (1949): – राज कपूर और नरगिस के साथ यह फिल्म बड़ी हिट साबित हुई.

देवदास (1955): – बिमल रॉय द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उनके किरदार ने उन्हें “ट्रैजेडी किंग” का खिताब दिलाया.

नया दौर (1957): – यह फिल्म भी दिलीप कुमार के करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई.

मुगल-ए-आज़म (1960): – इस ऐतिहासिक फिल्म में उन्होंने शहज़ादा सलीम की भूमिका निभाई, जो उनकी सबसे प्रतिष्ठित भूमिकाओं में से एक है.

गंगा जमुना (1961): – इस फिल्म में उन्होंने एक किसान की भूमिका निभाई और इसे खूब सराहा गया.

दिलीप कुमार के अभिनय की विशेषता उनकी स्वाभाविकता और गहराई थी. वे अपने पात्रों में पूरी तरह से ढल जाते थे और उनकी हर भूमिका में जीवन का संचार करते थे. उन्होंने ट्रैजेडी रोल्स के साथ-साथ कॉमेडी और रोमांटिक रोल्स में भी सफलता पाई. दिलीप कुमार ने 8 बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता, जो एक रिकॉर्ड है. उन्हें वर्ष 1994 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया. उन्हें वर्ष 1991 में पद्म भूषण और वर्ष  2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.

दिलीप कुमार ने वर्ष 1966 में अभिनेत्री सायरा बानो से विवाह किया. उनकी जोड़ी को फिल्म इंडस्ट्री में एक आदर्श जोड़ी माना जाता है. दिलीप कुमार ने अपने जीवनकाल में कई सामाजिक और चैरिटी के कार्यों में हिस्सा लिया और समाज सेवा में भी योगदान दिया. दिलीप कुमार का निधन 7 जुलाई 2021 को मुंबई में हुआ. उनकी मृत्यु से भारतीय सिनेमा में एक युग का अंत हो गया, लेकिन उनकी यादें और फिल्में सदैव जीवित रहेंगी.

दिलीप कुमार का नाम हिंदी सिनेमा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा और उनकी अभिनय कला, फिल्मों और योगदान को सदैव याद किया जाएगा.

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आचार्य रजनीश

 आचार्य रजनीश जिनका असली नाम चंद्र मोहन जैन था. वो गुरु, धार्मिक विचारक, और स्वतंत्रता संग्रामकार थे. वे अपने अनुयायियों द्वारा “ओशो” के नाम से भी जाने जाते थे, और उन्होंने विशेष रूप से ध्यान और ज्ञान के क्षेत्र में अपनी शिक्षा और गुरुत्व के लिए प्रसिद्ध हुए.

ओशो का जन्म 11 दिसंबर 1931 को मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था, और उनकी मृत्यु 19 जनवरी 1990 को हुई. उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे धार्मिक और दार्शनिक विचारों का प्रसार किया, और उनके शिष्यों को ध्यान, समय का महत्व, और मनोबल को सुधारने के लिए उपायों की प्रेरणा दी. ओशो के उपदेशों का मुख्य ध्यान ध्यान प्रौढ़ता, सच्चे जीवन का अनुभव, और जीवन के सभी पहलुओं को पूरी तरह से अपनाने का था. वे अपने उपासकों के साथ संज्ञाना की विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते थे, जैसे कि नाटक, संगीत, और झूला.

ओशो के विचारों और उनके विचारधारा के साथ, उनके व्यक्तिगत रूप की अपनी अनूठी शैली के लिए वे प्रसिद्ध थे. हालांकि उनके दृष्टिकोण और उनका अच्छंदा तरीका उन्हें विशेष चर्चा में लाए और उनके अनुयायियों को प्रभावित किया, वे भारतीय समाज के कुछ हिस्सों में विवादित रूप से जाने जाते हैं.

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क्रिकेट खिलाड़ी सलीम दुर्रानी

सलीम दुर्रानी एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्होंने वर्ष 1960 -70 के दशक में भारत के लिए खेला था. वे एक ऑलराउंडर खिलाड़ी थे जो बाएं हाथ से बल्लेबाजी और बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाजी करते थे. दुर्रानी को उनकी स्टाइलिश बल्लेबाजी और सक्षम गेंदबाजी के लिए जाना जाता था, साथ ही साथ उनकी क्रिकेट फील्ड में दर्शकों के साथ उनकी जबरदस्त लोकप्रियता के लिए भी.

सलीम दुर्रानी का जन्म 11 दिसंबर 1934, ख़ैबर दर्रा, पाकिस्तान में हुआ था और उनका निधन 02  अप्रैल 2023 को जामनगर, गुजरात में हुआ था.  दुर्रानी ने अपने कैरियर में कुछ यादगार प्रदर्शन किए, जिसमें उनकी मैच जिताऊ पारियां और अहम मौकों पर लिए गए विकेट शामिल हैं. उनका करिश्माई खेल भारतीय क्रिकेट में उन्हें एक विशेष स्थान दिलाता है.

इसके अलावा, दुर्रानी ने फिल्म इंडस्ट्री में भी अपना हाथ आजमाया था और वह कुछ बॉलीवुड फिल्मों में नज़र आए थे. उनकी विविध प्रतिभाओं और व्यक्तित्व ने उन्हें उस समय के एक चर्चित व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया था.

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राजनीतिज्ञ प्रणव मुखर्जी

प्रणव मुखर्जी भारतीय राजनीति के प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे. वे एक अनुभवी राजनेता और भारत के 13वें राष्ट्रपति (वर्ष 2012-17) थे. उनका राजनीतिक कैरियर लगभग पांच दशकों तक चला और उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया.

प्रणव मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के यहाँ हुआ था. प्रणव मुखर्जी ने कोलकाता विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान, इतिहास और कानून में डिग्री ली. प्रणव मुखर्जी ने वर्ष 1969 में राजनीति में कदम रखा और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबी सहयोगी बने. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विभिन्न स्तरों पर कार्य किया.

प्रणव मुखर्जी ने वर्ष 1982- 84 और वर्ष 2009- 12 के बीच वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला था. उन्होंने वर्ष 1995-96 और वर्ष 2006-09 के दौरान विदेश मंत्री का कार्यभार संभाला था. प्रणव मुखर्जी ने वर्ष 2004-06 के दौरान रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला था. उन्होंने वर्ष 1980-82 के दौरान वाणिज्य और उद्योग मंत्री का कार्यभार संभाला था.

25 जुलाई 2012 को प्रणव मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति बने. उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करने के लिए काम किया.

प्रमुख उपलब्धियां:

वर्ष 1984 में “विश्व का सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री” का खिताब Euromoney Magazine द्वारा.

वर्ष 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित.

वर्ष 2019 में भारत रत्न, देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित.

प्रणव मुखर्जी ने कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें उनकी आत्मकथा “The Presidential Years” और भारत की राजनीति पर आधारित अन्य लेख प्रमुख हैं. 31 अगस्त 2020 को 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. उनके निधन के साथ भारतीय राजनीति ने एक अनुभवी नेता और देशभक्त को खो दिया. उनकी सादगी, अनुभव, और नीतिगत सूझबूझ ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशेष स्थान दिलाया.

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अभिनेत्री किमी काटकर

किमी काटकर वर्ष 1980 – 90 के दशक की एक लोकप्रिय भारतीय अभिनेत्री और मॉडल थीं. वे हिंदी सिनेमा की ग्लैमरस अभिनेत्रियों में से एक मानी जाती थीं.

किमी काटकर का जन्म 11 दिसंबर 1965 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की और जल्द ही फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बन गईं. किमी ने  वर्ष 1985 में फिल्म पत्थर दिल से बॉलीवुड में डेब्यू किया. वे अपने बोल्ड और ग्लैमरस अंदाज के लिए जानी जाती थीं.

फिल्में: – टार्ज़न (1985),  खुदगर्ज (1987),  वर्दी (1989), हम (1991)

किमी काटकर ने  वर्ष 1992 में फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी. उन्होंने शादी के बाद ऑस्ट्रेलिया और बाद में पुणे में बसने का फैसला किया. किमी काटकर ने फोटोग्राफर और एड फिल्ममेकर शांतनु शौरी से शादी की. उनका एक बेटा है.

किमी काटकर को भारतीय सिनेमा में उनके साहसी और अनूठे किरदारों के लिए याद किया जाता है. वे 80 और 90 के दशक के फैशन और ग्लैमर की प्रतीक थीं.

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अभिनेत्री सारा लॉरेन

सारा लॉरेन, जिनका असली नाम मोनालिसा है, एक पाकिस्तानी अभिनेत्री और मॉडल हैं. वे हिंदी और उर्दू फिल्म उद्योग में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. उनका कैरियर ग्लैमर और ड्रामा का बेहतरीन संयोजन रहा है.

सारा लॉरेन का जन्म 11 दिसंबर 1985 को पाकिस्तानी परिवार में कुवैत में हुआ था. उनका पालन-पोषण पाकिस्तान में हुआ था. सारा लॉरेन ने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की और बाद में फिल्मों में कदम रखा.

फिल्में:  –  कजरारे (2010),  मर्डर 3 (2013),  बारिश (2021).

सारा लॉरेन ने विभिन्न ओटीटी प्रोजेक्ट्स और रोमांटिक फिल्मों में भी काम किया. उन्होंने कई पाकिस्तानी टेलीविजन ड्रामा सीरियल्स में भी अभिनय किया, जिनमें माईला और अनारकली प्रमुख हैं.

सारा लॉरेन अपने ग्लैमरस अंदाज और बहुमुखी अभिनय के लिए जानी जाती हैं. सारा को उनकी खूबसूरती और बोल्ड अभिनय शैली के लिए बॉलीवुड और पाकिस्तानी फिल्म उद्योग दोनों में सराहा गया है.

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गीतकार और संगीतकार आनंद शंकर

आनंद शंकर एक भारतीय संगीतकार और संगीत निर्देशक थे. जिन्होंने विशेष रूप से अपनी अद्वितीय संगीत शैली के लिए पहचान बनाई. वे भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी फ्यूज़न संगीत के मिलाप के लिए विख्यात थे. उनका संगीत भारतीय और पश्चिमी वाद्य यंत्रों के बीच एक अनूठा संतुलन प्रस्तुत करता है.

आनंद शंकर का जन्म 11 दिसंबर 1922 को हुआ था. वे पंडित रवि शंकर के भतीजे थे और संगीत के एक गौरवशाली परिवार से आए थे. उन्होंने विभिन्न संगीत शैलियों का अध्ययन किया और विशेष रूप से अपने संगीत में भारतीय और पश्चिमी तत्वों का समावेश किया.

आनंद शंकर के कुछ प्रसिद्ध कामों में उनके फ्यूज़न एल्बम शामिल हैं, जैसे कि ‘Ananda Shankar’ और ‘Ananda Shankar And His Music’, जिसमें उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को पश्चिमी रॉक और इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक के साथ मिलाया. उनकी यह अनोखी संगीत शैली उन्हें विश्व संगीत के क्षेत्र में एक मान्यता प्राप्त नाम बनाती है.

आनंद शंकर का निधन 26 सितंबर 1999 को हुआ, लेकिन उनका संगीत आज भी उनके प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय है. उनका काम संगीत की दुनिया में एक महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है.

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कवि प्रदीप

कवि प्रदीप का पूरा नाम रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी था. वे एक प्रमुख हिंदी कवि और समीक्षक थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य को अपने लेखन से बहुत योगदान दिया. प्रदीप का जन्म  6 फ़रवरी, 1915 में मध्य प्रदेश में उज्जैन के बड़नगर नामक क़स्बे में हुआ था.

कवि प्रदीप ने अपनी कविताओं में भारतीय समाज, संस्कृति, और भाषा के महत्व को प्रमोट किया और उनका योगदान हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण माना जाता है. उनकी प्रमुख कविताओं में से कुछ प्रमुख हैं: –

ऐ मेरे वतन के लोगो, आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ, दे दी हमें आज़ादी, हम लाये हैं तूफ़ान से, मैं तो आरती उतारूँ, पिंजरे के पंछी रे, तेरे द्वार खड़ा भगवान, दूर हटो ऐ दुनिया वालों आदि.

कवि प्रदीप का निधन 11 दिसंबर 1968 को मुंबई में हुआ था. कवि प्रदीप ने अपने लेखन से साहित्यिक साक्षरता को बढ़ावा दिया और उनका योगदान भारतीय साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है.

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सितार वादक पंडित रवि शंकर

पंडित रवि शंकर एक विश्व-प्रसिद्ध सितार वादक थे, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिष्ठित किया. उनका जन्म 7 अप्रैल 1920 को वाराणसी में हुआ था और उनका निधन 11 दिसंबर 2012 को हुआ. रवि शंकर ने अपने संगीत कैरियर की शुरुआत एक नर्तक के रूप में की थी, लेकिन बाद में उन्होंने सितार को अपना मुख्य वाद्य बना लिया और उसमें अद्वितीय प्रतिभा दिखाई.

पंडित रवि शंकर ने अपने गुरु, उस्ताद अलाउद्दीन खान से संगीत की शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने सितार पर कई नवाचार किए और शास्त्रीय रागों को नए ढंग से प्रस्तुत किया. रवि शंकर ने भारतीय संगीत को पश्चिमी दुनिया में भी लोकप्रिय बनाया, जिसमें उनके बीटल्स के जॉर्ज हैरिसन के साथ सहयोग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

पंडित रवि शंकर ने विभिन्न संगीत समारोहों में भाग लिया और अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किए गए, जिसमें भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए भारत रत्न भी शामिल हैं. उनकी संगीत शैली ने विश्व भर के संगीतकारों को प्रभावित किया और उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक दूत के रूप में माना जाता है.

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उपन्यासकार सुनीता जैन

सुनीता जैन एक भारतीय उपन्यासकार, कवयित्री, और अनुवादक हैं. उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में अपने साहित्यिक योगदान से ख्याति अर्जित की है. सुनीता जैन का लेखन जीवन, मानवीय संबंधों और समाज के विभिन्न पहलुओं को गहराई से चित्रित करता है.

सुनीता जैन का जन्म 13 जुलाई 1940 को उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने ‘स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयार्क’ से अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया. इसके बाद उन्होंने ‘यूनिवर्सिटी ऑफ़ नेब्रास्का’ से पीएचडी. की उपाधि प्राप्त की.

सुनीता जैन ने अपने कैरियर की शुरुआत एक कवयित्री के रूप में की और बाद में उपन्यास लेखन और अनुवाद में भी अपना योगदान दिया. उनके साहित्यिक कार्यों में विभिन्न प्रकार के विषयों को शामिल किया गया है, जिनमें महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दे, और मानव मनोविज्ञान शामिल हैं.

प्रमुख कृतियाँ: –

कहानी संग्रह: – सुनीता जैन ने कई कहानियाँ लिखी हैं जो उनकी गहन समझ और समाज की सूक्ष्म दृष्टि को प्रदर्शित करती हैं.

उपन्यास: – उनके उपन्यास समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं और पाठकों को गहरे चिंतन में डाल देते हैं.

कविताएँ: – उन्होंने कई काव्य संग्रह लिखे हैं जो उनकी साहित्यिक प्रतिभा का प्रमाण हैं.

अनुवाद: – सुनीता जैन ने कई महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों का अनुवाद भी किया है, जिससे विभिन्न भाषाओं के साहित्य को व्यापक पाठक वर्ग तक पहुँचाया जा सके.

सुनीता जैन को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. उनके कार्यों ने न केवल साहित्यिक जगत में बल्कि आम जनता के बीच भी महत्वपूर्ण स्थान बनाया है.

सुनीता जैन का लेखन शैली सरल, सजीव, और प्रभावशाली है. उनके कार्यों में भाषा की सुंदरता और विचारों की गहराई स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. उन्होंने समाज में व्याप्त समस्याओं और मानव संबंधों की जटिलताओं को अपनी लेखनी के माध्यम से उजागर किया है. सुनीता जैन का निधन 11 दिसंबर 2017 को हुआ था. सुनीता जैन वर्तमान में लेखन के साथ-साथ विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हैं. उनकी साहित्यिक यात्रा और योगदान ने उन्हें भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है.

 

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