अभिनेत्री सावित्री गणेशन
सावित्री गणेशन भारतीय सिनेमा की एक महान अभिनेत्री, गायिका, और फिल्म निर्माता थीं. वह मुख्य रूप से तेलुगु और तमिल सिनेमा में अपने शानदार अभिनय के लिए जानी जाती हैं. उनके द्वारा निभाए गए किरदारों और अभिनय की गहराई ने उन्हें भारतीय फिल्म इतिहास में एक अद्वितीय स्थान दिया.
सावित्री का जन्म 4 जनवरी 1936 को आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिला, मदुरस प्रेसीडेंसी के चुर्रुरु जिले में हुआ था. बचपन से ही सावित्री को अभिनय और कला में रुचि थी. उन्होंने नाटकों में अभिनय से अपने कैरियर की शुरुआत की. सावित्री ने वर्ष 1950 के दशक में अपने कैरियर की शुरुआत की और जल्द ही तमिल और तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में एक स्थापित अभिनेत्री बन गईं.
प्रमुख फिल्में: –
देवदासु (1953): – इस तेलुगु फिल्म में उन्होंने पार्वती की भूमिका निभाई, जिसे आज भी एक ऐतिहासिक प्रदर्शन माना जाता है.
मायाबाजार (1957): – तेलुगु सिनेमा की यह क्लासिक फिल्म भारतीय सिनेमा का एक मील का पत्थर है. सावित्री का किरदार “ससिरेखा” आज भी याद किया जाता है.
मिसम्मा (1955): – इस फिल्म में उनकी अदाकारी ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा को साबित किया.
पसुमपोन (तमिल): – तमिल सिनेमा में सावित्री की बेहतरीन फिल्मों में से एक.
सावित्री ने तेलुगु और तमिल के अलावा कन्नड़, मलयालम और हिंदी फिल्मों में भी काम किया. सावित्री को उनकी गहरी भावनात्मक अभिव्यक्ति और किरदारों में डूब जाने की कला के लिए जाना जाता था. उन्होंने ट्रैजिक और कॉमिक दोनों तरह के किरदारों को बड़ी कुशलता से निभाया. सावित्री गणेशन को कई सम्मानों से सम्मानित किया गया जिनमें राष्ट्रपति स्वर्ण पदक: फिल्म छिवराकु मिगिलेदी के लिए, कलाईमामणि पुरस्कार: तमिलनाडु सरकार द्वारा, उन्हें मरणोपरांत दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
सावित्री ने तमिल अभिनेता जेमिनी गणेशन से शादी की थी. उनके वैवाहिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, जिसने उनके व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य पर असर डाला. सावित्री का निधन 26 दिसंबर 1981 को हुआ. उनके जीवन पर आधारित एक बायोपिक “महानटी” (2018) बनाई गई, जिसमें अभिनेत्री कीर्ति सुरेश ने सावित्री का किरदार निभाया. यह फिल्म बेहद सफल रही और सावित्री की जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को दिखाने में कामयाब रही.
सावित्री को “महानटी” (महान अभिनेत्री) के रूप में याद किया जाता है. उनका योगदान भारतीय सिनेमा, विशेषकर दक्षिण भारतीय सिनेमा, के विकास में अद्वितीय है.
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अभिनेता एवं निर्देशक शेखर कपूर
शेखर कपूर भारतीय फिल्म उद्योग के एक प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक, और निर्माता हैं. उन्होंने भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा में अपनी अनूठी और प्रभावशाली फिल्म निर्माण शैली के लिए ख्याति प्राप्त की है.
शेखर कपूर का जन्म 6 दिसंबर 1945 को लाहौर पंजाब पाकिस्तान में हुआ था. उनके पिता का नाम कुलभूष्ण कपूर था, जो कि ब्रिटिश काल में डॉक्टर के पद पर कार्यरत थे. उनकी माँ का नाम शीलाकांता कपूर था. शेखर कपूर भारतीय हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता देवानंद के भांजे हैं.बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री देविका रानी के दूर के रिश्तेदार हैं और हिंदी अभिनेत्री दीवान सुनीता कपूर के भतीजे हैं. उनकी तीन बहनें हैं – नीलू,अरुणा और सोहना कपूर. शेखर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में प्राप्त की और उसके बाद उन्होंने लंदन के स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई की. हिंदी सिनेमा में आने से पहले उन्होंने उन्होंने बतौर चार्टेड अकाउंटेंट लन्दन में काम कर चुके हैं
शेखर कपूर की पहली शादी मेधा जलोटा से हुई थी, लेकिन किन्ही कारणों से दोनों के बीच अलगाव हो गया. मेधा की मौत न्यू जर्सी में हो चुकी है. उनकी दूसरी शादी सुचित्रा कृष्णमूर्ति से सम्पन्न हुई है. उनकी एक बेटी भी है- कावेरी कपूर.
शेखर कपूर ने हिंदी सिनेमा में अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1975 में फिल्म जान हाज़िर हो से की थी. उसके बाद उन्होंने फिल्म टूटे खिलौना निर्देशित की. उन्हें हिंदी सिनेमा में पहचान फैमिली ड्रामा फिल्म मासूम से मिली थी. इस फिल्म में मुख्य भूमिका में नसीरूद्धीन शाह और शबाना आजमी और जुगल हंसराज मुख्य भूमिका में नजर आये थे. उस दौर में यह फिल्म दर्शको और आलोचकों द्वारा बेहद पसंद की गयी थी. उसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा में साइंस-फिक्शन फिल्म मिस्टर इंडिया फिल्म निर्देशित की. इस फिल्म में मुख्य भूमिका में अनिल कपूर-श्रीदेवी और अमरीश पूरी नजर आये थे. इस फिल्म में अमरीश पूरी ने खलनायक मोगैम्बो की भूमिका अदा की थी.
वर्ष 1989 में शेखर कपूर ने ‘जोशीले’ और ‘दुश्मनी’ जैसी फिल्मों का सह निर्देशन किया. वर्ष 1992 में शेखर कपूर विज्ञान पर आधारित फंतासी फिल्म टाइम मशीन का निर्देशन करने वाले थे. इस फिल्म के लिए शेखर कपूर ने आमिर खान,रवीना टंडन, नसीरउदीन शाह और रेखा का चयन किया गया था लेकिन फिल्म नहीं बन सकी.
वर्ष 1997 में शेखर कपूर ने दस्यु सुंदरी फुलन देवी पर आधारित ‘बैंडिट क्वीन’ का निर्देशन किया. इस फिल्म में बैंडिट क्वीन की भूमिका सीमा विश्वास ने रूपहले पर साकार की. ‘बैंडिट क्वीन’ के जरिये शेखर कपूर ने न सिर्फ भारत में बल्कि अंतर्राट्रीय स्तर पर भी अपनी खास पहचान बनायी. इस फिल्म के लिए शेखर कपूर को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्म फेयर पुरस्कार भी दिया गया.
बैंडिट क्वीन’ के बाद शेखर कपूर को हॉलीवुड फिल्म ‘ऐलिजाबेथ’ का निर्देशन का अवसर मिला. यह फिल्म ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित की गयी. वर्ष 2007 में इस फिल्म के सीक्वल ‘एलिजाबेथ द गोल्डन एज’ का भी शेखर कपूर ने निर्देशन किया. इन सबके बीच शेखर कपूर ने हॉलीवुड फिल्म ‘द फोर फीदर्स’, ‘न्यूयॉर्क आइ लव यू’ और ‘पैसेज’ का निर्देशन भी किया.
वर्ष 2013 में अभिषेक कपूर न्यूज़ चैनल एबीपी पर शो प्रधान मंत्री भी होस्ट कर चुके हैं. इस शो में उन्होंने दर्शकों को उन अनसुने पहलुयों से रूबरू कराया जिसे दर्शक जानते तक नहीं थे.
शेखर कपूर भारतीय सिनेमा के उन कुछ निर्माताओं और निर्देशकों में से एक हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा में अपनी जगह बनाई. उनका काम न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि समाज और इतिहास को एक गहरे दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है.
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अभिनेता प्रवीण कुमार सोबती
प्रवीण कुमार सोबती एक फ़िल्म अभिनेता थे. उनका जन्म 06 दिसम्बर 1947 को सरहली कलां, पंजाब में हुआ था. उन्होंने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत बॉलीवुड फ़िल्मों से की थी. प्रवीण सोबती ने अपने कैरियर के दौरान बी. आर. चोपड़ा के लोकप्रिय ऐतिहासिक टेली सीरियल महाभारत में ‘भीम’ की भूमिका निभाई. उन्होंने अपनी अद्वितीय अभिनय कला से लोगों का मनमोहन किया.
प्रवीण सोबती की कुछ प्रमुख फ़िल्मों: – रक्षा, गज़ब, हम से है ज़माना, जागीर,करिश्मा कुदरत का, ज़बरदस्त,आखिर क्यों?, खुदगर्ज़, लोहा,शहंशाह, मोहब्बत के दुश्मन, अजूबा और पनाह आदि.
टेली-सीरियल: – महाभारत, सूर्यपुत्र शनिदेव और चाचा चौधरी.
प्रवीण सोबती का अभिनय कैरियर काफी सफल था, और उन्होंने अपने अद्वितीय अभिनय कला के लिए कई पुरस्कार भी जीते, जिनमें फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी शामिल हैं. वे भारतीय सिनेमा के अद्वितीय कलाकारों में से एक थे और उनका योगदान सिनेमा इंडस्ट्री के इतिहास में महत्वपूर्ण है.
प्रवीण सोबती का निधन 7 फ़रवरी 2022 को हुआ, लेकिन उनकी फ़िल्मों का अभिनय आज भी याद किया जाता है.
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भीमराव अंबेडकर
भीमराव रामजी अंबेडकर जिन्हें डॉ. बी. आर. अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है. वो भारतीय संविधान के मुख्य आर्किटेक्ट थे और वे एक महान समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ, और शिक्षाविद् थे. उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था, और उन्होंने भारत में अछूतों और दलितों के लिए समानता और न्याय की लड़ाई लड़ी. अंबेडकर ने अपनी शिक्षा भारत और विदेशों में पूरी की, जिसमें उन्होंने कई विषयों में मास्टर्स और डॉक्टरेट डिग्री हासिल की.
उनके योगदानों में से एक मुख्य योगदान यह था कि उन्होंने भारतीय संविधान की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे उस संविधान सभा के अध्यक्ष भी थे. उन्होंने समाज में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और दलितों के लिए शिक्षा और समान अवसर प्रदान करने के लिए कई पहल की.
उनका निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी भारतीय समाज में प्रेरणा के रूप में मौजूद है. भारत में उनका जन्मदिन ‘अम्बेडकर जयंती’ के रूप में मनाया जाता है और यह राष्ट्रीय अवकाश है.
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मेजर होशियार सिंह
मेजर होशियार सिंह एक भारतीय सैन्य अधिकारी थे जिन्हें भारतीय इतिहास में उनकी वीरता और साहस के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया है. उन्हें वर्ष1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान उनके असाधारण साहस और नेतृत्व के लिए भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
मेजर होशियार सिंह का जन्म 5 मई 1936 को हरियाणा के सिसाना गाँव में हुआ था. उन्होंने अपनी मिलिटरी ट्रेनिंग इंडियन मिलिटरी अकादमी से पूरी की और ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त किया. वर्ष 1962 के युद्ध में उन्होंने सिक्किम सेक्टर में सर्वोच्च वीरता और नेतृत्व का प्रदर्शन किया, जिसके लिए उन्हें परम वीर चक्र से नवाजा गया.
उनकी वीरता की कहानियाँ भारतीय सेना में आज भी प्रेरणादायक मानी जाती हैं, और उन्हें एक आदर्श सैन्य नेता के रूप में याद किया जाता है.
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अभिनेत्री बीना राय
बीना राय भारतीय सिनेमा की एक प्रमुख अभिनेत्री थीं, जिन्होंने अपने अभिनय कैरियर के दौरान कई यादगार फिल्में कीं. उनका जन्म 13 जुलाई 1931 को लाहौर में हुआ था. उनका असली नाम कृष्णा सारिन था. उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान ही अभिनय में रुचि लेना शुरू कर दिया था.
प्रमुख फिल्में: –
काली घटा (1951): – इस फिल्म से उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की.
अनारकली (1953): – यह फिल्म एक बड़ी हिट साबित हुई और उन्हें इस फिल्म में उनके अद्वितीय अभिनय के लिए बहुत सराहा गया.
ताजमहल (1963): – इस फिल्म में उन्होंने मुमताज महल का किरदार निभाया, जो आज भी याद किया जाता है.
घूंघट (1960): – इस फिल्म में उनके प्रदर्शन ने उन्हें फिल्म-फेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार दिलवाया.
बीना राय ने अभिनेता प्रेमनाथ से विवाह किया था. उनके दो बेटे हैं, जिनमें से एक प्रेम किशन भी अभिनेता थे. बीना राय को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले. उन्हें “घूंघट” के लिए उन्होंने फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता. बीना राय का निधन 6 दिसंबर 2009 को हुआ. उनका योगदान भारतीय सिनेमा में हमेशा याद किया जाएगा.