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व्यक्ति विशेष

भाग – 312.

उद्योगपति जमनालाल बजाज

जमनालाल बजाज भारत के एक प्रमुख उद्योगपति थे और भारतीय उद्योग के एक महत्वपूर्ण स्तम्भ माने जाते हैं. उन्होंने बजाज ग्रुप की स्थापना की, जो विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग और व्यापार में गतिविधियों को संचालित करता है.

जमनालाल बजाज का जन्म  4 नवम्बर, 1889 को राजस्थान के एक छोटे से गांव काशी का वास में हुआ था. उन्होंने उद्योग और व्यापार में अपनी कुशलता के बल पर बजाज ग्रुप को एक महान उद्यमी संस्था बनाया. उन्होंने उद्योग विकास में अपनी नेतृत्व की भूमिका निभाई और उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता और समृद्धि में मदद करने में महत्वपूर्ण रहा.

उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना की, जिसमें अटूल ऑटो, बजाज ऑटो, बजाज इलेक्ट्रिकल्स, बजाज स्टील और बजाज फिन्सर्व को शामिल किया गया. जमनालाल बजाज के योगदान के लिए पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया.

जमनालाल बजाज का निधन 11 फ़रवरी 1942 को हुआ था, लेकिन उनका योगदान उद्योग और समाज के लिए हमेशा याद किया जाएगा.

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गणितज्ञ शकुन्तला देवी

शकुन्तला देवी, जिन्हें “मानव कंप्यूटर” के नाम से भी जाना जाता है, एक असाधारण भारतीय गणितज्ञ थीं जो अपनी जटिल गणितीय प्रतिभा के लिए विश्वव्यापी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी थीं. उनका जन्म 4 नवंबर 1929 को बेंगलुरु, भारत में हुआ था. शकुन्तला देवी ने कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी, फिर भी उन्होंने गणित के क्षेत्र में अपनी असाधारण क्षमता के बल पर विश्व स्तर पर ख्याति अर्जित की.

उनकी योग्यताओं में बहुत तेजी से और सटीकता के साथ जटिल गणनाएं करना शामिल था. उन्होंने वर्ष 1980 में दो 13-अंकीय संख्याओं का गुणन करके गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया.  इस प्रदर्शन ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई और उन्हें गणित के क्षेत्र में एक अद्वितीय स्थान प्रदान किया।

शकुन्तला देवी ने गणित पर कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें ‘फन विथ नंबर्स’, ‘एस्ट्रोलॉजी फॉर यू’, ‘पजल्स टू पजल यू’, और ‘मोर पजल्स टू पजल यू’ शामिल हैं. इन पुस्तकों में उन्होंने गणित को मजेदार और सुलभ बनाने की कोशिश की, जिससे ये सभी उम्र के पाठकों के बीच लोकप्रिय हुईं।

उन्होंने अपने जीवन में गणित के साथ-साथ अन्य विषयों में भी योगदान दिया, जिसमें ज्योतिष और कुकिंग भी शामिल हैं. शकुन्तला देवी का 21 अप्रैल 2013 को निधन हो गया, लेकिन उनकी उपलब्धियाँ और योगदान आज भी उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में याद करते हैं.

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संगीतकार जयकिशन

जयकिशन दयाभाई पंकल, जो शंकर-जयकिशन की जोड़ी में प्रसिद्ध थे, भारतीय सिनेमा के महान संगीतकारों में से एक माने जाते हैं. शंकर-जयकिशन की यह जोड़ी वर्ष 1950 – 60 के दशकों में हिंदी फिल्म संगीत पर राज करती थी. जयकिशन का जन्म 4 नवम्बर  1932 को गुजरात के वलसाड़ ज़िले के बासंदा गाँव के लकड़ी का सामान बनाने वाले परिवार में हुआ था.और उनकी मृत्यु 12 सितंबर 1971 को हुई.

जयकिशन ने अपने साथी शंकर के साथ मिलकर कई मशहूर गीतों की रचना की, जो आज भी लोकप्रिय हैं. उनके गीतों में धुनों का अनूठा संगम, गायकों की आवाज़ का सटीक उपयोग, और विभिन्न संगीत वाद्यों का उत्कृष्ट संयोजन देखने को मिलता है. शंकर-जयकिशन की जोड़ी ने राज कपूर, शैलेंद्र, और हसरत जयपुरी जैसे दिग्गजों के साथ काम किया और संगीत को एक नई ऊंचाई दी. उनके द्वारा दिए गए कुछ अविस्मरणीय गीतों में “जीना यहाँ, मरना यहाँ,” “तुम जो मिल गए हो,” “सूरज”, “चोरी-चोरी” और “आवारा हूँ” शामिल हैं.

उनकी जोड़ी को चार बार फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया और उन्होंने भारतीय फिल्म संगीत में एक अलग पहचान बनाई.

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फ़िल्मकार विजया मेहता

विजया मेहता भारतीय सिनेमा और रंगमंच की एक प्रतिष्ठित हस्ती हैं, जिन्होंने मराठी रंगमंच और समानांतर सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान दिया है. उनका जन्म 4 नवंबर 1934 को हुआ था, और वे भारत की प्रमुख महिला निर्देशकों में से एक मानी जाती हैं. विजया मेहता ने अपनी कला के ज़रिए न केवल भारतीय रंगमंच को सशक्त किया, बल्कि सामाजिक मुद्दों को गहराई से उठाया.

विजया मेहता ने “रंगायन” नामक नाट्य संस्था की स्थापना की, जो वर्ष  1960 के दशक में एक महत्वपूर्ण रंगमंच समूह बना. इस संस्था ने नई तरह की प्रस्तुतियाँ और अभिनव नाट्य रूपों का विकास किया. उनके निर्देशन में प्रस्तुत कई नाटक जैसे हयवदन, सखाराम बाइंडर, और जसवंत ठक्कर को दर्शकों और आलोचकों द्वारा खूब सराहा गया.

सिनेमा में, विजया मेहता ने पेस्टनजी जैसी महत्वपूर्ण फिल्म का निर्देशन किया, जो दोस्ती और समाज में पारसी संस्कृति के पहलुओं पर आधारित है. इसके अलावा, वे सत्यजीत रे की फिल्म शतरंज के खिलाड़ी में भी नज़र आईं. उन्होंने कई टेलीविजन धारावाहिकों और वृत्तचित्रों का भी निर्माण किया है.

उन्हें उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री शामिल हैं. उनके काम ने भारतीय सिनेमा और रंगमंच के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आज भी वे युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.

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प्रथम महिला एयर मार्शल पद्मावती बंदोपाध्याय

डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय भारतीय वायु सेना की पहली महिला एयर मार्शल हैं, और भारतीय वायु सेना में यह पद प्राप्त करने वाली पहली महिला थीं. उनका जन्म 4 नवंबर 1944 को हुआ था. डॉ. बंदोपाध्याय ने वायु सेना में रहते हुए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं और महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की.

उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त की और भारतीय वायु सेना में एक फ्लाइट सर्जन (Flight Surgeon) के रूप में अपनी सेवा शुरू की. वह न केवल भारतीय वायु सेना की पहली महिला फ्लाइट सर्जन थीं, बल्कि अंटार्कटिका पर जाने वाली पहली भारतीय महिला भी थीं. उनकी विशेषज्ञता और सेवा के चलते उन्हें वर्ष 2002 में एयर वाइस मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया, और आगे चलकर वह एयर मार्शल बनीं.

उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल (Vishisht Seva Medal) और अति विशिष्ट सेवा मेडल (Ati Vishisht Seva Medal) से सम्मानित किया गया. डॉ. बंदोपाध्याय ने अपने कैरियर में चिकित्सा, एयरोस्पेस मेडिसिन, और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है और वे भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.

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अभिनेत्री रीता भादुड़ी

रीता भादुड़ी भारतीय अभिनेत्री थीं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा और टेलीविजन में अपनी अदाकारी के लिए खासी पहचान बनाई. उनका जन्म 4 नवंबर 1955 को हुआ था, और उनका निधन 17 जुलाई 2018 को हुआ. रीता भादुड़ी ने अपने कैरियर में 70 से अधिक फिल्मों और कई टेलीविजन धारावाहिकों में काम किया.

उन्होंने वर्ष 1970 के दशक में अपने कैरियर की शुरुआत की और अपनी सहज अभिनय शैली के लिए जानी गईं. रीता भादुड़ी को ज्यादातर सहायक भूमिकाओं में देखा गया, लेकिन उन्होंने हर किरदार में जान डाल दी. उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में सरगम, अंकुश, कभी हाँ कभी ना, राजा, और दिल विल प्यार व्यार जैसी फिल्में शामिल हैं.

टीवी पर भी उनकी काफी लोकप्रियता थी, और उन्होंने कुमकुम, छोटी बहू, अमानत, हसरतें, और नीम नीम शहद शहद जैसे धारावाहिकों में अपनी सशक्त भूमिकाएं निभाईं. उनके निधन के समय वे धारावाहिक निमकी मुखिया में दादी का किरदार निभा रही थीं.

रीता भादुड़ी को उनकी अदाकारी और मधुर व्यक्तित्व के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा, और उन्होंने भारतीय टेलीविजन और सिनेमा में एक स्थायी छाप छोड़ी है.

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अभिनेत्री तब्बू

तब्बू, जिनका असली नाम तबस्सुम फातिमा हाशमी है, भारतीय फिल्म उद्योग की एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री हैं, जो अपनी गहरी और विविध भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 4 नवंबर 1971 को हैदराबाद में हुआ था. तब्बू ने मुख्यतः हिंदी सिनेमा में काम किया है, लेकिन उन्होंने तमिल, तेलुगु, मलयालम और बंगाली फिल्मों में भी अभिनय किया है.

तब्बू ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1980 के दशक में की, लेकिन उन्हें प्रमुख पहचान वर्ष 1994 की फिल्म विजयपथ से मिली, जिसमें उनके अभिनय की काफी सराहना हुई. इसके बाद उन्होंने माचिस, विरासत, हेरा फेरी, अस्तित्व, चांदनी बार, मकबूल, चीनी कम, हैदर, और अंधाधुन जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों और आलोचकों को प्रभावित किया. उनकी भूमिकाओं में एक खास गहराई और विविधता होती है, और वह कठिन और चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने के लिए जानी जाती हैं.

तब्बू को माचिस और चांदनी बार के लिए दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है. इसके अलावा, उन्हें कई फिल्मफेयर और अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. तब्बू का अभिनय कैरियर भारतीय सिनेमा में एक मानक की तरह देखा जाता है, और उन्हें अपने काम के प्रति समर्पण और उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है.

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नर्तक शंभू महाराज

शंभू महाराज कत्थक नृत्य के महान उस्तादों में से एक थे, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया. उनका जन्म 16 नवम्बर 1907 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था और वे लखनऊ घराने से संबंधित थे. उनका असली नाम शंभुनाथ मिश्रा था. शंभू महाराज प्रसिद्ध कथक नर्तक बिंदादीन महाराज और कालिका महाराज के परिवार से थे और उनके पिता अच्छन महाराज भी एक प्रख्यात कथक नर्तक थे.

शंभू महाराज ने अपनी नृत्य शैली में शास्त्रीयता के साथ-साथ भाव-प्रदर्शन (अभिनय) को विशेष महत्व दिया. वे अपने भावपूर्ण नृत्य और मुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियों के लिए जाने जाते थे. उनकी नृत्य शैली में भक्ति, प्रेम, और नायक-नायिका भावों का अद्भुत मिश्रण था. उन्होंने अपने कथक में ठुमरी, दादरा और भावपूर्ण संगीत का अनोखा प्रयोग किया, जिससे उनकी प्रस्तुतियों में एक गहरी संवेदनशीलता और लयात्मकता दिखाई देती थी.

शंभू महाराज को उनकी कला में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री प्रमुख हैं. उनके शिष्यों में बिरजू महाराज जैसे प्रसिद्ध नर्तक भी शामिल हैं, जिन्होंने उनके मार्गदर्शन में कथक की बारीकियों को सीखा. शंभू महाराज का योगदान भारतीय शास्त्रीय नृत्य में अमूल्य है, और उनका नाम आज भी आदर के साथ लिया जाता है. उनका निधन 4 नवंबर 1970 को हुआ था, लेकिन उनकी कला और विरासत आज भी जीवित है.

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अन्य: –

  1. 04 नवंबर 1822 को दिल्ली में जल आपूर्ति योजना का औपचारिक रूप से शुभारंभ हुआ था.
  2. 04 नवंबर 1997 को सियाचीन बेस कैम्प में सेना की आफ़ सिग्नल ने विश्व का सर्वाधिक ऊँचा एस.टी.डी. बूथ स्थापित किया गया था.
  3. 04 नवंबर 2008 को सार्वजनिक क्षेत्र के छह बैंक बेंचमार्क उधारी दर में 0.75 के आधार अंक तक की कटौती करने पर सहमत।
  4. 04 नवंबर 2008 को केन्द्र सरकार ने गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित करने का निर्णय लिया था.
  5. 04 नवंबर 2008 को चन्द्रमा के लिए भारत का पहला मानवरहित अंतरिक्षयान चन्द्रयान-1 चन्द्रमा के अंतरिक्ष कक्ष में पहुँचा.
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