राजनीतिज्ञ वी. एस. अच्युतानंदन
वी. एस. अच्युतानंदन (वीलापुरम श्रीधरन अच्युतानंदन) भारतीय राजनीतिज्ञ और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) के प्रमुख नेताओं में से एक हैं. उनका जन्म 20 अक्टूबर 1923 को केरल के अलेप्पी जिले के पन्नेराई गांव में हुआ था. वह केरल के 20वें मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंने 2006 – 11 तक इस पद की जिम्मेदारी निभाई.
वी. एस. अच्युतानंदन ने मजदूर आंदोलन से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और कम्युनिस्ट विचारधारा में एक प्रभावशाली नेता के रूप में उभरे. वह CPI(M) के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और उन्होंने पार्टी के भीतर कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं. वर्ष 2006 में वह केरल के मुख्यमंत्री बने और उनके कार्यकाल को भ्रष्टाचार विरोधी कदमों और विकास योजनाओं के लिए सराहा गया. वे हमेशा जनता के मुद्दों के लिए सक्रिय रहे हैं, चाहे वह किसानों की समस्याएं हों या श्रमिकों के अधिकार.
अच्युतानंदन ने भूमि सुधार, श्रम कानून और सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए. उनके नेतृत्व में, केरल को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर परिणाम देखने को मिले. भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके सख्त रुख ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रियता दिलाई. उन्हें भारत के सबसे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में से एक माना जाता है. अच्युतानंदन अपने साफ-सुथरे राजनीतिक दृष्टिकोण और जनता के प्रति समर्पण के लिए व्यापक रूप से सम्मानित हैं.
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राजनीतिज्ञ धनी राम शांडिल
धनी राम शांडिल भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं. वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के वरिष्ठ नेता हैं और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे हैं. उनका राजनीतिक कैरियर दशकों से फैला हुआ है, और उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है.
धनी राम शांडिल का जन्म 20 अक्टूबर 1940 को हुआ था. वह हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले से आते हैं. शांडिल वर्ष 1999 और वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों में शिमला संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए. उन्होंने संसद में सामाजिक न्याय और अधिकारिता जैसे मुद्दों पर काम किया. शांडिल ने केंद्र और राज्य सरकार में भी मंत्री के रूप में सेवाएं दी हैं, खासकर सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग में.
शांडिल ने सेना में सेवा की थी, और कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हुए. इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा. वर्ष 2012 में उन्होंने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और राज्य सरकार में मंत्री के रूप में सेवाएं दीं. वह राज्य में सामाजिक न्याय, वृद्धजनों के कल्याण, और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए अपने काम के लिए जाने जाते हैं. धनी राम शांडिल का राजनीतिक जीवन सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित रहा है, और उन्होंने हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाई है.
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पंजाबी उपन्यासकार मित्तर सेन मीत
मित्तर सेन मीत एक पंजाबी उपन्यासकार और लेखक थे, जिन्होंने पंजाबी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका जन्म पंजाब के होशियारपुर जिले में हुआ था. मीत का लेखन मुख्य रूप से सामाजिक, ग्रामीण और पारिवारिक जीवन पर आधारित रहा, जिसमें उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं को गहराई से छुआ.
मित्तर सेन मीत ने अपने लेखन के माध्यम से पंजाब के ग्रामीण जीवन, सामाजिक संघर्ष, मानवीय रिश्ते और सांस्कृतिक पहलुओं का चित्रण किया. उनके उपन्यासों में ग्रामीण पंजाब की संस्कृति और समाज की वास्तविकताओं को दर्शाया गया है. उनका लेखन सरल और भावनात्मक था, जो पाठकों को गहराई से प्रभावित करता था. उन्होंने कई उपन्यास, कहानियां और निबंध लिखे, जो पंजाबी साहित्य के प्रमुख अंश माने जाते हैं.
मीत की कई महत्वपूर्ण रचनाओं ने उन्हें पंजाबी साहित्य में एक स्थायी स्थान दिलाया. उनके कुछ प्रसिद्ध उपन्यास और कहानियां हैं, जो समाज की वास्तविकताओं, किसानों के संघर्ष और पंजाब के सामान्य जीवन को दर्शाते हैं.
मित्तर सेन मीत की लेखन शैली यथार्थवादी थी, जो भावनात्मक गहराई और मानवीय संवेदनाओं को बखूबी व्यक्त करती थी. उन्होंने सरल भाषा में लिखकर समाज के सामान्य वर्गों तक अपनी बात पहुंचाई और उनके लेखन में प्रेम, संघर्ष, और जीवन के जटिल पहलुओं का वर्णन गहनता से किया गया है.
मित्तर सेन मीत पंजाबी साहित्य के उन लेखकों में से एक थे, जिन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से समाज और संस्कृति की सच्ची तस्वीर पेश की. उनका योगदान पंजाबी साहित्य को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण रहा है.
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अभिनेता किरण कुमार
किरण कुमार भारतीय फिल्म और टेलीविजन अभिनेता हैं, जिन्होंने हिंदी, गुजराती, और कई अन्य भाषाओं की फिल्मों में काम किया है. उनका असली नाम दीपक धरमसी है, और वे प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता जीवन के बेटे हैं. किरण कुमार ने अपने अभिनय कौशल और विविध किरदारों के लिए भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है.
किरण कुमार का जन्म 20 अक्टूबर 1953 को मुंबई में हुआ था. वे कश्मीरी पंडित परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनके पिता जीवन भारतीय सिनेमा के मशहूर खलनायक रहे हैं. किरण कुमार ने अभिनय की शिक्षा फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII), पुणे से प्राप्त की.
किरण कुमार ने वर्ष 1971 में फिल्म “दो बूंद पानी” से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की थी. वर्ष 1980 के दशक में वे मुख्य रूप से गुजराती फिल्मों के सुपरस्टार के रूप में उभरे और कई सफल गुजराती फिल्मों में अभिनय किया. हिंदी सिनेमा में भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं, खासकर खलनायक और सहायक अभिनेता के रूप में.
हिंदी फिल्में: – “तेजाब”, “खुदा गवाह”, “मुल्क”, “लुटेरे”, “आशिकी 2” जैसी हैं, जहां उन्होंने अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों का ध्यान खींचा.
फिल्मों के अलावा किरण कुमार ने कई टेलीविजन धारावाहिकों में भी काम किया. उनका सबसे प्रसिद्ध टीवी शो “साहिल” रहा, जिसने उन्हें छोटे पर्दे पर लोकप्रियता दिलाई. उन्होंने “घुटन”, “कर्म”, और “मिला वही जो दस्तूर था” जैसे टीवी शो में भी प्रमुख भूमिकाएं निभाईं.
किरण कुमार ने विविध भूमिकाएं निभाई हैं—चाहे वह खलनायक का रोल हो, पिता का किरदार, या फिर सहायक अभिनेता की भूमिका. उनकी अभिनय शैली में एक विशेष तीव्रता और गहराई देखने को मिलती है, जो उन्हें एक अलग पहचान दिलाती है.
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पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू पूर्व भारतीय क्रिकेटर, क्रिकेट कमेंटेटर, टेलीविज़न व्यक्तित्व और राजनेता हैं. उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता हासिल की है, चाहे वह क्रिकेट के मैदान पर हो, टेलीविज़न पर मनोरंजन या राजनीति के क्षेत्र में. सिद्धू अपनी तेजतर्रार शख्सियत और जोशीले भाषणों के लिए मशहूर हैं.
नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म 20 अक्टूबर 1963 को पटियाला, पंजाब में हुआ था. उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए एक सलामी बल्लेबाज के रूप में खेला और वर्ष 1983 में अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत की. सिद्धू को उनके आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था, खासकर सीमित ओवरों के प्रारूप में. उन्हें उनके लंबे-लंबे छक्कों की वजह से “सिक्सर सिद्धू” के नाम से भी जाना जाता था. उन्होंने टेस्ट और वनडे क्रिकेट दोनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उनके टेस्ट कैरियर में 9 शतक और 15 अर्धशतक शामिल थे, जबकि वनडे में उन्होंने 6 शतक बनाए. वर्ष 1999 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास लिया.
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, सिद्धू ने कमेंट्री की दुनिया में कदम रखा और अपने अनोखे अंदाज और विशेष संवादों के कारण बहुत लोकप्रिय हो गए. उनकी “सिद्धूइज़्म” यानी चुटीले मुहावरों और हाजिरजवाबी का अंदाज खासा मशहूर हुआ, जिससे उन्होंने कमेंट्री को एक अलग मनोरंजन शैली बना दिया.
सिद्धू ने कई टीवी शो में भाग लिया और लोकप्रिय कॉमेडी शो “द कपिल शर्मा शो” में जज के रूप में उनकी उपस्थिति ने उन्हें टेलीविज़न की दुनिया में भी प्रसिद्ध किया. उन्होंने बिग बॉस 6 जैसे रियलिटी शो में भी भाग लिया और विभिन्न टीवी कार्यक्रमों में अपनी पहचान बनाई.
नवजोत सिंह सिद्धू ने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 2004 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर अमृतसर से लोकसभा चुनाव जीता. उन्होंने तीन बार अमृतसर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 2016 में, सिद्धू ने BJP से इस्तीफा दे दिया और बाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल हो गए.
कांग्रेस में शामिल होने के बाद, वर्ष 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद उन्हें पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया. सिद्धू ने पंजाब में पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री के रूप में कार्य किया.
नवजोत सिंह सिद्धू अपने जोशीले और स्पष्टवादी व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं. चाहे वह क्रिकेट हो, राजनीति हो या टेलीविज़न, उनका अंदाज हमेशा रंगीन और अद्वितीय रहा है. उन्हें अपनी शैली में बेबाकी, हाजिरजवाबी और दिलचस्प मुहावरे इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है, जो उन्हें खास बनाते हैं. नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने जीवन में कई क्षेत्रों में कामयाबी हासिल की और भारतीय क्रिकेट और राजनीति दोनों में एक विशेष स्थान बनाए रखा है.
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क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग
वीरेंद्र सहवाग का जन्म 20 अक्टूबर 1978 को हरियाणा के नजफगढ़ में हुआ था. सहवाग भारतीय क्रिकेट के सबसे विस्फोटक बल्लेबाजों में से एक माने जाते हैं. उन्होंने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी शैली और बड़े-बड़े शॉट्स के लिए खासी लोकप्रियता हासिल की. उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी माना जाता था, खासकर बतौर सलामी बल्लेबाज.
सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में दो तिहरे शतक लगाए और वनडे क्रिकेट में भी दोहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने. उनकी निडर बल्लेबाजी और गेंदबाजों पर हावी होने की क्षमता ने उन्हें क्रिकेट प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया.
सहवाग की शानदार बल्लेबाजी और उनके आक्रामक खेलने के अंदाज ने उन्हें क्रिकेट के इतिहास में एक विशिष्ट स्थान दिलाया.
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अभिनेत्री नरगिस फखरी
नरगिस फखरी एक अमेरिकी अभिनेत्री और मॉडल हैं, जिन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग में अपने काम के लिए प्रसिद्धि हासिल की. उन्होंने मुख्य रूप से बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय किया है और अपने ग्लैमरस अंदाज और अभिनय प्रतिभा के कारण काफी लोकप्रिय हुई हैं. नरगिस की सबसे उल्लेखनीय फिल्म “रॉकस्टार” (2011) है, जिसने उन्हें बॉलीवुड में एक पहचान दिलाई.
नरगिस फखरी का जन्म 20 अक्टूबर 1979 को क्वींस, न्यूयॉर्क, अमेरिका में हुआ था. उनके पिता मोहम्मद फखरी पाकिस्तानी थे, जबकि उनकी मां मैरी फखरी चेक (Czech) मूल की थीं. इस बहु-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि ने उनके व्यक्तित्व को गहराई और विविधता दी. नरगिस ने अपनी शुरुआती शिक्षा न्यूयॉर्क में प्राप्त की और मॉडलिंग के क्षेत्र में कदम रखा.
नरगिस ने अपने कैरियर की शुरुआत एक मॉडल के रूप में की और उन्होंने “अमेरिका’ज़ नेक्स्ट टॉप मॉडल” (America’s Next Top Model) के तीसरे सीजन में भाग लिया, जिससे उन्हें लोकप्रियता मिली. इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रमुख ब्रांड्स और विज्ञापन अभियानों के लिए काम किया.
नरगिस फखरी ने बॉलीवुड में अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत इम्तियाज अली की फिल्म “रॉकस्टार” (2011) से की, जिसमें उनके साथ रणबीर कपूर थे. इस फिल्म में नरगिस ने “हीर कौल” का किरदार निभाया था, जिसे दर्शकों और आलोचकों से बहुत सराहना मिली. उनकी इस फिल्म के लिए प्रशंसा के साथ ही उन्हें बेस्ट फीमेल डेब्यू के लिए कई पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया.
फिल्में: –
“मद्रास कैफे” (2013): – इस फिल्म में नरगिस ने जॉन अब्राहम के साथ काम किया और यह फिल्म समीक्षकों द्वारा सराही गई. इसमें उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार की भूमिका निभाई थी.
“मैं तेरा हीरो” (2014): – इस फिल्म में नरगिस ने वरुण धवन के साथ एक कॉमिक भूमिका निभाई, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया.
“हाउसफुल 3” (2016): – यह फिल्म एक मल्टी-स्टारर कॉमेडी थी और नरगिस ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई थी.
बॉलीवुड के अलावा, नरगिस फखरी ने हॉलीवुड फिल्म “स्पाई” (2015) में भी अभिनय किया, जिसमें उन्होंने एक छोटे लेकिन महत्वपूर्ण किरदार को निभाया. इस फिल्म में उनके साथ मेलिसा मैकार्थी और जूड लॉ जैसे कलाकार थे.
नरगिस फखरी को उनके ग्लैमरस और स्टाइलिश अंदाज के लिए जाना जाता है. वह अक्सर फिटनेस और योग की प्रबल समर्थक रही हैं. उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी मीडिया में चर्चाएं रही हैं, खासकर उनकी दोस्ती और रिश्तों को लेकर.
नरगिस फखरी ने अपने अभिनय और मॉडलिंग कैरियर के लिए कई पुरस्कार जीते हैं और उन्हें बॉलीवुड में उनकी सुंदरता और अभिनय कौशल के लिए पहचाना जाता है. नरगिस फखरी ने भारतीय फिल्म उद्योग में एक महत्वपूर्ण पहचान बनाई है और वह अपनी बहु-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और करियर की विविधता के लिए जानी जाती हैं.
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भौतिक मानवविज्ञानी बिरजा शंकर गुहा
बिरजा शंकर गुहा भारतीय भौतिक मानवविज्ञानी (Physical Anthropologist) थे, जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में मानव विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्हें विशेष रूप से भारतीय मानवविज्ञान के पितामहों में से एक माना जाता है. उनकी शोध ने भारतीय मानव जाति के विभिन्न समूहों की शारीरिक विशेषताओं और उनके विकास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
बिरजा शंकर गुहा का जन्म 1894 में हुआ था.उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और मानव विज्ञान के क्षेत्र में अपना कैरियर शुरू किया. गुहा ने भौतिक मानवविज्ञान (Physical Anthropology) के क्षेत्र में पश्चिमी सिद्धांतों और तकनीकों को भारत में लागू किया, जिससे भारत में मानव विज्ञान के क्षेत्र में एक नई दिशा मिली.
बिरजा शंकर गुहा ने भारत के आदिवासी और जनजातीय समूहों के भौतिक लक्षणों पर गहन अध्ययन किया. उनके शोध ने इन समूहों की शारीरिक विशेषताओं और उनकी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान के बीच के संबंधों को उजागर किया. उन्होंने भारत में विभिन्न जनजातीय समुदायों का अध्ययन कर उनकी नस्लीय उत्पत्ति, शारीरिक संरचना और विकास का विश्लेषण किया. उनका काम विशेष रूप से भारतीय जनसंख्या के भौतिक पहलुओं की समझ को बढ़ाने में सहायक रहा.
गुहा का सबसे महत्वपूर्ण योगदान उनका शोध था, जिसमें उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप की आबादी को विभिन्न नस्लीय समूहों में विभाजित किया. उनके अनुसार, भारतीय जनसंख्या को छह प्रमुख नस्लीय श्रेणियों में बांटा जा सकता है, जिसमें नीग्रोइड, ऑस्ट्रेलॉयड, मंगोलॉयड, द्रविड़ियन, नॉर्डिक और भूमध्यसागरीय शामिल थे.
बिरजा शंकर गुहा भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण (Anthropological Survey of India – ASI) के संस्थापक सदस्य और पहले निदेशक थे. उन्होंने वर्ष 1945 में ASI की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारत में मानवविज्ञान के अध्ययन के लिए एक प्रमुख संस्थान बन गया. उनके नेतृत्व में, ASI ने भारतीय समाज और संस्कृति के बारे में विस्तृत अनुसंधान और सर्वेक्षण किया, जो आगे चलकर भारतीय सामाजिक विज्ञान के लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ.
बिरजा शंकर गुहा को उनके योगदान के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया. उनकी रिसर्च और लेखन ने मानवविज्ञान के क्षेत्र में एक नया दृष्टिकोण दिया. उनके योगदानों की वजह से उन्हें भारतीय मानवविज्ञान का अग्रणी माना जाता है, और उनकी विरासत आज भी मानवविज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन और शोध में प्रेरणादायक है. गुहा का काम भारत की विविधता और विभिन्न समुदायों की शारीरिक विशेषताओं को समझने में महत्वपूर्ण था, और उनकी रिसर्च आज भी प्रासंगिक है.
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पटकथा लेखक और फिल्म निर्देशक सी. वी. श्रीधर
सी. वी. श्रीधर भारतीय पटकथा लेखक और फिल्म निर्देशक थे, जिन्होंने तमिल सिनेमा में अपनी गहरी छाप छोड़ी. उनका जन्म 22 जुलाई 1933 को तमिलनाडु के चित्तमूर में हुआ था. उन्होंने मुख्य रूप से तमिल फिल्म उद्योग में काम किया, लेकिन उन्होंने तेलुगु और हिंदी फिल्मों में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया.
सी. वी. श्रीधर ने अपने कैरियर की शुरुआत रंगमंच से की थी और धीरे-धीरे फिल्मी दुनिया की ओर बढ़े. उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पटकथा लेखन में रुचि दिखाई और फिल्मों में संवाद लिखने का काम शुरू किया. उनकी स्क्रिप्ट लिखने की शैली ने उन्हें जल्दी ही फिल्म जगत में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया.
श्रीधर ने वर्ष 1950 – 60 के दशक में तमिल सिनेमा में कई हिट फिल्में दीं. उनकी पहली बड़ी सफलता “कथलिका नेरमिल्लै” (1964) से आई, जो एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म थी और इसे दर्शकों ने खूब पसंद किया. उनका निर्देशन और पटकथा लेखन यथार्थवादी और भावनात्मक था। उन्होंने रोमांस, पारिवारिक ड्रामा और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों का निर्देशन किया. उन्होंने तमिल सिनेमा में क्लासिक फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें “नन्हे युधम”, “सुमैथांगी”, “सरस्वती सबथम” जैसी फिल्मों को खास सराहा गया.
तमिल सिनेमा में सफलता हासिल करने के बाद, सी. वी. श्रीधर ने हिंदी सिनेमा की ओर रुख किया. उन्होंने कई हिंदी फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध फिल्म “दिल एक मंदिर” (1963) थी. इस फिल्म को बहुत सफलता मिली और इसके गाने भी काफी लोकप्रिय हुए.
उनकी अन्य उल्लेखनीय हिंदी फिल्में हैं “प्यार का मौसम” (1969) और “जब प्यार किसी से होता है” (1961).
प्रमुख फिल्में: – “कथालिका नेरमिल्लै” (तमिल, 1964), “दिल एक मंदिर” (हिंदी, 1963), “विधि विलासम” (तमिल, 1972), “निनैथाथाई मुदिप्पाव” (तमिल, 1963), “प्यार का मौसम” (हिंदी, 1969).
सी. वी. श्रीधर की फिल्में सरल लेकिन प्रभावी कहानी कहने के लिए जानी जाती थीं. वे भावनात्मक गहराई और मानवीय रिश्तों को बेहद संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करते थे. उन्होंने संवादों और पटकथा पर विशेष ध्यान दिया, जिससे उनकी फिल्मों में नयापन और सजीवता आई. रोमांस, मेलोड्रामा, और मानवीय भावनाओं की उनकी पकड़ ने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया.
सी. वी. श्रीधर को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उनकी फिल्मों को न केवल व्यावसायिक सफलता मिली, बल्कि आलोचकों ने भी उन्हें सराहा.
सी. वी. श्रीधर का निधन 20 अक्टूबर 2008 को हुआ. उनकी फिल्मों और पटकथाओं के माध्यम से उन्हें आज भी सिनेमा प्रेमियों द्वारा याद किया जाता है. सी. वी. श्रीधर ने भारतीय सिनेमा में अपने नवोन्मेषी निर्देशन और संवेदनशील पटकथा लेखन के माध्यम से एक अमिट छाप छोड़ी.
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जन्म: –
उपन्यासकार गोवर्धनराम त्रिपाठी: – गुजराती भाषा के उपन्यासकार गोवर्धनराम त्रिपाठी का जन्म 20 अक्टूबर 1855 को हुआ था.
साहित्यकार गुंटुरु शेषेंद्र सरमा: – गुंटुरु शेषेंद्र सरमा एक तेलुगु कवि, आलोचक और साहित्यकार थे। जिनका जन्म 20 अक्टूबर 1927 को हुआ था.
तबला वादक बिक्रम घोष: – शास्त्रीय तबला वादकों में से एक बिक्रम घोष का जन्म 20 अक्टूबर 1966 को हुआ था.
कवि और गीतकार मनमोहन आचार्य: – कवि और गीतकार मनमोहन आचार्य का जन्म 20 अक्टूबर 1967 को हुआ था.
अन्य: –
अकबर ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण: – 1567 ईस्वीं में अकबर ने मेवाड़ को अपने अधीन करने के लिए चित्तौड़ के क़िले पर आक्रमण किया था.
कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) भारत की राजधानी: – वर्ष 1772 – 1911 तक , कलकत्ता ब्रिटिश भारत की राजधानी थी.
चीन ने भारत पर हमला किया: – चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार कर हमला किया था.
भूकंप से तबाही: – 20 अक्तूबर 1991 को भारत के उत्तरकाशी में 6.8 तीव्रता के भूकंप ने भारी कहर बरपाया था.
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