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व्यक्ति विशेष

भाग – 292.

नाटककार और गीतकार ‘चंद्रधर बरुआ’

चंद्रधर बरुआ एक असमिया लेखक, कवि, नाटककार और गीतकार थे, जो जोनाकी युग के थे, जो असमिया साहित्य के रोमांटिकतावाद का युग था.

बरुआ का जन्म 15 अक्टूबर 1878 को असम के जोरहाट में हुआ था. वे वर्ष 1918 में गोलपारा में आयोजित असम साहित्य सभा के दूसरे अध्यक्ष थे.

वे असम साहित्य सभा पत्रिका के संस्थापक सचिव थे, जो  वर्ष 1927 में स्थापित असम साहित्य सभा की एक आधिकारिक पत्रिका थी और  वर्ष 1936 तक इस पद पर रहे. उन्होंने वर्ष 1930 में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया.

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भूपतिराजू विस्सम राजू

भूपतिराजू विसम राजू एक भारतीय उद्योगपति, रासी सीमेंट्स और सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय सीमेंट उद्योग के अग्रदूतों में से एक थे.

भूपतिराजू विसम राजू का जन्म 15 अक्टूबर 1920 को कुमुदवल्ली, आंध्र प्रदेश में हुआ था और उनका निधन 8 जून 2002 को हुआ. वे सागी रामकृष्ण राजू कंस्ट्रक्शन और प्रसाद एंड कंपनी प्रोजेक्ट वर्क्स लिमिटेड के निदेशक थे. वे सिरेमिक और रिफ्रैक्टरी उद्योगों में भी रुचि रखते थे. वर्ष 1997 में उन्होंने दो इंजीनियरिंग कॉलेज, एक डेंटल कॉलेज और अस्पताल, एक फार्मेसी कॉलेज, एक कंप्यूटर शिक्षा कॉलेज, एक पॉलिटेक्निक और कई स्कूलों की स्थापना की और वे पद्मश्री डॉ. बी.वी राजू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के संस्थापक हैं.

भारत सरकार ने उन्हें वर्ष1977 में पद्म श्री का चौथा सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार और वर्ष 2001 में पद्म भूषण का तीसरा सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया.

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पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे. उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान और मिसाइल विकास कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अपने जीवन में शिक्षा, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए.

अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाविक थे और उनकी माता आशियम्मा एक गृहिणी थीं. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए कलाम ने अपनी शिक्षा के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए छोटे-मोटे काम भी किए.

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रामनाथपुरम श्वार्ट्ज मैट्रिकुलेशन स्कूल में प्राप्त की और बाद में तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी में स्नातक किया. इसके बाद उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. डॉ. कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में की और बाद में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में शामिल हुए.

ISRO: – कलाम ने SLV-III परियोजना का नेतृत्व किया, जो भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान था और 1980 में सफलतापूर्वक रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया.

DRDO: – डॉ. कलाम ने भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई, जिससे भारत की रक्षा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई.

पोखरण-II: – वर्ष 1998 में, डॉ. कलाम ने पोखरण-II परमाणु परीक्षण में एक प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया, जिससे भारत को एक परमाणु संपन्न राष्ट्र के रूप में स्थापित किया गया.

डॉ. कलाम वर्ष 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने और वर्ष 2007 तक इस पद पर बने रहे. उन्होंने राष्ट्रपति पद को एक नई ऊंचाई दी और जन साधारण के बीच “जनता के राष्ट्रपति” के रूप में लोकप्रिय हुए. उन्होंने शिक्षा और युवाओं के प्रेरणा स्रोत बनने के लिए कई पहल कीं. डॉ. कलाम को उनके वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें प्रमुख हैं: –  भारत रत्न (1997), पद्म विभूषण (1990) और पद्म भूषण (1981).

डॉ. कलाम एक प्रसिद्ध लेखक भी थे. उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें प्रमुख हैं: – विंग्स ऑफ फायर (आत्मकथा),  इंडिया 2020, इग्नाइटेड माइंड्स और टर्निंग पॉइंट्स. डॉ. अब्दुल कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को शिलॉन्ग, मेघालय में एक व्याख्यान के दौरान हृदयाघात के कारण हुआ. उनकी मृत्यु से भारत ने एक महान वैज्ञानिक, प्रेरक नेता और एक समर्पित शिक्षक को खो दिया.

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जीवन और कार्य भारतीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरणास्रोत है. उन्होंने अपने जीवन को देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया और उनकी विरासत आज भी युवा पीढ़ी को प्रेरित करती है. उनके आदर्श, दृष्टिकोण, और योगदान हमेशा भारतीय समाज में एक प्रेरणादायक प्रकाश स्तंभ के रूप में जीवित रहेंगे.

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साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि, उपन्यासकार, निबंधकार और आलोचक थे. वे छायावादी युग के महान कवियों में से एक माने जाते हैं. निराला का जन्म 21 फरवरी, 1896 को बंगाल के महिषादल में हुआ था और उनका निधन 15 अक्टूबर, 1961 को हुआ. उनके साहित्य में व्यक्तिगत स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और व्यक्तित्व की मजबूती के विचार प्रमुखता से पाए जाते हैं.

निराला की रचनाएँ विविधतापूर्ण हैं और उन्होंने कविता, उपन्यास, निबंध, संस्मरण और आलोचना में योगदान दिया है. उनकी कविताओं में अनूठी शैली और भाषा का प्रयोग देखने को मिलता है. उन्होंने पारंपरिक शैली से हटकर नए प्रयोग किए, जिससे हिंदी कविता में नई दिशा और ऊर्जा का संचार हुआ.

निराला के कुछ प्रमुख उपन्यासों में ‘अप्सरा’, ‘प्रभावती’, ‘अलका’ और ‘निरुपमा’ शामिल हैं. उनकी कविताओं में ‘सरोज स्मृति’, ‘अनामिका’, ‘परिमल’ और ‘कुकुरमुत्ता’ जैसी कृतियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं. उन्होंने ‘तुलसीदास की आत्मकथा’ जैसे महत्वपूर्ण निबंध भी लिखे. निराला की रचनाओं में आदर्शवादी विचारों के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक चेतना की भी झलक मिलती है. उनके साहित्य में विद्रोही भावना और सामाजिक असमानताओं के प्रति आक्रोश भी स्पष्ट रूप से व्यक्त हुआ है.

निराला का काम उनके समय की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों का एक गहन अध्ययन प्रस्तुत करता है और आज भी हिंदी साहित्य में उनका काम बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.

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राजनीतिज्ञ ‘मदन लाल खुराना’

मदन लाल खुराना भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रमुख और वरिष्ठ राजनेताओं में से एक थे. उनका जन्म 15 अक्टूबर 1936 को लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था. विभाजन के समय उनका परिवार दिल्ली आकर बस गया. खुराना ने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से की और राजनीतिक सक्रियता की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी.

मदन लाल खुराना वर्ष 1993- 96 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे. दिल्ली की राजनीति में उन्हें एक महत्वपूर्ण चेहरा माना जाता है और उन्होंने दिल्ली में बीजेपी को मजबूत करने का काम किया. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में, उन्होंने वर्ष 1999 में संसदीय कार्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया. उनका संसद में अनुशासन और कामकाज को सही ढंग से चलाने के लिए योगदान सराहनीय था. वर्ष 2004 में उन्हें राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था.

खुराना की छवि एक कड़े अनुशासन वाले नेता की थी, जिन्हें उनकी सादगी, लोक सेवा के प्रति समर्पण और दिल्ली के विकास में योगदान के लिए जाना जाता था. उन्हें “दिल्ली का शेर” कहा जाता था क्योंकि उन्होंने दिल्ली की जनता के हितों के लिए कड़ा संघर्ष किया.

मदन लाल खुराना का निधन 27 अक्टूबर 2018 को लंबी बीमारी के बाद हुआ. उनके निधन पर राष्ट्रीय स्तर पर शोक व्यक्त किया गया और उन्हें भारतीय राजनीति में उनके योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा.

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अभिनेता ओम शिवपुरी

ओम शिवपुरी भारतीय फिल्म और थिएटर जगत के एक प्रमुख अभिनेता थे. उन्होंने अपने कैरियर में विभिन्न प्रकार के किरदार निभाए और अपने अभिनय की गहराई और विविधता के लिए जाने जाते थे.

ओम शिवपुरी का जन्म 14 जुलाई 1938 में राजस्थान के एक छोटे से गाँव में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा जयपुर से पूरी की. उन्हें अभिनय का शौक स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही था. ओम शिवपुरी ने अपने कैरियर की शुरुआत थिएटर से की. वे प्रसिद्ध नाट्यकला संस्थान, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के पहले बैच के छात्र थे. उन्होंने वहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त किया और कई नाटकों में अभिनय किया.

ओम शिवपुरी ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) से स्नातक होने के बाद, दिल्ली में थिएटर ग्रुप “नाटक मंडली” की स्थापना की. उन्होंने कई महत्वपूर्ण नाटकों का निर्देशन और उनमें अभिनय किया. ओम शिवपुरी ने वर्ष 1970 के दशक में फिल्मी कैरियर की शुरुआत की. वे “आंधी”, “डॉन”, “खूबसूरत”, “चरस”, “बर्निंग ट्रेन”, “कानून”, “कुरबानी” जैसी कई प्रसिद्ध फिल्मों में नजर आए. उनके अभिनय में हमेशा एक गहराई और प्रभावशाली व्यक्तित्व दिखाई देता था. उन्होंने विलेन और कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में भी कई यादगार भूमिकाएँ निभाईं.

ओम शिवपुरी ने कुछ टेलीविजन धारावाहिकों में भी काम किया, जिसमें उन्होंने अपने अभिनय की विविधता और क्षमता का प्रदर्शन किया. ओम शिवपुरी का विवाह सुधा शिवपुरी से हुआ था, जो स्वयं एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं. उनके दो बच्चे हैं – विनती शिवपुरी और ऋतु शिवपुरी. उनकी पुत्री ऋतु शिवपुरी भी फिल्म और टेलीविजन उद्योग में एक अभिनेत्री हैं.

ओम शिवपुरी का निधन 15 अक्टूबर 1990 को हुआ. उनके निधन से भारतीय फिल्म और थिएटर जगत को एक बड़ी क्षति हुई. उन्हें हमेशा एक महान अभिनेता और थिएटर के प्रति समर्पित व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा.

ओम शिवपुरी का जीवन और कैरियर उनके अभिनय के प्रति समर्पण और कला के प्रति उनकी प्रेम की गवाही देते हैं. उनका योगदान भारतीय सिनेमा और थिएटर में हमेशा स्मरणीय रहेगा. उनके द्वारा निभाए गए किरदार और उनके द्वारा स्थापित मानदंड आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे.

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जन्म: –

सम्राट ‘अकबर’: – अकबर का जन्म 15 अक्टूबर1542 को मुगल वंश के सम्राट ‘अकबर’ का जन्म उमरकोट किला, सिंध में हुआ था.  तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था ‘अकबर’.  मुगल साम्राज्य के संस्थापक ‘जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर’ का पौत्र और ‘नासिरुद्दीन हुमायूं’ एवं ‘हमीदा बानो’ का पुत्र था ‘अकबर’.’अकबर’ के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा था. मुगल चित्रकारी का विकास करने के साथ साथ ही उसने यूरोपीय शैली का भी स्वागत किया था. उसे साहित्य में भी काफी रुचि थी और उसने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों को फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में भी अनुवाद करबाया था.

फिल्म निर्माता रघुपति वेंकैया नायडू: –  रघुपति वेंकैया नायडू का जन्म  15 अक्टूबर 1869 को मछलीपट्टनम, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत में हुआ था. उन्होंने कई मूक भारतीय फिल्मों और टॉकीज का निर्माण किया था.

निधन: –

‘शिरडी के साईं’: – ‘शिरडी के साईं का निधन 15 अक्टूबर 1918 को शिरडी में हुआ था.

अन्य : –

शांति संधि पर हस्ताक्षर: – 15 अक्टूबर 1686 को ‘औरंगजेब’ ने बीजापुर के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर किए थे.

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