राजनीतिज्ञ फ़िरोजशाह मेहता
फ़िरोजशाह मेहता (1845-1915) भारत के एक राजनीतिज्ञ, वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रारंभिक नेताओं में से एक माना जाता है.
फ़िरोजशाह मेहता का जन्म 4 अगस्त 1845 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने एल्फिन्सटन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की और कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए. इंग्लैंड से लौटने के बाद, मेहता ने मुंबई में वकालत शुरू की और जल्द ही एक प्रतिष्ठित वकील बन गए. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और 1890 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने. उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन किया और भारतीयों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई. मेहता ने समाज सुधार के लिए भी कई प्रयास किए. उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा और नगर निगम प्रशासन में सुधार के लिए काम किया. उन्हें “बॉम्बे के शेर” के नाम से भी जाना जाता है.
फ़िरोजशाह मेहता ने मुंबई नगर निगम के प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने बंबई प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना की और 1873 में मुंबई नगर निगम के सदस्य बने। बाद में वे इसके अध्यक्ष भी बने. फ़िरोजशाह मेहता का निधन 5 नवंबर 1915 को हुआ था.
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राजनीतिज्ञ यशवंत सिंह परमार
यशवंत सिंह परमार (1906-1981) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे. उन्हें “हिमाचल निर्माता” के नाम से भी जाना जाता है.
यशवंत सिंह परमार का जन्म 4 अक्टूबर 1906 को सिरमौर जिले के बागथन गाँव में हुआ था. उन्होंने उच्च शिक्षा लाहौर और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहां उन्होंने कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. परमार ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए. वे हिमाचल प्रदेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताओं में से एक थे.
वर्ष 1948 में हिमाचल प्रदेश राज्य का गठन हुआ और यशवंत सिंह परमार राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. उन्होंने 1952 – 63 और 1964 – 77 तक मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की. परमार ने हिमाचल प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके नेतृत्व में राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा और कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई. उन्होंने पहाड़ी इलाकों के विकास के लिए विशेष योजनाएँ बनाईं.
परमार ने हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और बढ़ावा देने के लिए काम किया. उन्होंने राज्य की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के लिए अनेक प्रयास किए. यशवंत सिंह परमार का निधन 2 जुलाई 1981 को हुआ. उनके योगदान को स्मरण करने के लिए राज्य में कई संस्थान और परियोजनाएँ उनके नाम पर समर्पित हैं.
यशवंत सिंह परमार का जीवन और कार्य हिमाचल प्रदेश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और वे राज्य के विकास और उत्थान के प्रतीक माने जाते हैं.
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साहित्यकार इन्दु प्रकाश पाण्डेय
इन्दु प्रकाश पाण्डेय हिंदी साहित्य के एक साहित्यकार और कवि थे/ उन्होंने साहित्य के विभिन्न विधाओं में योगदान दिया है, जिसमें कविताएँ, कहानियाँ और निबंध शामिल हैं.
इन्दु प्रकाश पाण्डेय का जन्म 10 सितंबर 1937 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई और बाद में उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक और परास्नातक की डिग्री प्राप्त की. पाण्डेय जी ने अपनी साहित्यिक यात्रा की शुरुआत कविता लेखन से की. उनकी कविताओं में समाज की समस्याओं और मानवीय संवेदनाओं का चित्रण मिलता है. उनकी रचनाएँ सरल भाषा में होती थीं, जिससे आम पाठक भी उनसे जुड़ पाता था.
इन्दु प्रकाश पाण्डेय की प्रमुख रचनाओं में “बिना शीर्षक के”, “आत्मा की आवाज़”, और “कविता के रंग” शामिल हैं. उन्होंने सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर भी लेख लिखे हैं जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करते हैं.
पाण्डेय जी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. उनकी रचनाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है. उनकी रचनाओं में गहरे विचार, संवेदनशीलता और सामाजिक चेतना का मेल होता है. उन्होंने साहित्य के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का प्रयास किया और लोगों को जागरूक किया. इन्दु प्रकाश पाण्डेय का निधन 24 फरवरी 2012 को हुआ था. उनके निधन के बाद भी उनकी रचनाएँ पाठकों को प्रेरित और मार्गदर्शन करती हैं.
इन्दु प्रकाश पाण्डेय का साहित्यिक योगदान हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. उनकी रचनाएँ आज भी लोगों को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं.
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अभिनेता, गायक, निर्देशक किशोर कुमार
किशोर कुमार (1929-1987) भारतीय सिनेमा के एक बहुआयामी प्रतिभा के धनी कलाकार थे. वे एक उत्कृष्ट गायक, अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और गीतकार थे. उनका असली नाम आभास कुमार गांगुली था. किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था. वे एक बंगाली परिवार से थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा खंडवा में ही हुई और बाद में उन्होंने इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक किया.
किशोर कुमार ने अपने बड़े भाई अशोक कुमार के नक्शे कदम पर चलते हुए फिल्म उद्योग में कदम रखा. उनकी पहली फिल्म “शिकारी” (1946) थी, जिसमें उन्होंने एक छोटी भूमिका निभाई थी. उनके अभिनय कैरियर को सही मायने में पहचान फिल्म “लड़की” (1953) से मिली.
किशोर कुमार की गायकी ने उन्हें एक विशेष पहचान दिलाई. उन्होंने 1948 में “जिद्दी” फिल्म में पहली बार गाना गाया. वर्ष 1950 – 60 के दशक में उन्होंने कई सुपरहिट गाने गाए, जिनमें “मेरे सपनों की रानी”, “रूप तेरा मस्ताना”, “पल पल दिल के पास”, “मेरे महबूब क़यामत होगी”, और “कुछ तो लोग कहेंगे” शामिल हैं.
किशोर कुमार ने अभिनय में भी उत्कृष्टता प्राप्त की. उन्होंने “चलती का नाम गाड़ी”, “पड़ोसन”, “हाफ टिकट” और “दूर गगन की छांव में” जैसी फिल्मों में यादगार भूमिकाएँ निभाईं. उन्होंने कुछ फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया, जैसे “दूर गगन की छांव में” और “दूर का राही”.
किशोर कुमार ने संगीत निर्देशन में भी अपनी प्रतिभा दिखाई. उन्होंने कई फिल्मों में संगीत दिया और गीत भी लिखे. उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें एक संपूर्ण कलाकार बना दिया. किशोर कुमार को अपने गायन के लिए कई फिल्मफेयर पुरस्कार मिले. उन्हें 8 बार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का पुरस्कार मिला.
किशोर कुमार का व्यक्तिगत जीवन भी काफी चर्चित रहा. उन्होंने चार बार विवाह किया. उनकी पत्नियाँ रूमादेवी, मधुबाला, योगिता बाली और लीना चंदावरकर थीं. किशोर कुमार का निधन 13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ. उनके निधन से भारतीय सिनेमा और संगीत उद्योग को एक बड़ी क्षति हुई.
किशोर कुमार का योगदान भारतीय सिनेमा और संगीत में अमूल्य है. उनकी बहुमुखी प्रतिभा और अद्वितीय आवाज ने उन्हें सदाबहार बना दिया है. उनके गाने और फिल्में आज भी लोगों के दिलों में बसती हैं.
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अभिनेता दिलीप प्रभावालकर
दिलीप प्रभावालकर भारतीय सिनेमा और मराठी रंगमंच के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं, जो अपनी विविधता भरी भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने फिल्मों, नाटकों और टेलीविजन धारावाहिकों में यादगार अभिनय किया है.
दिलीप प्रभावालकर का जन्म 2 अगस्त 1944 को महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ था. उन्होंने विज्ञान और इंजीनियरिंग में शिक्षा प्राप्त की, लेकिन उनका रुझान कला और अभिनय की ओर था. दिलीप प्रभावालकर ने अपने कैरियर की शुरुआत मराठी रंगमंच से की. उन्होंने कई लोकप्रिय नाटकों में अभिनय किया, जैसे “वस्त्रहरण,” “सन्ध्या छाया,” और “हसवाफसवी.” उनकी कॉमिक टाइमिंग और चरित्र चित्रण की गहराई ने उन्हें मराठी रंगमंच का एक प्रमुख चेहरा बना दिया.
दिलीप प्रभावालकर ने मराठी और हिंदी फिल्मों में भी अपनी पहचान बनाई. उन्होंने कई प्रमुख मराठी फिल्मों में अभिनय किया है, जैसे “चौकट राजा,” “काका मारु,” और “रेनकोट.” हिंदी फिल्मों में, उन्हें “लगे रहो मुन्ना भाई” में महात्मा गांधी की भूमिका के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है. इस फिल्म में उनके अभिनय ने उन्हें व्यापक प्रशंसा दिलाई. दिलीप प्रभावालकर ने टेलीविजन पर भी महत्वपूर्ण काम किया है. वे लोकप्रिय धारावाहिक “चिमणराव गुंड्या भाऊ” में अपने हास्यपूर्ण अभिनय के लिए जाने जाते हैं.
दिलीप प्रभावालकर को उनके उत्कृष्ट अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले हैं. उन्हें मराठी सिनेमा और रंगमंच के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा भी सम्मानित किया गया है. दिलीप प्रभावालकर एक लेखक भी हैं. उन्होंने कई नाटकों, उपन्यासों और बच्चों की किताबों की रचना की है. उनकी लेखनी में हास्य और सामाजिक मुद्दों का अनूठा मेल होता है.
दिलीप प्रभावालकर का योगदान भारतीय सिनेमा और मराठी रंगमंच में अमूल्य है. उनकी बहुमुखी प्रतिभा और चरित्रों में गहराई ने उन्हें एक प्रतिष्ठित कलाकार बना दिया है, और वे आज भी अपने काम के लिए सम्मानित और प्रशंसित हैं.
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राजनीतिज्ञ एन. रंगस्वामी
एन. रंगस्वामी भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने पुदुचेरी के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है. उनका पूरा नाम नारायणसामी रंगस्वामी है. एन. रंगस्वामी का जन्म 4 अगस्त 1950 को पुदुचेरी में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुदुचेरी में ही प्राप्त की और बाद में कानून की पढ़ाई की.
एन. रंगस्वामी ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य के रूप में की. वे 1991 में पहली बार पुदुचेरी विधान सभा के लिए चुने गए. रंगस्वामी ने 2001- 08 तक पुदुचेरी के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की. इस दौरान उन्होंने कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की और पुदुचेरी में बुनियादी ढांचे और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किए.
वर्ष 2011 में, एन. रंगस्वामी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छोड़ दी और अखिल भारतीय एन.आर. कांग्रेस (AINRC) की स्थापना की. उन्होंने 2011 के विधानसभा चुनावों में अपनी नई पार्टी के साथ जीत हासिल की और पुदुचेरी के मुख्यमंत्री बने. एन. रंगस्वामी ने 2011 – 16 तक मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की. उनके नेतृत्व में, पुदुचेरी में कई सामाजिक और आर्थिक सुधार किए गए. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए. एन. रंगस्वामी 2021 में फिर से पुदुचेरी के मुख्यमंत्री बने. उनके वर्तमान कार्यकाल में भी उन्होंने पुदुचेरी के विकास के लिए अनेक प्रयास किए हैं.
एन. रंगस्वामी का राजनीतिक कैरियर पुदुचेरी की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. उन्होंने अपने नेतृत्व में पुदुचेरी के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और उनकी नीतियों और योजनाओं ने राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
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अभिनेता अरबाज खान
अरबाज खान भारतीय अभिनेता, फिल्म निर्माता, और निर्देशक हैं, जो हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए जाने जाते हैं. वे अभिनेता सलमान खान और अभिनेता-निर्देशक सोहेल खान के भाई हैं. अरबाज खान का जन्म 4 अगस्त 1967 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. वे मशहूर पटकथा लेखक सलीम खान और उनकी पत्नी सलमा खान के बेटे हैं. उनके परिवार में कई सदस्य फिल्म उद्योग से जुड़े हैं, जिसमें उनके भाई सलमान खान और सोहेल खान शामिल हैं.
अरबाज खान ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत 1996 में फिल्म “दरार” से की, जिसमें उन्होंने एक नकारात्मक भूमिका निभाई. इस फिल्म में उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें फ़िल्म फ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार मिला. अरबाज खान ने कई फिल्मों में अभिनय किया है, जिसमें “प्यार किया तो डरना क्या,” “गर्व,” “हेलो ब्रदर,” “मालामाल वीकली,” और “फASHION” शामिल हैं. उन्होंने विभिन्न शैलियों में काम किया है, जिसमें रोमांस, कॉमेडी, एक्शन, और ड्रामा शामिल हैं.
अरबाज खान ने फिल्म निर्माण और निर्देशन में भी हाथ आजमाया है. उन्होंने 2010 में अपनी पहली फिल्म “दबंग” का निर्माण किया, जिसमें उनके भाई सलमान खान ने मुख्य भूमिका निभाई. यह फिल्म बहुत बड़ी हिट साबित हुई और इसके लिए अरबाज को फ़िल्म फ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार मिला. उन्होंने “दबंग 2” (2012) का निर्देशन भी किया, जो कि एक सफल फिल्म साबित हुई.
अरबाज खान ने टेलीविजन पर भी काम किया है. उन्होंने विभिन्न टीवी शो में जज के रूप में और मेजबान के रूप में उपस्थिति दर्ज कराई है. अरबाज खान ने 1998 में मॉडल और अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा से शादी की. उनका एक बेटा है जिसका नाम अरहान है. वर्ष 2017 में, दोनों ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया.
अरबाज खान का बहुमुखी कैरियर उन्हें एक सफल अभिनेता, निर्माता, और निर्देशक के रूप में स्थापित करता है. उनके कार्यों ने उन्हें हिंदी सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है, और वे लगातार अपने नए प्रोजेक्ट्स और योगदान से दर्शकों को प्रभावित कर रहे हैं.
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अभिनेत्री अनुष्का सेन
अनुष्का सेन भारतीय टेलीविजन और फिल्म उद्योग की एक युवा और लोकप्रिय अभिनेत्री हैं. उन्होंने कम उम्र में ही अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की और विभिन्न धारावाहिकों और फिल्मों में अपनी अदाकारी के लिए जानी जाती हैं.
अनुष्का सेन का जन्म 4 अगस्त 2002 को रांची, झारखंड में हुआ था. बाद में उनका परिवार मुंबई में बस गया. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई के रयान इंटरनेशनल स्कूल से की. अनुष्का सेन ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत बहुत कम उम्र में की. वे पहली बार 2009 में “यहाँ मैं घर-घर खेली” नामक टीवी शो में दिखाई दीं. इसके बाद उन्होंने “बालवीर” में मेहर का किरदार निभाया, जो बहुत लोकप्रिय हुआ और उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई.
अनुष्का सेन ने कई लोकप्रिय टीवी शो में काम किया है, जिनमें “देवों के देव…महादेव,” “खुबसूरत,” “इंतकाम एक मासूम का,” और “अपना टाइम भी आएगा” शामिल हैं. “झाँसी की रानी” में रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाने के लिए उन्हें विशेष प्रशंसा मिली. अनुष्का सेन ने टेलीविजन के साथ-साथ फिल्मों और वेब सीरीज में भी काम किया है. उन्होंने “क्रेजी कुक्कड़ फैमिली” नामक फिल्म में भी अभिनय किया है. इसके अलावा, उन्होंने कई म्यूजिक वीडियो और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी काम किया है.
अनुष्का सेन सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं और उनकी एक बड़ी फैन फॉलोइंग है. इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं, जहां वे अपने प्रशंसकों के साथ अपने जीवन और काम से संबंधित अपडेट साझा करती हैं. अनुष्का सेन को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं. उनकी प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें बहुत कम उम्र में ही एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया है. अनुष्का सेन एक प्रतिभाशाली डांसर भी हैं और उन्होंने श्यामक डावर की डांस अकादमी से डांस की शिक्षा ली है. वे अपनी फिटनेस और स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखती हैं.
अनुष्का सेन का कैरियर लगातार प्रगति कर रहा है और वे अपने अभिनय, मेहनत और समर्पण से अपने प्रशंसकों का दिल जीत रही हैं. उनका भविष्य उज्ज्वल है और वे भारतीय टेलीविजन और फिल्म उद्योग में अपनी पहचान को और भी मजबूत कर रही हैं.
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इतिहासकार एवं पुरातात्त्विद काशी प्रसाद जायसवाल
काशी प्रसाद जायसवाल (1881-1937) भारतीय इतिहासकार, पुरातत्त्वविद, और कानूनविद थे, जिन्होंने प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके कार्यों ने भारतीय इतिहास के पुनर्निर्माण और भारतीय राष्ट्रीयता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
काशी प्रसाद जायसवाल का जन्म 27 नवंबर 1881 को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में हुआ था. उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने कानून की पढ़ाई की और बी.ए. की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने अपने कानूनी कैरियर की शुरुआत पटना उच्च न्यायालय से की. वे एक सफल वकील बने और पटना उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने लगे.
जायसवाल ने प्राचीन भारतीय इतिहास, विशेष रूप से मौर्य और गुप्त काल के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति “हिंदू पॉलिटी” है, जिसमें उन्होंने प्राचीन भारतीय राजनीति और प्रशासन का विशद वर्णन किया है. उनकी अन्य प्रमुख कृतियों में “चंद्रगुप्त मौर्य और उसके समय” और “हिस्ट्री ऑफ इंडिया” शामिल हैं.
काशी प्रसाद जायसवाल ने भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उद्देश्य भारतीय इतिहास के अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा देना था. उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थलों की खोज और खुदाई में योगदान दिया. उन्होंने पटना के निकट स्थित कुम्हरार में पुरातात्त्विक खुदाई की, जहाँ उन्हें मौर्यकालीन अवशेष मिले. काशी प्रसाद जायसवाल भारतीय राष्ट्रीयता और स्वाधीनता संग्राम के समर्थक थे. वे महात्मा गांधी और अन्य नेताओं के साथ मिलकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे. काशी प्रसाद जायसवाल का निधन 4 अगस्त 1937 को हुआ.
काशी प्रसाद जायसवाल का जीवन और कार्य भारतीय इतिहास, पुरातत्त्व और राष्ट्रीयता के अध्ययन में महत्वपूर्ण माने जाते हैं. उनके अनुसंधान और लेखन ने भारतीय इतिहास की गहरी समझ प्रदान की और भारतीय संस्कृति और सभ्यता के महत्व को उजागर किया है.