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व्यक्ति विशेष

भाग – 211.

छत्रपति साहू महाराज

छत्रपति शाहू महाराज (1874-1922) कोल्हापुर के राजा थे और वे भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण समाज सुधारक माने जाते हैं. उनका असली नाम यशवंतराव जाधव था. उन्होंने 1894 -1922 तक कोल्हापुर पर शासन किया और अपने शासनकाल में अनेक सामाजिक और शैक्षिक सुधार किए.

शाहू महाराज का जन्म 26 जून 1874 को हुआ था. वे महारानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र थे. शाहू महाराज ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अनेक विद्यालय और कॉलेज स्थापित किए. उन्होंने सभी जातियों और वर्गों के लोगों के लिए शिक्षा के द्वार खोले. उन्होंने पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए विशेष रूप से छात्रवृत्ति और शिक्षा के अवसर प्रदान किए.

शाहू महाराज ने जातिगत भेदभाव और ऊँच-नीच की प्रथाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाए. उन्होंने जाति के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने के लिए कानून बनाए और आरक्षण प्रणाली की शुरुआत की, जिससे समाज के पिछड़े वर्गों को नौकरी और शिक्षा में समान अवसर मिल सके. उन्होंने बाल विवाह, सती प्रथा, और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और इन्हें समाप्त करने के लिए कार्य किए. शाहू महाराज ने कृषि सुधार, सिंचाई सुविधाओं का विकास, और गरीबों के लिए आवास योजनाओं की शुरुआत की. उन्होंने समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं लागू कीं.

छत्रपति शाहू महाराज की विरासत आज भी भारतीय समाज में देखी जा सकती है. उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से यह सिद्ध किया कि एक सच्चा नेता वही होता है जो समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए कार्य करे. उनके समाज सुधार के कार्यों ने भारतीय समाज में गहरे प्रभाव छोड़े और उनके प्रयासों को आज भी सम्मानित किया जाता है.

शाहू महाराज ने अपने जीवनकाल में जो भी सामाजिक और शैक्षिक सुधार किए, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे.

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स्वतंत्रता सेनानी मालती चौधरी

मालती चौधरी (1904-1998) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख महिला सेनानी और समाज सुधारक थीं. वे ओडिशा राज्य से थीं और उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई.

मालती चौधरी का जन्म 26 जुलाई 1904 को अविभाजित भारत के बंगाल में हुआ था. वे एक समृद्ध परिवार से थीं और उनकी शिक्षा शांति निकेतन में हुई थी, जहां उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त की. मालती चौधरी का विवाह ओडिशा के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी नीलकंठ दास से हुआ था. शादी के बाद वे ओडिशा आ गईं और वहीं से स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हुईं.

मालती चौधरी ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में कई आंदोलनों में भाग लिया, जैसे असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन. उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने 1930 के नमक सत्याग्रह में भी हिस्सा लिया और अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह किया. मालती चौधरी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सक्रिय सदस्य थीं और उन्होंने कांग्रेस के माध्यम से अनेक आंदोलन और कार्यक्रम आयोजित किए.

मालती चौधरी ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ समाज सुधार और ग्रामीण विकास के लिए भी कार्य किए. उन्होंने गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सुधार के लिए अनेक योजनाएं चलाईं. उन्होंने ओडिशा में उड़िया भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए भी कार्य किए. वे उड़िया साहित्य और संस्कृति की संरक्षक थीं.

मालती चौधरी को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उन्हें 1988 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. मालती चौधरी की विरासत आज भी जीवित है. उनके सामाजिक और शैक्षिक सुधार कार्य आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं. वे एक सशक्त महिला और समाज सुधारक के रूप में हमेशा याद की जाती रहेंगी.

मालती चौधरी की जीवन गाथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और समाज सुधार के क्षेत्र में उनके अपार योगदान की साक्षी है. वे न केवल स्वतंत्रता सेनानी थीं, बल्कि समाज की सच्ची सेविका भी थीं.

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कवयित्री विद्यावती ‘कोकिल’

कवयित्री विद्यावती ‘कोकिल’ (1906-1979) हिंदी साहित्य की प्रमुख कवयित्रियों में से एक थीं. वे अपने समय की प्रख्यात लेखिका और कवयित्री थीं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की समस्याओं, महिला सशक्तिकरण, और देशभक्ति के विषयों को प्रमुखता से उठाया.

विद्यावती ‘कोकिल’ का जन्म 26 जुलाई, सन 1914 ई. में हसनपुर, मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था. विद्यावती ‘कोकिल’ की कविताएं समाज की विभिन्न समस्याओं पर आधारित थीं. उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं की स्थिति, उनके अधिकारों और उनके संघर्षों को अपनी कविताओं में उकेरा. उनकी कविताओं में देशभक्ति की भावना भी प्रबल थी. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया और देशप्रेम की भावना को जगाया.

 विद्यावती ‘कोकिल’ की भाषा सरल, सहज और प्रभावी थी. उनकी कविताओं में भावनाओं की गहराई और अभिव्यक्ति की सजीवता दिखाई देती है.

प्रमुख रचनाएँ: – “कोकिल के गीत”,  “स्वतंत्रता की ओर”, “नारी जागरण”.

उन्होंने गद्य में भी अनेक महत्वपूर्ण रचनाएँ लिखीं, जो सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर आधारित थीं. विद्यावती ‘कोकिल’ ने अपने लेखन के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण की वकालत की. उन्होंने महिलाओं को शिक्षा, आत्मनिर्भरता और समाज में समानता के लिए प्रेरित किया. उन्होंने समाज की अन्य समस्याओं पर भी ध्यान केंद्रित किया, जैसे गरीबी, अशिक्षा, और सामाजिक भेदभाव. उनकी रचनाओं ने समाज सुधार के आंदोलनों को भी प्रेरित किया.

विद्यावती ‘कोकिल’ को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया. उनकी कविताओं ने हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया. विद्यावती ‘कोकिल’ की विरासत आज भी जीवित है. उनके साहित्यिक कार्यों ने आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया है और वे आज भी हिंदी साहित्य के पाठकों के बीच लोकप्रिय हैं.

विद्यावती ‘कोकिल’ का जीवन और कृतित्व न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज सुधार और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी उनका योगदान अप्रतिम है. उनकी कविताएं आज भी प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं और समाज को जागरूक करने का कार्य कर रही हैं.

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अभिनेता जुगल हंसराज

जुगल हंसराज एक भारतीय अभिनेता, निर्देशक, और लेखक हैं, जिन्हें हिंदी फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. वे बचपन में ही अभिनय के क्षेत्र में आ गए थे और अपने मासूम चेहरे और अदाकारी से लोगों का दिल जीत लिया था.

जुगल हंसराज का जन्म 26 जुलाई 1972 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई से पूरी की. जुगल हंसराज ने अपने कैरियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की. उन्होंने 1983 में आई  में बाल कलाकार के रूप में अभिनय किया, जिसमें उनके प्रदर्शन को बहुत सराहा गया. जुगल हंसराज ने मुख्य अभिनेता के रूप में वर्ष 1994 में फिल्म “आ गले लग जा” से अपने कैरियर की शुरुआत की.

फिल्में: –  “पापा कहते हैं” (1996), “मोहब्बतें” (2000), और “सलाम नमस्ते” (2005) जैसी फिल्मों में भी काम किया.

जुगल हंसराज ने निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा. उन्होंने 2008 में एनिमेटेड फिल्म “रोडसाइड रोमियो” का निर्देशन किया, जिसे यश राज फिल्म्स ने प्रोड्यूस किया था. इस फिल्म को काफी सराहा गया और यह सफल रही. जुगल हंसराज एक लेखक भी हैं. उन्होंने एक बच्चों की किताब “क्रॉस कनेक्टेड” लिखी है, जो 2017 में प्रकाशित हुई थी.

जुगल हंसराज ने 2014 में जैस्मीन ढिल्लों से शादी की. जैस्मीन एक निवेश बैंकर हैं. जुगल हंसराज अपने निजी जीवन को मीडिया की नजरों से दूर रखना पसंद करते हैं. वे एक शांत और सरल जीवन जीना पसंद करते हैं. जुगल हंसराज को उनके अभिनय, निर्देशन, और लेखन के लिए विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है. उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें एक महत्वपूर्ण कलाकार और क्रिएटिव प्रोफेशनल के रूप में स्थापित किया है.

जुगल हंसराज का कैरियर उनकी विविधता और क्रिएटिविटी का प्रमाण है. बाल कलाकार के रूप में शुरूआत करने से लेकर अभिनेता, निर्देशक, और लेखक बनने तक, उन्होंने हमेशा अपने कार्य में उत्कृष्टता दिखाई है.

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अभिनेत्री मुग्धा गोडसे

मुग्धा गोडसे एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जिन्हें हिंदी फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. उन्होंने अपने मॉडलिंग कैरियर की शुरुआत की और बाद में बॉलीवुड में कदम रखा.

मुग्धा गोडसे का जन्म 26 जुलाई 1986 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे में पूरी की और इसके बाद मुंबई आ गईं, जहाँ उन्होंने अपने मॉडलिंग कैरियर की शुरुआत की. मुग्धा गोडसे ने 2004 में फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लिया और सेमीफाइनलिस्ट रहीं. मॉडलिंग के दौरान, उन्होंने कई विज्ञापनों और म्यूजिक वीडियोज़ में काम किया.

मुग्धा गोडसे ने वर्ष 2008 में मधुर भंडारकर की फिल्म “फैशन” से बॉलीवुड में डेब्यू किया. इस फिल्म में उनके अभिनय को बहुत सराहा गया और उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड्स में बेस्ट फीमेल डेब्यू के लिए नामांकित किया गया.

फिल्में: – “जेल” (2009), “ऑल द बेस्ट: फन बिगिन्स” (2009), “हीरोइन” (2012), और “विल यू मैरी मी?” (2012) जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया. मुग्धा गोडसे ने टीवी शो और रियलिटी शो में भी भाग लिया है. उन्होंने “खतरों के खिलाड़ी” (सीजन 5) में भाग लिया और दर्शकों के बीच अपनी छाप छोड़ी.

 मुग्धा गोडसे का नाम अभिनेता और मॉडल राहुल देव के साथ जोड़ा गया है. दोनों अक्सर एक साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों और सोशल मीडिया पर देखे जाते हैं. मुग्धा गोडसे को फिटनेस और योग का शौक है. वे अपने स्वस्थ जीवनशैली के लिए जानी जाती हैं और फिटनेस से जुड़े टिप्स और ट्रिक्स भी साझा करती हैं.

मुग्धा गोडसे को “फैशन” फिल्म में उनके अभिनय के लिए बेस्ट फीमेल डेब्यू के लिए नामांकित किया गया था. उन्होंने अपने मॉडलिंग और अभिनय कैरियर में कई अन्य पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं.

मुग्धा गोडसे का कैरियर उनकी प्रतिभा और मेहनत का प्रमाण है. उन्होंने मॉडलिंग से अभिनय तक का सफर तय किया और अपनी पहचान बनाई. वे न केवल एक सफल अभिनेत्री हैं, बल्कि एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी हैं.

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अभिनेत्री दीपिका सिंह

दीपिका सिंह एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो हिंदी टेलीविजन उद्योग में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. वे मुख्य रूप से लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक “दीया और बाती हम” में अपनी भूमिका के लिए मशहूर हैं.

दीपिका सिंह का जन्म 26 जुलाई 1989 को दिल्ली, भारत में हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, दीपिका ने अभिनय के क्षेत्र में कैरियर बनाने का निर्णय लिया और मुंबई चली गईं.

दीपिका सिंह ने वर्ष 2011 में स्टार प्लस के लोकप्रिय धारावाहिक “दीया और बाती हम” में संध्या राठी की मुख्य भूमिका निभाकर टेलीविजन पर अपनी शुरुआत की. इस शो में उनके प्रदर्शन को बहुत सराहा गया और यह शो बेहद लोकप्रिय हुआ. दीपिका ने “दीया और बाती हम” के अलावा कुछ अन्य टेलीविजन शो और रियलिटी शो में भी भाग लिया है. उनकी अभिनय क्षमता और प्रतिभा ने उन्हें टेलीविजन इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है. उन्होंने “नच बलिए 8” में भी भाग लिया, जिसमें उन्होंने अपने डांसिंग स्किल्स का प्रदर्शन किया.

दीपिका सिंह ने “दीया और बाती हम” के निर्देशक रोहित राज गोयल से 2 मई 2014 को शादी की. दीपिका सिंह और रोहित राज गोयल का एक बेटा है, जिसका जन्म 2017 में हुआ था.

दीपिका सिंह ने अपने उत्कृष्ट अभिनय के लिए कई पुरस्कार जीते हैं. उन्हें “दीया और बाती हम” में उनके प्रदर्शन के लिए इंडियन टेली अवार्ड्स और स्टार परिवार अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला. दीपिका सिंह फिटनेस के प्रति बहुत जागरूक हैं और नियमित रूप से योग और व्यायाम करती हैं. वे अपने फिटनेस टिप्स और हेल्दी लाइफस्टाइल के बारे में भी अपने प्रशंसकों को प्रेरित करती हैं. दीपिका को डांसिंग का भी शौक है और उन्होंने कई डांसिंग रियलिटी शो में भाग लिया है.

दीपिका सिंह की कहानी उनकी मेहनत, समर्पण और अभिनय के प्रति उनके जुनून का प्रमाण है. टेलीविजन इंडस्ट्री में अपनी मजबूत पहचान बनाने के अलावा, वे एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी हैं, जो अपने प्रशंसकों को अपने जीवन के हर पहलू में प्रेरित करती हैं.

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राजनीतिज्ञ सत्य नारायण सिन्हा

सत्य नारायण सिन्हा (1900-1983) एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बाद में स्वतंत्र भारत के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख व्यक्ति बने. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और उन्होंने विभिन्न उच्च पदों पर कार्य किया.

सत्य नारायण सिन्हा का जन्म 9 जुलाई 1900 को बिहार के दरभंगा ज़िले में ‘शम्भूपट्टी’ नामक स्थान पर हुआ था. इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा मुजफ्फरपुर के स्कूल से प्राप्त की थी. बाद में ‘पटना विश्वविद्यालय’ से एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की. वे बिहार राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे और उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. उनके कार्यकाल में उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

सत्य नारायण सिन्हा का राजनीतिक कैरियर स्वतंत्रता संग्राम के समय से शुरू हुआ. वे महात्मा गांधी और अन्य प्रमुख नेताओं के साथ जुड़े और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय रहे और बिहार के मुख्यमंत्री बने. उनके कार्यकाल में उन्होंने राज्य के विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण योजनाएँ और परियोजनाएँ शुरू कीं गईं  थी. सत्य नारायण सिन्हा की मृत्यु 26 जुलाई 1983 को समस्तीपुर, बिहार में हुआ था.

सत्य नारायण सिन्हा को उनके समर्पण, नेतृत्व और समाज सेवा के लिए याद किया जाता है. उनका योगदान भारतीय राजनीति और समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है.

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