फिल्म अभिनेता राजेंद्र कुमार
राजेंद्र कुमार एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म अभिनेता थे, जिन्होंने 1950 – 60 के दशक में बॉलीवुड में अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनाई. उनका जन्म 20 जुलाई 1929 को पंजाब के सियालकोट (अब पाकिस्तान ) में एक मध्यम वर्गीय परिवार हुआ था.
बचपन से ही राजेंद्र कुमार को अभिनेता बनने का शौक था. उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए अपने पिता द्वारा दी गई घड़ी को बेचकर किस्मत आजमाने मुंबई पहुंचे. दिखने में बेहद ही आकर्षक थे राजेंद्र कुमार. उन्होंने ने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत फ़िल्म “जोगन” से की थी.
फ़िल्में: – मदर इंडिया (1957), सुरज (1966), आरज़ू (1965), संगम (1964), दिल एक मंदिर (1963).
राजेंद्र कुमार को “जुबली कुमार” के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि उनकी कई फिल्में सिल्वर जुबली (25 हफ्ते से अधिक समय तक सिनेमाघरों में चलने वाली) हिट साबित हुईं.
राजेंद्र कुमार को फ़िल्म-फेयर पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में तीन बार नामांकन मिला, लेकिन उन्हें यह पुरस्कार ना मिला सका. वर्ष 1969 में उन्हें ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया था. राजेंद्र कुमार का निधन 12 जुलाई, 1999 को मुम्बई में हुआ था.
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अभिनेता नसीरुद्दीन शाह
नसीरुद्दीन शाह एक प्रतिष्ठित भारतीय फिल्म और रंगमंच अभिनेता हैं, जिन्हें उनकी विविध भूमिकाओं और अभिनय कौशल के लिए व्यापक रूप से सराहा जाता है. उनका जन्म 20 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में हुआ था.
नसीरुद्दीन शाह ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) और फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) में अध्ययन किया, जिससे उनके अभिनय कैरियर को मजबूत आधार मिला. नसीरूद्दीन शाह ने अपने कॅरियर की शुरुआत फ़िल्म निशांत से की थी जिसमें उनके साथ स्मिता पाटिल और शबाना आजमी जैसी अभिनेत्रियां थीं
प्रमुख फिल्में: – आक्रोश (1980), स्पर्श (1980), अर्ध सत्य (1983), मासूम (1983), जाने भी दो यारों (1983), मिर्च मसाला (1987), इकबाल (2005), द डर्टी पिक्चर (2011), ए वेडनसडे! (2008)
नसीरूद्दीन शाह को वर्ष 1987 में पद्म श्री और वर्ष 2003 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. उन्हें तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और कई बार फिल्मफेयर से सम्मानित किया गया.
नसीरुद्दीन शाह ने कई महत्वपूर्ण नाटकों में भी अभिनय किया है और वे अपने थिएटर समूह “Motley Productions” के साथ सक्रिय हैं, जिसे उन्होंने 1977 में अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर शुरू किया था. उन्होंने भारतीय रंगमंच को एक नया दृष्टिकोण दिया और अनेक नाटकों का निर्देशन भी किया.
नसीरुद्दीन शाह की शादी रत्ना पाठक शाह से हुई है, जो स्वयं एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। उनके दो बेटे, इमाद शाह और विवान शाह, भी फिल्म और थिएटर में सक्रिय हैं.
नसीरुद्दीन शाह को उनके गंभीर और संवेदनशील अभिनय के लिए जाना जाता है, और वे भारतीय सिनेमा और थिएटर के एक महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते हैं.
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शारदा देवी
शारदा देवी, जिसे श्री शारदा माँ के नाम से भी जाना जाता है, 19वीं शताब्दी की एक प्रसिद्ध भारतीय संत और धार्मिक गुरू थीं. वह रामकृष्ण परमहंस की पत्नी और आध्यात्मिक साथी थीं. उनका जीवन और शिक्षाएं लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं.
शारदा देवी का जन्म 22 सितंबर, 1853 ई. को जयरामबाटी, पश्चिम बंगाल, भारत के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके बचपन का नाम शारदामणि था. शारदा देवी का विवाह 06 वर्ष की उम्र में रामकृष्ण परमहंस से हुआ, लेकिन उनका विवाह आध्यात्मिक था और वे दोनों एक-दूसरे के प्रति गहन सम्मान और श्रद्धा रखते थे.
रामकृष्ण परमहंस ने शारदा देवी को अपनी आध्यात्मिक शक्ति का सहारा माना और उन्हें माँ काली के रूप में पूजा. रामकृष्ण की मृत्यु के बाद, शारदा देवी ने उनके कार्यों को आगे बढ़ाया और अनेक शिष्यों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया.
शारदा देवी ने अपने जीवन के माध्यम से सरलता, विनम्रता, और सेवा का संदेश दिया. उन्होंने अपने शिष्यों को प्रेम, सहानुभूति और सेवा के महत्व को समझाया. उनकी शिक्षाओं में – सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और करुणा रखना. दूसरों की निःस्वार्थ सेवा करना. नियमित ध्यान और प्रार्थना द्वारा आत्मा की शुद्धि करना.
शारदा देवी का निधन 20 जुलाई 1920 को बेलूर मठ, हावड़ा, पश्चिम बंगाल में हुआ था. उनके निधन के बाद भी, उनकी शिक्षाएं और आशीर्वाद उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहे.
शारदा देवी को भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, और उन्हें एक दिव्य माँ के रूप में सम्मानित किया जाता है. उनके जीवन और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं.
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पार्श्वगायिका गीता दत्त
गीता दत्त भारतीय सिनेमा की एक प्रमुख पार्श्वगायिका थीं. उनका पूरा नाम गीता घोष राय चौधरी था. उनकी दिलकश आवाज़ से लगभग तीन दशकों तक करोड़ों श्रोताओं को मदहोश किया.
उन्होंने 1940 – 50 के दशक में हिंदी और बंगाली सिनेमा में कई यादगार गीत गाए. उनकी आवाज़ में एक विशेष मिठास और भावनात्मक गहराई थी, जिसने उन्हें उस समय की सबसे प्रमुख गायिकाओं में से एक बना दिया.
गीता दत्त का जन्म 23 नवंबर 1930 को फरीदपुर शहर में हुआ था. उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हनुमान प्रसाद से ली थी. गीता दत्त ने अपने कैरियर की शुरुआत 1946 में फ़िल्म ‘भक्त प्रहलाद’ से की थी.
सदाबहार गीत: – “तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले” (1951, फिल्म: “बाज़ी”), “मेरा सुंदर सपना बीत गया” (1952, फिल्म: “दो भाई”), “वक्त ने किया क्या हसीं सितम” (1959, फिल्म: “कागज़ के फूल”), “न जाने क्या हुआ” (1956, फिल्म: “तुमसा नहीं देखा”), “ऐ दिल मुझे बता दे” (1952, फिल्म: “भाई-भाई”)
गीता दत्त का विवाह फिल्म निर्देशक और अभिनेता गुरुदत्त से हुआ था. उनका विवाह व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों तरह से महत्वपूर्ण था. गुरुदत्त के निर्देशन में बनी कई फिल्मों में गीता दत्त ने संगीत दिया और अपने कैरियर की कुछ बेहतरीन गीत गाए. हालांकि, उनके व्यक्तिगत जीवन में तनाव और समस्याएं भी रहीं, जिनका उनके कैरियर पर प्रभाव पड़ा.
20 जुलाई 1972 को 41 वर्ष की आयु में गीता दत्त का निधन हो गया. उनके निधन के बाद भी, उनके गाए गीत आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं और उनकी याद ताजा करते हैं .गीता दत्त की आवाज़ में एक विशेष मिठास और गहराई थी, जो उनके गीतों को अनमोल बना देती है. वह भारतीय संगीत की दुनिया में हमेशा याद की जाएंगी.