जमशेद जी जीजाभाई
जमशेद जी जीजाभाई एक प्रमुख भारतीय उद्योगपति और टाटा समूह के संस्थापक थे. उनका जन्म 15 जुलाई, 1783 को एक ग़रीब परिवार में मुंबई में हुआ था. उन्होंने भारत में औद्योगिकीकरण की नींव रखी और टाटा समूह की स्थापना की, जिसने भारतीय उद्योग जगत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
आर्थिक तंगी के कारण वे शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके.12 वर्ष की छोटी उम्र में अपने मामा के साथ पुरानी बोतलें बेचने के धंधे में लग गए थे. जमशेद जी में बड़ी व्यवसाय-बुद्धि थी. व्यवहार से जमशेद जी जीजाभाई ने साधारण हिसाब रखना और कामचलाऊ अंग्रेज़ी सीख ली थी. उन्होंने अपने व्यापार का भारत के बाहर विस्तार किया.
जमशेदजी ने भारत की पहली स्टील कंपनी, टाटा स्टील (पहले टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी), की स्थापना की. यह भारतीय उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था. उन्होंने भारत की पहली हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट की स्थापना की, जो बाद में टाटा पावर बन गई.
जमशेदजी ने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की स्थापना के लिए भी अपना योगदान दिया. उन्होंने भारत के पहले लक्जरी होटल, ताज महल पैलेस होटल, की स्थापना की.
जमशेदजी का दृष्टिकोण न केवल व्यावसायिक सफलता के लिए था, बल्कि उन्होंने समाज सेवा और देश की प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी मृत्यु 19 मई 1904 को जर्मनी के बाडेन-बाडेन में हुई. उनका योगदान आज भी भारतीय उद्योग जगत में अनुकरणीय माना जाता है.
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पत्रकार प्रभाष जोशी
प्रभाष जोशी एक प्रसिद्ध भारतीय पत्रकार और संपादक थे, जिन्होंने हिंदी पत्रकारिता में अपनी एक अलग पहचान बनाई. उनका जन्म 15 जुलाई 1937 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत बतौर पत्रकार ‘नई दुनिया’ अखबार से की. बाद में वे ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से जुड़े, जहाँ उन्होंने कई महत्वपूर्ण समाचारों और घटनाओं पर रिपोर्टिंग की.
प्रभाष जोशी ‘जनसत्ता’ के संस्थापक संपादक थे, जो कि हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में एक प्रमुख समाचार पत्र है. उनके संपादन में ‘जनसत्ता’ ने निष्पक्ष और साहसिक पत्रकारिता के नए मानदंड स्थापित किए.
उन्होंने कई महत्वपूर्ण लेख और संपादकीय लिखे, जो हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में मील का पत्थर माने जाते हैं. उनके लेखन में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहरी समझ और विश्लेषण देखने को मिलता है.
उन्होंने हमेशा ईमानदारी और निष्पक्षता को अपनी पत्रकारिता का मूल सिद्धांत बनाया. वे अपने समय के सबसे सम्मानित पत्रकारों में से एक थे, जिन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को जागरूक करने का प्रयास किया. उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमें उनके विचारों और पत्रकारिता के अनुभवों का संग्रह है. उनकी प्रमुख पुस्तकों में ‘हिन्दू होने का धर्म’ और ‘प्रभाष पर्व’ शामिल हैं.
प्रभाष जोशी का निधन 5 नवंबर 2009 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी हिंदी पत्रकारिता में जीवित है और नए पत्रकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है.
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अभिनेत्री सुलभा आर्या
सुलभा आर्या एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री हैं, जो हिंदी फिल्म और टेलीविजन उद्योग में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने अपने कैरियर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं, विशेष रूप से चरित्र भूमिकाओं में अपनी पहचान बनाई है. सुलभा आर्या को उनकी सादगीपूर्ण और प्रभावशाली अभिनय शैली के लिए सराहा जाता है.
सुलभा आर्या का जन्म 15 जुलाई 1950 को मुंबई में हुआ था. सुलभा आर्या ने कई लोकप्रिय हिंदी फिल्मों में काम किया है. उनके फिल्मी कैरियर में “काल हो ना हो”, “हेरा फेरी”, “दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे”, “सोल्जर”, और “कभी खुशी कभी गम” जैसी फिल्में शामिल हैं. इन फिल्मों में उनकी अभिनय प्रतिभा को बहुत सराहा गया.
सुलभा आर्या ने टेलीविजन धारावाहिकों में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं. उन्होंने कई लोकप्रिय टीवी शोज़ में अभिनय किया है, जिसमें “श्रीमान श्रीमती” और “ये जो है जिंदगी” शामिल हैं. अपने बेहतरीन अभिनय के लिए सुलभा आर्या को कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. उनकी अदाकारी को दर्शकों और समीक्षकों दोनों ने ही सराहा है.
सुलभा आर्या ने अपने कैरियर में विभिन्न प्रकार की भूमिकाएँ निभाई हैं, जिनमें कॉमेडी, ड्रामा, और चरित्र भूमिकाएँ शामिल हैं. उनकी अभिनय शैली में गहराई और विविधता देखने को मिलती है.
सुलभा आर्या अपने अद्वितीय अभिनय के लिए जानी जाती हैं और उनकी फिल्में और धारावाहिक आज भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं. उनकी योगदान हिंदी सिनेमा और टेलीविजन उद्योग में हमेशा याद किया जाएगा.
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भौतिक विज्ञानी अशोक सेन
अशोक सेन एक प्रमुख भारतीय भौतिक विज्ञानी हैं, जो स्ट्रिंग थ्योरी के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते हैं. उनका जन्म 1956 में कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर से पूरी की. इसके बाद उन्होंने स्ट्रीट जॉन्स कॉलेज, कैम्ब्रिज से पीएचडी प्राप्त की.
अशोक सेन ने स्ट्रिंग थ्योरी, विशेष रूप से ड्यूलिटी और डी-ब्रेंस के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनकी खोजों ने इस क्षेत्र में कई नए दृष्टिकोण और संभावनाएँ खोली हैं. उनका एक प्रमुख योगदान सेन कॉन्जेक्चर के रूप में जाना जाता है, जो स्ट्रिंग थ्योरी के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है.
अशोक सेन को उनके वैज्ञानिक योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें इन्फोसिस पुरस्कार (2009), शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (1994), और फंडामेंटल फिजिक्स प्राइज (2012) शामिल हैं. उन्हें पद्म भूषण (2001) और पद्म विभूषण (2020) जैसे राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त हुए हैं.
अशोक सेन ने अनेक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, जिनमें उन्होंने स्ट्रिंग थ्योरी के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार और निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं. उनके शोध कार्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है. वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्यापन और शोध कार्य से जुड़े रहे हैं. वर्तमान में वे हरिश-चंद्र रिसर्च इंस्टिट्यूट, इलाहाबाद में प्रोफेसर हैं.
अशोक सेन का कार्य न केवल भारतीय विज्ञान जगत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. उनकी खोजें और अनुसंधान भविष्य की भौतिकी और ब्रह्मांड की समझ को नई दिशाएँ प्रदान कर रही हैं.
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पार्श्व गायिका रुपाली जग्गा
रुपाली जग्गा एक प्रतिभाशाली भारतीय पार्श्व गायिका हैं, जो अपनी मधुर आवाज और उत्कृष्ट गायन शैली के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 15 जुलाई 1995 को सहारनपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने छोटी उम्र से ही संगीत की दुनिया में कदम रखा और विभिन्न संगीत प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपनी पहचान बनाई.
रुपाली ने विभिन्न संगीत रियलिटी शोज में भाग लिया और अपनी गायन प्रतिभा का प्रदर्शन किया. वह ‘सा रे गा मा पा’ 2016 में एक प्रमुख प्रतियोगी थीं, जहां उन्होंने अपनी गायन क्षमता से दर्शकों और जजों को प्रभावित किया.
रुपाली ने अपनी संगीत शिक्षा और प्रशिक्षण को गंभीरता से लिया. उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिससे उनकी गायन शैली में विविधता और गहराई आई है.
रियलिटी शो के बाद, रुपाली ने अपने कैरियर की शुरुआत की और कई हिंदी और पंजाबी गीतों में अपनी आवाज दी. उनकी आवाज को दर्शकों ने बहुत पसंद किया और उनके गाए गाने लोकप्रिय हुए. रुपाली को उनकी गायन प्रतिभा के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अपनी गायकी के लिए कई मंचों पर सराहना प्राप्त की है. रुपाली जग्गा ने कई संगीत वीडियो में भी काम किया है, जिनमें उनकी आवाज और अभिनय दोनों को दर्शकों ने पसंद किया है.
रुपाली जग्गा अपने मधुर और भावपूर्ण गायन के लिए जानी जाती हैं और भारतीय संगीत उद्योग में एक उभरती हुई सितारा हैं. उनकी मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें एक विशिष्ट स्थान दिलाया है, और वे निरंतर अपने संगीत कैरियर में नए ऊंचाइयों को छू रही हैं.