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व्यक्ति विशेष

भाग – 195.

क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावस्कर

सुनील गावस्कर, जिन्हें “लिटिल मास्टर” के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. वे अपने समय के सबसे सफल और तकनीकी रूप से कुशल बल्लेबाजों में से एक थे.

सुनील गावस्कर का जन्म 10 जुलाई 1949, मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. इनका  पूरा नाम सुनील मनोहर गावस्कर है.’सनी’ और ‘लिटिल मास्टर’ उनके निक नेम हैं. इनके पिता का नाम मनोहर गावस्कर तथा माता का नाम मीनल गावस्कर था. अपने पढाई के दिनों से ही सनी एक अच्छे क्रिकेटर के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे.

वर्ष 1966 में सुनील को भारत का ‘बेस्ट स्कूल ब्याव’ का पुरस्कार मिला था. सेकेण्डरी शिक्षा के अंतिम वर्ष में दो लगातार दोहरे शतक लगाकर उन्होंने सबका ध्यान आकर्षित किया. वर्ष 1966 में ही उन्होंने रणजी के मैचों में अपना डेब्यू किया. कॉलेज में उनके खेल के लोग दीवाने हुआ करते थे. रणजी मैच में कर्नाटक के साथ खेलते हुए उन्होंने फिर से दोहरा शतक लगाया और चयनकर्ताओं को प्रभावित किया.

क्रिकेट कैरियर: –

टेस्ट डेब्यू: – 6 मार्च 1971, वेस्टइंडीज के खिलाफ

वनडे डेब्यू: – 13 जुलाई 1974, इंग्लैंड के खिलाफ

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास: – 13 मार्च 1987

रिकॉर्ड्स और उपलब्धियां: –

टेस्ट मैच: – 125 मैच, 10,122 रन, 34 शतक, 45 अर्ध शतक, सर्वाधिक स्कोर 236*

वनडे मैच: – 108 मैच, 3,092 रन, 1 शतक, 27 अर्ध शतक, सर्वाधिक स्कोर 103*

पहले बल्लेबाज: – 10,000 टेस्ट रन पूरे करने वाले

पहले बल्लेबाज: – टेस्ट क्रिकेट में 34 शतक बनाने वाले

गावस्कर ने अपनी तकनीकी दक्षता और क्रीज पर अपने धैर्य के लिए ख्याति प्राप्त की. उन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी और अपने समय में भारतीय टीम को कई महत्वपूर्ण जीत दिलाई.

सम्मान और पुरस्कार: –

पद्मश्री: – 1975 में भारत सरकार द्वारा

पद्म भूषण: – 1980 में भारत सरकार द्वारा

आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम: – 2009 में

सुनील गावस्कर ने क्रिकेट से संन्यास के बाद क्रिकेट कमेंट्री में कदम रखा और उन्हें एक प्रमुख क्रिकेट विश्लेषक के रूप में पहचाना जाता है. उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं, जिनमें उनकी आत्मकथा “सनी डेज़” भी शामिल है. गावस्कर का क्रिकेट में योगदान और उनका खेल के प्रति समर्पण आज भी क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक है.

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शास्त्रीय गायिका परवीन सुल्ताना

परवीन सुल्ताना भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक प्रतिष्ठित गायिका हैं. उनका जन्म 10 जुलाई 1950 को असम, भारत में हुआ था. वे हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के पटियाला घराने से संबंधित हैं और अपनी खूबसूरत आवाज़ और विशिष्ट शैली के लिए प्रसिद्ध हैं.

परवीन सुल्ताना का जन्म 10 जुलाई 1950 को नोगोंग ग्राम, असम में हुआ था. इनके पिता का नाम ‘इकरामुल माजिद’ तथा माता का नाम ‘मारूफ़ा माजिद’ था. परवीन सुल्ताना ने सबसे पहले संगीत अपने दादा जी ‘मोहम्मद नजीफ़ ख़ाँ साहब’ तथा पिता इकरामुल से सीखना शुरू किया. पिता और दादाजी की छत्रछाया ने उनकी प्रतिभा को विकसित किया.

परवीन सुल्ताना ने बहुत ही कम उम्र में संगीत की दुनिया में कदम रखा और बहुत जल्दी ही शास्त्रीय संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हो गईं. उनकी गायकी में पटियाला घराने की परंपराएं और तकनीकी दक्षता स्पष्ट रूप से दिखाई देती ह. उन्होंने कई महत्वपूर्ण संगीत समारोहों और कंसर्ट्स में प्रदर्शन किया है, न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी.

प्रमुख उपलब्धियां: –

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: – वर्ष 1972 में फिल्म “पाकीजा” के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक का पुरस्कार.

पद्म श्री: वर्ष 1976 में भारत सरकार द्वारा.

पद्म भूषण: वर्ष 2014 में भारत सरकार द्वारा.

परवीन सुल्ताना की लगन और तालीम ने उन्हें ख़ूबसूरत आवाज़ और एक गरिमामय व्यक्तित्व का धनी बनाया था, इसीलिए उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत की रानी कहा जाता है. परवीन सुल्ताना ने फ़िल्म ‘पाकीजा’ से फ़िल्मों में गायन की शुरुआत की थी. उनकी आवाज़ की व्यापकता और मधुरता ने उन्हें श्रोताओं के बीच बहुत लोकप्रिय बनाया है. उन्होंने शास्त्रीय संगीत के प्रचार और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और नई पीढ़ी के संगीतकारों को प्रेरित किया है.

परवीन सुल्ताना ने शास्त्रीय संगीतकार उस्ताद दिलशाद खान से विवाह किया और उनके साथ कई युगल प्रस्तुतियाँ दी हैं. परवीन सुल्ताना की कई रागों और बंदिशों की रिकॉर्डिंग उपलब्ध है, जिनमें उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएं “राग यमन”, “राग दरबारी कान्हड़ा”, और “राग भैरवी” शामिल हैं.

परवीन सुल्ताना की आवाज़ और गायकी का शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान है और उन्होंने भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई है.

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राजनीतिज्ञ राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख नेताओं में से एक हैं और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं. उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भारत के रक्षा मंत्री शामिल हैं.

राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई 1951, चंदौली, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनके पिता का नाम राम बदन सिंह और माता का नाम गुजराती देवी था. वर्ष 1964 में 13 वर्ष की अवस्था में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े. उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में मास्टर डिग्री (M.Sc.) प्राप्त की.

राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की. वे 1974 में भारतीय जनसंघ में शामिल हुए, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी में परिवर्तित हो गया.

प्रमुख पद: –

मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश: वर्ष 2000 से 2002 तक.

राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा: दो बार: – वर्ष (2005-2009 और 2013-2014).

केंद्रीय मंत्री: –

कृषि मंत्री: –  वर्ष 2003-2004, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में.

गृह मंत्री:  – वर्ष 2014-2019, नरेंद्र मोदी सरकार में.

रक्षा मंत्री: – वर्ष 2019 से अब तक, नरेंद्र मोदी सरकार में.

प्रमुख उपलब्धियां और योगदान: –

मुख्यमंत्री: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कानून और व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया।

गृह मंत्री: – उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

रक्षा मंत्री: – राजनाथ सिंह ने भारतीय रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और सैन्य आधुनिकीकरण पर जोर दिया है. उनके कार्यकाल में भारत ने कई महत्वपूर्ण रक्षा सौदों को अंतिम रूप दिया और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया.

राजनाथ सिंह का राजनीति में दृष्टिकोण आरएसएस की विचारधारा पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक मूल्यों का महत्वपूर्ण स्थान है. उन्होंने कृषि, शिक्षा, सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों का समर्थन किया है.

राजनाथ सिंह का परिवारिक जीवन सादा और पारंपरिक है. वे एक समर्पित पिता और पति हैं. उनका जीवन समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पित है.

राजनाथ सिंह भारतीय राजनीति में एक सम्मानित और प्रभावशाली नेता हैं, जिन्होंने अपने समर्पण और कड़ी मेहनत से भारतीय जनता पार्टी और देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

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अभिनेता आलोक नाथ

आलोक नाथ भारतीय फिल्म और टेलीविजन उद्योग के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं, जिन्हें अक्सर ‘संस्कारी बापू’ के रूप में जाना जाता है. उनका जन्म 10 जुलाई 1956 को बिहार, भारत में हुआ था. आलोक नाथ ने अपने कैरियर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं, विशेष रूप से उन्हें पारिवारिक और धार्मिक फिल्मों में पिता या बुजुर्ग की भूमिकाओं के लिए पहचाना जाता है.

आलोक नाथ का जन्म 10 जुलाई 1956 को पटना बिहार में हुआ था. आलोक नाथ ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत 1980 के दशक में की थी और वे तब से अब तक कई फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में काम कर चुके हैं.

प्रमुख फिल्में:

हम आपके हैं कौन (1994): – इस फिल्म में उन्होंने सलमान खान के चाचा की भूमिका निभाई, जो बहुत प्रसिद्ध हुई.

हम साथ साथ हैं (1999): – इस फिल्म में वे संयुक्त परिवार के मुखिया की भूमिका में थे.

विवाह (2006): – इस फिल्म में भी उन्होंने एक पारंपरिक पिता की भूमिका निभाई.

टेलीविजन कैरियर: –

बुनियाद (1986): – यह एक महत्वपूर्ण टीवी धारावाहिक था जिसमें आलोक नाथ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

तारा: – इस धारावाहिक में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

यहां मैं घर घर खेली: – यह एक और धारावाहिक है जिसमें आलोक नाथ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

आलोक नाथ का नाम ‘संस्कारी’ शब्द के साथ इस कदर जुड़ा है कि वे भारतीय सिनेमा और टेलीविजन में एक प्रतीक बन गए हैं. उनकी भूमिकाएं अक्सर भारतीय पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं को प्रदर्शित करती हैं.

आलोक नाथ की शादी आशु नाथ से हुई है और उनके दो बच्चे हैं. आलोक नाथ का नाम 2018 में #MeToo आंदोलन के दौरान विवादों में आया था, जब उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे. उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया है.

आलोक नाथ ने अपने अभिनय के माध्यम से भारतीय सिनेमा और टेलीविजन पर गहरी छाप छोड़ी है और वे आज भी एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित अभिनेता माने जाते हैं.

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भोजपुरी रंगकर्मी भिखारी ठाकुर

भोजपुरी रंगकर्मी भिखारी ठाकुर भिखारी ठाकुर एक प्रसिद्ध भोजपुरी रंगकर्मी, लोक-गायक, और नाटककार थे. उन्हें भोजपुरी थिएटर के जनक के रूप में जाना जाता है. उनका जन्म 18 दिसंबर 1887 को बिहार के सारण जिले के कुतुबपुर गाँव में हुआ था और उनका निधन 10 जुलाई 1971 को हुआ. भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी लोक-संस्कृति को समृद्ध करने और इसे व्यापक जनसमूह तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

भिखारी ठाकुर एक बहु-प्रतिभाशाली व्यक्ति थे. वे न केवल एक उत्कृष्ट अभिनेता और गायक थे, बल्कि उन्होंने कई नाटक और गीत भी लिखे. उनके नाटक सामाजिक मुद्दों और ग्रामीण जीवन की वास्तविकताओं पर आधारित थे. उनकी रचनाएं भोजपुरी संस्कृति और समाज की गहरी समझ को दर्शाती हैं.

प्रमुख रचनाएँ: –

बिदेसिया: – यह भिखारी ठाकुर का सबसे प्रसिद्ध नाटक है, जो प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों की समस्याओं पर आधारित है. यह नाटक आज भी भोजपुरी रंगमंच पर अत्यंत लोकप्रिय है. जैसे :-  गंगा स्नान,  बेटी बेचवा, विद्या दान, नाई-बहरूपिया,

भिखारी ठाकुर की रचनाओं में सामाजिक समस्याओं और सामुदायिक जीवन की सजीव चित्रण होती है. उन्होंने अपनी कला के माध्यम से न केवल मनोरंजन किया, बल्कि समाज को जागरूक भी किया. उनकी शैली में सादगी और स्पष्टता होती है, जिससे वे ग्रामीण जनता के बीच बेहद लोकप्रिय थे.

भिखारी ठाकुर को भोजपुरी थिएटर के पितामह के रूप में सम्मानित किया जाता है. उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए, कई सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित किया है. उनकी रचनाएँ और नाटक आज भी भोजपुरी लोक-संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उन्हें अध्ययन और प्रदर्शन के लिए अपनाया जाता है.

भिखारी ठाकुर का जीवन और कार्य न केवल भोजपुरी संस्कृति के लिए बल्कि भारतीय लोक-संस्कृति के लिए भी एक अमूल्य धरोहर है. उनकी रचनाओं ने लाखों लोगों के दिलों को छुआ और समाज को एक नई दिशा दी.

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अभिनेत्री ज़ोहरा सहगल

ज़ोहरा सहगल भारतीय सिनेमा और थिएटर की एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री थीं, जिन्होंने अपने लम्बे और समृद्ध कैरियर के दौरान विभिन्न माध्यमों में काम किया। वे एक बहुमुखी कलाकार थीं और उनके योगदान को भारतीय कला और संस्कृति में हमेशा याद किया जाएगा.

ज़ोहरा सहगल का जन्म 27 अप्रैल 1912, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था और उनकी मृत्यु 10 जुलाई 2014 को नई दिल्ली में हुआ. उनका पूरा नाम  साहिबजादी ज़ोहरा बेगम मुमताज़ुल्ला खान था.  उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा क्वीन मैरी कॉलेज, लाहौर से प्राप्त की और बाद में जर्मनी में मैरी विगमैन के साथ बैले का अध्ययन किया।

ज़ोहरा सहगल ने अपने कैरियर की शुरुआत उदय शंकर के डांस ट्रूप से की, जो भारतीय नृत्य और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करता था. उन्होंने पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर के साथ भी काम किया, जहाँ उन्होंने विभिन्न नाटकों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं.

फ़िल्में: –

नीचा नगर (1946): – इस फिल्म ने कान्स फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार जीता और ज़ोहरा सहगल की पहचान बढ़ी.

भाजी ऑन द बीच (1993): –

दिल से (1998): – इस फिल्म में उन्होंने शाहरुख खान की दादी की भूमिका निभाई.

हम दिल दे चुके सनम (1999): – इस फिल्म में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई.

चीनी कम (2007): – इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी को खूब सराहा गया.

ज़ोहरा सहगल ने कई टेलीविजन धारावाहिकों में भी काम किया, जिनमें “अमृतसर आ जा रहा है” और “मुल्ला नसीरुद्दीन” शामिल हैं. ज़ोहरा सहगल को कई सम्मानों से सम्मानित किया गया. उन्हें वर्ष 1998 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्म श्री’ सम्मान से सम्मानित किया गया. वर्ष 2002 में ‘पद्म भूषण’, वर्ष 2010 में  ‘पद्म विभूषण’ सम्मान से सम्मानित किया गया. जोहरा सहगल को वर्ष 1963 में   थिएटर में उनके योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सममिनित किया गया.

ज़ोहरा सहगल की शादी कमरउद्दीन शाह से हुई थी, जिनसे उन्हें दो बच्चे थे. वे अपने ऊर्जावान और ज़िंदादिल व्यक्तित्व के लिए जानी जाती थीं. ज़ोहरा सहगल का कैरियर सात दशकों तक फैला रहा और उन्होंने भारतीय सिनेमा और थिएटर में अपनी अमिट छाप छोड़ी.

उनके योगदान और समर्पण ने उन्हें एक महान कलाकार के रूप में स्थापित किया और उनकी कला और विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी.

ज़ोहरा सहगल का जीवन और कैरियर प्रेरणादायक है, और उन्होंने भारतीय कला और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनकी अद्वितीय प्रतिभा और समर्पण के कारण वे हमेशा याद की जाएंगी.

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