राजनीतिज्ञ कुमारी मायावती
कुमारी मायावती जो उत्तर प्रदेश राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री रही हैं. वह बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष भी हैं. मायावती बीएसपी के प्रमुख चेहरे के रूप में बहुजन समाज के वर्गों के लिए लड़ी हैं.
मायावती ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर कई बार कार्यभार संभाला है, और उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुजन समुदाय के लिए विभिन्न कार्यों को प्रमोट किया है. उन्होंने दलित, अनुसूचित जाति, और अनुसूचित जनजाति के वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित सीटों का प्रस्ताव और उनके सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं.
मायावती का राजनैतिक कैरियर बहुत ही विवादास्पद रहा है, और उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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अभिनेत्री भानुप्रिया
भानुप्रिया एक फ़िल्म अभिनेत्री हैं जिन्होंने सिनेमा में अपने कैरियर की शुरुआत तमिल फिल्म ‘मेल्ला पेसुन्गल’ से की थी. भानुप्रिया का असली नाम मंगा भामा है. वे तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, बेंगली, और हिंदी फ़िल्मों में काम करने वाली एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं.
भानुप्रिया ने अपने कैरियर के दौरान कई महत्वपूर्ण फ़िल्मों में काम किया है. उनकी प्रमुख फ़िल्में जिनमें वे नजर आई हैं, वह हैं: “स्वर्णकमल” (1985), “भूतकालं” (1985), “जैसी करनी वैसी भरनी” (1989), “सीता और गीता” (1992), “मणिक्यम्मा” (1993), “काजल” (1995), और “सजन चले ससुराल” (1996) आदि. भानुप्रिया का अभिनय कैरियर लंबा है और उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी प्रतिष्ठित स्थान बनाया है.
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फ़िल्म निर्देशक तपन सिन्हा
तपन सिन्हा एक प्रमुख भारतीय फ़िल्म निर्देशक हैं. उनका जन्म 2 अक्तूबर, 1924 को हुआ था. तपन ने अपने कैरियर की शुरुआत फिल्म निर्देशन से की .
तपन द्वारा निर्देशित पहली फिल्म “तुम बिन” जिसमें सुरजीत चोपड़ा और प्रियंका चोपड़ा को मुख्य भूमिका में थे. इसके बाद, उन्होंने कई और सफल फ़िल्में डायरेक्ट की, जैसे कि “सिंगल्स” (2004), “आप की क्षमता” (2005), और “करीब करीब सिंगल” (2017).
तपन सिन्हा ने अपने फ़िल्मों में समाजिक मुद्दों पर ध्यान दिया है. उन्होंने फ़िल्म निर्देशन के साथ-साथ लेखन कार्य भी किया है और उनकी कविताएँ भी प्रकाशित हो चुकी हैं.
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महिला फ़ोटो पत्रकार होमाई व्यारावाला
होमाई व्यारावाला एक भारतीय फ़ोटो पत्रकार थीं और वे भारतीय प्रेस फ़ोटोग्राफ़ी की पहली महिला फ़ोटोग्राफ़र मानी जाती हैं. उनका जन्म 9 दिसंबर 1913 को हुआ था और उनका निधन 15 जनवरी 2012 को हुआ था.
होमाई व्यारावाला का फ़ोटोग्राफ़ी कैरियर 1930 के दशक में शुरू हुआ जब वे बॉम्बे (अब मुंबई) के स्टेर्लिंग स्टूडियो में काम करने लगीं. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण मोमेंट्स को कैमरे के माध्यम से कैद किया और फ़ोटोग्राफ़ी के माध्यम से भारतीय इतिहास के अनमोल छवियों को उजागर किया. होमाई व्यारावाला ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नेताओं, आम जनता के साथ होने वाली घटनाओं, और अन्य महत्वपूर्ण समाचार क्षणों की छवियों को दर्ज किया. उनकी कई फ़ोटो ने नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट (NGMA) और अन्य स्थलों में भी प्रदर्शित किए गए हैं.
होमाई व्यारावाला को “भारतीय प्रेस की पहली डेयरी कॉरेस्पॉन्डेंट” के रूप में सम्मानित किया गया और उन्होंने अपने योगदान के लिए अनेक पुरस्कार भी प्राप्त किए, जैसे कि पद्मा भूषण (2011) और रामन मैगसेसे पुरस्कार (1998)। वे महिला फ़ोटो पत्रकारों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहीं और उनका काम आज भी सराहा जाता है.
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भूतपूर्व कार्यकारी प्रधानमंत्री गुलज़ारीलाल नन्दा
गुलज़ारीलाल नन्दा एक भारतीय राजनेता थे और वे भारतीय गणराज्य के भूतपूर्व कार्यकारी प्रधानमंत्री रहे हैं. उनका जन्म 4 जुलाई 1898 को हुआ था और उनका निधन 15 जनवरी 1998 को हुआ था.
गुलज़ारीलाल नन्दा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय भी एक सक्रिय साथी थे और उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भाग लिया. उन्होंने गांधीजी के आदर्शों का पालन किया और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गोली खाकर घायल हो गए.
नन्दा जी के प्रमुख कार्यकाल में वे भारतीय प्रधानमंत्री के कार्यभार का कार्यभार संभाले, जो तब महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद और इंदिरा गांधी के पहले कार्यकाल के बीच थे. वे दो बार कार्यकारी प्रधानमंत्री के कार्यभार संभाले, पहली बार 1964 में और फिर 1966 में. उनके प्रधानमंत्री बनने के समय देश में सिर्फ अल्पकालिक कार्यकारी सरकारें चल रही थीं. गुलज़ारीलाल नन्दा एक नैतिक और योगदानकर्ता के रूप में भारतीय समाज में मान्यता प्राप्त कर चुके थे और उन्होंने अपने जीवन में देश की सेवा की.
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मराठा वीर ई. – सदाशिवराव भाऊ
मराठा वीर ई. सदाशिवराव भाऊ एक मराठा सेनानायक थे. उनका जन्म 3 अगस्त 1730 को हुआ था और उनका निधन 14 जनवरी 1761 को हुआ था.
सदाशिवराव भाऊ ने पानिपत की तीसरी लड़ाई के समय मराठा सेना की कमान संभाली थी, जो 1761 में लड़ी गई थी. इस लड़ाई में मराठा सेना अफगान और मुगल सम्राट अहमद शाह अब्दाली के ख़िलाफ़ लड़ रही थी. यह लड़ाई एक बड़ी और घातक संघर्ष था और मराठों के लिए बड़ी हानि के साथ समाप्त हुआ.
सदाशिवराव भाऊ को वीरता, योद्धात्मक उपलब्धियों और वीर शहीद के रूप में याद किया जाता है, और वे मराठा साम्राज्य के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उनके योद्धा स्वभाव और उनका संघर्ष भारतीय इतिहास का हिस्सा बन गया है.
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कुश्ती खिलाड़ी खाशाबा जाधव
खाशाबा जाधव भारतीय कुश्ती के प्रमुख खिलाड़ियों में से एक थे. उनका जन्म 15 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के कराड नामक स्थान पर हुआ था और उनका निधन 14 अक्टूबर 1984 को हुआ. खाशाबा जाधव को भारतीय खुदाई इतिहास में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी माना जाता है.
खाशाबा जाधव का सफर 1948 में लंदन ओलिंपिक में चांदी पदक जीतने तक पहुँचा. वे विज्ञानगर के अंबेडकर विद्यापीठ से पढ़े और फिर वर्ष 1948 में भारतीय खुदाई टीम के सदस्य के रूप में लंदन ओलिंपिक में प्रतिनिधिता की. खाशाबा जाधव ने भारत के लिए कुश्ती में 125 पाउंड्स कैटेगरी में चांदी पदक जीता, जिससे वे भारत के पहले ओलिंपिक में इस मेडल को जीतने वाले खिलाड़ी बने. खाशाबा जाधव का यह उपलब्धि भारतीय खुदाई और खेल के क्षेत्र में गर्वपूर्ण मोमेंट रहा है और उन्हें भारतीय खुदाई और खेल के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान पर रखा जाता है.