News

व्यक्ति विशेष

भाग – 150.

क्रांतिकारी छगनराज चौपासनी वाला

छगनराज चौपासनी वाला राजस्थान के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे. उनका जन्म 26 मई 1912 को जोधपुर जिले के चौपासनी गाँव में हुआ  था. स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान महत्वपूर्ण था और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया था.

छगनराज  ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया. वे महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरित थे और उन्होंने सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया. उन्होंने राजस्थान में कई स्थानीय आंदोलनों का नेतृत्व किया. उनके नेतृत्व में किसानों और मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया गया.

छगनराज ने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार करने के लिए कई प्रयास किए. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी उन्होंने समाज सेवा और ग्रामीण विकास के कार्यों में योगदान देना जारी रखा.

छगनराज चौपासनी वाला की विरासत आज भी प्रेरणा का स्रोत है और उन्हें राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण नायक के रूप में याद किया जाता है.

==========  =========  ===========

राजनीतिज्ञ अरुणा रॉय

अरुणा रॉय एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ हैं, जिन्हें विशेष रूप से सूचना का अधिकार (RTI) आंदोलन के लिए जाना जाता है. उनका जन्म 26 जून 1946 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से प्राप्त की.

अरुणा रॉय ने सूचना का अधिकार कानून की पहल की, जो 2005 में अधिनियमित हुआ. इस कानून ने आम नागरिकों को सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को कम करने का एक सशक्त माध्यम प्रदान किया. उन्होंने 1990 में राजस्थान के देवडूंगरी गाँव में मजदूर किसान शक्ति संगठन की स्थापना की. इस संगठन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण मजदूरों और किसानों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें न्याय दिलाना है.

अरुणा रॉय ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC) में भी सेवाएँ दीं, जहाँ उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) जैसी योजनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने सामाजिक न्याय, महिला अधिकारों और शिक्षा के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. उन्होंने हमेशा सामाजिक समानता और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष किया है.

अरुणा रॉय को उनके सामाजिक कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें 2000 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 2010 में लखनऊ एक्सीलेंस अवार्ड शामिल हैं. अरुणा रॉय की सक्रियता और उनके योगदान ने भारतीय समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं. उनका काम आज भी सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों को प्रेरित करता है.

==========  =========  ===========

पहलवान सुशील कुमार

सुशील कुमार एक भारतीय पहलवान हैं, जिन्होंने देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान दिलाए हैं. उनका जन्म 26 मई 1983 को दिल्ली के नजफगढ़ क्षेत्र में हुआ था. सुशील कुमार ने कुश्ती के क्षेत्र में अपने अद्वितीय प्रदर्शन से भारत का नाम रोशन किया है.

सुशील कुमार का पालन-पोषण एक कुश्ती परिवार में हुआ, और उनके चाचा महाबली सतपाल सिंह ने उनके कोच के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली के प्रगति पब्लिक स्कूल और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की. सुशील कुमार ने न केवल अपनी खेल प्रतिभा से देश को गौरवान्वित किया है, बल्कि वे युवा पहलवानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बने. उनका समर्पण, मेहनत और उत्कृष्टता की कहानी आज भी हर भारतीय को गर्व महसूस कराती है.

उपलब्धियाँ: –

2008 बीजिंग ओलंपिक: -सुशील कुमार ने 66 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीता.

2012 लंदन ओलंपिक: – सुशील ने 66 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में रजत पदक जीता, जिससे वे दो ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान बने.

2010: सुशील कुमार ने मॉस्को में आयोजित विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता.

2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स: – उन्होंने 66 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता.

2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स: – उन्होंने 74 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता.

2006 और 2010: – सुशील ने एशियाई खेलों में पदक जीते, जिसमें 2010 में रजत पदक और 2006 में कांस्य पदक शामिल हैं.

सुशील कुमार को 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें  2005 में अर्जुन पुरस्कार से  भी सम्मानित किया गया.

==========  =========  ===========

तमिल अभिनेत्री मनोरमा

मनोरमा जिनका वास्तविक नाम गोपालीवलु मारागथम था, एक प्रसिद्ध तमिल अभिनेत्री थीं. उनका जन्म 26 मई 1937 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में हुआ था और 10 अक्टूबर 2015 को उनका निधन हो गया. उन्हें “आच्ची” के नाम से भी जाना जाता था और वे तमिल सिनेमा में अपने अद्वितीय हास्य अभिनय और विविध भूमिकाओं के लिए प्रसिद्ध थीं.

मनोरमा ने अपने कैरियर की शुरुआत स्टेज परफॉर्मेंस से की थी और बाद में फिल्मों में आईं. उन्होंने तमिल सिनेमा के अलावा तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में भी काम किया. उनका फिल्मी कैरियर पांच दशकों से अधिक समय तक चला, जिसमें उन्होंने 1,500 से अधिक फिल्मों में काम किया. यह एक विश्व रिकॉर्ड है. उन्होंने विभिन्न प्रकार की भूमिकाएँ निभाईं, जिनमें हास्य, चरित्र भूमिकाएँ और नकारात्मक भूमिकाएँ शामिल थीं. उनके उत्कृष्ट अभिनय के लिए वे बहुत प्रसिद्ध थीं.

 फिल्में:

मनोरमा ने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया, जिनमें “थिल्लाना मोहनम्बल,” “गौरवम,” “चिन्ज़या कोट्टा,” “अनबे वाज्काई,” और “आदुथा वारिसु” जैसी फिल्में शामिल हैं. उन्होंने एम. जी. रामचंद्रन, शिवाजी गणेशन, कमल हासन, और रजनीकांत जैसे प्रमुख अभिनेताओं के साथ काम किया.

मनोरमा का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था और उन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने कैरियर को सफल बनाया. उन्होंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन हमेशा अपने पेशे के प्रति समर्पित रहीं.

मनोरमा की हास्य और चरित्र भूमिकाएँ आज भी दर्शकों को हंसाने और प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं. उनकी फिल्मों और उनके अभिनय की विविधता ने उन्हें तमिल सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है.

मनोरमा का योगदान भारतीय सिनेमा में अद्वितीय है और उनकी अद्वितीय अभिनय शैली और करिश्माई व्यक्तित्व के कारण वे हमेशा याद की जाएंगी.

मनोरमा को तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार, कलाईमामणि पुरस्कार और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले.2002 में, उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

==========  =========  ===========

पुलिस महानिदेशक के. पी. एस. गिल

के. पी. एस. गिल (कंवर पाल सिंह गिल) एक प्रसिद्ध भारतीय पुलिस अधिकारी थे, जिन्हें पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ उनकी कठोर और प्रभावी कार्यवाही के लिए जाना जाता है. उनका जन्म 1934 में पंजाब के लुधियाना जिले में हुआ था और उनका निधन 26 मई 2017 को हुआ.

के. पी. एस. गिल 1958 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में शामिल हुए. उन्होंने असम, मेघालय और पंजाब जैसे विभिन्न राज्यों में अपनी सेवाएँ दीं. गिल ने 1980 – 90 के दशक में पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने पंजाब के पुलिस महानिदेशक (DGP) के रूप में सेवा की और ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद पंजाब में उग्रवाद को कुचलने में अहम भूमिका निभाई. उनकी कठोर नीतियों और रणनीतियों के कारण पंजाब में आतंकवाद पर काबू पाया गया, जिससे राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल हो सकी.

गिल को उनकी सेवाओं के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें पद्म श्री भी शामिल है. उन्हें आतंकवाद विरोधी अभियानों में उनकी नीतियों और नेतृत्व के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली.

सेवानिवृत्ति के बाद, के. पी. एस. गिल ने विभिन्न विषयों पर लेख लिखे और आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा पर अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने कई सम्मेलनों और सेमिनारों में भी भाग लिया, जहाँ उन्होंने आतंकवाद से निपटने के अपने अनुभवों और दृष्टिकोण पर बात की.

गिल की कठोर नीतियों और कार्यशैली के कारण उन्हें कभी-कभी आलोचना का सामना भी करना पड़ा. उनके कार्यकाल के दौरान मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप भी लगे. इसके बावजूद, उनके समर्थकों का मानना था कि उनकी रणनीतियाँ आतंकवाद पर काबू पाने में प्रभावी साबित हुईं.

के. पी. एस. गिल का नाम भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पुलिस अधिकारी के रूप में दर्ज है, जिन्होंने कठिन समय में पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक भूमिका निभाई. उनके नेतृत्व और रणनीतियों ने पुलिस बलों को आतंकवाद से निपटने के नए तरीके सिखाए और उन्हें एक अनुकरणीय नेता के रूप में स्थापित किया.

के. पी. एस. गिल की सेवाएँ और उनके द्वारा की गई पहल आज भी सुरक्षा बलों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और उनका योगदान भारतीय सुरक्षा के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है.

5/5 - (4 votes)
:

Related Articles

Check Also
Close
Back to top button