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व्यक्ति विशेष

भाग - 121.

कलाकार ज़ोहरा सहगल

ज़ोहरा सहगल एक प्रतिष्ठित भारतीय अभिनेत्री और नृत्यांगना थीं, जिन्होंने अपने लंबे कैरियर में थिएटर, फिल्म और टेलीविजन में काम किया. ज़ोहरा सहगल  का जन्म  27 अप्रैल 1912 को उत्तर प्रदेश में रामर के रोहिल्ला पठान परिवार में हुआ था और उनकी मृत्यु 10 जुलाई, 2014 को हुई थी. उन्होंने अपनी कलात्मक यात्रा नृत्य से शुरू की. ज़ोहरा ने उदय शंकर की डांस ट्रूप में प्रशिक्षण लिया और बाद में अभिनय की ओर रुख किया.

उन्होंने भारत और ब्रिटेन दोनों में काम किया, जहाँ उन्होंने फिल्मों और टेलीविजन में अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज की. ज़ोहरा सहगल ने अपने विशिष्ट चरित्र और जीवंतता के साथ दर्शकों का दिल जीता. उनके प्रमुख फिल्मी कामों में ‘भाजी ऑन द बीच’, ‘द मिस्टीक मसूर’, ‘दिल से’, और ‘चीनी कम’ शामिल हैं. ज़ोहरा सहगल को उनकी असाधारण अभिनय क्षमता और जीवन के प्रति उनके सकारात्मक दृष्टिकोण के लिए याद किया जाता है.

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स्वतन्त्रता सेनानी मनीभाई देसाई

मनीभाई देसाई एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेवक थे. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और बाद में स्वतंत्र भारत में सामाजिक उन्नयन और ग्रामीण विकास के प्रयासों में भी अग्रणी भूमिका निभाई.

मनीभाई देसाई का जन्म गुजरात में हुआ था, और उन्होंने गांधीजी के नेतृत्व में आयोजित विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया. वे खादी और ग्रामोद्योग के प्रमोटर थे, जो स्वदेशी के आदर्शों को बढ़ावा देने में लगे रहे.

स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने ग्रामीण विकास पर विशेष जोर दिया और कई विकासात्मक परियोजनाओं की स्थापना की, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि में सुधार शामिल हैं. मनीभाई देसाई की विरासत भारत में ग्रामीण विकास और समुदाय निर्माण में उनके अथक प्रयासों में देखी जा सकती है.

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स्वामी विश्वेशतीर्थ

स्वामी विश्वेशतीर्थ एक प्रमुख हिन्दू संत और धार्मिक नेता थे, जिन्होंने उडुपी के पेजावर मठ के पीठाधिपति के रूप में सेवा की. वे विशेष रूप से मध्वाचार्य की द्वैत वेदांत दर्शन के अनुयायी थे. उनका जन्म 27 अप्रैल, 1931 को कर्नाटक के रामाकुंज में एक शिवाली मध्व ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनका वास्तविक नाम वेंकटरामा था. स्वामी विश्वेशतीर्थ ने महज सात वर्ष की उम्र में संन्यास धारण किया था. इनकी शिक्षा श्री भंडारकेरी मठ और पलिमारु मठ के गुरु श्री विद्यामान्या तीर्थ से ली थी.

भारत में उन्होंने कई धार्मिक स्थलों पर ऐसे मठों का निर्माण किया. अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन से लेकर गौ संरक्षण के मुद्दों को भी स्वामी ने जमकर समर्थन किया था. पीएम मोदी के अध्यात्मिक गुरु माने जाते हैं स्वामी विश्वेशतीर्थ. उन्होंने धार्मिक शिक्षा, समाज सेवा और हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार में बड़ा योगदान दिया.

उन्होंने विभिन्न धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर अपनी विचारशीलता और सक्रियता के माध्यम से पहचान बनाई. वे आध्यात्मिक उत्थान के साथ-साथ सामाजिक न्याय और समरसता के लिए भी प्रयासरत रहे. स्वामी विश्वेशतीर्थ का निधन 2019 में हुआ, लेकिन उनकी शिक्षाएँ और उनके द्वारा किए गए कार्य समाज में आज भी प्रेरणा के स्रोत हैं.

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अभिनेता विनोद खन्ना

विनोद खन्ना एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता थे जिन्होंने 1970 – 80 के दशक में बॉलीवुड में अपना एक विशेष स्थान बनाया. उन्हें उनके आकर्षक व्यक्तित्व और शक्तिशाली अभिनय कौशल के लिए जाना जाता है. विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर, 1946 में पेशावर, पाकिस्तान में हुआ था और उनकी मृत्यु  27 अप्रैल, 2017 को हुआ था.

विनोद खन्ना ने अपने कैरियर की शुरुआत 1968 में फिल्म “मन का मीत” से की थी. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया जैसे कि “मेरे अपने”, “मेरा गांव मेरा देश”, “इम्तिहान”, और “अमर अकबर एंथोनी”.

विनोद खन्ना ने न केवल नायक के रूप में बल्कि कई फिल्मों में खलनायक के रूप में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. उन्होंने अपने अभिनय कैरियर के चरम पर आध्यात्मिकता की ओर रुख किया और कुछ समय के लिए फिल्म जगत से दूर रहे. बाद में उन्होंने फिल्मों में वापसी की और कई और सफल फिल्में दीं. विनोद खन्ना ने राजनीति में भी अपना कैरियर बनाया और भारतीय जनता पार्टी  के सदस्य के रूप में चार बार सांसद भी रहे.

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निर्माता-निर्देशक फ़िरोज़ ख़ान

फ़िरोज़ ख़ान एक भारतीय अभिनेता, निर्माता, और निर्देशक थे, जिन्होंने बॉलीवुड में अपने ग्लैमरस और स्टाइलिश सिनेमा के लिए खास पहचान बनाई. फ़िरोज़ का जन्म 25 सितंबर1939 में बैंगलोर में हुआ था और उनकी मृत्यु 27 अप्रैल 2009 को हुई थी. फ़िरोज़ ख़ान ने अपने कैरियर की शुरुआत 1960 के दशक में की और जल्दी ही अपने आकर्षक व्यक्तित्व और ठोस अभिनय कौशल के लिए प्रसिद्ध हो गए.

उनकी प्रमुख फिल्मों में “धर्मात्मा”, “कुर्बानी”, और “जानबाज़” शामिल हैं। खासकर “कुर्बानी” (1980) ने उन्हें बहुत बड़ी सफलता दिलाई, जिसमें उन्होंने न केवल अभिनय किया बल्कि उसे प्रोड्यूस और डायरेक्ट भी किया. इस फिल्म का संगीत बहुत लोकप्रिय हुआ और यह उस समय की सबसे हिट फिल्मों में से एक बनी.

फ़िरोज़ ख़ान की फिल्में उनके विशिष्ट स्टाइल और अंतर्राष्ट्रीय लुक के लिए जानी जाती थीं. वह अपने फिल्मों में ग्लैमर, एक्शन और रोमांस का बेजोड़ मिश्रण प्रस्तुत करने में माहिर थे, जो उस समय के हिंदी सिनेमा में एक नया ट्रेंड साबित हुआ. उनके निधन से पहले, उन्होंने फिल्म जगत में अपने अनूठे योगदान के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए.

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