साहित्यकार गोपीनाथ मोहंती
गोपीनाथ मोहंती एक भारतीय लेखक थे जिन्होंने मुख्य रूप से ओडिया भाषा में साहित्य सृजन किया. उनका जन्म 1914 में हुआ था और उनका निधन 1991 में हुआ था. मोहंती को उनके गहन और यथार्थपरक लेखन शैली के लिए जाना जाता है, जिसमें उन्होंने ओडिशा के ग्रामीण और आदिवासी समाज के जीवन को बहुत ही सूक्ष्मता से चित्रित किया है.
उनकी प्रसिद्ध कृतियों में ‘पराजा’ और ‘अमृतर संतान’ शामिल हैं. ‘पराजा’ उनकी सबसे चर्चित कृति है, जिसमें उन्होंने ओडिशा के ग्रामीण जीवन और सामाजिक ढांचे की गहराई में जाकर वर्णन किया है. उनके लेखन में पात्रों की मानवीय संवेदनाओं का बहुत ही बारीकी से चित्रण किया गया है, और उनकी कहानियां अक्सर समाज के उन पहलुओं को उजागर करती हैं जो अन्यथा अदृश्य रह जाते हैं.
गोपीनाथ मोहंती को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें साहित्य अकादमी पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार भी शामिल हैं. उनका कार्य न केवल ओडिया साहित्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय साहित्य के विशाल कैनवास में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
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भजन गायिका जुथिका रॉय
जुथिका रॉय भारतीय भजन गायिका थीं, जिन्हें 1940 – 50 के दशक में उनके भक्ति संगीत के लिए विशेष रूप से पहचाना जाता था. वे 1920 में जन्मीं और 2014 में उनका निधन हुआ था. जुथिका रॉय को अक्सर ‘भजन साम्राज्ञी’ के रूप में जाना जाता है, और उन्होंने भारतीय संगीत की एक विशिष्ट शैली को बढ़ावा दिया जो आध्यात्मिकता और भक्ति पर केंद्रित थी.
उनके गायन की खासियत उनकी सरल और आत्मीय शैली में थी, जिसने उनके श्रोताओं को गहराई से छू लिया. उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में भी गीत गाए और उनके भजनों को बड़ी मात्रा में सराहा गया. जुथिका रॉय की आवाज में एक खास किस्म की मिठास थी, जिसने उन्हें उस समय के अन्य गायकों से अलग किया.
उन्होंने विशेष रूप से मीरा बाई के भजनों को गाया, जिससे उनकी लोकप्रियता में और भी इजाफा हुआ. जुथिका रॉय की गायकी ने उन्हें भारतीय भजन संगीत के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया और उन्हें कई सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा गया. उनकी गायकी का जादू आज भी उनके भजनों के माध्यम से जीवित है, जो उन्हें सुनने वालों के दिलों में गहराई तक उतर जाता है.
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लेखक चन्द्रबली सिंह
चन्द्रबली सिंह एक हिन्दी साहित्यकार हैं जिन्होंने विशेष रूप से कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से अपनी पहचान बनाई है. उनकी रचनाएं अक्सर सामाजिक मुद्दों और ग्रामीण जीवन के चित्रण पर केंद्रित होती हैं. चन्द्रबली सिंह की रचनाएं अक्सर समाज के उन पहलुओं को उजागर करती हैं जो सामान्यतः उपेक्षित रह जाते हैं, जैसे कि गांवों में रहने वाले लोगों की समस्याएं और उनकी सांस्कृतिक जीवनशैली.
उनके कुछ प्रसिद्ध कार्यों में, उनके कहानी संग्रह और उपन्यास शामिल हैं जिनमें उन्होंने विभिन्न पात्रों के माध्यम से व्यापक सामाजिक और मानवीय मुद्दों को संबोधित किया है. उनके लेखन में भाषा की सरलता और सहजता देखी जा सकती है, जो पाठकों को आसानी से अपनी ओर आकर्षित करती है.
उनके योगदान के लिए उन्हें साहित्यिक समुदाय में पहचान और सम्मान प्राप्त है, और उनकी रचनाएँ न केवल साहित्य प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं, बल्कि आलोचकों द्वारा भी सराही गई हैं. चन्द्रबली सिंह का जन्म 20 अप्रैल 1924 को ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था और उनकी मृत्यु 23 मई, 2011 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था.
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सांसद करिया मुंडा
करिया मुंडा एक अनुभवी भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने झारखंड के खूंटी निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय संसद के लोकसभा सदस्य के रूप में कई बार सेवा की है. वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और उन्हें अपने क्षेत्र में व्यापक लोकप्रियता और समर्थन प्राप्त है. करिया मुंडा का जन्म 20 अप्रैल 1936 को हुआ था.
करिया मुंडा की राजनीतिक यात्रा काफी प्रेरणादायक है. उन्होंने 1977 में अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता और तब से उन्होंने कई बार इस पद पर कार्य किया है. उन्हें विशेष रूप से आदिवासी समुदायों और ग्रामीण विकास के प्रति उनकी समर्पण भावना के लिए जाना जाता है.
करिया मुंडा ने 15वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया, जो उनके लंबे और सम्मानित राजनीतिक कैरियर की महत्वपूर्ण उपलब्धि है. उनकी विशेषता उनकी विनम्रता और उनके क्षेत्र के लोगों के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता में निहित है.
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अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रेम शंकर गोयल
प्रेम शंकर गोयल एक प्रतिष्ठित भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में अपनी सेवाएं दी हैं. उन्होंने विशेष रूप से उपग्रह संचार तकनीकी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं में बड़ा सुधार हुआ है.
गोयल की प्रमुख उपलब्धियों में से एक उनका भारत के पहले संचार उपग्रह, इंसैट सीरीज के विकास में योगदान है. इस प्रोजेक्ट के तहत विकसित उपग्रहों ने देश में टेलीकम्युनिकेशन, टेलीविजन प्रसारण, मौसम विज्ञान और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई है.
उन्होंने अपने कैरियर के दौरान विभिन्न पदों पर कार्य किया है और उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स को सफलता प्राप्त हुई है. गोयल ने न केवल तकनीकी विकास में योगदान दिया है, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय योगदान को वैश्विक मानचित्र पर उजागर करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उनका कार्य और नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष मिशनों के विकास के लिए एक मजबूत आधार स्थापित करने में मददगार साबित हुआ है.
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राजनीतिज्ञ चंद्रबाबू नायडू
चंद्रबाबू नायडू एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो विशेष रूप से आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं. वे तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष हैं और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कई बार सेवा कर चुके हैं. नायडू का जन्म 20 अप्रैल 1950 को हुआ था, और उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1970 के दशक में की थी.
चंद्रबाबू नायडू को उनकी प्रशासनिक कुशलता और आधुनिकीकरण के प्रयासों के लिए व्यापक रूप से पहचाना जाता है. उन्हें “हाईटेक बाबू” के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने आंध्र प्रदेश को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और बायोटेक्नोलॉजी के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं. उनके नेतृत्व में हैदराबाद को वैश्विक IT हब के रूप में विकसित किया गया और इसने शहर की अंतरराष्ट्रीय पहचान को मजबूती प्रदान की.
चंद्रबाबू नायडू की राजनीतिक यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन उन्होंने आंध्र प्रदेश के विकास और सुधार के लिए अपनी प्रतिबद्धता को हमेशा प्रमुखता दी है. उनके कार्यकाल में विकासात्मक परियोजनाएँ, शिक्षा के सुधार, और कृषि और जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की गईं हैं. उनके नेतृत्व में आंध्र प्रदेश ने आर्थिक विकास और तकनीकी उन्नति की नई ऊँचाइयों को छुआ है.
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राजनीतिज्ञ मुकुल संगमा
मुकुल संगमा एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो मेघालय के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख व्यक्तित्व हैं. वे इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य रहे हैं और मेघालय के मुख्यमंत्री के रूप में 2010 – 18 तक सेवा की है. मुकुल संगमा का जन्म 20 अप्रैल 1965 को हुआ था.
मुकुल संगमा ने अपने नेतृत्व में मेघालय के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं. उनका कार्यकाल विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सुधारों के लिए जाना जाता है. उन्होंने मेघालय में पर्यटन को बढ़ावा देने और राज्य की प्राकृतिक सुंदरता को उजागर करने के लिए भी कई पहल की हैं.
मुकुल संगमा को उनके समर्पित और परिश्रमी कार्य शैली के लिए सराहा गया है. उन्होंने मेघालय में सामाजिक समरसता और समाज के सभी वर्गों के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए भी प्रयास किए हैं. उनके कार्यकाल में मेघालय ने कई विकासात्मक चुनौतियों का सामना किया और उन्हें सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए.
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अभिनेत्री ममता कुलकर्णी
ममता कुलकर्णी एक पूर्व भारतीय अभिनेत्री हैं जिन्होंने 1990 के दशक में हिन्दी फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत 1992 में फिल्म “तिरंगा” से की थी, लेकिन उन्हें व्यापक पहचान 1993 में फिल्म “आशिक आवारा” से मिली, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ नई अभिनेत्री का पुरस्कार भी मिला.
ममता कुलकर्णी ने विभिन्न शैलियों की फिल्मों में काम किया, जिसमें एक्शन, कॉमेडी, और रोमांटिक फिल्में शामिल हैं. उन्होंने “करण अर्जुन”, “सबसे बड़ा खिलाड़ी”, और “बाजी” जैसी हिट फिल्मों में अभिनय किया. ममता कुलकर्णी की अभिनय क्षमता और स्क्रीन पर उनकी उपस्थिति ने उन्हें 90 के दशक की लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक बना दिया.
हालांकि, उनका कैरियर 2000 के दशक के शुरुआती वर्षों में अचानक धीमा पड़ गया और फिर वे फिल्म उद्योग से दूर हो गईं. इसके बाद, ममता कुलकर्णी विवादों में भी घिरी रहीं, जिसमें ड्रग्स से संबंधित मामले भी शामिल थे. फिल्मी कैरियर से दूरी बनाने के बाद, उन्होंने धार्मिक जीवन की ओर रुख किया और वर्तमान में वे सार्वजनिक जीवन से दूर रह रही हैं.
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इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ओझा
गौरीशंकर हीराचंद ओझा एक प्रसिद्ध भारतीय इतिहासकार थे, जिन्होंने मुख्य रूप से राजस्थान के इतिहास पर काम किया था. उनका जन्म 1863 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1947 में हुई थी. ओझा ने राजस्थानी और संस्कृत भाषाओं में महत्वपूर्ण शोध किया और कई पुस्तकें और लेख लिखे जो आज भी भारतीय इतिहास के अध्ययन में महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
उनके कार्यों में राजपूताने का इतिहास, ऐतिहासिक लेख और विभिन्न राजवंशों पर उनके विस्तृत अध्ययन शामिल हैं. उन्होंने भारतीय पुरातत्व और इतिहास लेखन में एक गहरा योगदान दिया।
उनका काम आज भी उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है जो राजस्थान के इतिहास और संस्कृति को समझने की कोशिश करते हैं.
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बाँसुरी वादक पन्नालाल घोष
पन्नालाल घोष जिन्हें अमल ज्योति घोष भी कहा जाता है, भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक महत्वपूर्ण बाँसुरी वादक थे. उनका जन्म 24 जुलाई 1911 को बारिसाल, बांग्लादेश (उस समय ब्रिटिश भारत) में हुआ था और उनकी मृत्यु 20 अप्रैल 1960 को हुई थी. पन्नालाल घोष ने बाँसुरी को एक प्रमुख शास्त्रीय संगीत वाद्य यंत्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उन्होंने बाँसुरी के डिजाइन और तकनीक में कई नवाचार किए, जिसमें वाद्य यंत्र की लंबाई और छेदों की संख्या बढ़ाना शामिल है ताकि उसमें और अधिक स्वराज्य प्राप्त किया जा सके. उनके इन नवाचारों ने बाँसुरी की स्वर गुणवत्ता और वर्सेटिलिटी को बढ़ाया.
पन्नालाल घोष ने अनेक ख्याति प्राप्त रचनाएँ भी कीं और उन्होंने शास्त्रीय संगीत के कई प्रमुख कलाकारों के साथ सहयोग किया. उनकी संगीत यात्रा और योगदान आज भी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत है.
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गीतकार और शायर शकील बदायूँनी
शकील बदायूँनी जिनका पूरा नाम शकील अहमद शीराजी था. वो एक प्रसिद्ध भारतीय गीतकार और शायर थे. उनका जन्म 3 अगस्त 1916 को बदायूँ, उत्तर प्रदेश में हुआ था और उनकी मृत्यु 20 अप्रैल 1970 को हुई. शकील बदायूँनी खास तौर पर बॉलीवुड फिल्मों के लिए अपने गीत लिखने के लिए प्रसिद्ध हुए और उन्होंने अपने करियर में कई यादगार गीत दिए.
शकील बदायूँनी ने नौशाद, रवि, और खैय्याम जैसे संगीतकारों के साथ मिलकर काम किया और उनके गीतों ने बहुत लोकप्रियता हासिल की. उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध गीतों में “चौदवीं का चाँद हो”, “मेरा साया साथ होगा”, और “ओ दुनिया के रखवाले” शामिल हैं. उनकी शायरी में गहरी भावनाएँ और रूमानियत भरी होती थी, जो उनके गीतों को विशेष बनाती थी.
शकील बदायूँनी ने फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते थे और उनकी शायरी और गीतों ने उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित गीतकारों में से एक के रूप में स्थान दिलाया. उनका काम आज भी संगीत प्रेमियों और शायरी के चाहने वालों के बीच काफी प्रशंसित है.
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कोमल कोठारी
कोमल कोठारी एक प्रमुख भारतीय लोक विद्वान् और शोधकर्ता थे, जिन्होंने राजस्थान की लोक संस्कृति, इतिहास, और संगीत पर गहन अध्ययन किया। उनका जन्म 1929 में जोधपुर, राजस्थान में हुआ था और उनकी मृत्यु 2004 में हुई. कोठारी ने विशेष रूप से राजस्थानी लोक संगीत, नृत्य, लोक कथाओं और परंपराओं पर केंद्रित अपने काम के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की.
उन्होंने राजस्थान की लोक कलाओं का दस्तावेजीकरण किया और इस क्षेत्र के कलाकारों को पहचान और मंच प्रदान करने का काम किया। कोठारी के शोध ने न केवल भारतीय लोक संगीत को समझने में मदद की, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि इन परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाया जा सके. उनका काम अब भी राजस्थानी संस्कृति के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता है.
कोमल कोठारी को उनकी अद्वितीय योगदान के लिए कई सम्मानों से नवाज़ा गया, जिसमें पद्म श्री भी शामिल है. वे राजस्थानी लोक संगीत और संस्कृति के एक अग्रदूत माने जाते हैं.
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इतिहासकार बाबूलाल गोवर्धन जोशी
बाबूलाल गोवर्धन जोशी एक भारतीय इतिहासकार थे, जिन्होंने भारतीय इतिहास और पुरातत्व पर कई महत्वपूर्ण शोध किए. उनका काम मुख्य रूप से भारतीय समाज और संस्कृति के विकास पर केंद्रित था. जोशी ने विशेष रूप से धार्मिक इतिहास और पुराणों के अध्ययन में गहरी रुचि दिखाई, जिससे उन्होंने भारतीय पुरातनता की विभिन्न परतों को उजागर किया.
उनके शोध कार्यों में अक्सर ऐतिहासिक ग्रंथों, पुरातात्विक स्थलों और धार्मिक रीति-रिवाजों के विस्तृत विश्लेषण शामिल होते थे. जोशी के योगदान ने भारतीय इतिहास के अध्ययन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में मदद की और उन्होंने इस क्षेत्र में कई युवा शोधकर्ताओं को प्रेरित और मार्गदर्शन किया.
बाबूलाल गोवर्धन जोशी का नाम उन इतिहासकारों में गिना जाता है जिन्होंने न केवल इतिहास के पाठ्य-पुस्तकों में योगदान दिया, बल्कि लोकप्रिय संस्कृति में भी इतिहास के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.