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व्यक्ति विशेष

भाग – 404.

स्वतंत्रता सेनानी एम. . अय्यंगार

मुदुरै आंदवान अय्यंगार एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दिया और भारत की स्वतंत्रता के बाद, वे लोकसभा के सदस्य भी बने. उनकी राजनीतिक और सामाजिक योगदानों को भारतीय इतिहास में सराहा गया है.

अय्यंगार का जन्म 4 फ़रवरी, 1891 को आंध्र प्रदेश की आध्यात्मिक नगरी तिरुपति के निकट तिरुचाणुर में हुआ था. देवस्थानम हाई स्कूल, तिरूपति में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के पश्चात् अय्यंगार उच्च शिक्षा के लिए मद्रास चले गए. अय्यंगार ने अपना जीवन गणित के अध्यापक के रूप में वर्ष 1912 में आरंभ किया.

अय्यंगार बहुत छोटी उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे. वे अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व कर रही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अपने गृह राज्य के प्रमुख नेताओं में से एक थे. गांधी जी द्वारा अंग्रेज़ी के प्रति “असहयोग” के लिए किए गए आह्वान के प्रत्युत्तर में अय्यंगार ने वर्ष 1921-22 के दौरान एक वर्ष के लिए अपना क़ानूनी अभ्यास भी बंद कर दिया.

वर्ष 1940 और 1944 के बीच, अय्यंगार को पहले “व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन” में और बाद में 1942 के “भारत छोड़ो आंदोलन” में भाग लेने के लिए लगभग तीन वर्ष के लिए कारावास की सजा भोगनी पड़ी. अय्यंगार, आंध्र प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के अग्रणी नेताओं में से थे और स्वतंत्रता से पूर्व उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पदों पर काम किया. वर्ष 1946-47 के दौरान, वे संसद में कांग्रेस पार्टी के सचिव भी रहे. वर्ष 1950-52 के दौरान अय्यंगार अंतरिम संसद के उपाध्यक्ष बने रहे. जब अंतरिम संसद द्वारा 1950 में पहली बार ‘प्राक्कलन समिति’ का गठन किया गया तो, अय्यंगार इसके सभापति निर्वाचित किए गए. वर्ष 1952 में जब पहली लोक सभा का गठन हुआ तो अय्यंगार इसके उपाध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मति से निर्वाचित हुए.

एम. ए. अय्यंगार का निधन 19 मार्च, 1978 को हुआ था. वे विशेष रूप से तमिलनाडु के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में अधिक सक्रिय थे और उन्होंने वहाँ के लोगों के जीवन में कई सुधार लाने का प्रयास किया. उनका जीवन और कार्य आज भी भारतीय राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है.

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शास्त्रीय संगीतज्ञ पंडित भीमसेन जोशी

पंडित भीमसेन जोशी भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान गायक थे, जिन्हें खासतौर पर किराना घराने के प्रमुख गायक के रूप में जाना जाता है. उनकी गायकी में उत्कृष्टता, भावपूर्ण अभिव्यक्ति और अद्भुत स्वर साधना की झलक मिलती थी.

भीमसेन जोशी का जन्म 4 फ़रवरी 1922 को कर्नाटक के ‘गड़ग’ में हुआ था. उनके पिता ‘गुरुराज जोशी’ स्थानीय हाई स्कूल के हेडमास्टर और कन्नड़, अंग्रेज़ी और संस्कृत के विद्वान् थे. उनके चाचा जी.बी जोशी चर्चित नाटककार थे तथा उन्होंने धारवाड़ की मनोहर ग्रन्थमाला को प्रोत्साहित किया था. उनके दादा प्रसिद्ध कीर्तनकार थे.

भीमसेन जोशी को बचपन से ही संगीत में रुचि थी. उन्होंने गुरु सवाई गंधर्व से संगीत की शिक्षा ली, जो खुद किराना घराने के महान गायक थे. उनकी गायकी में तानों की रफ्तार, भावपूर्ण आलाप, और गहरी संप्रेषणीयता विशेष रूप से प्रसिद्ध थी. जोशी ने खयाल गायन में नए आयाम जोड़े और इसे एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया. उनके गाए हुए भजन और अभंग (मराठी संत कवियों के गीत) भी बेहद लोकप्रिय हुए.

पंडित भीमसेन जोशी ने संगीत के कई पहलुओं में अपने ज्ञान को साझा किया, और वे एक उत्कृष्ट विशेषज्ञ थे. उन्होंने विभिन्न संगीत सम्मलेनों में भाग लिया और अपनी संगीतिक प्रतिभा का प्रदर्शन किया. पंडित भीमसेन जोशी के कार्यक्षेत्र में विशेष प्रमुखता रखने वाले कुछ विशेष विषय हैं, जैसे कि रागवाद्य और पर्कुश वादन कला. उन्होंने संगीत के इन दो पहलुओं पर अपने अद्वितीय योगदान के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की.

प्रसिद्ध रचनाएँ: –

“मिले सुर मेरा तुम्हारा” (राष्ट्रीय एकता का प्रसिद्ध गीत),

“जो भजे हरि को सदा” (भजन),

“माझे माहेर पंढरी” (मराठी अभंग),

उनके राग मियां की तोड़ी, दरबारी कान्हड़ा, भीमपलासी, यमन, और पूरिया धनाश्री में गाए बंदिशें अत्यंत प्रसिद्ध हैं. पंडित भीमसेन जोशी को कई सम्मानों से सम्मानित किया गया जिनमें – भारतीय संगीत में उनके अतुलनीय योगदान के लिए  वर्ष 2008 में भारत रत्न, वर्ष 1999 में पद्म विभूषण, वर्ष 1985 में पद्म भूषण, वर्ष 1972 में पद्म श्री और वर्ष 1975 व 86  राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था.

पंडित भीमसेन जोशी का नाम भारतीय संगीत के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है, और उनके संगीतीय योगदान को सराहा जाता है.

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बिरजू महाराज

बिरजू महाराज भारतीय शास्त्रीय नृत्य के प्रमुख और प्रसिद्ध नृत्यकार और कलाविद् हैं. उनका पूरा नाम बृजमोहन नाथ मिश्रा था. वे भरतनाट्यम और कथक दोनों के क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठित करियर बनाने में सफल रहे हैं.

बिरजू महाराज का जन्म 04 फरवरी 1938 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने अपने जीवन के दौरान भारतीय नृत्य को गहरी समझाने और प्रमोट करने में महत्वपूर्ण योगदान किया. उनकी नृत्य प्रस्तुतियां और उनका आदृश्य नृत्य कौशल काव्यान्जलि, कथक, और भरतनाट्यम में अद्वितीय थे. बिरजू महाराज ने भारतीय नृत्य को विश्व स्तर पर प्रस्तुत किया और इसकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने नृत्य कला को एक उच्च शृंगारिक और आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया और भारतीय संस्कृति को प्रमोट किया. उन्होंने अपने नृत्य कला के माध्यम से भारतीय तात्त्विकता, भक्ति, और भावनाओं को व्यक्त किया और लोगों के दिलों में जगह बनाई.

बिरजू महाराज का नाम भारतीय नृत्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और प्रशंसित नाम है, और उनके योगदान को सराहा जाता है जो भारतीय संस्कृति को नृत्य के माध्यम से विश्व के साथ साझा किया. बिरजू महाराज का निधन 17 जनवरी 2022 को नई दिल्ली में हुआ था.

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अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर

उर्मिला मातोंडकर 90 के दशक की सबसे चर्चित और प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों में से एक हैं, जिन्हें उनके दमदार अभिनय, शानदार डांसिंग स्किल्स और गजब की स्क्रीन प्रेजेंस के लिए जाना जाता है. उन्होंने बॉलीवुड, मराठी, तेलुगु, तमिल और मलयालम फिल्मों में काम किया है.

उर्मिला मातोंडकर का जन्म 4 फ़रवरी 1974 को महाराष्ट्र में हुआ था. उर्मिला ने अपने कैरियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार वर्ष 1980 में मराठी फिल्म ‘Zaakol’ से की थी. लेकिन उन्हें पहचान मिली वर्ष 1983 की सुपरहिट फिल्म ‘मासूम’ से, जिसमें उन्होंने नसीरुद्दीन शाह और शबाना आज़मी के साथ काम किया.

उर्मिला को वर्ष 1995 में राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘रंगीला’ से जबरदस्त लोकप्रियता मिली. इस फिल्म में आमिर खान और जैकी श्रॉफ के साथ उनकी जोड़ी को खूब पसंद किया गया.

फिल्में: – रंगीला (1995),  जुदाई (1997),  सत्या (1998),  कौन? (1999),  पिंजर (2003) और  भूत (2003).

उर्मिला सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि बॉलीवुड की सर्वश्रेष्ठ डांसर्स में भी शामिल हैं. “रंगीला रे”, “छम्मा छम्मा”, “कहीं आग लगे”, और “तन्हा तन्हा” जैसे गाने आज भी फैंस के बीच लोकप्रिय हैं. उर्मिला मातोंडकर को कई सम्मानों से सम्मानित किया गया जिनमें: – फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवॉर्ड – ‘पिंजर’ (2003)

सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामांकन – ‘रंगीला’, ‘सत्या’, ‘भूत’

IIFA और स्टार स्क्रीन अवॉर्ड्स।

वर्ष 2019 में, उर्मिला मातोंडकर ने कांग्रेस पार्टी जॉइन की और उत्तर मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा. हालांकि, उन्होंने बाद में पार्टी छोड़ दी और वर्ष 2020 में शिवसेना में शामिल हो गईं. उर्मिला मातोंडकर ने अपने ग्लैमरस लुक, दमदार अभिनय और शानदार डांसिंग स्किल्स से बॉलीवुड में अपनी खास जगह बनाई. उनकी कई फिल्में आज भी क्लासिक मानी जाती हैं.

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अभिनेत्री पूजा कुमार

पूजा कुमार एक प्रतिभाशाली भारतीय-अमेरिकी अभिनेत्री, मॉडल और टीवी होस्ट हैं, जिन्होंने हॉलीवुड और भारतीय सिनेमा दोनों में काम किया है. वे विशेष रूप से कमल हासन की फिल्मों ‘विश्वरूपम’ (2013) और ‘विश्वरूपम 2’ (2018) में अपनी दमदार भूमिका के लिए जानी जाती हैं.

पूजा कुमार का जन्म 4 फरवरी 1977 को  सेंट लुइस, मिसौरी, अमेरिका में हुआ था. पूजा कुमार ने वर्ष 1995 में Miss India USA का खिताब जीता था, जिससे उन्हें मॉडलिंग और एक्टिंग में कई अवसर मिले. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत अमेरिकी फिल्मों और टीवी शो से की.

पूजा कुमार ने भारतीय फिल्मों में भी अपनी पहचान बनाई और खासकर कमल हासन के साथ उनकी फिल्मों में शानदार अभिनय किया.

फ़िल्में: – ‘कैडर’ (1999), ‘अनवर’ (2007), ‘विश्वरूपम’ (2013),  विश्वरूपम 2′ (2018),  ‘PSV गरुड़ वेगा’ (2017), ड्रामा’ (2018) ,  ‘Flavors’ (2003) – एक इंडो-अमेरिकन रोमांटिक ड्रामा,  ‘Hiding Divya’ (2006) – मानसिक स्वास्थ्य पर आधारित फिल्म, ‘The Child’ (2012) – एक हॉलीवुड फिल्म.

पूजा कुमार ने टीवी होस्ट और एंकर के रूप में भी काम किया है. ‘Bollywood Hero’ (2009) – अमेरिकन मिनी-सीरीज और IFC चैनल के लिए टीवी शो होस्टिंग. पूजा कुमार एक बहुमुखी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने भारतीय और अमेरिकी सिनेमा में शानदार काम किया है. खासतौर पर उनकी ‘विश्वरूपम’ फिल्म सीरीज़ में दमदार भूमिका ने उन्हें एक बड़ी पहचान दिलाई.

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वैज्ञानिक प्रोफेसर सत्येंद्रनाथ बोस

प्रोफेसर सत्येंद्रनाथ बोस भारत के महान भौतिक वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे, जिन्हें उनके द्वारा किए गए असाधारण शोध और “बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी” के विकास के लिए विश्वभर में याद किया जाता है. उनके नाम पर ही भौतिकी में “बोसॉन” नामक कण का नाम रखा गया. सत्येंद्रनाथ बोस ने विज्ञान के क्षेत्र में भारत को गर्व और पहचान दिलाई.

सत्येंद्रनाथ बोस का जन्म 01 जनवरी 1894 को कलकत्ता (अब कोलकाता), पश्चिम बंगाल में हुआ था. वे शुरू से ही एक मेधावी छात्र थे और गणित और विज्ञान में गहरी रुचि रखते थे.उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज और कोलकाता विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की और गणित में प्रथम श्रेणी में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की.

सत्येंद्रनाथ बोस ने भौतिकी में महत्वपूर्ण शोध किए. उन्होंने वर्ष 1924 में “प्लैंक का विकिरण सिद्धांत” पर एक शोधपत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कणों की सांख्यिकीय गणना का नया तरीका प्रस्तुत किया. उनके शोधपत्र को अल्बर्ट आइंस्टीन ने पढ़ा और इसकी बहुत प्रशंसा की. आइंस्टीन ने इसे आगे बढ़ाया और इसे “बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी” के रूप में विकसित किया. उनके इस शोध ने क्वांटम मैकेनिक्स के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सत्येंद्रनाथ बोस ने परमाणु कणों के व्यवहार को समझाने के लिए सांख्यिकीय सिद्धांत विकसित किया. उनके योगदान के आधार पर उन कणों को “बोसॉन” नाम दिया गया जो इस सांख्यिकी का पालन करते हैं. “बोस-आइंस्टीन कंडेंसेशन” की खोज, जो पदार्थ की पांचवी अवस्था को दर्शाता है, उन्हीं के शोध से प्रेरित है. बोस ने क्वांटम यांत्रिकी और सांख्यिकी को एक नई दिशा दी. उन्होंने कई वर्षों तक ढाका विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया. सत्येंद्रनाथ बोस को गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान, संगीत, साहित्य और भाषा विज्ञान में गहरी रुचि थी.

सत्येंद्रनाथ बोस को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1954 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. भले ही उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं मिला, लेकिन उनके कार्यों की प्रशंसा आज भी वैज्ञानिक जगत में होती है. उनके सम्मान में “बोसॉन” और “बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी” उनके योगदान का प्रतीक बने हुए हैं.

प्रोफेसर सत्येंद्रनाथ बोस का निधन 4 फरवरी 1974 को हुआ था. उनका जीवन विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान के प्रति समर्पण का आदर्श उदाहरण है. सत्येंद्रनाथ बोस ने भारतीय विज्ञान और विश्व वैज्ञानिक समुदाय में जो स्थान बनाया, वह अमूल्य है. उनका योगदान भौतिकी और गणित में नई दिशाओं का उद्घाटन करने वाला था. आज भी उनकी खोजों और सिद्धांतों का अध्ययन और अनुसंधान किया जाता है.

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दौलत सिंह कोठारी

दौलत सिंह कोठारी एक प्रमुख भारतीय गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अपने योगदान के लिए विख्यातता प्राप्त की. उनका जन्म 06 जुलाई 1906 को हुआ था, और उन्होंने गणित और विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया.

दौलत सिंह कोठारी का अध्ययन मुख्य रूप से गणित के क्षेत्र में था, और उन्होंने अलग-अलग गणितिक समस्याओं का अध्ययन किया, विशेषकर बदलावशी अक्षरगणित (Matroid Theory) के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने गणित के कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों को विकसित किया और समझाया, और उनके काम का महत्व गणितीय संगठन की अध्ययन के लिए हुआ.

दौलत सिंह कोठारी ने अपने जीवनकाल में भारतीय गणित समुदाय को एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक के रूप में सेवा की, और उन्होंने भारतीय विज्ञान समुदाय को गणित और विज्ञान में उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया. उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण पद भी भारत सरकार और अन्य संगठनों में भरे. उनका निधन 04 फ़रवरी 1993 को हुआ, लेकिन उनके योगदान का प्रभाव आज भी महत्वपूर्ण है.

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अभिनेता भगवान दादा

अभिनेता भगवान दादा का नाम भारतीय सिनेमा के प्रमुख अभिनेता और निर्माता-निर्देशक के रूप में जाना जाता है. भगवान दादा का वास्तविक नाम ‘भगवान आभाजी पालव’ था.

 भगवान दादा का जन्म  01  अगस्त, 1913 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मूक फ़िल्म ‘बेवफा आशिक’ में एक कॉमेडियन की भूमिका से शुरू की थी.

फ़िल्में: –  बेवफा आशिक, दोस्ती, तुम्हारी कसम, शौकीन, मतलबी, लालच, मतवाले, बदला और अलबेला

निर्देशित फ़िल्में: – हिम्मत-ए-मर्दां, दोस्ती, जालान, क्रिमिनल, भेदी बंगला, झमेला और लाबेला.

हिन्दी फ़िल्मों में नृत्य की एक विशेष शैली की शुरूआत करने वाले भगवान दादा ऐसे ‘अलबेला’ सितारे थे, जिनसे महानायक अमिताभ बच्चन सहित आज की पीढ़ी तक के कई कलाकार प्रभावित और प्रेरित हुए. भगवान दादा का निधन 4 फ़रवरी 2002 को मुंबई में हुआ था.

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पार्श्वगायिका वाणी जयराम

पार्श्वगायिका वाणी जयराम भारतीय वादकी और भारतीय शास्त्रीय संगीतकार थीं, जिन्होंने क्लासिकल हिंदी संगीत में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया. वाणी जयराम का जन्म 30 नवंबर 1945 को हुआ था और उन्होंने अपने संगीत कैरियर की शुरुआत बचपन में ही की थी.

वाणी जयराम ने भारतीय संगीत के कई प्रमुख घरानों से शिक्षा प्राप्त की, और वे एक प्रमुख कला विद्वान और गुरु के रूप में मानी जाती थीं. उन्होंने अपने जीवन में विभिन्न संगीतिक प्रदर्शन किए और अपने उद्गामी गायन की कला में माहिर थीं. उनका आलाप और भावना से भरपूर गायन उन्हें एक अद्वितीय संगीतकार बनाता है.

वाणी जयराम का गायन और उनका संगीत भारतीय संगीत में विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, और उन्होंने भारतीय संगीत के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान दिया. उन्होंने कई अल्बम और संगीत रिकॉर्डिंग्स की रचना की, और उनकी आवाज और संगीत कई प्रशंसा प्राप्त करने में मदद करी. वाणी जयराम ने संगीत के क्षेत्र में अपना नाम बनाया और भारतीय संगीत में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया. वाणी जयराम का निधन 04 फरवरी 2023 को हुआ था.

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