
संत सूरदास
संत सूरदास भक्तिकाल के प्रमुख कवि और संगीतकार थे, जिन्होंने भारतीय साहित्य में अपनी अनूठी छाप छोड़ी है. उनका जन्म लगभग 1478 ईस्वी में हुआ था और उनका निधन 1583 ईस्वी में हुआ. सूरदास ने अपनी रचनाओं में भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का गान किया है और वे सगुण भक्ति धारा के कवि माने जाते हैं.
वे अष्टछाप के आठ कवियों में से एक थे, जिन्होंने वल्लभाचार्य के पुष्टिमार्ग की शिक्षाओं को अपनाया था. सूरदास की सबसे प्रसिद्ध रचना ‘सूरसागर’ है, जिसमें कृष्ण के जीवन की घटनाओं का विस्तृत वर्णन है. उनकी कविताओं में भावनात्मक गहराई और सूक्ष्म भावनाओं का सूक्ष्म चित्रण मिलता है, जिसमें वे कृष्ण और उनकी लीलाओं को मानवीय और दैवीय पहलुओं के संयोजन के रूप में प्रस्तुत करते हैं.
सूरदास की रचनाओं में उनकी गहरी धार्मिकता और भक्ति की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जिसे उन्होंने कविता के माध्यम से व्यक्त किया. उनकी भाषा सरल और सहज होती थी, जो जन सामान्य तक आसानी से पहुंच सके। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान को सरल और प्रभावी तरीके से प्रसारित किया.
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राजनीतिज्ञ बिनोदानन्द झा
बिनोदानंद झा बिहार के तीसरे मुख्यमंत्री थे और उन्होंने अपना कार्यकाल 1961-63 तक था. वे भारतीय जनसंघ के प्रमुख सदस्य थे, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी में विलीन हो गया. बिनोदानंद झा का जन्म 24 अगस्त 1900 को मधुबनी जिले के बलुआही में हुआ था.
उनके कार्यकाल के दौरान, बिहार में कुछ महत्वपूर्ण प्रशासनिक और विकास संबंधी पहल की गईं. उनकी सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्र में विभिन्न नीतियां और कार्यक्रम लागू किए, जो राज्य की जनता के लिए लाभकारी सिद्ध हुए. बिनोदानंद झा की विशेषता उनकी नीतिगत पारदर्शिता और प्रशासनिक क्षमता थी, जिसके चलते वे बिहार के इतिहास में एक प्रभावी मुख्यमंत्री के रूप में जाने गए.
उनकी मृत्यु 6 जून 1971 को हुई थी, लेकिन उनके कार्यकाल और योगदान को बिहार की राजनीति में आज भी याद किया जाता है.
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संत आशाराम बापू
संत आशाराम बापू जिन्हें अक्सर आसाराम के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय धार्मिक गुरु और स्वयंभू संत हैं. उनका जन्म 17 अप्रैल 1941 को हुआ था और उन्होंने अपने धार्मिक प्रवचनों और व्याख्यानों के माध्यम से काफी प्रसिद्धि प्राप्त की. आशाराम ने भारत में कई आश्रमों की स्थापना की और उनके लाखों अनुयायी हैं
हालांकि, आशाराम बापू का जीवन गंभीर विवादों से घिरा रहा है. वे कई गंभीर अपराधों के आरोप में फंसे हैं, जिसमें यौन उत्पीड़न और बच्चों के खिलाफ अपराध शामिल हैं.2013 में उन्हें एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वर्ष 2018 में आसाराम को इस मामले में दोषी पाया गया और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई.
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अभिनेत्री बिंदू
बिंदू भारतीय सिनेमा की एक अभिनेत्री हैं, जिन्होंने वर्ष 1960 – 70 के दशक में अपनी विशिष्ट अदाकारी और चरित्र निभाने की क्षमता के लिए खूब प्रसिद्धि पाई. उनका जन्म 17 अप्रैल 1951 को पुणे में हुआ था. बिंदू का पूरा नाम बिंदू नानूभाई देसाई है.
बिंदू को खासकर उनके वैम्प और नेगेटिव रोल्स के लिए जाना जाता है, जैसे कि फिल्म ‘कटी पतंग’ में उनका चरित्र ‘मोना’, जिसके लिए उन्हें काफी सराहना मिली. इसके अलावा फिल्म ‘इम्तिहान’ में उनके द्वारा निभाया गया किरदार भी काफी प्रसिद्ध हुआ.
बिंदू ने न केवल खलनायिका के रूप में, बल्कि सहायक भूमिकाओं में भी अपनी अद्भुत प्रतिभा दिखाई है. उन्होंने अपने कैरियर में 160 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम किया है. उनकी विशेषता उनका अभिनय कौशल, अपने किरदारों को जीवंत करने की क्षमता और स्क्रीन पर उनकी उपस्थिति है.
बिंदू के योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है, और वे भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण महिला प्रतीकों में से एक मानी जाती हैं.
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बिलियर्ड्स खिलाड़ी गीत सेठी
गीत सेठी एक भारतीय बिलियर्ड्स और स्नूकर खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने खेल कौशल और उपलब्धियों के द्वारा विश्व स्तर पर पहचान बनाई है. उनका जन्म 17 अप्रैल 1961 को दिल्ली, भारत में हुआ था. गीत सेठी ने अपने कैरियर में कई बार वर्ल्ड प्रोफेशनल बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप जीती है.
गीत सेठी को खासतौर पर उनकी टेक्नीकल स्किल्स और खेल के प्रति उनकी गहरी समझ के लिए सराहा जाता है. उन्होंने अपने कैरियर में छह बार वर्ल्ड प्रोफेशनल बिलियर्ड्स चैंपियनशिप जीती है और उन्होंने एम्च्योर वर्ल्ड बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप में भी जीत हासिल की है.
गीत सेठी को उनके खेल के प्रति उत्कृष्टता के लिए वर्ष 1986 में अर्जुन पुरस्कार और वर्ष 1992 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा, उन्होंने वर्ष 1999 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भी प्राप्त किया, जो भारत में खेल के क्षेत्र में सबसे उच्च सम्मान है. गीत सेठी ने अपनी उपलब्धियों के माध्यम से बिलियर्ड्स और स्नूकर खेल को भारत में नई पहचान दी है.
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वी. एस. श्रीनिवास शास्त्री
वी. एस. श्रीनिवास शास्त्री एक प्रमुख भारतीय समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ, और वक्ता थे, जिन्हें उनके नैतिकता और स्वच्छ छवि के लिए जाना जाता था. उनका पूरा नाम वैक्कम श्रीयेर श्रीनिवास शास्त्री था. उनका जन्म 22 सितंबर 1869 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में हुआ था.
शास्त्री एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे, हालांकि वे महात्मा गांधी की तरह उग्रवादी न होकर उदारवादी विचारधारा के समर्थक थे. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और साथ ही ब्रिटिश साम्राज्य के साथ बातचीत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हें उनकी तार्किकता, न्यायप्रियता, और सच्चाई के प्रति प्रतिबद्धता के लिए उच्च सम्मान प्राप्त था.
श्रीनिवास शास्त्री को वर्ष 1921 में भारतीय विधायिका की कार्यकारी परिषद का सदस्य बनाया गया था. इसके साथ ही उन्होंने ब्रिटिश सरकार से कई महत्वपूर्ण सुधारों के लिए बातचीत की. वे भारतीयों के हितों की रक्षा के लिए कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में शामिल हुए. खासकर दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
शास्त्री शिक्षा के क्षेत्र में सुधारों के प्रबल समर्थक थे. वे सामाजिक कुरीतियों और जातिवाद के खिलाफ भी थे और महिलाओं की शिक्षा के समर्थक थे. उन्हें अपनी प्रभावशाली भाषण कला के लिए जाना जाता था. उनके भाषण स्पष्ट, नैतिक और तर्कसंगत होते थे, जिसके कारण उन्हें ‘द ग्रेट इंडियन ओरैटर’ का खिताब मिला.
वी. एस. श्रीनिवास शास्त्री का नाम भारतीय इतिहास में एक नैतिक, शिक्षित और निष्ठावान नेता के रूप में सम्मानित किया जाता है. श्रीनिवास शास्त्री का निधन 76 वर्ष की आयु में 17 अप्रैल को 1946 को मद्रास में देहांत हुआ.
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सर्वपल्ली राधाकृष्णन
सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक प्रख्यात भारतीय दार्शनिक, शिक्षाविद्, और राजनेता थे, जिन्होंने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था और उनकी मृत्यु 17 अप्रैल 1975 को हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से प्राप्त की थी.
राधाकृष्णन ने भारतीय दर्शन और विशेषकर वेदांत दर्शन के अध्ययन में गहरी दिलचस्पी रखी और उन्होंने भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया में भी प्रमुखता से प्रस्तुत किया. उनकी प्रमुख कृतियों में “इंडियन फिलॉसफी”, “द फिलॉसफी ऑफ उपनिषद्”, और “ईस्टर्न रिलिजन्स एंड वेस्टर्न थॉट” शामिल हैं. उनके द्वारा किये गए व्याख्यानों और लेखनों ने उन्हें विश्व स्तर पर एक सम्मानित विद्वान के रूप में स्थापित किया.
राधाकृष्णन ने भारतीय संसद के उपराष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया और बाद में वर्ष 1962 – 67 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. उनके जन्मदिन, 5 सितंबर को भारत में ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जो उनकी शिक्षा के प्रति समर्पण को सम्मानित करता है.
उन्होंने अपने जीवन और कार्यों के माध्यम से शिक्षा, दर्शन और राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है.
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राजनीतिज्ञ बीजू पटनायक
बीजू पटनायक जिनका पूरा नाम बिजयनंद पटनायक था. वो भारतीय राजनीति में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थे और ओडिशा राज्य के प्रमुख नेता रहे हैं. उनका जन्म 5 मार्च 1916 को कटक, ओडिशा में हुआ था. बीजू पटनायक ने ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में दो बार कार्य किया—पहली बार वर्ष 1961-63 तक और फिर वर्ष 1990 -95 तक.
बीजू पटनायक का जीवन विविधतापूर्ण था और उन्होंने न केवल राजनीति में बल्कि व्यावसायिक और उड्डयन क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी. वह एक कुशल पायलट भी थे और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटिश वायु सेना के लिए कार्य किया. इसके अलावा उन्होंने वर्ष 1947 में इंडोनेशिया के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके लिए इंडोनेशिया ने उन्हें ‘भूमि पुत्र’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था.
उनकी राजनीतिक यात्रा में उन्होंने ओडिशा के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की, जिसमें औद्योगिकीकरण और शिक्षा के प्रसार पर विशेष जोर था. बीजू पटनायक के नाम पर बीजू पटनायक इंटरनेशनल एयरपोर्ट, भुवनेश्वर और बीजू पटनायक यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे संस्थान उनकी विरासत को दर्शाते हैं. उनकी मृत्यु 17 अप्रैल 1997 को हुई, लेकिन उनके योगदान और विचार आज भी ओडिशा और भारतीय राजनीति में प्रेरणादायक बने हुए हैं.
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उपन्यासकार नरेंद्र कोहली
नरेंद्र कोहली एक भारतीय उपन्यासकार थे जिन्होंने हिंदी साहित्य में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई. उनका जन्म 6 जनवरी 1940 को पंजाब के सियालकोट में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. कोहली विशेष रूप से अपने मिथकीय और ऐतिहासिक उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं.
नरेंद्र कोहली के सबसे प्रसिद्ध कार्यों में “महासमर” श्रृंखला शामिल है, जो महाभारत की कहानी को एक नए और अधिक मानवीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है. इस श्रृंखला में, उन्होंने पात्रों के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को गहराई से उजागर किया, जिससे पाठकों को इन पौराणिक पात्रों के आंतरिक संघर्षों और भावनाओं की गहराई से समझने में मदद मिली.
कोहली ने “अभ्युदय” नामक श्रृंखला के माध्यम से रामायण के चरित्रों को भी इसी प्रकार से नया रूप दिया. उनका लेखन न केवल मनोरंजक था बल्कि उसमें गहरी दार्शनिकता और आध्यात्मिकता भी समाहित थी, जिसने पाठकों को धार्मिक और मिथकीय कथाओं के प्रति नए नजरिये से सोचने के लिए प्रेरित किया.
नरेंद्र कोहली का निधन 15 अप्रैल 2021 को हुआ. उनकी मृत्यु से हिंदी साहित्य जगत ने एक महान लेखक खो दिया, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई साहित्यिक विरासत आज भी उनके पाठकों और हिंदी साहित्य के अध्येताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
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साहित्यकार विष्णु कांत शास्त्री
विष्णु कांत शास्त्री एक प्रमुख भारतीय साहित्यकार, विद्वान, और राजनेता थे. उनका जन्म 5 जनवरी 1929 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था. विष्णु कांत शास्त्री ने हिंदी साहित्य में अपनी गहरी पकड़ और विशाल योगदान के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने भाषा, इतिहास, और साहित्य के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण किताबें लिखीं.
शास्त्री जी की शैक्षिक योग्यता भी काफी उच्च थी. उन्होंने विभिन्न विषयों में अपनी पढ़ाई पूरी की और बाद में शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और उनकी गणना उत्कृष्ट अध्यापकों में की जाती थी.
राजनीति में भी उनका सक्रिय योगदान रहा. वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रहे और उन्होंने इस पद पर रहते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए. विष्णु कांत शास्त्री की साहित्यिक कृतियाँ और उनके विचार आज भी हिंदी साहित्य के प्रेमियों के बीच में प्रसिद्ध हैं.
विष्णु कांत शास्त्री का निधन 17 अप्रैल 2005 को हुआ था. उनकी लेखनी में विचारशीलता और गहनता थी, और उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को दिशा दिखाने की कोशिश की. उनके द्वारा लिखित कुछ प्रमुख कृतियों में ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ और ‘भारतीय संस्कृति की एकता’ शामिल हैं. वे न केवल एक साहित्यकार और विद्वान थे, बल्कि एक गहन चिंतक भी थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति और समाज के विकास में योगदान दिया.
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प्रथम महिला मुख्य चुनाव आयुक्त वी. एस. रमादेवी
वी. एस. रमादेवी भारत की प्रथम महिला मुख्य चुनाव आयुक्त थीं, और उन्होंने इस पद पर वर्ष 1990 में कार्य किया. उनका पूरा नाम विद्या स्ट्रोक्स रमादेवी था और वे कर्नाटक की रहने वाली थीं. रमादेवी ने अपने कैरियर में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिसमें राजस्थान, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में राज्यपाल के रूप में सेवाएँ देना शामिल हैं.
रमादेवी का जन्म 15 जनवरी 1934 को हुआ था और उनका निधन 17 अप्रैल 2013 को हुआ. रमादेवी को उनकी प्रशासनिक क्षमता और न्यायपूर्ण निर्णय लेने की गुणवत्ता के लिए विशेष रूप से सराहा गया. उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए कई पहल की। उनका चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यकाल भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं के योगदान को उजागर करता है.
रमादेवी ने अपनी पेशेवर योग्यताओं और समर्पण के द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा में महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की. उनकी उपलब्धियां और नेतृत्व शैली आज भी उन्हें भारतीय इतिहास में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में स्थान दिलाती हैं.
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अभिनेता विवेक
विवेक जिनका पूरा नाम विवेकानंदन है, एक प्रमुख तमिल अभिनेता और कॉमेडियन थे, जिन्होंने तमिल सिनेमा में अपने विशिष्ट हास्य अभिनय से खास पहचान बनाई। उनका जन्म 19 नवंबर 1961 को कोयंबटूर, तमिलनाडु में हुआ था. विवेक ने अपने कैरियर में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया और वे अपनी कॉमिक टाइमिंग और सामाजिक मुद्दों पर आधारित हास्य के लिए जाने जाते थे.
विवेक के हास्य व्यंग्य न केवल मनोरंजक थे बल्कि उन्होंने सामाजिक संदेश भी दिए, जैसे कि पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक न्याय, और शिक्षा की महत्वता. उन्होंने इन मुद्दों को अपनी कॉमेडी के जरिए आम जनता तक पहुंचाया, जिससे उनका काम सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं रहा.
विवेक को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें पद्म श्री पुरस्कार भी शामिल है, जो उन्हें वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा दिया गया था. उनकी फिल्में जैसे कि “रन”, “सामी”, और “अन्नियन” बेहद लोकप्रिय रहीं।
दुखद रूप से, विवेक का निधन 17 अप्रैल 2021 को हुआ था. उनके निधन से तमिल सिनेमा जगत में एक बड़ी क्षति हुई, लेकिन उनकी फिल्मों और उनके द्वारा दिए गए संदेशों की वजह से उनकी यादें और प्रेरणा हमेशा जीवित रहेंगी.
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अभिनेत्री सौंदर्या
सौंदर्या एक भारतीय अभिनेत्री थीं, जिन्होंने मुख्य रूप से तेलुगु, तमिल, कन्नड और मलयालम फिल्मों में काम किया. उनका असली नाम एस. रघु था लेकिन उन्होंने सौंदर्या के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त की. उनका जन्म 18 जुलाई 1972 को हुआ था और दुखद रूप से 17 अप्रैल 2004 को उनकी हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो गई.
सौंदर्या ने अपने कैरियर में कई हिट फिल्में दीं और उन्हें उनकी शानदार अभिनय क्षमता के लिए व्यापक रूप से सराहा गया. उन्होंने अनेक पुरस्कार भी जीते, जिनमें फिल्मफेयर और नंदी पुरस्कार शामिल हैं. उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों में ‘अम्मोरु’, ‘पवित्र बंधम’, ‘राजा’ और ‘सूर्यवंशम’ शामिल हैं.