
नवें गुरु तेग बहादुर
गुरु तेग बहादुर , सिख धर्म के नवें गुरु थे, जिनका जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था. वे गुरु हरगोबिंद साहिब के पुत्र और गुरु हर कृष्ण के पिता थे. गुरु तेग बहादुर को उनके त्याग, धर्म के प्रति अटूट आस्था, और सिख धर्म की रक्षा के लिए किए गए उनके असीम योगदान के लिए याद किया जाता है.
उन्होंने वर्ष 1665 में गुरु पद संभाला. उनका काल भारतीय इतिहास में एक कठिन समय था, जब मुगल सम्राट औरंगजेब के धार्मिक उत्पीड़न का सामना सिख समुदाय कर रहा था. गुरु तेग बहादुर ने धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता की वकालत की और उन्होंने हिंदू धर्म के अनुयायियों की रक्षा के लिए मुगल साम्राज्य के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाया.
उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के लिए लड़ाई का सबसे महत्वपूर्ण क्षण तब आया जब उन्होंने कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए अपने आपको औरंगजेब के समक्ष पेश किया. उन्होंने मुगल सम्राट से अपील की कि वह हिंदू धर्म के खिलाफ अपने धार्मिक उत्पीड़न को रोके. गुरु जी ने अपने जीवन की बलि देकर धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की, और उन्हें 24 नवंबर 1675 को दिल्ली में शहीद कर दिया गया.
========== ========= ===========
वैज्ञानिक प्राण कृष्ण पारिजा
प्राण कृष्ण पारिजा एक प्रतिष्ठित भारतीय वैज्ञानिक और शिक्षाविद थे, जिन्होंने मुख्य रूप से मृदा विज्ञान और कृषि रसायन शास्त्र के क्षेत्र में योगदान दिया था. उनका जन्म 1 अप्रैल, 1819 को उड़ीसा के कटक ज़िले में एक निर्धन ग्रामीण परिवार में हुआ था और उनकी मृत्यु 2 जून, 1978) को हुई थी.
पारिजा ने भारतीय मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता के बारे में महत्वपूर्ण शोध किया, जिससे कृषि प्रथाओं में सुधार हुआ और उपज में वृद्धि हुई. पारिजा का काम मिट्टी के पोषक तत्वों के अवशोषण और उनके कृषि उत्पादकता पर प्रभाव को समझने पर केंद्रित था. उन्होंने विभिन्न मृदा प्रकारों पर व्यापक शोध किया और उनके निष्कर्षों ने मृदा प्रबंधन और स्थायी कृषि तकनीकों को बेहतर बनाने में मदद की.
पारिजा ने अपने शोध के द्वारा भारतीय कृषि को अधिक उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में योगदान दिया. उनकी विशेषज्ञता और दृष्टिकोण ने उन्हें वैज्ञानिक समुदाय में एक आदरणीय स्थान दिलाया.
========== ========= ===========
कवि एवं लेखक केदारनाथ अग्रवाल
केदारनाथ अग्रवाल एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और लेखक थे, जो अपनी लोकप्रियता और योगदान के लिए भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. उनका जन्म 1 अप्रैल 1911 को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था. उनकी कविताओं में सामाजिक विषयों पर गहराई से चिंतन किया गया है, और वे अपनी सरल भाषा और ग्रामीण जीवन के चित्रण के लिए प्रसिद्ध हैं.
केदारनाथ अग्रवाल की कविताएँ अक्सर प्रकृति, प्रेम, गरीबी, और समाजिक अन्याय के विषयों को उठाती हैं. उनकी रचनाओं में मानवता के प्रति गहरी सहानुभूति और एक सरल, स्पष्ट दृष्टिकोण का दर्शन होता है. उन्होंने अपने साहित्यिक कैरियर में कई महत्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए, जिसमें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी शामिल है.
उनकी कुछ प्रमुख कृतियों में “नीले पर्वतों का फूल”, “अकाल और उसके बाद”, “युग की गंगा” और “हाथ हाथ में” शामिल हैं. केदारनाथ अग्रवाल ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा और गहराई प्रदान की. उनका निधन 22 जून 2000 को हुआ, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान के रूप में सम्मानित की जाती हैं.
========== ========= ===========
13वें उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी
मोहम्मद हामिद अंसारी भारत के 13वें उपराष्ट्रपति थे. उन्होंने 11 अगस्त 2007 से 10 अगस्त 2017 तक इस पद पर कार्य किया, जो दो कार्यकालों के लिए था. इस दौरान, वे भारतीय राज्यसभा (उच्च सदन) के अध्यक्ष भी रहे, जो उपराष्ट्रपति के पद की एक पारंपरिक जिम्मेदारी है.
हामिद अंसारी का जन्म 1 अप्रैल 1937 को कोलकाता में हुआ था. वे एक अनुभवी राजनयिक थे और भारत के विदेश सेवा में उनका लंबा कैरियर था. उन्होंने भारत के उपचारक राजनयिक के रूप में ऑस्ट्रेलिया, ईरान, सऊदी अरब, और अफगानिस्तान में सेवाएँ प्रदान कीं. इसके अलावा, वे ईरान में भारत के राजदूत और भारतीय प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त राष्ट्र में भी कार्यरत रहे.
हामिद अंसारी ने अपने राजनयिक और राजनीतिक कैरियर में विविध और महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके कार्यकाल में विदेश नीति, शिक्षा, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर उनकी गहरी समझ और संवेदनशीलता का प्रदर्शन हुआ. वे विशेष रूप से मानवाधिकारों, सामाजिक न्याय, और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के पक्षधर रहे हैं.
उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए, उन्हें भारतीय और विदेशी सम्मानों से नवाजा गया. हामिद अंसारी ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत की सामाजिक-राजनीतिक चर्चाओं में सक्रिय भूमिका निभाई और उनका योगदान भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है.
========== ========= ===========
अभिनेत्री जबीन जलील
जबीन जलील भारतीय सिनेमा में एक अभिनेत्री थीं जो वर्ष 1950 – 60 के दशक में सक्रिय थीं. उनका कैरियर मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में था, जहां उन्होंने विभिन्न सहायक और प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं. जबीन जलील की खूबसूरती और अभिनय कौशल ने उन्हें उस समय की कई प्रमुख फिल्मों में भूमिकाएँ दिलाईं. हालांकि, उनका कैरियर उतना लंबा नहीं चला जितना कि कुछ अन्य अभिनेत्रियों का, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने समय में सिनेमा के प्रति योगदान दिया.
जबीन ने अभिनय कैरियर की शुरुआत फिल्म ग़ुज़ारा से की थी. उन्होंने अपनी अभिनय प्रतिभा से दर्शकों का दिल जीता और कुछ फिल्मों में उनके प्रदर्शन को आज भी याद किया जाता है. जबीन जलील ने अपने कैरियर के दौरान विविध पात्रों को चित्रित किया और उनकी कुछ फिल्में उस समय की लोकप्रिय फिल्मों में से एक थीं.
फ़िल्में: – लुटेरा, नई दिल्ली, चारमीनार, फ़ैशन, जीवनसाथी, हथकड़ी, पंचायत, रागिनी, बेदर्द ज़माना क्या जाने और रात के राही.
========== ========= ===========
क्रिकेट खिलाड़ी अजित वाडेकर
अजित लक्ष्मण वाडेकर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और एक प्रमुख क्रिकेटर थे. उनका जन्म 1 अप्रैल 1941 को मुंबई, भारत में हुआ था. वाडेकर मुख्य रूप से बाएं हाथ के बल्लेबाज थे और कभी-कभी वे धीमी बाएं हाथ की गेंदबाजी भी कर लेते थे. उन्होंने वर्ष 1960 -70 के दशक के शुरुआती वर्षों में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेला और उनकी कप्तानी में भारत ने कुछ महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय जीत हासिल की.
वाडेकर की कप्तानी में भारतीय टीम ने वर्ष 1971 में वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड के खिलाफ उनके घरेलू मैदानों पर पहली बार टेस्ट सीरीज जीती. ये जीत भारतीय क्रिकेट इतिहास में मील के पत्थर साबित हुईं और इसने भारतीय टीम के वैश्विक मानचित्र पर उभार में मदद की. वाडेकर की इन उपलब्धियों को भारतीय क्रिकेट में उनकी बहुत बड़ी योगदान के रूप में देखा जाता है.
अपने क्रिकेट कैरियर के बाद, वाडेकर ने कोचिंग और प्रशासनिक भूमिकाओं में भी योगदान दिया. उन्होंने भारतीय टीम के कोच और चयनकर्ता के रूप में भी काम किया. उनका निधन 15 अगस्त 2018 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत और उनके द्वारा भारतीय क्रिकेट के लिए किए गए योगदान को आज भी बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है.
========== ========= ===========
जादूगर ओ. पी. शर्मा
ओ. पी. शर्मा भारतीय जादू की दुनिया के एक प्रतिष्ठित नाम हैं. वे न केवल एक कुशल जादूगर हैं बल्कि इस कला के प्रचार-प्रसार में भी अग्रणी रहे हैं. उनका पूरा नाम ओम प्रकाश शर्मा है, और वे अपने जादू के कार्यक्रमों में ‘मैजिक शो ऑफ ओ. पी. शर्मा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं.
ओ. पी. शर्मा का जादूई कैरियर दशकों से फैला हुआ है, और उन्होंने अपनी जादू की प्रस्तुतियों से न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी ख्याति अर्जित की है. उनके शो बच्चों और बड़ों दोनों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं, और उनकी प्रस्तुतियाँ अक्सर मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा का भी संदेश देती हैं.
ओ. पी. शर्मा ने जादू को एक कला के रूप में बढ़ावा दिया है और इसे अधिक पेशेवर और संगठित रूप में पेश करने की दिशा में काम किया है. उन्होंने जादूगर समुदाय के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम और वर्कशॉप्स भी आयोजित किए हैं, जिससे इस कला के प्रति लोगों की जिज्ञासा और समझ बढ़ी है.
उनका मानना है कि जादू सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह लोगों को आश्चर्यचकित करने, सोचने के नए तरीके प्रदान करने और विज्ञान और कला की सीमाओं को तोड़ने का एक जरिया भी है. उनकी प्रतिभा और समर्पण ने उन्हें भारतीय जादू कला के एक महत्वपूर्ण आधार स्तंभ के रूप में स्थापित किया है.
========== ========= ===========
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक थे, जो भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है. उन्होंने भारतीय समाज को एकजुट करने और उसे स्वदेशी संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक बनाने के उद्देश्य से वर्ष 1925 में RSS की स्थापना की. उनका जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था.
डॉ. हेडगेवार का प्रारंभिक जीवन संघर्षमय था. उन्होंने अपनी मेडिकल शिक्षा कलकत्ता (अब कोलकाता) से प्राप्त की. वे बचपन से ही देशभक्ति की भावना से प्रेरित थे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया. RSS की स्थापना वर्ष 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में की गई. इस संगठन का उद्देश्य भारतीय समाज को संगठित करना और हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा करना था. हेडगेवार का विचार था कि भारतीय समाज को एकजुट करना आवश्यक है ताकि वह स्वतंत्रता संग्राम में अधिक सशक्त और संगठित रूप से भाग ले सके.
संगठनात्मक कौशल: – डॉ. हेडगेवार ने RSS को एक सशक्त संगठन के रूप में स्थापित किया, जो अनुशासन, सेवा और राष्ट्रीयता के मूल्यों पर आधारित है. हेडगेवार ने अपने संगठन के माध्यम से हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को प्रचारित किया. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समर्थक थे और अपने संगठन के माध्यम से देशभक्ति की भावना को प्रोत्साहित किया.
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का निधन 21 जून 1940 को हुआ. उनके द्वारा स्थापित RSS आज भी भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और सेवा कार्यों में सक्रिय है. डॉ. हेडगेवार का जीवन और उनकी विचारधारा आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है. उन्होंने अपने संगठन के माध्यम से भारतीय समाज को संगठित करने और उसे आत्मनिर्भर बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया.
========== ========= ===========
साहित्यकार कैलाश वाजपेयी
कैलाश वाजपेयी एक प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार थे, जिन्होंने मुख्य रूप से कविता लेखन में अपनी विशेष पहचान बनाई. उनका जन्म 11 नवंबर 1936 को हुआ था और उनका निधन 01 अप्रैल 2015 को हुआ. उनकी कविताएँ अक्सर जटिल विचारों और भाषाई प्रयोगों के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपने अनूठे योगदान के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए.
वाजपेयी के साहित्यिक कार्य में गहरी दार्शनिकता और मानवीय मूल्यों की खोज दिखाई देती है. उन्होंने आधुनिकता और पारंपरिकता के बीच संतुलन बनाया और अपनी रचनाओं में विभिन्न विषयों को स्पर्श किया. उनकी कुछ प्रमुख कृतियों में ‘तीसरा अंधेरा’, ‘शहर अभी दूर है’, और ‘समय से बाहर’ शामिल हैं. उनका साहित्य व्यक्तिगत और सामाजिक चेतना के बीच के संवाद को प्रकट करता है.
कैलाश वाजपेयी की कविताओं में भाषा की संवेदनशीलता और सौंदर्य के प्रति उनकी सजगता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. वे अपने लेखन में नई काव्य शैलियों और प्रतीकों का प्रयोग करके हिंदी कविता को नए आयामों तक ले गए.