
गुरु अंगद देव
गुरु अंगद देव सिख धर्म के दूसरे गुरु थे. उनका जन्म 31 मार्च, 1504 को लहौर (वर्तमान में पाकिस्तान में) के पास माते की सराय नामक स्थान पर हुआ था. उनका मूल नाम लहिना था. गुरु नानक देव जी ने अपने जीवनकाल में लहिना को अपना उत्तराधिकारी चुना और उन्हें अंगद का नाम दिया.
गुरु अंगद देव ने सिख धर्म में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए. उन्होंने गुरमुखी लिपि की शुरुआत की, जो कि एक लिखित भाषा है जिसका उपयोग पंजाबी भाषा को लिखने के लिए किया जाता है. यह लिपि अब सिख धर्म के धार्मिक ग्रंथों को लिखने के लिए प्रमुखता से उपयोग में लाई जाती है.
गुरु अंगद देव ने समाज में समानता और एकता के प्रसार पर बल दिया. उन्होंने लंगर (सामूहिक भोजन) की परंपरा को और भी मजबूत किया, जो कि सभी जातियों और धर्मों के लोगों के बीच भेदभाव रहित समानता पर आधारित है.
गुरु अंगद देव ने अपने जीवन के दौरान धार्मिक और सामाजिक सुधारों पर जोर दिया और सिख धर्म के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी मृत्यु 28 मार्च, 1552 को हुई थी.
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भारत की प्रथम महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी
आनंदी गोपाल जोशी जिनका जन्म 31 मार्च 1865 को हुआ था. भारत की प्रथम महिला डॉक्टर मानी जाती हैं. वे 19वीं सदी में एक ऐसे समय में डॉक्टर बनीं जब महिलाओं का उच्च शिक्षा प्राप्त करना या पेशेवर कैरियर का पीछा करना बहुत ही दुर्लभ था.
आनंदी का विवाह कम उम्र में गोपालराव जोशी से हो गया था. जो खुद एक प्रगतिशील विचारक थे और उन्होंने आनंदी को उच्च शिक्षा की दिशा में प्रोत्साहित किया. उन्होंने अमेरिका के Woman’s Medical College of Pennsylvania से वर्ष1886 में चिकित्सा की डिग्री प्राप्त की, जिससे वह भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं.
आनंदी ने अपने शोध प्रबंध में “ओब्सटेट्रिकल ऑपरेशंस” पर काम किया, और उनके काम और समर्पण ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाई. उनकी डिग्री प्राप्ति के बाद, वह भारत लौट आईं और उन्होंने यहाँ महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य सुधार पर काम करने का संकल्प लिया.
दुर्भाग्यवश, उनका स्वास्थ्य खराब रहा और वह लंबे समय तक अपने कैरियर को आगे नहीं बढ़ा पाईं. आनंदी गोपाल जोशी का देहांत 26 फरवरी, 1887 को मात्र 22 वर्ष की आयु में हो गया. उनकी छोटी लेकिन प्रेरणादायक जीवनी आज भी कई लोगों को प्रेरित करती है, और भारतीय महिलाओं के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में कैरियर के द्वार खोलने में उनका योगदान अमूल्य है.
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राजनीतिज्ञ शीला दीक्षित
शीला दीक्षित भारतीय राजनीति की एक प्रमुख हस्ती थीं. जिन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में तीन कार्यकाल (वर्ष 1998 – 2013) तक सेवा की. उनका जन्म 31 मार्च 1938 को कपूरथला, पंजाब में हुआ था और उनका निधन 20 जुलाई 2019 को हुआ. वे भारतीय राजनीति में कांग्रेस पार्टी की एक प्रमुख नेता थीं और उन्होंने दिल्ली में विभिन्न विकासात्मक और सुधारात्मक परियोजनाओं का नेतृत्व किया.
शीला दीक्षित का कार्यकाल उल्लेखनीय था, जिसमें उन्होंने दिल्ली के आधारभूत ढांचे, परिवहन, विद्युत आपूर्ति और पानी की व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किए. उनके कार्यकाल में दिल्ली मेट्रो का विकास एक प्रमुख उपलब्धि थी, जिसने शहर की जनता के लिए परिवहन को सुगम बनाया. उन्होंने दिल्ली को एक हरित और स्वच्छ शहर बनाने के लिए भी प्रयास किए और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई पहल की.
शीला दीक्षित ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार किया, जिससे दिल्ली के निवासियों की जीवन गुणवत्ता में बढ़ोतरी हुई. उन्होंने महिला सुरक्षा और अधिकारों पर भी जोर दिया. शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली ने वर्ष 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी की, जिसके लिए शहर में व्यापक पैमाने पर आधारभूत संरचना और सौंदर्यीकरण के कार्य किए गए. उनके नेतृत्व और प्रशासनिक कौशल की वजह से वे एक विशेष रूप से सम्मानित राजनीतिज्ञ बनीं.
शीला दीक्षित की मृत्यु के बाद, उन्हें दिल्ली और भारतीय राजनीति में उनके योगदान के लिए व्यापक रूप से शोक व्यक्त किया गया. उनका जीवन और कार्य आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
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राजनीतिज्ञ मीरा कुमार
मीरा कुमार एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं. जिन्होंने भारतीय लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में इतिहास रचा. वह वर्ष 2009 -14 तक इस पद पर रहीं. वे भारतीय राजनीति में कांग्रेस पार्टी की एक प्रमुख नेता हैं. मीरा कुमार का जन्म 31 मार्च 1945 को हुआ था, और वे बाबू जगजीवन राम, भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री, और इंद्राणी देवी की बेटी हैं.
मीरा कुमार ने अपनी शिक्षा दिल्ली और पुणे में पूरी की. वे भारतीय विदेश सेवा में भी शामिल हुईं और स्पेन, यूनाइटेड किंगडम तथा मॉरीशस में भारतीय मिशनों में कार्य किया. बाद में, उन्होंने राजनीति में अपना कैरियर बनाने का निर्णय लिया और वर्ष 1985 में पहली बार लोकसभा सांसद के रूप में चुनी गईं.
मीरा कुमार ने विभिन्न मंत्रालयों में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया, जिसमें सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण, पर्यावरण और वन, और जल संसाधन शामिल हैं. उनके अध्यक्षता काल में लोकसभा ने कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया और उन्होंने सदन की कार्यवाही को अधिक समावेशी और लोकतांत्रिक बनाने की कोशिश की.
मीरा कुमार ने सामाजिक न्याय, महिला अधिकारों और दलित सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया. उनका मानना है कि राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी से समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है.
मीरा कुमार अपने विनम्र स्वभाव और मजबूत नेतृत्व क्षमता के लिए जानी जाती हैं. उनका जीवन और कार्य भारतीय राजनीति में महिलाओं के योगदान को दर्शाता है और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
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राजनीतिज्ञ पी. जे. कुरियन
प्रोफेसर पी. जे. कुरियन एक वरिष्ठ भारतीय राजनीतिज्ञ हैं. जिन्होंने विशेष रूप से केरल की राजनीति और भारतीय संसद में लंबे समय तक योगदान दिया. उन्होंने भारतीय नेशनल कांग्रेस के टिकट पर कई बार चुनाव लड़ा और विभिन्न पदों पर कार्य किया. पी. जे. कुरियन का जन्म 31 मार्च 1941 को केरल में हुआ था. उनका पूरा नाम पल्लथ जोसेफ कुरियन है. कुरियन केरल की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा रहे हैं और उन्होंने राज्य और केंद्रीय सरकार में विभिन्न मंत्री पदों पर कार्य किया है.
पी. जे. कुरियन भारतीय राज्यसभा के उपसभापति के रूप में भी सेवा कर चुके हैं. इस पद पर उनका कार्यकाल विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा, जिसमें उन्होंने संसदीय बहसों और चर्चाओं का संचालन किया और उच्च सदन की कार्यवाही में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उनके राजनीतिक कैरियर में, कुरियन ने शिक्षा, कृषि, और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में विशेष रुचि दिखाई और इन क्षेत्रों में कई पहलों और नीतियों को आगे बढ़ाने में सक्रिय रहे. उन्होंने केरल के सामाजिक-आर्थिक विकास में सुधार के लिए विभिन्न प्रोजेक्ट्स और प्रोग्राम्स की अगुवाई की.
कुरियन की विनम्रता, संवेदनशीलता और उनके काम में पारदर्शिता ने उन्हें राजनीतिक स्पेक्ट्रम के आर-पार सम्मान दिलाया. उन्हें उनके योगदान के लिए व्यापक रूप से पहचाना जाता है, और उनकी सेवाएँ भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं.
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अभिनेत्री नेहा कपूर
नेहा कपूर एक भारतीय मॉडल और अभिनेत्री हैं. उन्होंने वर्ष 2006 में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीता और मिस यूनिवर्स वर्ष 2006 प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया. नेहा कपूर का जन्म 31 मार्च 1983 को नई दिल्ली, भारत में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था. उन्होंने बहुत कम उम्र में शास्त्रीय नृत्य रूपों का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था. उन्होंने भरतनाट्यम में चार साल और कथक में आठ साल का प्रशिक्षण प्राप्त किया है. नेहा ने पर्ल एकेडमी से फैशन डिजाइन में डिग्री हासिल की है. उनकी बहन, नीना कपूर, एक समाचार वाचिका थीं.
नेहा कपूर ने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की. उन्होंने कई प्रतिष्ठित फैशन शो और विज्ञापन अभियानों में भाग लिया. वर्ष 2006 में, उन्होंने फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लिया और न केवल मुख्य खिताब जीता, बल्कि फेमिना मिस फ्रेश फेस और फेमिना मिस फोटोजेनिक के पुरस्कार भी अपने नाम किए.
मिस इंडिया का खिताब जीतने के बाद, नेहा ने मिस यूनिवर्स वर्ष 2006 प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जो लॉस एंजिल्स में आयोजित हुई थी. उन्होंने शीर्ष 20 सेमीफाइनलिस्ट में जगह बनाई. मॉडलिंग और सौंदर्य प्रतियोगिताओं के अलावा, नेहा कपूर ने अभिनय के क्षेत्र में भी कदम रखा है. उन्होंने कुछ फिल्मों और टेलीविजन शो में काम किया.
फिल्में: – एंथिरन (2010), डांगेबाज (2015), लस्ट अ सिनेमा (2018), ग्लोरियस डेड (2019), उमफॉर्मंग: द ट्रांसफॉर्मेशन (2014), मिमांसा (2022).
टेलीविजन: – इतना करो ना मुझे प्यार (2014), मेरी आशिकी तुमसे ही (2014), कुमकुम भाग्य (2016),भूमिका (2022),अदृश्य – द इनविजिबल हीरोज (2024).
इसके अतिरिक्त, नेहा कपूर ने कुछ लघु फिल्मों में भी काम किया है, जैसे “12 घंटे” (2024) और “सोलमेट” (2024), जिसमें उन्होंने अभिनय के साथ-साथ निर्माण भी किया है.
नेहा कपूर ने 22 दिसंबर 2011 को “द बिग बैंग थ्योरी” के स्टार, कुणाल नैयर से शादी की. दोनों की मुलाकात वर्ष 2008 में नई दिल्ली में एक दोस्त के माध्यम से हुई थी. शादी के बाद से, वे लॉस एंजिल्स में साथ रह रहे हैं. नेहा अक्सर अपने पति के साथ रेड कार्पेट इवेंट्स और सार्वजनिक कार्यक्रमों में दिखाई देती हैं.
नेहा कपूर को कई पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित किया गया जिनमे – फेमिना मिस इंडिया यूनिवर्स 2006 (विजेता), फेमिना मिस फ्रेश फेस 2006, फेमिना मिस फोटोजेनिक 2006, मिस यूनिवर्स 2006 (शीर्ष 20 सेमीफाइनलिस्ट).
नेहा कपूर ने मॉडलिंग और अभिनय के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है. उनकी सुंदरता, प्रतिभा और आत्मविश्वास ने उन्हें कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनाया है.
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मॉडल एकता चौधरी
एकता चौधरी भारतीय फैशन उद्योग में एक जाना-माना नाम हैं. वह एक सफल मॉडल हैं जिन्होंने कई प्रतिष्ठित डिजाइनरों और ब्रांडों के साथ काम किया है. अपनी आकर्षक उपस्थिति, आत्मविश्वास और पेशेवर रवैये के लिए जानी जाने वाली एकता ने भारतीय फैशन परिदृश्य पर अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है. एकता चौधरी का जन्म 31 मार्च 1986 को नई दिल्ली में हुआ था.
एकता चौधरी ने अपने मॉडलिंग कैरियर की शुरुआत अपेक्षाकृत कम उम्र में की और जल्दी ही उन्होंने अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत के बल पर पहचान हासिल कर ली. उन्होंने भारत के कई प्रमुख फैशन डिजाइनरों के लिए रैंप वॉक किया है, जिनमें मनीष मल्होत्रा, सब्यसाची मुखर्जी, रोहित बल और रितु कुमार जैसे प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं. उनकी चाल, आत्मविश्वास और कपड़ों को प्रस्तुत करने का उनका तरीका उन्हें डिजाइनरों और दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनाता है.
एकता ने कई प्रमुख फैशन पत्रिकाओं के कवर और संपादकीय में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. वोग, फेमिना, एले और हार्पर बाजार जैसी पत्रिकाओं में उनकी तस्वीरें अक्सर छपती रहती हैं, जो उनकी मांग और उद्योग में उनकी स्थिति को दर्शाती हैं. उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों के लिए विज्ञापन अभियानों में भी काम किया है.
एकता चौधरी की विशेषता उनकी बहुमुखी प्रतिभा है। वह पारंपरिक भारतीय परिधानों को उतनी ही सहजता और सुंदरता के साथ प्रस्तुत कर सकती हैं जितना कि पश्चिमी आधुनिक पहनावे को. उनकी तीखी नाक, गहरी आँखें और सुडौल चेहरा उन्हें विभिन्न प्रकार के लुक्स में ढलने की क्षमता प्रदान करते हैं.
एकता चौधरी अपने निजी जीवन को लेकर अपेक्षाकृत शांत रहती हैं और उन्होंने इसे मीडिया की चकाचौंध से दूर रखने की कोशिश की है.
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स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा
श्यामजी कृष्ण वर्मा एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, और विद्वान थे. वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक थे और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी. वर्मा का जन्म 4 अक्टूबर 1857 को गुजरात के मांडवी शहर में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा भारत और इंग्लैंड में पूरी की और वे कानून के विशेषज्ञ थे.
श्यामजी कृष्ण वर्मा ने भारतीय छात्रों को विदेश में शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 1905 में लंदन में “इंडिया हाउस” की स्थापना की. यह संस्था ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन करने वाले भारतीयों के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गई. इसी इंडिया हाउस से कई महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी, जैसे विनायक दामोदर सावरकर, जुड़े थे.
श्यामजी वर्मा ने “इंडियन सोशियोलॉजिस्ट” नामक एक पत्रिका भी शुरू की, जिसमें ब्रिटिश शासन की नीतियों की आलोचना की जाती थी और भारतीय स्वतंत्रता का समर्थन किया जाता था. ब्रिटिश सरकार ने उन्हें खतरनाक मानते हुए उनकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया, जिसके बाद वर्मा को स्विट्जरलैंड में शरण लेनी पड़ी.
श्यामजी कृष्ण वर्मा का जीवन और योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत ही महत्वपूर्ण था. उनकी मृत्यु 30 मार्च 1930 को स्विट्जरलैंड में हुई, और उनकी इच्छानुसार उनकी अस्थियाँ भारत की आजादी के बाद स्वदेश लाईं गईं.
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निबंधकार सरदार पूर्ण सिंह
सरदार पूर्ण सिंह हिंदी साहित्य के एक प्रमुख निबंधकार थे, जिन्हें हिंदी निबंध लेखन में विशेष स्थान प्राप्त है. वे मूल रूप से पंजाबी भाषा के साहित्यकार थे, लेकिन हिंदी में भी उन्होंने अत्यंत प्रभावशाली लेखन किया। उनके निबंधों में गहरी संवेदनशीलता, दार्शनिकता, और मानवतावादी दृष्टिकोण देखने को मिलता है.
पूर्ण सिंह का जन्म 17 फ़रवरी 1881को पश्चिम सीमाप्रांत (अब पाकिस्तान में) के हज़ारा ज़िले के मुख्य नगर एबटाबाद के समीप सलहद ग्राम में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा रावलपिंडी और लाहौर में प्राप्त की. वे एक वैज्ञानिक भी थे और टोकियो विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान का अध्ययन कर चुके थे.
पूर्ण सिंह मुख्य रूप से अपने निबंधों के लिए प्रसिद्ध हैं. उनके निबंधों में भावनात्मकता और गंभीर विचारधारा का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है. उन्होंने हिंदी साहित्य को भावनात्मक प्रवाह और आत्मचिंतन से भरपूर निबंध दिए. उनके निबंधों में “सच्ची वीरता”, “महापुरुषों का संग”, “गृहस्थ का मार्ग”, “किसान” आदि विशेष रूप से चर्चित हैं.
सरदार पूर्ण सिंह के निबंधों में एक गहरी मानवीय संवेदनशीलता देखने को मिलती है. वे अपने निबंधों में गहरे दार्शनिक विचार प्रस्तुत करते हैं. उनकी भाषा सहज, प्रभावशाली और प्रवाहमयी होती थी. उन्होंने अपने लेखन में मानवता, प्रेम और समाज सुधार को प्राथमिकता दी.
पूर्ण सिंह हिंदी निबंध साहित्य के एक महत्वपूर्ण स्तंभ थे. उनकी लेखनी आज भी प्रेरणादायक मानी जाती है. उनका साहित्य, भावनाओं की गहराई और विचारों की ऊँचाई का बेहतरीन उदाहरण है. सरदार पूर्ण सिंह का निधन 31 मार्च, 1931 को देहरादून में हुआ था.
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अभिनेत्री मीना कुमारी
मीना कुमारी भारतीय सिनेमा की एक प्रमुख अभिनेत्री थीं, जिन्हें उनकी संवेदनशील और प्रभावशाली अभिनय क्षमता के लिए जाना जाता है. उनका असली नाम महजबीन बानो था, लेकिन वे मीना कुमारी के नाम से प्रसिद्ध हुईं. मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त, 1932 को मुंबई, महाराष्ट्र में एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम अली बख़्श था और माता इकबाल बेगम (मूल नाम प्रभावती) था. उनका बचपन गरीबी में बीता, और उन्होंने बहुत कम उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में काम करना शुरू किया.
मीना कुमारी ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत फिल्म बैजू बावरा से की थी. उन्होंने लगभग 90 फिल्मों में काम किया. उनकी प्रमुख फिल्में “साहिब बीबी और गुलाम”, “पाकीज़ा”, “बैजू बावरा”, “फूल और पत्थर”, और “दिल एक मंदिर” हैं. मीना कुमारी ने अपने कैरियर में कई फिल्मफेयर पुरस्कार जीते. उन्हें उनके अभिनय कौशल और संजीदा भूमिकाओं के लिए “ट्रेजेडी क्वीन” का खिताब भी मिला था.
मीना कुमारी की शादी फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही से हुई थी, लेकिन उनका जीवन वैवाहिक संकटों और व्यक्तिगत कठिनाइयों से भरा रहा. मीना कुमारी का 31 मार्च 1972 को लीवर सिरोसिस के कारण निधन हो गया. उनके निधन के बाद भी उनकी फिल्म “पाकीज़ा” ने उन्हें एक अमर अभिनेत्री के रूप में स्थापित कर दिया.
मीना कुमारी को भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महान अभिनेत्री के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपने संजीदा अभिनय और भावुक प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया.