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व्यक्ति विशेष

भाग – 401.

क्रांतिकारी अब्बास तैयबजी

अब्बास तैयबजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक क्रांतिकारी थे, जिन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. वे एक न्यायाधीश थे, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत की नीतियों से असंतुष्ट होकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में खुद को समर्पित कर दिया.

अब्बास तैयब जी का जन्म 1 फ़रवरी, 1854 को वड़ोदरा, गुजरात में एक संपन्न परिवार में हुआ था और उनका निधन 9 जून 1936 को हुआ था. अब्बास तैयबजी पहले एक उच्च पदस्थ न्यायाधीश थे, लेकिन ब्रिटिश शासन की अन्यायपूर्ण नीतियों के कारण उन्होंने न्यायपालिका से इस्तीफा दे दिया और गांधीजी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए. जब महात्मा गांधी को वर्ष 1930 में गिरफ्तार कर लिया गया, तब अब्बास तैयबजी ने उनके स्थान पर दांडी मार्च का नेतृत्व किया. यह स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी.

उन्होंने गांधीजी के साथ मिलकर सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक विरोध प्रदर्शन किए. वे गांधीजी के सिद्धांतों से प्रेरित थे और उनके करीबी सहयोगी माने जाते थे. उनकी नेतृत्व क्षमता और साहस ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया. तैयबजी ने हमेशा अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए ब्रिटिश शासन का विरोध किया और स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाया.

अब्बास तैयबजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन नेताओं में से थे जिन्होंने अपनी समृद्ध पृष्ठभूमि और सुरक्षित जीवन को छोड़कर देश के लिए संघर्ष किया. उनकी भूमिका भले ही गांधीजी और अन्य प्रमुख नेताओं की तरह व्यापक रूप से प्रसिद्ध न हो, लेकिन उनका योगदान अमूल्य था.

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स्वतंत्रता सेनानी ब्रह्मबांधव उपाध्याय

ब्रह्मबांधव उपाध्याय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, क्रांतिकारी, और आध्यात्मिक विचारक थे. वे बंगाल के प्रमुख राष्ट्रवादी नेताओं में से एक थे और भारतीय राष्ट्रवाद तथा हिंदू धार्मिक विचारधारा को पश्चिमी तर्कवाद के साथ मिलाने के लिए जाने जाते हैं.

ब्रह्मबांधव उपाध्याय का जन्म 1 फ़रवरी, 1861 को कलकत्ता (कोलकत्ता), पश्चिम बंगाल के निकट खन्नन में हुआ था. उन्होंने पश्चिमी शिक्षा प्राप्त की और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, स्वामी विवेकानंद, और अन्य विचारकों से प्रभावित हुये. प्रारंभ में वे ब्रह्म समाज से जुड़े लेकिन बाद में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया और कैथोलिक चर्च से जुड़ गए.

ब्रह्मबांधव उपाध्याय ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक विचारक और क्रांतिकारी के रूप में भाग लिया. उन्होंने “संध्या” नामक समाचार पत्र निकाला, जिसमें वे ब्रिटिश शासन की आलोचना करते थे. यह पत्र 1907 में प्रतिबंधित कर दिया गया. वे स्वदेशी आंदोलन के समर्थक थे और उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्त्रों और उत्पादों को अपनाने के लिए प्रेरित किया.

उपाध्याय भारतीय राष्ट्रवाद को हिंदू धर्म के साथ जोड़ने में विश्वास रखते थे और उन्होंने वेदांत के सिद्धांतों को ईसाई धर्म के साथ मिलाने का प्रयास किया. वे मानते थे कि भारतीय राष्ट्रवाद केवल राजनीतिक संघर्ष नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनर्जागरण का भी हिस्सा होना चाहिए. ब्रिटिश सरकार उनके राष्ट्रवादी विचारों से भयभीत थी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. जेल में उनकी तबीयत खराब हो गई और 27 अक्तूबर 1907 को उनकी मृत्यु हो गई.

ब्रह्मबांधव उपाध्याय भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के उन नेताओं में से थे जिन्होंने पत्रकारिता, दर्शन और आध्यात्मिकता के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया. उनका जीवन राष्ट्रीयता, स्वदेशी आंदोलन और भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रति समर्पित था.

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वैज्ञानिक शंभुनाथ डे

 डॉ. शंभुनाथ डे एक प्रमुख भारतीय वैज्ञानिक थे, जिन्होंने चोलेरा के विषाणु (बैक्टीरियल एंडोटॉक्सिन) की खोज की, जिसे “कॉलरा टॉक्सिन” के नाम से जाना जाता है. उनकी यह खोज कॉलरा के उपचार और रोकथाम में एक महत्वपूर्ण प्रगति थी और इसने बीमारी के नियंत्रण में बड़ी सहायता की.

डे का जन्म 1917 में हुआ था, और उन्होंने कोलकाता मेडिकल कॉलेज से अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी की. बाद में वे कलकत्ता स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन में शामिल हो गए, जहां उन्होंने अपने अध्ययन और अनुसंधान के दौरान कॉलरा पर काम किया.

डॉ. डे ने 1959 में यह प्रदर्शित किया कि कॉलरा बैक्टीरिया Vibrio cholerae, एक विषाक्त पदार्थ उत्पन्न करता है जो आंतों में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स के अत्यधिक स्राव का कारण बनता है, जिससे अत्यधिक दस्त और निर्जलीकरण होता है. इस खोज से कॉलरा के उपचार के लिए ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी (ORT) का विकास संभव हुआ, जिसने लाखों जीवनों को बचाने में मदद की.

उनके काम ने वैश्विक स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्हें विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया. डॉ. शंभुनाथ डे की मृत्यु 1985 में हुई, लेकिन उनकी वैज्ञानिक विरासत आज भी जीवित है और उनकी खोजें आज भी चिकित्सा विज्ञान में प्रयोग की जाती हैं.

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ए के हंगल

ए के हंगल भारतीय सिनेमा के प्रमुख अभिनेता थे, और वे अपने अद्वितीय और सादगी वाले अभिनय के लिए प्रसिद्ध थे. उनका जन्म 1 फरवरी 1917 को सियालकोट, पाकिस्तान में हुआ था, लेकिन उन्होंने फिल्मों में कैरियर बनाया और भारतीय सिनेमा के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में अपनी छाप छोड़ी.

ए के हंगल ने अपने कैरियर की शुरुआत फ़िल्मों में छोटी भूमिकाओं से की और फिर उन्होंने अपने प्रमुख कैरियर की शुरुआत वीर जवानी (1952) जैसी फ़िल्मों से की. उन्होंने अपनी उच्चतम प्रस्तुति को कई अद्भुत फ़िल्मों में दिखाया, जैसे कि “शोले” (1975), जिसमें उन्होंने इमाम वाले भूमिका की थी और वह कांग्रेस के शासकों की भूमिका के साथ याद की जाती है. उन्होंने भारतीय सिनेमा में कई बड़ी फ़िल्मों में भी काम किया, जैसे कि “नमक हराम” (1973), “मिलन” (1967), और “मशाल” (1984).

ए के हंगल के अद्वितीय और पुरानी जवानी की उम्र में भी अच्छी फ़िल्में करने के लिए वे प्रसिद्ध रहे और उनके अभिनय का योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में महत्वपूर्ण है. वे 98 वर्ष की आयु में 26 अगस्त 2012 को इस संसार से प्रस्थान कर गए.

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उद्यमी कलाम अंजी रेड्डी

डॉ. कलाम अंजी रेड्डी एक प्रमुख भारतीय उद्यमी थे, जिन्होंने दवा उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने अपना कैरियर इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड में शुरू किया और बाद में यूनीलॉइड्स लिमिटेड और स्टैंडर्ड ऑर्गेनिक्स लिमिटेड में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में काम किया.

कलाम अंजी रेड्डी का जन्म 1 फरवरी 1939 को ताड़ेपल्ले में हुआ था और उनकी मृत्यु 15 मार्च 2013 को हैदराबाद में हुआ. वर्ष 1984 में, उन्होंने रेड्डीज लेबोरेटरीज की स्थापना की, जो भारतीय औषधि उद्योग में क्रांति लाई और देश को दवाओं के मामले में आत्मनिर्भर बनाया। उनकी कंपनी भारत की पहली औषधि खोज कंपनी बनी और वर्ष 2001 में, यह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने वाली पहली गैर-जापानी, एशियाई औषधि कंपनी बनी​​​​.

डॉ. रेड्डी ने सामाजिक और मानवीय विकास के लिए डॉ. रेड्डीज फाउंडेशन की स्थापना की और वे कई सम्मानित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त कर चुके हैं, जैसे कि पद्म श्री पुरस्कार, सर पीसी रे अवार्ड, और बिजनेसमैन ऑफ द ईयर​​. उनके विशाल कैरियर में उन्होंने भारतीय औषधि उद्योग को एक नई दिशा प्रदान की और अपने नवाचारों के माध्यम से इसे वैश्विक मंच पर ले गये.

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अभिनेता ब्रह्मनंदन

ब्रह्मनंदन भारतीय सिनेमा के प्रमुख कॉमेडियन्स में से एक हैं. वे भारतीय तेलुगु सिनेमा, तमिल सिनेमा, और हिन्दी सिनेमा में कॉमेडी अभिनय करने के लिए प्रसिद्ध हैं. ब्रह्मनंदन का जन्म 1 फरवरी 1956 को सत्तेनापल्लि, गुन्टूर जिला, आंध्र प्रदेश, भारत में हुआ था.

उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत तेलुगु सिनेमा में की और वह बहुत ही पॉपुलर हो गए. उन्होंने कॉमेडी अभिनय की जद्दोजहद की और उनकी अद्वितीय कॉमेडी स्टाइल ने उन्हें कॉमेडी किंग के रूप में मशहूरी दिलाई. वे बहुत सारी तेलुगु फिल्मों में कॉमेडी रोल्स कर चुके हैं. ब्रह्मानंदम की शादी लक्ष्मी से हुई है और उनके दो बेटे हैं – राजा गौतम और सिद्धार्थ. गौतम अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए एक अभिनेता भी हैं. जनवरी 2019 में, ब्रह्मानंदम की सफल हार्ट बाईपास सर्जरी हुई.

ब्रह्मनंदन ने अपने कैरियर के दौरान अनेक पुरस्कार भी जीते हैं और उन्हें भारतीय सिनेमा के कॉमेडी क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान पर रखा गया है. उनकी कॉमेडी फिल्मों में उनकी भूमिकाएँ लोगों के दिलों में स्थायी रूप से बैठ गई हैं. जिन्होंने भारतीय सिनेमा को मनोरंजन का नया दिशा देने में मदद की है.

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अभिनेता जैकी श्रॉफ़

 जैकी श्रॉफ़ भारतीय सिनेमा के प्रमुख अभिनेता हैं. उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक अद्वितीय कैरियर बनाया है और वे अपने अभिनय के लिए प्रसिद्ध हैं. वे 1 फरवरी 1957 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में पैदा हुए थे. इनका वास्तविक नाम जयकिशन काकुभाई श्रॉफ है, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में वे जैकी श्रॉफ़ के नाम से प्रसिद्ध हुए.

जैकी श्रॉफ़ ने अपने कैरियर की शुरुआत 1982 में हिंदी फिल्म “स्वामी ददा” से की थी, लेकिन उनकी पहचान 1983 की फिल्म “हीरो” में आई जिसमें वे मुख्य भूमिका में नजर आए. उन्होंने फिर अन्य सफल फिल्मों में भी काम किया, जैसे कि “राम लक्ष्मण,” “करम,” “पर्देस,” “किंग अक्षय”.

जैकी श्रॉफ़ को उनके अनोखे स्टाइल और भव्य व्यक्तित्व के लिए जाना जाता है, और वे भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता माने जाते हैं. उन्होंने बॉलीवुड के साथ ही तमिल, तेलगु, बंगाली, गुजराती, और पंजाबी सिनेमा में भी अभिनय किया है. जैकी श्रॉफ़ ने अपने कैरियर में कई पुरस्कार भी जीते हैं और उन्हें फिल्म क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित अभिनेता माने जाता है.

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क्रिकेटर अजय जडेजा

अजय जडेजा एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य के रूप में खिलाड़ी की भूमिका निभाई है. उन्होंने अपना क्रिकेट कैरियर वर्ष 1992 में भारतीय टीम में शुरू किया था और वर्ष 2000 में वन्दे मातरम् क्रिकेट टूर्नामेंट के बाद अपने अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेलकर संन्यास ले लिया.

अजय जडेजा का जन्म 01 फरवरी 1971 को जमनगर , गुजरात, भारत में हुआ था. वे दायें हाथ के बल्लेबाज़ और आलराउंडर के रूप में अपनी पहचान बनाएं. उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत के लिए अच्छे प्रदर्शन किए और टीम को अपनी खुद की मौजूदगी से मजबूती दिलाई.

अजय जडेजा का क्रिकेट कैरियर 15 टेस्ट मैचों, 196 वनडे इंटरनेशनल मैचों और एक टी20 इंटरनेशनल मैच में शामिल रहा. उन्होंने ब्यूटीफुल बैटिंग और उनके आलराउंड स्किल्स के लिए प्रसिद्ध थे. वे टीम इंडिया के लिए कई महत्वपूर्ण मोमेंट्स में भी शामिल रहे हैं, जिनमें वर्ष 1996 के क्रिकेट विश्व कप में उनके बैटिंग और फील्डिंग के माध्यम से टीम के सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका थी. क्रिकेट के बाद, अजय जडेजा ने क्रिकेट कमेंट्री और मीडिया कार्य में भी अपना योगदान दिया है.

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अभिनेत्री महक चहल

महक चहल एक नॉर्वेजियन-भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो मुख्यतः हिंदी फिल्मों और टेलीविजन में सक्रिय हैं. उनका जन्म 1 फरवरी 1979 को ओस्लो, नॉर्वे में हुआ था.

महक ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत वर्ष 2002 में तेलुगु फिल्म “नीथो” से की, जिसमें उन्होंने शालिनी की भूमिका निभाई. इसके बाद वर्ष 2003 में हिंदी फिल्म “नई पड़ोसन” में पूजा अय्यंगर का किरदार निभाया। उन्होंने “चमेली” (वर्ष 2004) में एक आइटम नंबर भी किया.

फिल्में:  – “वांटेड” (वर्ष 2009) में शाइना और “मैं और मिसेज खन्ना” (वर्ष 2009) में टिया रॉबर्ट्स जैसी भूमिकाएं निभाईं.

टेलीविजन: वर्ष 2011 में “बिग बॉस 5” में भाग लिया और उपविजेता रहीं। इसके अलावा, उन्होंने “कवच” (वर्ष 2016) और “नागिन 6” (वर्ष 2022) जैसे धारावाहिकों में भी काम किया.

महक का जन्म नॉर्वे में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने अभिनय कैरियर के लिए भारत को चुना. वर्ष 2017 में, उन्होंने अभिनेता अश्मित पटेल से सगाई की, लेकिन वर्ष 2020 में यह सगाई टूट गई. महक चहल की अभिनय यात्रा ने उन्हें भारतीय फिल्म और टेलीविजन उद्योग में एक पहचान दिलाई है, और वे अपने विविध भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं.

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अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला

 डॉ. कल्पना चावला एक प्रमुख अंतरिक्ष यात्री और वैज्ञानिक थीं, जिन्होंने अंतरिक्ष में कई मिशनों में भाग लिया और अंतरिक्ष में विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा, भारत में हुआ था. वह अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद भारतीय स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (ISRO) में काम करने के बाद संयुक्त राष्ट्र के अंतरिक्ष एजेंसी NASA (National Aeronautics and Space Administration) में चली गईं.

कल्पना चावला का पहला अंतरिक्ष मिशन स्पेस शटल कोलंबिया (Space Shuttle Columbia) के STS-87 मिशन के साथ हुआ था, जो 1997 में हुआ था. इसके बाद, उन्होंने STS-107 मिशन के लिए भी भाग लिया, जो 2003 में अपने वापसी की ओर जा रहा था. दुर्भाग्यवश, 01 फरवरी 2003 को इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष शटल कोलंबिया का विस्फोट हो गया और सारे चालक अंतरिक्ष यात्री हमले में मौके पर ही निधन में आ गए.

कल्पना चावला का योगदान और साहस अंतरिक्ष यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है और वे एक महान भारतीय और अंतरिक्ष वैज्ञानिक के रूप में याद की जाती हैं.

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