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व्यक्ति विशेष

भाग – 451.

उद्योगपति टी. वी. सुन्दरम अयंगर

टी. वी. सुंदरम अयंगर एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति थे, जिन्होंने टीवीएस ग्रुप की स्थापना की थी. भारत के सबसे बड़े और सबसे पुराने वाहन निर्माण समूहों में से एक है. उनका जन्म 22 मार्च 1877 को हुआ था, और उन्होंने 28 अप्रैल 1955 को अपनी मृत्यु तक इस उद्योग में काफी नाम कमाया.

टी. वी. सुंदरम अयंगर ने अपने कैरियर की शुरुआत मदुरै में एक बस सेवा के साथ की थी, जिसे उन्होंने वर्ष 1911 में शुरू किया था. यह सेवा तमिलनाडु में लोकप्रिय हो गई और धीरे-धीरे उन्होंने अपने व्यापार का विस्तार किया. उन्होंने बाद में मोटर वाहनों के वितरण और बिक्री में भी कदम रखा, और टीवीएस ग्रुप आज विभिन्न प्रकार के ऑटोमोटिव घटकों, वाहनों और वित्तीय सेवाओं में अपनी पहुंच रखता है.

उनके नेतृत्व में, टीवीएस ग्रुप ने भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने न केवल एक सफल व्यवसाय स्थापित किया, बल्कि उन्होंने अपने व्यवसायिक प्रयासों के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान दिया. उनकी दूरदर्शी सोच और उद्यमिता की भावना ने टीवीएस ग्रुप को आज के समय में एक प्रमुख निगम बनने में मदद की है.

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मुंशी दयानारायण निगम

मुंशी दयानारायण निगम उर्दू पत्रकार और समाज सुधारक थे, जिनका जन्म 22 मार्च, 1882 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी और वे कई भाषाओं में पारंगत थे जैसे कि अंग्रेजी, उर्दू, फारसी, बंगला, गुजराती और मराठी​​.

निगम ने ‘ज़माना’ नामक मासिक पत्रिका के माध्यम से उर्दू साहित्य की सेवा की और उसके संपादक रहे. उन्होंने सामाजिक सुधारों पर विशेष ध्यान दिया, खासकर अंतर्जातीय विवाह और विधवा विवाह को प्रोत्साहित किया. उनके आग्रह पर मुंशी प्रेमचंद ने एक विधवा से विवाह किया था. मुंशी प्रेमचंद और निगम के बीच गहरी मित्रता थी, और प्रेमचंद ने उन्हें अपने बड़े भाई की तरह सम्मानित किया. ‘ज़माना’ पत्रिका में प्रेमचंद की कई उर्दू रचनाएँ छपीं और निगम के प्रयासों से प्रेमचंद को साहित्यिक पहचान मिली​​​​.

मुंशी दयानारायण निगम का निधन वर्ष 1942 में हुआ था. निगम ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया और उन्हें उनके योगदान के लिए याद किया जाता .

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पुरातत्त्व वैज्ञानिक गुलाम याज़दानी

गुलाम याज़दानी एक प्रसिद्ध भारतीय पुरातत्त्व वैज्ञानिक थे. जिनका जन्म 22 मार्च, 1885 को हुआ था और उनकी मृत्यु 13 नवंबर, 1962 को दिल्ली में हुई थी.

वे हैदराबाद राज्य में एक विशेष पुरातत्व विभाग के संस्थापक थे. उनके योगदान को मान्यता देते हुए, वर्ष 1959 में उन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था​.

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क्रांतिकारी सूर्य सेन

सूर्य सेन, जिन्हें प्यार से ‘मास्टर दा’ के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे. उनका जन्म 22 मार्च 1894 को चटगाँव, बंगाल (वर्तमान में बांग्लादेश) में हुआ था और उनकी शहादत 12 जनवरी 1934 को हुई. वे अपने शिक्षक से प्रेरित होकर अनुशीलन समिति में शामिल हो गए और बाद में युगांतर संगठन से जुड़े. सूर्य सेन ने चटगाँव में अन्य युवाओं के साथ मिलकर युगांतर पार्टी की स्थापना की. वे नंदनकानन सरकारी स्कूल और बाद में चन्दनपुरा के उमात्रा स्कूल में शिक्षक भी रहे​​。

सूर्य सेन ने 18 अप्रैल 1930 को चटगांव शस्त्रागार छापे का नेतृत्व किया था, जिसके दौरान उन्होंने और उनके सहयोगियों ने ब्रिटिश शस्त्रागार पर हमला किया और कई हथियार लूटे. इस घटना ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महान नायक का दर्जा दिलाया. उनकी यह कार्यवाही ब्रिटिश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती थी, और इसने भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों को एक नई दिशा प्रदान की​​​​。

दुर्भाग्य से, सूर्य सेन को अंततः गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें अत्यंत क्रूर यातनाएं दी गईं. उन्हें 12 जनवरी, 1934 को चटगाँव जेल में फांसी दे दी गई.

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शास्त्रीय संगीतकार  रागिनी त्रिवेदी

रागिनी त्रिवेदी एक शास्त्रीय संगीतकार हैं, जो विशेष रूप से विचित्र वीणा, सितार और जल तरंग जैसे वाद्ययंत्रों पर प्रस्तुतियाँ देती हैं. वह 22 मार्च 1960 को कानपुर, भारत में जन्मीं थीं. रागिनी, प्रसिद्ध संगीतज्ञ लालमणि मिश्र की पुत्री हैं, और उन्होंने अपने पिता और माँ पद्मा से संगीत की शिक्षा प्राप्त की. वह ‘ओमे स्वारलिपि’ नामक एक डिजिटल संगीत संकेतन प्रणाली की भी निर्माता हैं.

रागिनी के जीवन में कई चुनौतियां आईं. उन्होंने अपनी मां को 9 अप्रैल 1977 को और अपने पिता को 17 जुलाई 1979 को खो दिया. इन नुकसानों के बावजूद, वह और उनके भाई गोपाल ने संगीत का अभ्यास जारी रखा. उन्होंने कुछ समय के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई भी की और बाद में होशंगाबाद, रीवा और इंदौर के सरकारी कॉलेजों में सितार की शिक्षा दी​.

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सिंगर ध्वनि भानुशाली

ध्वनि भानुशाली एक भारतीय पॉप गायिका हैं, जिन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 2018 में की थी. उनका गाना “दिलबर” (फिल्म सत्यमेव जयते) बहुत लोकप्रिय हुआ और यह बिलबोर्ड टॉप टेन में शामिल होने वाला पहला हिंदी गाना बना. इसके अलावा, उनका गाना “वास्ते” यूट्यूब पर 1.7 बिलियन से अधिक व्यूज के साथ एक बड़ी सफलता साबित हुआ.

ध्वनि का जन्म 22 मार्च 1998 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और संगीत के प्रति अपने जुनून को कैरियर में बदल दिया. उनके अन्य प्रसिद्ध गानों में “लेजा रे,” “दुनिया,” और “साइको सैंया” शामिल हैं.

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स्वतंत्रता सेनानी हनुमान प्रसाद पोद्दार

हनुमान प्रसाद पोद्दार, जिन्हें स्नेहपूर्वक “भाईजी” के नाम से जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख सेनानी, समाज सुधारक, और धार्मिक साहित्य के प्रचारक थे। उनका जन्म 18 सितंबर 1892 को  राजस्थान के रतनगढ़ में हुआ था. वे एक साधारण परिवार से थे, लेकिन उनके विचार और कार्य असाधारण थे.

हनुमान प्रसाद पोद्दार का बचपन धार्मिक और सांस्कृतिक वातावरण में बीता. उनकी दादी ने उन्हें गीता, रामायण, और अन्य धार्मिक ग्रंथों की कहानियाँ सुनाईं, जिसने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला. उन्होंने भारतीय और पौराणिक ग्रंथों का अध्ययन किया, जो उनके जीवन की दिशा को निर्धारित करने में सहायक रहा. भाईजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई. वे महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के संपर्क में आए और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार और स्वदेशी वस्त्रों के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने खादी और स्वदेशी वस्त्रों को अपनाने का संदेश दिया और इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाया.

हनुमान प्रसाद पोद्दार का सबसे बड़ा योगदान गीता प्रेस गोरखपुर की स्थापना और “कल्याण” पत्रिका का प्रकाशन है. गीता प्रेस ने धार्मिक ग्रंथों को हिंदी में अनुवादित कर आम जनता तक पहुँचाया. “कल्याण” पत्रिका ने धार्मिक और सांस्कृतिक साहित्य को बढ़ावा दिया और लाखों लोगों को आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की. भाईजी का जीवन साधना और तपस्या से परिपूर्ण था. वे किसी विशेष सम्प्रदाय से नहीं जुड़े थे, लेकिन उन्होंने सभी धर्मों और समुदायों के लिए भगवान के संदेश को फैलाया. उनका मानना था कि भगवान श्रीकृष्ण का भजन ही जीवन का सर्वोत्तम साधन है.

हनुमान प्रसाद पोद्दार ने कभी भी किसी पुरस्कार या सम्मान को स्वीकार नहीं किया. वे एक सच्चे कर्मयोगी थे, जिन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से समाज को प्रेरित किया. हनुमान प्रसाद पोद्दार का निधन 22 मार्च 1971 को हुआ था.

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पटकथा लेखक सागर सरहदी

सागर सरहदी एक भारतीय पटकथा लेखक, नाटककार और निर्देशक थे. उन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी गहरी भावनात्मक और यथार्थवादी पटकथाओं के लिए खास पहचान बनाई. सागर सरहदी का जन्म 11 मई 1933 में अब्बोटाबाद, ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था और विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया.

सरहदी ने अपने कैरियर में कई मशहूर फिल्मों के लिए पटकथा लिखी, जिनमें “कभी कभी” (1976), “सिलसिला” (1981), और “बाजार” (1982) शामिल हैं. इन फिल्मों में उन्होंने मानवीय संवेदनाओं और जटिल रिश्तों को बहुत ही सूक्ष्मता से चित्रित किया, जिससे दर्शकों के बीच गहरी प्रतिध्वनि उत्पन्न हुई.

सागर सरहदी ने अपनी पटकथाओं में अक्सर पारिवारिक मूल्यों, प्रेम और विश्वासघात के विषयों को उठाया. उनका लेखन इतना प्रभावशाली था कि उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे योग्य और संवेदनशील पटकथा लेखकों में गिना जाता है. सरहदी का निधन 22 मार्च 2021को हुआ था  लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई साहित्यिक विरासत आज भी हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को जीवंत रखती है.

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