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व्यक्ति विशेष

भाग – 439.

भूतपूर्व  इसरो अध्यक्ष उडुपी रामचन्द्र राव

उडुपी रामचन्द्र राव एक प्रतिष्ठित भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे, जिनका जन्म 10 मार्च 1932 को कर्नाटक के उडुपी जिले में हुआ था. उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक किया, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.एस. की डिग्री प्राप्त की और गुजरात विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की. वे एमआईटी और टेक्सास विश्वविद्यालय, डलास में भी शिक्षण कार्य में संलग्न रहे.

वर्ष 1966 में वापस भारत आकर उन्होंने अहमदाबाद की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में काम किया और भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा दिया. उनके नेतृत्व में, भारत ने अपने पहले उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ का प्रमोचन किया और कई अन्य उपग्रहों का निर्माण किया. वर्ष 1984 में वे अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव बने, जहाँ उन्होंने रॉकेट प्रौद्योगिकी और ध्रुवीय कक्षा उपग्रह प्रमोचन वाहनों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

राव को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जैसे कि शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण। उन्हें अंतरिक्ष और विज्ञान क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए अन्य विश्वस्तरीय सम्मान भी प्राप्त हुएथे. उन्होंने भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास को गति दी और देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई दिशा प्रदान की. उनकी नेतृत्व क्षमता और दृष्टि के चलते भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं. उनकी मृत्यु 24 जुलाई 2017 को बेंगलुरु में हुई थी.

उनके कार्यों और योगदानों की वजह से उन्हें भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाजा गया. उनके सम्मानों में यूरी गगारिन पदक, थियोडोर वॉन कारमन पुरस्कार, और विश्वेश्वरैया पुरस्कार शामिल हैं. इसके अलावा, उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था.

डॉ. उडुपी रामचन्द्र राव का जीवन और कार्य भारतीय विज्ञान और तकनीकी समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनके अद्वितीय योगदान के लिए वे सदैव याद किए जाएंगे.

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समाज सुधारक लल्लन प्रसाद व्यास

लल्लन प्रसाद व्यास, जो 10 मार्च 1934 को भारत के अवध प्रान्त के बहराइच जनपद में जन्मे थे, एक जाने-माने समाज सुधारक थे. उनका जीवन मुख्य रूप से आध्यात्मिक प्रकाशन जगत को समर्पित था. वर्ष 1984 में वे नैमिषारण्य के स्वामी नारदानन्द जी के संपर्क में आए और आध्यात्मिक प्रकाशन जगत की प्रमुख हस्ती बन गए.

उन्होंने विश्व रामायण सम्मेलनों के माध्यम से श्री राम के कार्य को विश्व पटल पर पहुंचाने का कार्य किया. व्यास जी ने गायत्री शक्ति पीठ के माध्यम से पहले अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन का आयोजन 27 दिसंबर 1984 को अयोध्या में किया, जिसकी अध्यक्षता पं. रामकिंकर उपाध्याय ने की. लल्लन प्रसाद व्यास का निधन 12 नवंबर 2012 को हुआ.

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राजनीतिज्ञ माधवराव सिंधिया

माधवराव सिंधिया भारतीय राजनीति के प्रमुख व्यक्तित्व थे. वे भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी, भारतीय जनता कांग्रेस के सदस्य थे. माधवराव सिंधिया का जन्म 10 मार्च 1945 को हुआ था और उनका निधन 30 सितंबर 2001 को एक विमान दुर्घटना में हो गया था.

सिंधिया एक प्रतिष्ठित राजघराने से आते थे; वे ग्वालियर के महाराजा थे. उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत जनसंघ से की थी, लेकिन बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों में केंद्रीय मंत्री के रूप में काम किया, जैसे कि रेल मंत्री, नागरिक उड्डयन मंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री.

माधवराव सिंधिया अपने सौम्य और मिलनसार स्वभाव के लिए जाने जाते थे. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई सामाजिक और आर्थिक सुधारों की पहल की. उनकी असामयिक मृत्यु ने भारतीय राजनीति में एक बड़ा शून्य छोड़ा. उनके बेटे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, भी एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्व हैं और वर्तमान में भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं.

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साहित्यकार परमानन्द श्रीवास्तव

परमानन्द श्रीवास्तव एक प्रतिष्ठित हिन्दी साहित्यकार थे, जिनका जन्म 10 फ़रवरी 1935 को गोरखपुर जिले के बाँसगाँव में हुआ था और उनकी मृत्यु 5 नवम्बर 2013 को हुई थी.

उन्होंने गोरखपुर के सेण्ट एण्ड्रूज कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में वहीं पर प्रवक्ता बने. उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया और वहां हिन्दी विभाग के आचार्य थे. परमानन्द श्रीवास्तव ने हिन्दी साहित्य के विभिन्न शैलियों में योगदान दिया, जिसमें कविता, आलोचना और कहानी शामिल हैं.

उन्होंने ‘आलोचना’ नामक साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन भी किया. उनकी कविताएं समकालीन मानवीय संकटों और संवेदनाओं की गहरी पड़ताल करती हैं. उन्हें वर्ष 2006 में व्यास सम्मान और भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनके प्रमुख प्रकाशित कृतियों में ‘उजली हँसी के छोर पर’, ‘अगली शताब्दी के बारे में’, ‘चौथा शब्द’, ‘एक अनायक का वृतान्त’ और ‘रुका हुआ समय’ शामिल हैं.

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राजनीतिज्ञ उमर अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो जम्मू और कश्मीर के 11वें मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनका जन्म 10 मार्च 1970 को एसेक्स, ब्रिटेन में हुआ था. वह जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस (NC) पार्टी से जुड़े हैं और अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य हैं. उनके पिता, फारूक अब्दुल्ला, और दादा, शेख मोहम्मद अब्दुल्ला, भी जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

उमर अब्दुल्ला ने वर्ष 2009 – 15 तक जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. वह राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का गौरव भी रखते हैं. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी. इसके अलावा, वह लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं और केंद्र सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री तथा विदेश मामलों के राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य कर चुके हैं.

उनकी शिक्षा मुंबई के सिडेनहैम कॉलेज और यूके के स्ट्रैथक्लाइड विश्वविद्यालय से हुई है. उमर अब्दुल्ला ने राजनीति में अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है.

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कवि कुमार विश्वास

कुमार विश्वास एक प्रसिद्ध हिंदी कवि, लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर हैं. उनका जन्म 10 फ़रवरी 1970 को हुआ था. वे मुख्य रूप से अपनी हिंदी कविताओं और गीतों के लिए जाने जाते हैं जो अक्सर प्रेम, देशभक्ति, और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित होते हैं.

कुमार विश्वास ने अपनी कविताओं के माध्यम से विशेष रूप से युवाओं में एक व्यापक पहचान बनाई है. उनकी कविताएं आमतौर पर जीवन की सरलता और उसके गहरे अर्थों को उजागर करती हैं. उन्हें उनकी कविता ‘कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है’ के लिए विशेष रूप से जाना जाता है, जिसे उन्होंने विभिन्न मंचों पर सुनाया है और जिसे बहुत सराहा गया है.

कुमार विश्वास ने राजनीति में भी कदम रखा है. वे आम आदमी पार्टी (AAP) के सक्रिय सदस्य रहे हैं और वर्ष 2014 के आम चुनावों में अमेठी से उम्मीदवार भी रहे थे. हालांकि, वे चुनाव नहीं जीत सके थे.

कुमार विश्वास अपने अभिव्यक्तिपूर्ण और आकर्षक व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं. वे युवाओं के बीच एक प्रेरणास्रोत माने जाते हैं और उन्होंने कई युवा मेलों, कॉलेज फेस्टिवल्स और काव्य संगीत कार्यक्रमों में अपनी कविताओं का पाठ किया है.

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महिला एथलीट प्रियंका गोस्वामी

प्रियंका गोस्वामी एक भारतीय महिला एथलीट हैं, जो पैदल चाल (रेस वॉक) में अपनी उत्कृष्टता के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 10 मार्च 1996 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में हुआ था. उन्होंने वर्ष 2022 के बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में 10,000 मीटर पैदल चाल स्पर्धा में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया. वह इस स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं.

प्रियंका ने वर्ष 2021 के टोक्यो ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था. हालांकि, वह वहां 17वें स्थान पर रहीं. उन्होंने भारतीय रेलवे में भी काम किया है और अपने खेल कैरियर के दौरान कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है.

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अभिनेत्री प्रनूतन बहल

प्रनूतन बहल एक भारतीय अभिनेत्री और वकील हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में काम करती हैं. उनका जन्म 10 मार्च 1993 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. वह प्रसिद्ध अभिनेता मोहनीश बहल और एकता सोहिनी की बेटी हैं. प्रनूतन, दिग्गज अभिनेत्री नूतन की पोती और काजोल तथा तनीषा मुखर्जी की भतीजी भी हैं.

उन्होंने वर्ष 2019 में फिल्म नोटबुक से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने एक कश्मीरी शिक्षिका, फिरदौस कादरी का किरदार निभाया. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला पदार्पण के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार का नामांकन मिला. इसके बाद, उन्होंने वर्ष 2021 की फिल्म हेलमेट में अभिनय किया, जो भारत में कंडोम के उपयोग से जुड़ी सामाजिक वर्जनाओं पर आधारित थी.

प्रनूतन ने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून में स्नातक की पढ़ाई की और मुंबई विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ लॉ (एलएलएम) की डिग्री प्राप्त की. वह पेशे से वकील भी हैं.

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सावित्रीबाई फुले

सावित्रीबाई फुले भारतीय समाज में समाजसेविका और महात्मा ज्योतिराव फुले की पत्नी थीं, जिन्होंने 19वीं सदी के मध्य में महाराष्ट्र में जातिवाद और सामाजिक असमानता के खिलाफ समर्थन किया. सावित्रीबाई फुले को “भारतीय महात्मा” कहा जाता है और उन्हें भारतीय समाज में शिक्षा, जातिवाद और महिला समाजसेवा के क्षेत्र में उनके प्रमुख योगदान के लिए याद किया जाता है.

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव गाँव में हुआ था. इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था.  सावित्रीबाई फुले का विवाह वर्ष 1841 में ज्योतिराव फुले से हुआ था.

सावित्रीबाई भारत की पहली महिला शिक्षिका बनीं. वर्ष1848 में उन्होंने पुणे में पहला बालिका विद्यालय खोला. शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने महिलाओं और समाज के पिछड़े वर्गों को शिक्षित किया. उन्होंने विधवा विवाह को बढ़ावा दिया और बाल विवाह का विरोध किया साथ ही विधवाओं और उनके बच्चों के लिए बालहत्या प्रतिबंधक गृह की भी स्थापना की. सावित्रीबाई अस्पृश्यता के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय रहीं.

सावित्रीबाई ने कविताओं के माध्यम से महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए जागरूकता फैलाई. उनकी कविताओं का संग्रह “काव्यफुले” और “भवानिकाव्य” के नाम से प्रसिद्ध है. वर्ष 1897 में पुणे में प्लेग की महामारी के दौरान उन्होंने मरीजों की सेवा के लिए एक केंद्र स्थापित कर मरीजों की सेवा करते हुए वह स्वयं प्लेग से संक्रमित हो गईं और उनकी मृत्यु हो गई.

सावित्रीबाई फुले का निधन 10 मार्च 1897 को हुआ था. सावित्रीबाई फुले भारतीय समाज में नारी शिक्षा और सामाजिक सुधारों की आधारशिला थीं. उन्हें भारत में महिलाओं की शिक्षा की ” माँ ” के रूप में सम्मानित किया जाता है. सावित्रीबाई फुले की जयंती, 3 जनवरी, को भारत में महिला शिक्षा दिवस और समानता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. उनके संघर्ष और योगदान से प्रेरणा लेकर भारत में नारी सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में अनेक बदलाव आए हैं.

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साहित्यकार गुलशेर ख़ाँ शानी

गुलशेर ख़ाँ शानी एक कथाकार एवं साहित्य अकादमी की पत्रिका ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ और ‘साक्षात्कार’ के संस्थापक-संपादक थे. उनका जन्म 16 मई 1933 को छत्तीसगढ़ के जगदलपुर, बस्तर में हुआ था. वो  हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखकों में से एक माने जाते हैं.

उन्होंने अपनी शिक्षा जगदलपुर और बाद में विक्रम विश्वविद्यालय से पूरी की. शानी ने विभिन्न नौकरियां कीं और अंततः साहित्य अकादमी में हिंदी संपादक के रूप में काम किया. वे आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख मुस्लिम लेखकों में से एक थे और उन्होंने भारतीय मुसलमानों के जीवन को अपनी रचनाओं में चित्रित किया.

शानी ने कई प्रसिद्ध उपन्यास और कहानी संग्रह लिखे, जिनमें ‘काला जल’, ‘फूल तोड़ना मना है’, और ‘साँप और सीढ़ी’ शामिल हैं. उनकी लेखनी में सामाजिक और पारिवारिक संबंधों पर गहराई से चिंतन किया गया है. उनकी कहानियाँ और उपन्यास सामाजिक यथार्थ को दर्शाते हैं और उन्होंने हिंदी साहित्य में विषयगत रूढ़ियों से हटकर नई प्रवृत्तियों की शुरुआत की. उन्होंने अपनी कृतियों में विशेष रूप से भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन का चित्रण किया, जो उन्हें विशिष्ट बनाता है. गुलशेर ख़ाँ शानी का निधन 10 फ़रवरी 1995 को हुआ था.

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कवि सुदामा पांडेय ‘धूमिल’

सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि थे, जिनका जन्म 9 नवंबर 1936 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था. उन्होंने हिंदी कविता में एक नया मोड़ लाया, खासकर वर्ष 1960 -70 के दशक में. धूमिल की कविताएं मुख्य रूप से सामाजिक असमानता, राजनीतिक भ्रष्टाचार, और मानवीय संघर्षों पर केंद्रित होती थीं. उनकी रचनाओं में तीखी आलोचना और गहरा व्यंग्य पाया जाता है, जो समाज के विसंगतियों को उजागर करता है.

धूमिल को उनके जीवनकाल में काफी प्रसिद्धि नहीं मिली, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनके साहित्य की महत्वपूर्णता और उनकी कविताओं की गहराई को व्यापक रूप से सराहा गया. उनकी कुछ प्रमुख कृतियों में ‘संसद से सड़क तक’, ‘कल सुनना मुझे’ और ‘धूमिल की कविताएँ‘ शामिल हैं. धूमिल की कविताएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं और हिंदी साहित्य में उनका एक विशेष स्थान है.

धूमिल की कविताओं में जनता के प्रति उनकी गहरी संवेदना और व्यवस्था के प्रति उनका असंतोष स्पष्ट रूप से झलकता है. वे अपनी कविताओं में आम आदमी की आवाज बनकर उभरे और अपने लेखन के माध्यम से समाज में जागरूकता और परिवर्तन की दिशा में योगदान दिया. धूमिल की कविताओं में आक्रोश के साथ-साथ एक गहरी दृष्टि भी मिलती है, जो उन्हें हिंदी साहित्य में एक अनूठा स्थान देती है. सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ का निधन 10 फरवरी 1975 को हुआ था.

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