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व्यक्ति विशेष

भाग – 399.

साहित्यकार जयशंकर प्रसाद

साहित्यकार जयशंकर प्रसाद भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण नामों में से एक थे, और वे हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि और नाटककार थे. जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनके पितामह शिव रत्न साहु वाराणसी के अत्यन्त प्रतिष्ठित नागरिक थे और एक विशेष प्रकार की सुरती (तम्बाकू) बनाने के कारण ‘सुँघनी साहु’ के नाम से विख्यात थे. उनके पिता का नाम  देवीप्रसाद साहु है. जयशंकर प्रसाद की शिक्षा घर पर ही आरम्भ हुई थी.

उन्होंने अपने लेखनी से हिंदी साहित्य को नए और मोदर्न दिशाओं में ले जाने का प्रयास किया. उनकी कविताएँ, कहानियाँ और नाटक अपने समय के भारतीय समाज की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उजागर करते थे.

उनकी प्रमुख रचनाएँ:

” कामायनी ” (Kamayani) यह काव्य ग्रंथ उनका महत्वपूर्ण काव्य रचना है जिसमें वे मानव जीवन, भावनाओं, और धर्म के मुद्दे पर विचार करते हैं.

” स्कंदगुप्त ” (Skandagupta) इस नाटक में उन्होंने भारतीय इतिहास के मौर्य वंश के एक महान सम्राट, स्कंदगुप्त, के जीवन को प्रस्तुत किया।

” चित्रांगदा ” (Chitrangada) यह भारतीय महाकाव्य “महाभारत” की एक घटना पर आधारित एक नाटक है.

जयशंकर प्रसाद को “छायावाद” के आदि कवि माने जाते है, और उनका योगदान हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण है. उनकी रचनाओं में भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों का महत्वपूर्ण स्थान है और वे साहित्य के माध्यम से समाज को सुधारने का संदेश देते थे. जयशंकर प्रसाद का निधन 15 नवम्बर1937 को हुआ था.

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हरित क्रांति के जनक सी. सुब्रह्मण्यम

सी. सुब्रह्मण्यम (चिदंबरम सुब्रह्मण्यम) को भारत में “हरित क्रांति के जनक” के रूप में जाना जाता है. उन्होंने भारत में कृषि सुधारों और खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. वर्ष 1960 के दशक में, भारत गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहा था, और भुखमरी एक गंभीर समस्या बन गई थी. इस चुनौती का समाधान करने के लिए, सी. सुब्रह्मण्यम ने कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीकों और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने पर जोर दिया.

सी. सुब्रह्मण्यम का जन्म 30 जनवरी 1910 को कोयम्बटूर ज़िले के ‘पोलाची’ नामक स्थान पर हुआ था और उनका निधन 7 नवम्बर 2000 को हुआ. सी. सुब्रह्मण्यम ने भारत में उच्च उपज देने वाले गेहूं और धान के बीजों का उपयोग बढ़ावा दिया. इसके लिए उन्होंने अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग के साथ मिलकर काम किया, जो बोरलॉग की गेहूं की किस्मों को भारत लाए. उन्होंने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग को बढ़ावा दिया ताकि फसलों की उपज बढ़ाई जा सके और उन्हें कीटों से सुरक्षित रखा जा सके.

सी. सुब्रह्मण्यम ने कृषि विज्ञान केंद्रों और अनुसंधान संस्थानों की स्थापना में भी मदद की, जिनका उद्देश्य नई तकनीकों का विकास और किसानों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करना था. उन्होंने सिंचाई परियोजनाओं को भी प्राथमिकता दी, ताकि किसानों को कृषि के लिए स्थायी जल आपूर्ति मिल सके.

सी. सुब्रह्मण्यम के प्रयासों का नतीजा यह रहा कि भारत ने वर्ष 1970 के दशक में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल की और कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार हुआ. उनके इस योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया.

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चित्रकार अमृता शेरगिल

अमृता शेरगिल एक चित्रकार थी जो 20वीं सदी की प्रमुख कला कल्पना के प्रति अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं. वह वर्ष 1913 में बुढ़पेस्ट, हंगरी, में पैदा हुई थी और वर्ष 1941 में इंडिया में अपने छवियों की एक छोटी उम्र में मौत हो गई.

अमृता शेरगिल का काम भारतीय और पश्चिमी कला के मिश्रण को प्रस्तुत करता है, और वे अपनी प्रतिभा के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने अपने चित्रों में भारतीय समाज की जीवन और संस्कृति को अद्वितीय तरीके से प्रकट किया। उनकी कला का एक मुख्य विशेषता था कि वे मानव रूपरेखा को बहुत ही सटीकता से दर्शाती थीं और अपनी छवियों में भावनाओं को अभिव्यक्त करने में माहिर थीं.

अमृता शेरगिल का काम आज भी भारतीय कला के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त करता है और उन्होंने भारतीय कला समुदाय में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है. उनकी कला के कुछ प्रमुख चित्र हैं “ब्राह्मणी” और “वर्गा गर्ल” जो उनकी महत्वपूर्ण छवियों में से कुछ हैं.

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प्रकृतिवादी कैलास सांखला

कैलाश सांखला भारत के प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षक और प्रकृतिवादी थे. उन्होंने भारत में बाघ संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और प्रोजेक्ट टाइगर के पहले निदेशक बने.

कैलास सांखला  का जन्म 30 जनवरी, 1925 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ था. वर्ष 1953 में वे वन सेवा में आए और वर्ष 1970 में बाघों पर रिसर्च और अध्ययन के लिए कैलाश सांखला को ‘जवाहर लाल नेहरू फेलोशिप’ मिली. बताते चलें कि, ये फैलोशिप हासिल करने वाले वे देश के पहले नौकरशाह थे. वर्ष  1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ शुरू हुआ तो कैलाश सांखला इसके पहले डायरेक्टर बनाए गए. इस योजना का उद्देश्य बाघों की तेजी से घटती संख्या को रोकना और उनके प्राकृतिक आवासों का संरक्षण करना था.

कैलास सांखला ने रणथंभौर, कान्हा, सुंरबन, और कॉर्बेट जैसे कई राष्ट्रीय उद्यानों और बाघ अभयारण्यों के विकास में योगदान दिया. उन्होंने बाघों की संख्या बढ़ाने और उनके संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाई साथ ही उन्होंने इस विषय पर कई किताबें भी लिखीं, जिनमें “Tiger! The Story of the Indian Tiger” प्रमुख है.

कैलास सांखला को वन्यजीव संरक्षण में उनके योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले.  जिनमें – 

 वर्ष 1969 में बाघ के अध्ययन के लिए ‘जवाहर लाल नेहरू फैलोशिप पुरस्कार’ प्राप्त करने वाले कैलास सांखला पहले सिविल सेवक थे.

 वर्ष 1965 में राजस्थान सरकार ने वन्यजीव संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान के लिए सांखला को ‘मेरिट पुरस्कार’ दिया.

 वर्ष 1982 में उन्हें शेर पर अपनी पुस्तक के लिए एक मेरिट पुरस्कार मिला.

कैलास सांखला को वर्ष 1992 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया.

कैलाश सांखला को भारत में बाघ संरक्षण का अग्रदूत माना जाता है. उनकी मेहनत और दूरदृष्टि के कारण ही आज भारत विश्व में बाघों की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बना हुआ है. कैलास सांखला का निधन 15 अगस्त, 1994 को हुआ था.

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अभिनेता रमेश देव

रमेश देव भारतीय सिनेमा के एक प्रतिष्ठित अभिनेता थे, जिन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों में सहायक, खलनायक और हास्य भूमिकाओं में अपनी अलग पहचान बनाई. उनका कैरियर छह दशकों तक फैला रहा, और उन्होंने 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया.

रमेश देव का जन्म 30 जनवरी 1929 को कोल्हापुर, महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने हिंदी और मराठी सिनेमा में काम किया. उनकी पत्नी का नाम सीमा देव (अभिनेत्री) और उनकी बेटा अजिंक्य देव (अभिनेता) है. उन्होंने राजश्री प्रोडक्शंस की फ़िल्म ‘आरती’ से हिन्दी सिनेमा में अपने अभिनय के कैरियर की शुरुआत की थी. अभिनेता रमेश देव ने अपने लंबे फ़िल्मी कॅरियर में ‘सोने पर सुहागा’, ‘आजाद देश के गुलाम’, ‘कुदरत का कानून’, ‘इलजाम’, ‘पत्थर दिल’, ‘हम नौजवान’, ‘कर्मयुद्ध’, ‘मैं आवारा हूं’, ‘आखिरी दांव’, ‘प्रेम नगर’, ‘कोरा कागज’ जैसी कई फ़िल्मों में शानदार अभिनय किया था.  उन्होंने कई टीवी धारावाहिकों और विज्ञापनों में भी काम किया.

रमेश देव को कई सम्मानों से सम्मानित किया गया जिनमें – 

महाराष्ट्र सरकार का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड,

मराठी फिल्म इंडस्ट्री में योगदान के लिए विशेष सम्मान,

विविध हिंदी और मराठी पुरस्कार समारोहों में सम्मानित।

रमेश देव का निधन 2 फरवरी 2022 को मुंबई में हार्ट अटैक से हुआ था. उनकी मृत्यु से भारतीय सिनेमा ने एक अनुभवी और प्रतिभाशाली अभिनेता को खो दिया।

रमेश देव एक सुपरिचित सहायक अभिनेता थे, जिन्होंने अपनी सादगी, अभिनय कौशल और विविध भूमिकाओं से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। वे आज भी अपने संवेदनशील अभिनय और फिल्मों में दिए योगदान के लिए याद किए जाते हैं.

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अभिनेत्री गुरदीप कोहली

गुरदीप कोहली एक प्रसिद्ध भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री हैं, जो ‘संजीवनी’ में डॉक्टर जूही सिंह की भूमिका के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने कई टीवी धारावाहिकों, वेब सीरीज और फिल्मों में काम किया है.

गुरदीप कोहली का जन्म 30 जनवरी 1980 को पंजाब के एक सिख परिवार में हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत टेलीविजन से की थी. उन्होंने अपना सबसे महत्वपूर्ण अभिनय स्टार प्लस के धारावाहिक संजीवनी में किया. बाद में उन्होंने ज़ी टीवी के धारावाहिक सिंदूर तेरे नाम का में काम किया. गुरदीप ने अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत प्रभु देवा निर्देशित बॉलीवुड फिल्म राउडी राठौर से की.

टीवी: –

संजीवनी (2002-2005) – डॉक्टर जूही सिंह की भूमिका से मशहूर हुईं.

सिंदूर तेरे नाम का (2005-2007) – वेदिका अग्रवाल की मुख्य भूमिका निभाई.

दिल की बातें दिल ही जाने (2015) – महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आईं.

संजीवनी 2 (2019-2020) – डॉक्टर जूही सिंह के रूप में वापसी.

दीया और बाती हम – संध्या की सास भाभो की भूमिका निभाई.

फिल्म और वेब सीरीज: –

रोवन पोन्नू (2023) – तमिल फिल्म में भूमिका.

सिंह इज़ ब्लिंग (2015) – अक्षय कुमार के साथ स्क्रीन साझा की.

द टेस्ट केस (2018, वेब सीरीज) – महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

गुरदीप कोहली का विवाह वर्ष 2006 में अभिनेता अर्जुन पुंज से हुआ था. उनके दो बच्चे हैं. गुरदीप कोहली ने टेलीविजन से फिल्मों और वेब सीरीज तक अपनी अलग पहचान बनाई है. उनका अभिनय संजीवनी जैसी सीरियल्स में आज भी याद किया जाता है.

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अभिनेत्री पूजा गुप्ता

पूजा गुप्ता एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जिन्होंने वर्ष 2007 में मिस इंडिया यूनिवर्स का खिताब जीता था. इसके बाद उन्होंने मॉडलिंग और बॉलीवुड फिल्मों में अपने कैरियर की शुरुआत की.

पूजा गुप्ता का जन्म 6 जुलाई 1988 को नई दिल्ली में हुआ था. उनकी शुरुआती पढाई दिल्ली से पूरी की. उन्होंने हिंदी सिनेमा में रेमो डिसूजा निर्देशित फिल्म फालतू से कदम रखा था.

फ़िल्में: –  फालतू (2011), गो गोवा गॉन (2013),  शॉर्टकट रोमियो (2013) , हेट स्टोरी 3 (2015) , ओम: द बैटल विदिन (2022).

पूजा गुप्ता ने मॉडलिंग से फिल्मों तक का सफर तय किया और खासकर ‘गो गोवा गॉन’ जैसी फिल्मों से पहचान बनाई. वे फैशन और ग्लैमरस वर्ल्ड में भी सक्रिय हैं.

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महात्मा गांधी…

 महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे, जिन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका जीवन सादगी, सच्चाई और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था.

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू या राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे. उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था. उनके पिता का नाम करमचन्द गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था. महात्मा गांधी का विवाह वर्ष 1883 में कस्तूरबा बाई मकनजी के साथ हुआ था. उनके पुत्र (हरिलाल, मणिलाल,रामदास और देवदास गाँधी) थे.

गांधीजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में प्राप्त की. वर्ष 1888 में इंग्लैंड गए और लंदन के इनर टेम्पल से वकालत की पढ़ाई की. वर्ष 1893 में वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया और सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की.

गांधी जी वर्ष 1915 में भारत लौट आए और यहाँ भी उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. गांधी जी 1915 में भारत लौट आए और यहाँ भी उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया. उनके अहिंसक सिद्धांतों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया और अंततः भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली.

गांधी जी को उनकी सादगी, अहिंसा और मानवता के प्रति प्रेम के लिए जाना जाता है. वे हमेशा गरीबों और वंचितों के अधिकारों के लिए खड़े रहे. 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी. उनकी अंतिम शब्द “हे राम” थे.

महात्मा गांधी का जीवन और उनके विचार आज भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करते हैं. उन्होंने हमें सिखाया कि अहिंसा और प्रेम से किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है.

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माखन लाल चतुर्वेदी

चाह नहीं मैं सुरबाला के, गहनों में गूँथा जाऊँ

चाह नहीं, प्रेमी-माला में, बिंध प्यारी को ललचाऊँ,

माखनलाल चतुर्वेदी एक प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार, कवि, नाटककार, पत्रकार, और अध्यापक थे. जिनका जन्म 4 अप्रैल, 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद घर पर ही अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, गुजराती आदि भाषाओं का अध्ययन किया. उन्होंने मात्र 16 वर्ष की आयु में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया.

माखनलाल चतुर्वेदी ने हिंदी साहित्य में अपनी गहरी छाप छोड़ी. उनकी कविताएँ अक्सर देशभक्ति, प्रकृति की सुंदरता, और मानवीय भावनाओं की गहराई को उजागर करती हैं. उनकी रचनाओं में एक विशेष ओज और संवेदनशीलता है, जो पाठकों को उनके दिल की गहराइयों तक ले जाती है.

उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता “पुष्प की अभिलाषा” है, जिसमें एक फूल अपनी इच्छा व्यक्त करता है कि उसे माली द्वारा नहीं बल्कि देश के लिए बलिदान होने वाले वीरों की छाती पर सजाया जाए. इस कविता में फूल के माध्यम से माखनलाल ने बलिदान और देशप्रेम की गहरी भावनाओं को व्यक्त किया है.

उनकी रचनाएँ आज भी हमें प्रेरणा देती हैं और उनकी काव्यात्मक शैली और भावनाओं की गहराई के लिए सराही जाती हैं. माखनलाल की अन्य प्रमुख कृतियों में ‘हिमकिरीटिनी’, ‘हिमतरंगिणी’, ‘युगचरण’, ‘समर्पण’ आदि शामिल हैं, जो हिंदी साहित्य में उनके योगदान को दर्शाती हैं. माखनलाल चतुर्वेदी ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई और वे असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में प्रमुखता से शामिल हुए.

माखनलाल चतुर्वेदी की मृत्यु 30 जनवरी 1968 ई. को हुई थी. माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएँ और उनका जीवन हमें न केवल कला के प्रति उनके समर्पण की कहानी बताते हैं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की भी, जिसने अपने देश के लिए गहरा प्रेम महसूस किया और उसे अपनी रचनाओं में व्यक्त किया.

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