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व्यक्ति विशेष

भाग – 431.

फ़िल्म निर्माता व वितरक गुलशन राय

गुलशन राय भारतीय सिनेमा के एक फिल्म निर्माता और वितरक थे, जिन्होंने वर्ष 1960 – 90 के दशक तक हिंदी फिल्म उद्योग में बड़ा योगदान दिया. वे अपने प्रोडक्शन हाउस त्रिमूर्ति फिल्म्स (Trimurti Films) के तहत कई हिट फिल्मों के निर्माण के लिए जाने जाते थे. उनका नाम भारतीय सिनेमा के इतिहास में बड़े पैमाने पर बनने वाली और व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मों के साथ जुड़ा हुआ है. गुलशन राय न केवल सफल निर्माता थे, बल्कि उन्होंने फिल्मों के वितरण क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

गुलशन राय का जन्म 2 मार्च, 1924 में आज़ादी से पूर्व लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था. उनका शुरुआती कैरियर फिल्म वितरण में था, जहां उन्होंने कई फिल्मों के वितरक के रूप में काम किया. इसके बाद उन्होंने फिल्म निर्माण की दुनिया में कदम रखा और त्रिमूर्ति फिल्म्स के तहत कई बड़ी और सफल फिल्मों का निर्माण किया. गुलशन राय ने कई हिट फिल्में बनाई, जो बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफल रहीं और आज भी क्लासिक मानी जाती हैं. उनकी फिल्मों में एक्शन, ड्रामा और सामाजिक मुद्दों पर आधारित कहानियाँ शामिल होती थीं.

प्रमुख फिल्में: –

जॉनी मेरा नाम (1970): – देव आनंद और प्राण की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी थी. यह फिल्म गुलशन राय के लिए एक बड़ी हिट साबित हुई और उनके प्रोडक्शन हाउस त्रिमूर्ति फिल्म्स की पहचान को और मजबूत किया.

दीवार (1975): – यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित और अमिताभ बच्चन अभिनीत इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा में क्रांति ला दी. यह फिल्म गुलशन राय की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है, जिसमें एक गरीब युवक के संघर्ष को दर्शाया गया है.

त्रिशूल (1978): – यह भी यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित और गुलशन राय द्वारा निर्मित एक और हिट फिल्म थी, जिसमें अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार और शशि कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे.

विधाता (1982): – दिलीप कुमार, संजय दत्त और शम्मी कपूर की प्रमुख भूमिकाओं में यह एक और सफल फिल्म थी, जिसमें गुलशन राय ने निर्माता के रूप में काम किया.

महान (1983): – इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने तीन भूमिकाएँ निभाईं और इसे गुलशन राय ने प्रोड्यूस किया.

मोहरा (1994): – इस एक्शन थ्रिलर फिल्म ने वर्ष 1990 के दशक में धूम मचाई थी और इसे भी गुलशन राय के प्रोडक्शन हाउस त्रिमूर्ति फिल्म्स के तहत बनाया गया था. फिल्म में अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और रवीना टंडन जैसे सितारे थे.

गुलशन राय की फिल्मों में अक्सर बड़े सितारे होते थे और वे उच्च स्तर की प्रोडक्शन वैल्यू के लिए जानी जाती थीं. उनकी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों पर गहरी बातें कही जाती थीं, खासकर भ्रष्टाचार, गरीबी और अन्याय के खिलाफ संघर्ष. इसके साथ ही उनकी फिल्मों में मनोरंजन का भरपूर तड़का होता था, जो उन्हें व्यावसायिक रूप से सफल बनाता था.

गुलशन राय न केवल फिल्म निर्माता थे, बल्कि वितरक के रूप में भी उन्होंने भारतीय सिनेमा को नया आयाम दिया. उन्होंने कई फिल्मों का वितरण किया, जो हिंदी सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुईं. उनकी फिल्म वितरण शैली ने उन्हें फिल्म उद्योग के सबसे महत्वपूर्ण वितरकों में से एक बना दिया.।

गुलशन राय का निधन 11 अक्टूबर 2004 को हुआ. उन्होंने अपने जीवनकाल में भारतीय सिनेमा को कई हिट और यादगार फिल्में दीं. उनकी फिल्मों का प्रभाव आज भी हिंदी सिनेमा में देखा जा सकता है. उनके बेटे, राजीव राय, ने भी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और “त्रिमूर्ति फिल्म्स” के बैनर तले सफल फिल्में बनाई. गुलशन राय भारतीय सिनेमा में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं और उनकी बनाई फिल्में आज भी दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. उनकी फिल्मों ने सिनेमा की गुणवत्ता और व्यावसायिक सफलता दोनों में एक उच्च मानदंड स्थापित किया.

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राजनीतिज्ञ पी. के. वासुदेवन नायर

पी. के. वासुदेवन नायर भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्तित्व रहे हैं. उनका जन्म  2 मार्च 1926 को केरल के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से की और बाद में वे केरल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में उभरे.

पी. के. वासुदेवन नायर ने वर्ष 1950 के दशक में केरल विधानसभा चुनाव में भाग लिया और विधायक के रूप में चुने गए. उन्होंने कई बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीते और राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। वे वर्ष 1967- 69 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे. उनके कार्यकाल में केरल में कई विकासात्मक और सामाजिक परिवर्तन हुए, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में प्रगति शामिल है.

पी. के. वासुदेवन नायर ने केरल की राजनीति में समाजवादी और कम्युनिस्ट विचारधारा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने गरीबों और मजदूर वर्ग के हितों के लिए कई योजनाएं शुरू कीं और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया. उनके नेतृत्व में केरल ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की.

पी. के. वासुदेवन नायर का निजी जीवन सादगी और ईमानदारी से भरा था. उन्होंने अपने परिवार और समाज के प्रति गहरी प्रतिबद्धता दिखाई. उनकी मृत्यु 12 जुलाई, 2005 को हुई थी, लेकिन उनकी विरासत आज भी केरल की राजनीति और समाज में जीवित है. पी. के. वासुदेवन नायर एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा और राजनीतिक सुधार के लिए समर्पित कर दिया. उनका योगदान केरल और भारतीय राजनीति के इतिहास में सदैव याद किया जाए.

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मनोरंजन साहू

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के पूर्व प्रमुख, शल्य चिकित्सा विभाग के पूर्व अध्यक्ष और क्षारसूत्र चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञ हैं मनोरंजन साहू. साहू का जन्म 2 मार्च, 1953 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में हुआ था. मनोरंजन साहू ने वर्ष 1977 में उन्होंने स्टेट आयुर्वेदिक कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. उसके बाद एमडी और पीएचडी की उपाधि काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पूरी की.

प्रो. मनोरंजन साहू बीएचयू आयुर्वेद संकाय के डीन रहे. उन्होंने अपने कार्यकाल में बीएचयू में वर्ष 2013 में देश का पहला क्षार सूत्र केंद्र बनवाया था. प्रो. मनोरंजन साहू को आयुष विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2008 में सम्मान, वर्ष 2014 में वैद्य सुंदरलाल जोशी मेमोरियल अवार्ड सहित अन्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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अभिनेता किशोर भट्ट

किशोर भट्ट एक भारतीय आवाज अभिनेता हैं जो मुख्य रूप से हिंदी में विदेशी मीडिया के लिए डबिंग करते हैं. उन्होंने कई लोकप्रिय एनिमेशन शो और फिल्मों में अपनी आवाज दी है, जैसे कि “जैकी चेन एडवेंचर्स” में चाचा चान के रूप में, “सामुराई जैक” में अकू, और “द बैटमैन” में जेम्स गॉर्डन के रूप में.

उन्होंने “श्रेक” सीरीज में पुस इन बूट्स की भूमिका के लिए भी हिंदी डबिंग की है. किशोर भट्ट का जन्म  2 मार्च 1951 को हुआ था.

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अभिनेता टाइगर श्रॉफ

टाइगर श्रॉफ, जिनका असली नाम जय हेमंत श्रॉफ है, एक भारतीय अभिनेता, डांसर, और मार्शल आर्टिस्ट हैं. उनका जन्म 2 मार्च 1990 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. वे बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ और फिल्म निर्माता आयशा दत्त के बेटे हैं.

टाइगर ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत वर्ष 2014 में फिल्म ‘हीरोपंती’ से की थी, जिसके लिए उन्हें बेस्ट मेल डेब्यू के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड नामांकन प्राप्त हुआ. उनकी फिल्म ‘बागी’ 2016 में रिलीज हुई और यह बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई.

टाइगर अपने शानदार डांस और स्टंट्स के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने 4 साल की उम्र से ही मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी और उन्होंने बचपन से ही स्पोर्ट्स में गहरी रुचि दिखाई है. टाइगर ब्रूस ली और माइकल जैक्सन को अपना आदर्श मानते हैं और उनके पास कुल संपत्ति लगभग 50 करोड़ रुपए है.

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प्रथम राज्यपाल हरकोर्ट बटलर

सर हरकोर्ट बटलर, जिनका पूरा नाम सर स्पेन्सर हरकोर्ट बटलर था, उत्तर प्रदेश के पहले राज्यपाल थे. उनका जन्म 1 अगस्त 1869 को हुआ था और उनकी मृत्यु 2 मार्च 1938 को हुई. वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में वर्ष 1921-22 तक सेवा की थी और बाद में वर्ष 1923 – 27 तक बर्मा (वर्तमान में म्यांमार) के राज्यपाल रहे. उन्होंने भारत में विभिन्न प्रशासनिक भूमिकाओं में कार्य किया था, जैसे कि सहायक कलक्टर, मजिस्ट्रेट, राजस्व परिषद के संयुक्त सचिव, बंदोबस्त अधिकारी, भुखमरी आयोग के सचिव, और उत्तर प्रदेश शासन के वित्त सचिव एवं न्याय सचिव​​​​.

बटलर पैलेस, जो लखनऊ में स्थित है, उनके नाम से प्रसिद्ध है. यह राजस्थानी शैली में निर्मित एक भव्य महल था, हालांकि यह पूरा नहीं हो पाया था. इस महल के बारे में कई रहस्यमयी कहानियां हैं.

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कवयित्री सरोजिनी नायडू

सरोजिनी नायडू भारतीय इतिहास की एक प्रमुख महिला थीं, जो अपनी कविताओं और राजनीतिक योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं. वे “भारत कोकिला” के नाम से भी जानी जाती हैं. उन्होंने अपनी कविताओं में भारतीय संस्कृति और परंपराओं की खूबसूरती को दर्शाया है. सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था और उनका निधन 2 मार्च 1949 को कानपुर में हुआ था.

वे एक उत्कृष्ट छात्रा थीं और उन्होंने कई विषयों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. उन्होंने इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त की और वहां उनकी मुलाकात कई प्रमुख व्यक्तियों से हुई. उनकी कविताएँ अंग्रेजी में लिखी गईं थीं, लेकिन उनमें भारतीय संवेदना की गहराई को महसूस किया जा सकता है.

सरोजिनी नायडू ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी एक सक्रिय भूमिका निभाई थी. वे महिला आंदोलनों और उनके अधिकारों की मुखर समर्थक थीं. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया और उत्तर प्रदेश की पहली महिला गवर्नर बनीं.

सरोजिनी नायडू की कुछ प्रमुख कृतियाँ हैं “द गोल्डन थ्रेशोल्ड”, “द बर्ड ऑफ टाइम”, और “द ब्रोकन विंग”. उनकी कविताएं आज भी प्रेरणादायक हैं और उन्हें भारतीय साहित्य में एक विशेष स्थान प्राप्त है.

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