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व्यक्ति विशेष

भाग – 430.

आर्थोपेडिक सर्जन बिष्णुपद मुखर्जी

बिष्णुपद मुखर्जी एक प्रसिद्ध भारतीय आर्थोपेडिक सर्जन थे, जिन्हें चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान और आर्थोपेडिक्स में विशेष विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है. उन्होंने कई नवाचार किए और आर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. बिष्णुपद मुखर्जी का जन्म 1 अक्टूबर 1911 को पश्चिम बंगाल में हुआ था. उन्होंने अपनी मेडिकल शिक्षा कोलकाता मेडिकल कॉलेज से पूरी की. बाद में, उन्होंने आर्थोपेडिक्स में विशेषज्ञता प्राप्त की और विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त की.

 बिष्णुपद मुखर्जी ने आर्थोपेडिक सर्जन के रूप में अपनी प्रैक्टिस की शुरुआत की और जल्दी ही इस क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त की. उन्होंने कई जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक कीं. उन्हें विशेष रूप से कूल्हे की रिप्लेसमेंट सर्जरी में नवाचार के लिए जाना जाता है. उन्होंने हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की कई नई तकनीकों को विकसित कर उसे लागू किया.

बिष्णुपद मुखर्जी एक महान शिक्षक भी थे. उन्होंने कई मेडिकल छात्रों और प्रशिक्षुओं को आर्थोपेडिक्स सिखाया और प्रशिक्षित किया. उनके द्वारा प्रशिक्षित कई डॉक्टर आज भी इस क्षेत्र में कार्यरत हैं. उन्होंने गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए मुफ्त चिकित्सा सेवाएं भी प्रदान कीं. उनके योगदान से कई लोग लाभान्वित हुए. बिष्णुपद मुखर्जी को उनके चिकित्सा क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए. भारत सरकार ने उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए वर्ष 1962 में पद्म भूषण से सम्मानित किया.

 बिष्णुपद मुखर्जी का परिवार कोलकाता में रहता था, और उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय वहीं बिताया. उन्हें पढ़ने, लिखने और चिकित्सा साहित्य में अनुसंधान करने का शौक था. उनके द्वारा विकसित की गई सर्जिकल तकनीकों का आज भी आर्थोपेडिक्स में व्यापक उपयोग होता है. उनके काम और समर्पण ने कई युवा डॉक्टरों और सर्जनों को प्रेरित किया है.

बिष्णुपद मुखर्जी का जीवन और उनके योगदान भारतीय चिकित्सा जगत में हमेशा याद रखे जाएंगे. उनके नवाचार और समर्पण ने आर्थोपेडिक्स के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ स्थापित की हैं.

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साहित्यकार करतार सिंह दुग्गल

करतार सिंह दुग्गल एक भारतीय साहित्यकार थे जिनका जन्म 1 मार्च 1917 को रावलपिंडी, अविभाजित पंजाब में हुआ था. उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा लाहौर के फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से प्राप्त की और अंग्रेज़ी में एम.ए. की डिग्री हासिल की. उनकी लेखनी में पंजाबी, हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी भाषाएँ शामिल थीं, और उन्होंने कहानियाँ, कविताएँ, उपन्यास, और नाटक लिखे.

दुग्गल ने अपने कैरियर के दौरान वर्ष 1942- 66 तक आकाशवाणी में विभिन्न पदों पर काम किया. इसके अलावा, वे वर्ष 1966- 73 तक नेशनल बुक ट्रस्ट के निदेशक और बाद में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सलाहकार के रूप में कार्यरत रहे.

उनकी पत्नी का नाम ‘आयशा’ था और उनका एक पुत्र भी है. दुग्गल की कहानियों और कविताओं के कुल  24 संग्रह प्रकाशित हुए हैं, और उनके द्वारा लिखित नाटक और उपन्यास भी साहित्य संसार में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. उन्हें उनके योगदान के लिए 1988 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ. करतार सिंह दुग्गल का निधन 26 जनवरी 2012 को दिल्ली में हुआ​​ था​​​​.

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उद्योगपति आर. पी. गोयनका

आर. पी. गोयनका, जिनका पूरा नाम राम प्रसाद गोयनका है, एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति थे. वे आरपीजी ग्रुप के संस्थापक थे, जो भारत में एक प्रमुख व्यावसायिक समूह है. आर. पी. गोयनका ने अपने व्यवसायिक ज्ञान और कौशल के साथ विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार का विस्तार किया, जिसमें टायर, आईटी, बिजली, रिटेल और अन्य कई उद्योग शामिल हैं.

आर. पी. गोयनका का जन्म 1 मार्च 1930 को कोलकत्ता में हुआ था और उनका निधन 14 अप्रैल 2013 को कोलकत्ता में हुआ. उनके नेतृत्व में, आरपीजी ग्रुप ने महत्वपूर्ण विकास किया और भारतीय उद्योग जगत में एक प्रमुख स्थान बनाया. आर. पी. गोयनका को उनके उद्यमी कौशल और व्यावसायिक सफलता के लिए व्यापक पहचान मिली. वे भारतीय उद्योग जगत में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में माने जाते थे.

आर. पी. गोयनका की विरासत उनके परिवार और उत्तराधिकारियों द्वारा आज भी जारी है, जो उनके व्यावसायिक साम्राज्य को आगे बढ़ा रहे हैं. उनका योगदान भारतीय उद्योग जगत में हमेशा याद किया जाएगा.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

नीतीश कुमार भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता और बिहार के मुख्यमंत्री हैं.उनका जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के नालंदा जिले के बख्तियारपुर गाँव में हुआ था. नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उन्हें राज्य के विकास और सुशासन के लिए जाना जाता है. उनकी राजनीतिक यात्रा काफी प्रेरणादायक है और उन्होंने कई उतार-चढ़ाव का सामना किया है.

नीतीश कुमार का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम कविराज राम लखन सिंह और माता का नाम परमेश्वरी देवी था. उन्होंने बिहार के प्रतिष्ठित कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त की और बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब एनआईटी पटना) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की.  शिक्षा के दौरान ही उनकी रुचि राजनीति में हो गई और वे छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए. उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले संपूर्ण क्रांति आंदोलन से की. इस आंदोलन ने भारतीय राजनीति को गहराई से प्रभावित किया और नीतीश कुमार ने भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाई. वर्ष 1980 के दशक में वे जनता दल में शामिल हो गए और लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाई.

नीतीश कुमार पहली बार वर्ष 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनका यह कार्यकाल केवल 7 दिनों तक ही चला. हालांकि, वर्ष 2005 में वे फिर से मुख्यमंत्री बने और इस बार उन्होंने लगातार तीन बार (वर्ष 2005, 2010, 2015) बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. उनके नेतृत्व में बिहार ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण और महिला सशक्तिकरण शामिल हैं. उन्हें “सुशासन बाबू” के नाम से भी जाना जाता है.  उनके नेतृत्व में बिहार ने कानून और व्यवस्था में सुधार, शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति और महिलाओं के लिए सुरक्षा और अवसरों में वृद्धि देखी. उन्होंने बिहार में शराबबंदी लागू करके महिलाओं की सुरक्षा और समाज में सुधार लाने का प्रयास किया.

नीतीश कुमार ने वर्ष 1994 में जनता दल से अलग होकर समता पार्टी की स्थापना की, जो बाद में जनता दल (यूनाइटेड) के नाम से जानी गई. उन्होंने कई बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के साथ गठबंधन किया. उनकी राजनीतिक रणनीति और गठबंधनों ने बिहार की राजनीति को नई दिशा दी. उनके राजनीतिक कैरियर में कई विवाद भी रहे हैं. उन पर कभी-कभी राजनीतिक पलटी मारने और गठबंधन बदलने का आरोप लगाया जाता है. हालांकि, उनके समर्थकों का मानना है कि उन्होंने हमेशा बिहार के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है.

नीतीश कुमार ने वर्ष  1973 में मंजू कुमारी सिन्हा से शादी की, लेकिन वर्ष  2007 में उनकी पत्नी का निधन हो गया. उनके एक बेटे हैं, जिनका नाम निशांत कुमार है. नीतीश कुमार को सादगी और ईमानदारी के लिए जाना जाता है.

नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ हैं और उन्होंने राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनकी नीतियों और सुशासन के प्रयासों ने बिहार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. उनका राजनीतिक कैरियर भारतीय राजनीति के लिए एक प्रेरणा है और उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल के रूप में याद किया जाएगा.

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भूतपूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य

बुद्धदेव भट्टाचार्य भारतीय राजनेता और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य हैं. वह पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होंने 6 नवंबर 2000 से 13 मई 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म 1 मार्च 1944 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था. उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है.

बुद्धदेव भट्टाचार्य ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की और बाद में वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल हो गए. उन्होंने पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई पहल कीं. उनके कार्यकाल में राज्य में कई नए उद्योग स्थापित हुए और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला.

बुद्धदेव भट्टाचार्य को साहित्य और संस्कृति में भी गहरी रुचि है. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं और वे बंगाली साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं. उनकी लेखन शैली और विचारधारा ने उन्हें बंगाली बुद्धिजीवियों और साहित्य प्रेमियों के बीच लोकप्रिय बनाया है. बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन 08 अगस्त 2024 को हुआ था.

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राजनितज्ञ एम.के. स्टालिन

एम.के. स्टालिन (एम. करुणानिधि स्टालिन) तमिलनाडु के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) पार्टी के नेता हैं. वे तमिलनाडु के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं और तमिलनाडु की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. एम.के. स्टालिन का जन्म 1 मार्च 1953 को चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में हुआ था. वे तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके के संस्थापक एम. करुणानिधि के पुत्र हैं. उनका नाम रूसी नेता जोसेफ स्टालिन के नाम पर रखा गया था, जो उनके पिता करुणानिधि के राजनीतिक आदर्शों को दर्शाता है.

एम.के. स्टालिन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चेन्नई के प्रतिष्ठित स्कूलों में प्राप्त की. उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की. शिक्षा के दौरान ही उनकी रुचि राजनीति में हो गई और वे अपने पिता करुणानिधि के नेतृत्व में डीएमके की गतिविधियों में शामिल हो गए.

एम.के. स्टालिन ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत वर्ष 1970 के दशक में की. उन्होंने डीएमके के युवा संगठन में सक्रिय भूमिका निभाई और धीरे-धीरे पार्टी में अपनी पहचान बनाई. वर्ष 1989 में वे पहली बार तमिलनाडु विधानसभा के लिए चुने गए और तब से लगातार विधायक रहे हैं.

एम.के. स्टालिन ने अपने राजनीतिक कैरियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है. वे वर्ष 1996- 2001 तक चेन्नई के मेयर रहे और इस दौरान उन्होंने शहर के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू कीं. वर्ष 2006 में वे तमिलनाडु सरकार में मंत्री बने और ग्रामीण विकास और स्थानीय प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाला. वर्ष 2009 में वे डीएमके के उपाध्यक्ष बने और पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

एम.के. स्टालिन ने 7 मई 2021 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उन्होंने वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में डीएमके की जीत के बाद यह पद संभाला. उनके नेतृत्व में तमिलनाडु सरकार ने कई जनहितैषी योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें गरीबों के लिए आर्थिक सहायता, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार, और महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है.

एम.के. स्टालिन द्रविड़ आंदोलन की विचारधारा से प्रेरित हैं, जो सामाजिक न्याय, समानता और तमिल संस्कृति के संरक्षण पर जोर देती है.  वे तमिलनाडु के हितों को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से रखने के लिए जाने जाते हैं.  उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए तमिलनाडु के अधिकारों की रक्षा की है.

एम.के. स्टालिन ने वर्ष 1981 में दुरैई से शादी की. उनके दो बेटे हैं, जिनका नाम उधयनिधि स्टालिन और इनिबा स्टालिन है. उधयनिधि स्टालिन तमिल फिल्म उद्योग में एक प्रमुख निर्माता और अभिनेता हैं, जबकि इनिबा स्टालिन राजनीति में सक्रिय हैं,

एम.के. स्टालिन तमिलनाडु की राजनीति के एक प्रमुख नेता हैं और उन्होंने राज्य के विकास और सामाजिक न्याय के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.  उनका नेतृत्व तमिलनाडु को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा है. उनकी राजनीतिक यात्रा और उनके द्वारा किए गए कार्य तमिलनाडु के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.

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खिलाड़ी कुंजारानी देवी

कुंजारानी देवी एक प्रसिद्ध भारतीय भारोत्तोलक खिलाड़ी हैं. उनका पूरा नाम नामरम कुंजारानी देवी है, और वह मणिपुर की रहने वाली हैं. कुंजारानी देवी ने भारत के लिए कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीते हैं और उन्हें भारतीय भारोत्तोलन में एक पथ-प्रदर्शक माना जाता है.

कुंजारानी देवी का जन्म 1 मार्च 1968 को इम्फाल, मणिपुर के कैरंग मायाई लेकाई में हुआ था. उन्होंने एशियाई खेलों और विश्व चैम्पियनशिप में कई पदक जीते हैं. कुंजारानी देवी ने वर्ष 1980 -90 के दशकों में भारतीय भारोत्तोलन में महिलाओं के लिए एक नई ऊंचाई स्थापित की. उनकी उपलब्धियों ने भारत में अन्य महिला खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया है.

कुंजारानी देवी को उनके खेल के प्रति समर्पण और उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें अर्जुन पुरस्कार और पद्म श्री शामिल हैं. वे भारतीय भारोत्तोलन में एक आइकॉन हैं और उनका योगदान अमूल्य है.

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क्रिकेटर सलिल अंकोला

सलिल अंकोला एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर और एक अभिनेता हैं. उन्होंने भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेला और अपने क्रिकेट कैरियर के दौरान एक तेज गेंदबाज के रूप में पहचाने गए. अंकोला ने भारत के लिए टेस्ट और वनडे दोनों प्रारूपों में क्रिकेट खेली, हालांकि उनका अंतरराष्ट्रीय कैरियर बहुत छोटा था.

क्रिकेटर सलिल अंकोला का जन्म 1 मार्च 1968 को सोलापुर, महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. क्रिकेट के अलावा, सलिल अंकोला ने भारतीय टेलीविजन और फिल्म उद्योग में भी अपनी पहचान बनाई. उन्होंने विभिन्न टीवी शोज और फिल्मों में काम किया. अंकोला ने अपनी अभिनय प्रतिभा के लिए प्रशंसा प्राप्त की और उन्होंने अपने अभिनय कैरियर के दौरान कई भूमिकाएं निभाईं.

उनके क्रिकेट और अभिनय कैरियर के अलावा, सलिल अंकोला का जीवन कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा है, जिसमें व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों चुनौतियां शामिल हैं.

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महिला मुक्केबाज़ मैरी कॉम

मैरी कॉम, जिनका पूरा नाम मंगते चुंगनेइजंग मैरी कॉम है, भारत की एक प्रसिद्ध महिला मुक्केबाज़ हैं. वे मणिपुर की रहने वाली हैं और उन्होंने महिला मुक्केबाजी में भारत का नाम विश्व स्तर पर रोशन किया है. मैरी कॉम को उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए “मैग्निफिसेंट मैरी” के उपनाम से भी जाना जाता है.

मैरी कॉम का जन्म 1  मार्च 1983 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक गरीब किसान के परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल और सेंट हेवियर स्कूल से पूरी की. मैरी कॉम ने अपने मुक्केबाजी कैरियर में अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं. उन्होंने विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में कई बार स्वर्ण पदक जीता है और ओलंपिक में भी पदक जीता है. वर्ष 2012 लंदन ओलंपिक्स में, मैरी कॉम ने महिला मुक्केबाजी में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया था.

मैरी कॉम को उनके खेल के प्रति समर्पण और उपलब्धियों के लिए भारत सरकार द्वारा कई सम्मान से नवाजा गया है, जिनमें पद्म भूषण, पद्म श्री, और अर्जुन पुरस्कार शामिल हैं. उनकी जीवनी और मुक्केबाजी कैरियर पर आधारित एक बॉलीवुड फिल्म भी बन चुकी है, जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने मैरी कॉम की भूमिका निभाई थी. मैरी कॉम ने न केवल महिला मुक्केबाजी में भारत का प्रतिनिधित्व किया है, बल्कि वह युवा एथलीटों के लिए एक प्रेरणा और आदर्श भी बन चुकी हैं.

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अभिनेत्री क्रिस्टल डी सूजा

क्रिस्टल डिसूजा एक भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री हैं जिन्होंने भारतीय टीवी इंडस्ट्री में कई प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं. उन्हें विशेष रूप से उनके टीवी शो ‘एक हज़ारों में मेरी बहना है’ में जीविका वधेरा की भूमिका और ‘ब्रह्मराक्षस’ में रैना की भूमिका के लिए जाना जाता है. इन शोज में उनके अभिनय ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई.

अभिनेत्री क्रिस्टल डी सूजा का जन्म 1 मार्च 1990 को मुंबई में हुआ था. क्रिस्टल ने अपने कैरियर की शुरुआत काफी युवा उम्र में की थी और जल्द ही वे टीवी इंडस्ट्री की एक जानी-मानी हस्ती बन गईं. उनके निभाए गए किरदारों ने उन्हें विभिन्न उम्र के दर्शकों के बीच लोकप्रियता दिलाई है. क्रिस्टल अपनी खूबसूरती और फैशन सेंस के लिए भी प्रसिद्ध हैं.

उन्होंने अपने अभिनय कैरियर के अलावा कई रियलिटी शोज में भी भाग लिया है और विभिन्न ब्रांड्स के लिए मॉडलिंग भी की है. क्रिस्टल सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहती हैं और अपने प्रशंसकों के साथ अक्सर अपने जीवन की झलकियाँ साझा करती रहती हैं.

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राष्ट्रकवि सोहन लाल द्विवेदी

सोहन लाल द्विवेदी एक प्रसिद्ध हिंदी कवि थे, जिनका जन्म 22 फरवरी, 1906 को उत्तर प्रदेश के बिंदकी में हुआ था. उनकी कविताएँ देशभक्ति, प्रकृति और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित होती थीं. उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान मानी जाती हैं.

सोहन लाल द्विवेदी की कविताएँ उनके गहन भावनात्मक अनुभव और सरल भाषा के लिए जानी जाती हैं. उनकी कविता “कदम मिलाकर चलना होगा” बहुत ही प्रसिद्ध है और यह कविता युवाओं को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करती है. उनकी अन्य कविताएँ जैसे “पुष्प की अभिलाषा”, “चलना हमारा काम है” आदि भी काफी लोकप्रिय हैं.

द्विवेदी जी की कविताएँ भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के दौरान लोगों को उत्साहित और प्रेरित करती रहीं. उनका साहित्यिक काम न केवल साहित्यिक महत्व का है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और समाज के विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उनकी कविताएँ आज भी विभिन्न पाठ्यपुस्तकों और साहित्यिक संकलनों में शामिल की जाती हैं और वे अपनी समृद्ध साहित्यिक विरासत के लिए याद किए जाते हैं. राष्ट्रकवि सोहन लाल द्विवेदी का निधन 01 मार्च 1988 को हुआ था.

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राजनीतिज्ञ बंगारू लक्ष्मण

बंगारू लक्ष्मण एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो भारतीय जनता पार्टी  के प्रमुख सदस्य रहे हैं. वे केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कार्य कर चुके थे और भारतीय राजनीति में उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका थी. बंगारू लक्ष्मण वर्ष  2000 – 2001 तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रहे.

बंगारू लक्ष्मण का जन्म 17 मार्च 1939 को आंध्र प्रदेश में हुआ था और उनकी मृत्यु 1 मार्च 2014 को हुई. उनका कैरियर विवादों से भी घिरा रहा, जिसमें सबसे प्रमुख विवाद रक्षा सौदों से जुड़ा एक स्टिंग ऑपरेशन था. वर्ष 2001 में, एक तहलका नामक समाचार पोर्टल ने एक स्टिंग ऑपरेशन प्रकाशित किया जिसमें लक्ष्मण को कथित तौर पर रक्षा सौदों के लिए घूस लेते हुए दिखाया गया था. इस घटना ने भारतीय राजनीति में बहुत हंगामा मचाया और इसके परिणामस्वरूप उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया.

इस विवाद के बावजूद, बंगारू लक्ष्मण का राजनीतिक कैरियर विभिन्न पदों पर उनकी सेवा से चिह्नित था. वे राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय रहे, खासकर तेलंगाना और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में. उनकी मृत्यु के बाद भी, उनकी विरासत और उनके कैरियर के विवाद भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय बने रहे.

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निर्देशक मनमोहन देसाई

मनमोहन देसाई भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के एक प्रतिष्ठित फिल्म निर्देशक और निर्माता थे, जिन्होंने वर्ष 1970 – 80 के दशक में बॉलीवुड की कुछ सबसे यादगार और सफल फिल्मों का निर्देशन किया. उन्हें मसाला फिल्मों के पितामह के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा, और रोमांस को एक सिंगल नैरेटिव में मिलाने की कला में महारत हासिल की थी.

मनमोहन देसाई का जन्म 26 फरवरी 1937 को मुंबई में हुआ था. उनकी फिल्में आम तौर पर बड़े पैमाने पर एंटरटेनमेंट प्रदान करती थीं और उनका लक्ष्य दर्शकों को खुशी और उत्साह की भावना से भर देना होता था. उनकी कुछ सबसे प्रसिद्ध फिल्मों में अमर अकबर एंथनी” (1977), “नसीब” (1981), “कुली” (1983), और “धरम वीर” (1977) शामिल हैं. इन फिल्मों ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाई, बल्कि आज भी वे क्लासिक के रूप में याद की जाती हैं.

मनमोहन देसाई का मानना था कि सिनेमा का मूल उद्देश्य मनोरंजन करना है. उनकी फिल्मों में अक्सर भाईचारे और पारिवारिक मूल्यों के संदेश होते थे, जो उस समय के भारतीय समाज में गहराई से जड़े हुए थे. उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ गहरा संबंध विकसित किया और उनके साथ कई सफल फिल्में बनाईं, जिससे अमिताभ के कैरियर में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

मनमोहन देसाई का निधन 1 मार्च 1994 को हुआ. उनकी मृत्यु के बावजूद, उनकी फिल्में और उनके योगदान को भारतीय सिनेमा में हमेशा याद किया जाता है. उनकी शैली और दृष्टिकोण ने भारतीय फिल्म निर्माण को एक नई दिशा प्रदान की और आने वाले वर्षों में कई निर्देशकों को प्रेरित किया.

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