
भारतीय सांसद बनेंगे भारत की आतंक विरोधी चेतना के संवाहक: प्रो. गौरी शंकर
“जो गिरा था लाल रंग बन वीरों के बलिदान में, वो सिंदूर बना प्रतीक अब भारत के सम्मान में. सांसद लेकर चले उसे शौर्य की यह बात है, दुनिया को अब जानना है, क्या भारत की औकात है”
ऑपरेशन सिंदूर पर भारत सरकार द्वारा विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों के सात डेलिगेशन को विदेश भेजने का निर्णय लिया गया है. सांसद डेलिगेशन को विदेश यात्रा पर भेजने के औचित्य और आवश्यकता पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राजकीय महिला डिग्री कॉलेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर केंद्र सरकार द्वारा सांसदों के डेलिगेशन को विदेशों में भेजने का निर्णय एक उचित, दूरदर्शी एवं आवश्यक कदम है. सांसद डेलिगेशन ऑपरेशन सिंदूर नीति को विश्व पटल पर पहुंचाने की एक सशक्त कूटनीति और रणनीति है, जो सराहनीय पहल है. डेलिगेशन को विदेश भेजने का मतलब कि भारतीय लोकतंत्र अब चुप नहीं रहेगा, बल्कि हर मंच पर मुखर रहेगा. इससे भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को वैश्विक मंच पर मजबूती से प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा.
उन्होंने कहा कि अब भारतीय सांसद भारत की आतंक विरोधी चेतना के संवाहक बनेंगे. इससे लोकतांत्रिक प्रतिनिधियों के जरिए भारत की छवि का सुदृढ़ीकरण होगा और पाकिस्तान बेनकाब होगा. डेलिगेशन जब बोलता है, तो उसकी आवाज किसी व्यक्ति की नहीं, बल्कि संसद की आवाज होती है जिसे पूरी दुनिया सुनती है और उसे समर्थन भी करती है. उन्होंने कहा कि- “जो गिरा था लाल रंग वीरों के बलिदान में, वो सिंदूर बना प्रतीक अब भारत के सम्मान में. सांसद लेकर चले उसे शौर्य की यह बात है, दुनिया को अब जानना है, क्या भारत की औकात है” ?
सांसदों का विदेश में जाकर आतंकवाद और आतंकी देश के प्रति विरोध प्रकट करना धर्म संगत, न्याय संगत और औचित्य पूर्ण है. उन्होंने कहा कि शौर्य, धैर्य और युद्ध से पलायन नहीं करना ही वीर सेना एवं सक्षम राष्ट्र के गुण हैं। सांसदों का यह साहसिक प्रतिनिधित्व भी युद्ध का ही एक रूप है. केंद्र सरकार के अनुसार ‘ ऑपरेशन सिंदूर’ अभी खत्म नहीं हुआ है बल्कि कुछ समय के लिए रुका है. सांसद प्रतिनिधि मंडल को विदेश में जाकर मीठे लेकिन प्रभावशाली शब्दों से भारत की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. कहते हैं कि शब्दों की शक्ति गोलियों से बड़ी होती है.
डेलिगेशन का संवाद ही डिप्लोमेसी का मूल है. सांसदों का प्रतिनिधित्व कमजोरी नहीं, किंतु ताकत की निशानी है. डेलिगेशन यानी प्रतिनिधित्व का मतलब ही है डेलिगेशन टीम पर विश्वास या भरोसा करना. कहा गया है कि सच की आवाज जब संसद से निकलती है, तो दुनिया झुक जाती है. डेलिगेशन जब बोलता है, मतलब राष्ट्र की आत्मा बोलती है. सांसद डेलिगेशन मात्र सफर नहीं, यह कूटनीति की पहचान है. हर मंच पर भारत बोले ये शांति की जुबान है. जो खेले आज आतंक की अब उन्हें खबरदार करो, डेलिगेशन से दुनिया का इश्तहार करो. अब संसद का प्रतिनिधि राष्ट्र की रणनीति बनेगा. उन्होंने कहा कि “दुनिया को दिखलाना है हम आतंक नहीं सह पाएंगे. हर मंच पर यह कह देना है अब खून नहीं बह पाएंगे.
प्रभाकर कुमार (जमुई).