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होली बनाम होरी…

होली, जिसे “रंगों का त्योहार” कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न अंग है. यह त्योहार न केवल रंगों और उल्लास का प्रतीक है, बल्कि यह समरसता, एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है. लेकिन आधुनिक समय में, होली का त्योहार राजनीति के रंग में रंगता जा रहा है. राजनीतिक दल और नेता होली के त्योहार का उपयोग अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करते हैं.

होली का त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है और प्रकृति के नवजीवन का प्रतीक है. होली के दिन लोग एक-दूसरे पर रंग और गुलाल लगाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और खुशियाँ मनाते हैं. होली का त्योहार सामाजिक बंधनों को मजबूत करने और लोगों के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है.

आधुनिक समय में, होली का त्योहार राजनीति के रंग में रंगता जा रहा है. राजनीतिक दल और नेता होली के त्योहार का उपयोग अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करते हैं. वे होली के दिन रंग और गुलाल लगाकर लोगों के साथ खुशियाँ मनाते हैं और अपने राजनीतिक संदेशों को प्रसारित करते हैं. इस तरह, होली का त्योहार “राजनैतिक होली” में बदलता जा रहा है.

राजनैतिक होली के कारण सामाजिक बंधनों में कमी आई है. आजकल लोग एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर होली नहीं मनाते हैं, बल्कि राजनीतिक दलों और नेताओं के साथ होली मनाते हैं. इसके कारण सामाजिक बंधन कमजोर होते जा रहे हैं. राजनैतिक होली के कारण समाज में राजनीतिक विभाजन बढ़ता जा रहा है. राजनीतिक दल और नेता होली के त्योहार का उपयोग अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करते हैं, जिसके कारण समाज में वैमनस्य और घृणा की भावना फैलती है.

राजनैतिक होली के कारण सांस्कृतिक पहचान में कमी आई है. आजकल लोग होली के पारंपरिक रीति-रिवाजों को भूलते जा रहे हैं और त्योहार को राजनीतिक तरीके से मनाने लगे हैं. इसके कारण सांस्कृतिक पहचान कमजोर होती जा रही है.वहीं,  होरी के कारण सामाजिक बंधनों में वृद्धि होती है. होरी के दिन लोग एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर त्योहार मनाते हैं, जिसके कारण सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं.

होरी का त्योहार समरसता और एकता का प्रतीक है. होरी के दिन लोग जाति, धर्म, लिंग और सामाजिक स्थिति के भेदभाव को भुलाकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गले मिलते हैं. यह त्योहार समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है. होरी के कारण सांस्कृतिक पहचान में वृद्धि होती है. होरी के दिन लोग होली के पारंपरिक रीति-रिवाजों को निभाते हैं और त्योहार को पूरे उत्साह और सद्भाव के साथ मनाते हैं. इसके कारण सांस्कृतिक पहचान मजबूत होती है.

होली का त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न अंग है. लेकिन आधुनिक समय में, होली का त्योहार राजनीति के रंग में रंगता जा रहा है. राजनीतिक दल और नेता होली के त्योहार का उपयोग अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करते हैं, जिसके कारण होली का पारंपरिक स्वरूप कम होता जा रहा है. इसके कारण सामाजिक बंधनों में कमी, राजनीतिक विभाजन और सांस्कृतिक पहचान में कमी आई है. इसलिए, यह आवश्यक है कि हम होली के पारंपरिक स्वरूप को बनाए रखें और त्योहार को पूरे उत्साह और सद्भाव के साथ मनाएँ. केवल तभी हम होली की सच्ची भावना को बनाए रख सकते हैं और समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दे सकते हैं.

 

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