Apni Virasat

छठ पूजा का ऐतिहासिक महत्व…

छठ पूजा का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व गहरी आस्था, श्रद्धा और परंपरा से जुड़ा हुआ है. यह त्योहार मुख्य रूप से सूर्य देवता और छठी मइया को समर्पित है और इसे बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है. छठ पूजा की प्राचीनता इसे वैदिक काल से जोड़ती है और इसके कई ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भ हैं.

छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता की उपासना है. सूर्य देव को जीवन, ऊर्जा और समृद्धि का स्रोत माना जाता है. प्राचीनकाल से ही लोग सूर्य की उपासना करते आए हैं. छठ पर्व में सूर्य को अर्घ्य अर्पण करने की परंपरा है, जो स्वास्थ्य, संतान और समृद्धि की कामना से जुड़ी है.

छठ पूजा का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है. कहा जाता है कि इस पूजा का आरंभ सबसे पहले कुंती द्वारा किया गया था, जब उन्होंने पांडवों के लिए सूर्य देव की आराधना की थी. इसके अतिरिक्त, द्रौपदी भी अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए सूर्य उपासना करती थीं.

रामायण के अनुसार, जब भगवान राम और माता सीता लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे थे, तब उन्होंने कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को सूर्य देव की उपासना की थी. सीता ने अपने पति और परिवार के कल्याण के लिए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया था, और यह परंपरा आगे चलकर छठ पूजा का हिस्सा बन गई.

प्राचीन मान्यता है कि सूर्य देव और छठी मइया की उपासना से संतान सुख की प्राप्ति होती है. छठी मइया को बच्चों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है. इसलिए संतान प्राप्ति और उनकी सुरक्षा के लिए भी महिलाएं इस पूजा का आयोजन करती हैं.

छठ पूजा के दौरान सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य देने की प्रक्रिया वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. वैज्ञानिकों के अनुसार, इन समयों पर सूर्य की किरणों में ऐसी विशेषता होती है, जो शरीर को ऊर्जा और शुद्धता प्रदान करती है. इस समय किए गए सूर्य-स्नान से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

छठ पूजा का आयोजन समाज में एकता और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. इस पूजा में साफ-सफाई, पवित्रता और श्रम का विशेष महत्व है. लोग मिलकर घाटों की सफाई करते हैं, पूजा की तैयारियां करते हैं, जिससे समाज में सहयोग और परस्पर प्रेम का विकास होता है.

छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, पर्यावरण और समाज के प्रति आस्था का भी प्रतीक है. इस पर्व के माध्यम से लोग अपनी संस्कृति, परंपरा और मूल्यों के प्रति जुड़ाव महसूस करते हैं.

==========  =========  ===========

Historical importance of Chhath Puja

The historical and mythological importance of Chhath Puja is associated with deep faith, devotion, and tradition. This festival is mainly dedicated to the Sun God and Chhathi Maiya and is celebrated with great pomp in Bihar, Jharkhand, Uttar Pradesh, and parts of Nepal. Its antiquity connects it to the Vedic period, and it has many historical and mythological references.

The main purpose of Chhath Puja is to worship the Sun God. The Sun is considered the source of life, energy, and prosperity. People have been worshipping the Sun since ancient times. There is a tradition of offering Arghya to the Sun in the Chhath festival, which is associated with the wishes of health, children, and prosperity.

Chhath Puja is also mentioned in the Mahabharata. It is said that this puja was first started by Kunti when she worshipped the Sun God for the Pandavas. Apart from this, Draupadi also used to worship the Sun for the happiness, peace and prosperity of her family.

According to Ramayana, when Lord Rama and Mother Sita returned to Ayodhya after conquering Lanka, they worshipped the Sun God on the sixth day of Kartik month. Sita offered arghya to the Sun for the welfare of her husband and family, and this tradition later became a part of Chhath Puja.

There is an ancient belief that worshipping the Sun God and Chhathi Maiya brings child happiness. Chhathi Maiya is considered to be the goddess who protects children. Therefore, women also organize this puja for the birth of children and their safety.

The process of offering arghya to the Sun at sunrise and sunset during Chhath Puja is also considered important from a scientific point of view. According to scientists, the rays of the sun at these times have such a feature that provides energy and purity to the body. Sunbathing done at this time increases the immunity of the body.

Organizing Chhath Puja is considered a symbol of unity and dedication in the society. Cleanliness, purity and labour have special importance in this puja. People together clean the ghats and make preparations for the puja, which develops cooperation and mutual love in the society.

Chhath Puja is not just a religious ritual, but it is also a symbol of faith in nature, environment and society. Through this festival, people feel connected to their culture, tradition and values.

5/5 - (1 vote)
:

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!