
हनुमानजी के 108 नाम…
भारतीय पौराणिक महाकाव्य रामायण में प्रमुख चरित्र है हनुमान. इनकी उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि, भगवान भोलेनाथ जिनका दूसरा नाम रूद्र भी है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान रूद्र के 11वें अवतार माने गये है जो बुद्धिमान और बलवान भी हैं. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, जिन सात मनीषियों को अमरता का वरदान मिला था उनमें एक हनुमान भी है. पौराणिक ग्रंथों और लोक मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न में जन्म हुआ था.
पौराणिक ग्रंथ रामायण में हनुमान के पराक्रम की असंख्य गाथाएँ प्रचलित हैं. एक कहानी के अनुसार जब हनुमान बालक थे और उन्हें भूख लगी थी तो भगवान सूर्य को फल समझ कर खाने के लिए चल पड़े थे तो दूसरी तरफ, भगवान राम को सुग्रीव से मैत्री कराई और वानरों की सेना की मदद से राक्षसों का मर्दन किया. हनुमानजी के कई नाम है जो निम्नलिखित हैं…
आंजनेया, महावीर, हनुमत, मारुतात्मजः, तत्वज्ञानप्रद, सीतादेविमुद्राप्रदायक, अशोकवनकाच्छेत्रे, सर्वमायाविभंजन, सर्वबंधविमोक्त्रे, रक्षोविध्वंसकारक, परविद्या परिहार, परशौर्य विनाशन, परमन्त्र निराकर्त्रे, परयन्त्र प्रभेदक, सर्वग्रह विनाशी, भीमसेन सहायकृथे, सर्वदुखःहरा, सर्वलोकचारिणे, मनोजवाय, पारिजात द्रुमूलस्थ, सर्वमन्त्र स्वरूपवते, सर्वतन्त्र स्वरूपिणे, सर्वयन्त्रात्मक, कपीश्वर, महाकाय, सर्वरोगहरा, प्रभवे, बल सिद्धिकर, सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायक, कपिसेनानायक, भविष्यथ्चतुराननाय, कुमार ब्रह्मचारी, रत्नकुण्डल दीप्तिमते, चंचलद्वाल सन्नद्धलम्बमान शिखोज्वला, गन्धर्व विद्यातत्वज्ञ, महाबल पराक्रम, काराग्रह विमोक्त्रे, शृन्खला बन्धमोचक, सागरोत्तारक, प्राज्ञाय, रामदूत, प्रतापवते, वानर, केसरीसुत, सीताशोक निवारक, अन्जनागर्भसम्भूता, बालार्कसद्रशानन, विभीषण प्रियकर, दशग्रीव कुलान्तक, लक्ष्मणप्राणदात्रे, वज्रकाय, महाद्युत, चिरंजीविने, रामभक्त, दैत्यकार्य विघातक, अक्षहन्त्रे, कांचनाभ, पंचवक्त्र, महातपसी, लन्किनी भंजन, श्रीमते, सिंहिकाप्राण भंजन, गन्धमादन शैलस्थ, लंकापुर विदायक, सुग्रीव सचिव, धीर, शूर, दैत्यकुलान्तक, सुरार्चित, महातेजस, रामचूडामणिप्रदायक, कामरूपिणे, पिंगलाक्ष, वार्धिमैनाक पूजित, कबलीकृत मार्ताण्डमण्डलाय, विजितेन्द्रिय, रामसुग्रीव सन्धात्रे, महारावण मर्धन, स्फटिकाभा, वागधीश, नवव्याकृतपण्डित, चतुर्बाहवे, दीनबन्धुरा, महात्मा, भक्तवत्सल, संजीवन नगाहर्त्रे, सुचये, वाग्मिने, दृढव्रता, कालनेमि प्रमथन, हरिमर्कट मर्कटा, दान्त, शान्त, प्रसन्नात्मने, शतकन्टमदापहते, योगी, रामकथा लोलाय, सीतान्वेषण पण्डित, वज्रद्रनुष्ट, वज्रनखा, रुद्रवीर्य समुद्भवा, इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारक, पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने, शरपंजर भेदक, दशबाहवे, लोकपूज्य, जाम्बवत्प्रीतिवर्धन और सीताराम पादसेवक.
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