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डॉ. आर्यन का पर्दाफाश

स्थान:

अस्पताल के मेडिकल रिकॉर्ड रूम, रात के 11:37 बजे

टिमटिमाती ट्यूबलाइट, कंप्यूटर स्क्रीन की नीली रोशनी

अनधिकृत खोज

गायत्री ने नलिन के मेडिकल फाइल्स के साथ एक अज्ञात फोल्डर खोला। कुछ पन्नों पर डॉ. आर्यन के हस्ताक्षर थे.

“मरीज को जानबूझकर अतिरिक्त लिथियम डोज दिया” (नलिन के पहले भर्ती होने के दिन)

 “मेमोरी लॉस को प्राकृतिक बतायें” (डिस्चार्ज नोट्स पर नोट)

गायत्री के हाथ काँपे – ये वही दवा थी जिससे नलिन को हाथों में कंपन शुरू हुआ था!

नलिन की डायरी का काला पन्ना

तभी उसे नलिन की छुपाई हुई डायरी मिली, जिसमें लिखा था,

“आज आर्यन ने गायत्री की कॉफी में कुछ डाला… मैंने गलती से वो कॉफी पी ली…

अगले दिन से मुझे आवाज़ें सुनाई देने लगीं – ‘गायत्री तुम्हें धोखा दे रही है!'”

डायरी की अंतिम लाइन खून से लिखी थी,:

“वो मेरे दिमाग में जहर घोल रहा है!”

साक्षात्कार का सच

गायत्री ने नर्सिंग स्टाफ से पूछताछ की,

नर्स (डरते हुए)-

” डॉ. आर्यन हमेशा नलिन साहब के अकेले वार्ड जाते थे…

एक बार मैंने सुना, वो उनके कान में बार-बार कह रहे थे –

‘गायत्री तुम्हें छोड़कर मेरे पास आएगी'”

डॉ. आर्यन का पतन

अगली सुबह, मेडिकल काउंसिल की बैठक में-

गायत्री (रिकॉर्डिंग चलाते हुए)-

सुनिए डॉक्टर साहब, आपके पास दो विकल्प हैं-

या तो खुद इस्तीफा दें, या मैं ये रिकॉर्डिंग पुलिस को दे दूँ!”

रिकॉर्डिंग में डॉ. आर्यन की आवाज़-

“इंजेक्शन में वो ड्रग मिला दो… मुझे इस नलिन को पागल बनाना है!”

डॉ. आर्यन का चेहरा सफेद पड़ गया…

नैतिक पतन: एक डॉक्टर का हिप्पोक्रेटिक ओथ को ताक पर रखना

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अधूरा सवाल: क्या नलिन की यादें पूरी तरह लौट पाएँगी?

शेष भाग अगले अंक में…,

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