
धीरे-धीरे, जानकी देवी के प्यार और अंजलि के धैर्य ने कुछ हद तक माहौल को शांत करना शुरू कर दिया. अंजलि ने कभी भी पंडित जी का अपमान नहीं किया, बल्कि हमेशा उनका सम्मान करने की कोशिश की. वह उनके लिए सुबह चाय बनाती, उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेती और घर के कामों में उनकी मदद करती.
एक दिन, पंडित जी बीमार पड़ गए. उनकी देखभाल जानकी देवी और अंजलि ने मिलकर की. अंजलि ने रात-रात भर जागकर उनकी सेवा की. इस मुश्किल समय में, पंडित जी ने पहली बार अंजलि के सेवा-भाव और समर्पण को महसूस किया.
जब वह धीरे-धीरे ठीक होने लगे, तो उनके व्यवहार में थोड़ा बदलाव आया. उन्होंने अंजलि से कुछ ज़रूरी बातें पूछीं और उसके विचारों को ध्यान से सुना. यह एक छोटा सा बदलाव था, लेकिन जानकी देवी और विकास के लिए यह उम्मीद की एक किरण जैसा था.
राहुल ने इस बीच एक पेंटिंग बनाई थी जिसमें तिवारी निवास को दिखाया गया था, लेकिन इमारत की दीवारों में कई दरारें थीं. पेंटिंग के बीच में, उसने तीन छोटे पौधे उगाए थे, जो उन दरारों से फूट रहे थे. यह पेंटिंग परिवार के वर्तमान हालात और भविष्य की संभावनाओं को दर्शाती थी.
एक शाम, राहुल ने वह पेंटिंग पंडित जी को दिखाई. पंडित जी ने पेंटिंग को ध्यान से देखा और फिर राहुल की ओर स्नेह से मुसकुराए. उन्होंने कुछ नहीं कहा, लेकिन उनकी आँखों में एक अलग तरह की चमक थी.
शेष भाग अगले अंक में…,