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दरार एक फैमली ड्रामा…

अनकही बातें, बढ़ती दूरियाँ

समय बीतता गया, लेकिन पंडित जी का रवैया अंजलि के प्रति नहीं बदला. वह उससे बात तो करते थे, लेकिन उनकी आवाज़ में वह warmth नहीं होती थी जो वह अपने बेटों के लिए रखते थे. त्यौहारों और पारिवारिक आयोजनों में भी एक अजीब सी खामोशी छाई रहती थी. अंजलि कोशिश करती थी कि सबको खुश रखे, लेकिन पंडित जी की बेरुखी उसे अंदर ही अंदर तोड़ती जा रही थी.

रवि और विकास के बीच भी दूरियाँ बढ़ने लगी थीं. रवि को लगता था कि विकास ने जल्दबाजी में शादी करके परिवार की शांति भंग कर दी है. विकास को रवि का यह तटस्थ रवैया पसंद नहीं आता था. उसे लगता था कि उसके बड़े भाई को उसका साथ देना चाहिए था.

राहुल, जिसने हमेशा अपने परिवार को एक साथ देखा था, इस बिखराव को महसूस कर रहा था. उसकी पेंटिंग्स में उदासी और अकेलापन के रंग गहरे होते जा रहे थे. वह अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाता था, इसलिए कैनवास ही उसका सहारा था.

जानकी देवी दोनों बेटों और अपने पति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती थीं. वह अंजलि से प्यार करती थीं और उसे अपनी बहू मानती थीं, लेकिन पंडित जी के विरोध के आगे उनकी भी ज़्यादा नहीं चल पाती थी. वह अक्सर रात को चुपचाप आँसू बहाती थीं, अपने परिवार को टूटता हुआ देखकर उनका दिल दुखता था.

एक दिन, विकास और पंडित जी के बीच एक तीखी बहस हो गई. विकास ने अपने पिता पर आरोप लगाया कि वह अपनी पुरानी सोच से बाहर नहीं निकलना चाहते और अंजलि को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. पंडित जी ने गुस्से में कुछ ऐसी बातें कह दीं जो विकास के दिल में तीर की तरह चुभ गईं. उस दिन के बाद से विकास और पंडित जी के बीच बातचीत लगभग बंद हो गई.

शेष भाग अगले अंक में…,

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