
इस पारिवारिक कलह के बीच, एक पुराना रहस्य धीरे-धीरे सामने आने लगा. कई साल पहले, पंडित सूर्य नारायण श्रीवास्तव का एक छोटा भाई था, जिसने अपनी पसंद की लड़की से शादी की थी, जो परिवार की जाति की नहीं थी. पंडित जी ने उस रिश्ते का पुरजोर विरोध किया था और आखिरकार उनके भाई ने घर छोड़ दिया था. उस घटना का दर्द आज भी पंडित जी के मन में कहीं न कहीं छिपा हुआ था, और शायद यही कारण था कि वे रिया के रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे.
मनोरमा देवी ने एक शाम आदर्श और अमन को अपने पति के अतीत के बारे में बताया. यह सुनकर दोनों भाई हैरान रह गए. उन्हें पहली बार अपने पिता के कठोर व्यवहार का कारण समझ में आया.
आदर्श को अब महसूस हो रहा था कि उसके पिता अनजाने में उसी गलती को दोहरा रहे थे जो उन्होंने अपने भाई के साथ की थी. उसे अर्जुन के लिए सहानुभूति महसूस हुई और उसने फैसला किया कि वह अपने भाई का साथ देगा.
अमन भी अपने पिता के अतीत को जानकर दुखी था. उसे लगा कि परिवार की परंपराओं के नाम पर उसने भी कहीं न कहीं अर्जुन के साथ अन्याय किया है. उसने अर्जुन और रिया से माफी मांगने का फैसला किया.
शेष भाग अगले अंक में…,