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भ्रम….

मुझसे कहते नहीं,
कुछ बताते नहीं।
पर नज़र के इशारे
समझते हैं हम।
जब पलक ने
कहानी बता दी हमें,
हो गए हैं बेगाने
ना अपने हैं हम।
है तुम्हें ये कसम कि
न सोचो हमें,
ना ख्यालों में थे
ना कभी साथ हम।
वो भरम (भ्रम) था
जो नजरों से ओझल हुआ,
जो समझकर भी
कितने नासमझे थे हम।
मुस्कुराते रहो,
खिलखिलाते रहो,
नित नए दोस्त
मिलकर बनाते रहो।
इतनी शोहरत मिले,
इतनी खुशियां मिले,
अपनी महफिल में
तुम जगमगाते रहो I l

 

 

 


नवीन कुमार

(हिंदी शिक्षक), प्रभारी, +2 उच्च विद्यालय, ओकरी

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