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जेलेंस्की को चुनना यूक्रेनवासियों के लिए सही फैसला था या नहीं…?

यूक्रेनवासियों द्वारा वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को राष्ट्रपति के रूप में चुनना, विशेष रूप से रूस के साथ चल रहे संघर्ष के संदर्भ में, एक ऐसा निर्णय है जिसके कई आयाम और परिणाम हैं.

ज़ेलेंस्की, एक हास्य अभिनेता और टेलीविजन स्टार, का राजनीतिक उदय अप्रत्याशित था. उनकी लोकप्रियता “सर्वेंट ऑफ़ द पीपल” नामक टेलीविजन श्रृंखला से बढ़ी, जिसमें उन्होंने एक स्कूल शिक्षक की भूमिका निभाई, जो अप्रत्याशित रूप से राष्ट्रपति बन जाता है. इस भूमिका ने उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी और आम आदमी के नेता के रूप में पेश किया, जिसने यूक्रेन के राजनीतिक प्रतिष्ठान से मोह भंग हो चुके मतदाताओं को आकर्षित किया.

वर्ष 2019 के राष्ट्रपति चुनाव में ज़ेलेंस्की ने भारी बहुमत से जीत हासिल की. उनकी जीत को यथास्थिति के खिलाफ एक जनादेश और भ्रष्टाचार से लड़ने, ओलिगार्कों की शक्ति को कम करने और डोनबास संघर्ष को समाप्त करने की उम्मीद के रूप में देखा गया. कई यूक्रेनवासियों ने उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जो देश में नई ऊर्जा और आधुनिक दृष्टिकोण लाएगा.

फरवरी 2022 में रूस द्वारा पूर्ण पैमाने पर आक्रमण ने ज़ेलेंस्की के नेतृत्व की सबसे बड़ी परीक्षा ली. इस भयावह समय में, ज़ेलेंस्की ने अविश्वसनीय साहस और दृढ़ता का प्रदर्शन किया.

आक्रमण के शुरुआती दिनों में, जब कई लोगों को लगा कि कीव गिर जाएगा, ज़ेलेंस्की ने देश छोड़ने से इनकार कर दिया और एक वीडियो संदेश में कहा, “मुझे गोला-बारूद चाहिए, सवारी नहीं.” इस बयान ने न केवल यूक्रेन के मनोबल को बढ़ाया बल्कि दुनिया भर से समर्थन भी आकर्षित किया. उन्होंने पश्चिमी देशों से सैन्य और वित्तीय सहायता जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने विभिन्न देशों की संसद में प्रभावशाली भाषण दिए, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यूक्रेन के लिए समर्थन मांगा.

ज़ेलेंस्की ने यूक्रेनवासियों को एकजुट करने और प्रतिरोध का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके दैनिक वीडियो संबोधन और सार्वजनिक प्रदर्शनों ने लोगों को प्रेरित किया और उन्हें बताया कि वे अकेले नहीं हैं. युद्ध के दौरान उनके लगातार सार्वजनिक प्रदर्शनों और दृढ़ संकल्प ने उन्हें एक युद्ध कालीन नेता के रूप में स्थापित किया. उन्होंने रूसी आक्रमण के बावजूद यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए अथक प्रयास किया.

क्या यह सही फैसला था?

 युद्ध के दौरान ज़ेलेंस्की के नेतृत्व को व्यापक रूप से सराहा गया है. उन्होंने यूक्रेन को एकजुट किया और अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया, जिसने देश को रूसी आक्रमण का सामना करने में मदद की. यूक्रेनवासियों ने एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से उन्हें चुना, जो उनकी संप्रभुता का एक महत्वपूर्ण पहलू है. हालांकि भ्रष्टाचार से पूरी तरह निपटना एक लंबी प्रक्रिया है, ज़ेलेंस्की ने अपनी भ्रष्टाचार विरोधी छवि को बरकरार रखा और इस दिशा में कुछ कदम उठाए. ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सम्मानजनक स्थिति में रखा है और दुनिया भर से प्रशंसा प्राप्त की है.

चुनाव से पहले ज़ेलेंस्की की प्राथमिक प्रतिज्ञाओं में से एक डोनबास संघर्ष को समाप्त करना था. दुर्भाग्य से, यह न केवल समाप्त हुआ बल्कि एक पूर्ण पैमाने के युद्ध में बदल गया. हालांकि, यह तर्क दिया जा सकता है कि यह रूस की आक्रामकता का परिणाम था, न कि ज़ेलेंस्की की विफलता का. वहीं, कुछ आलोचकों का तर्क है कि युद्ध से पहले उनकी आंतरिक नीतियों और सुधारों की गति धीमी थी. एक राजनेता के रूप में उनके अनुभव की कमी कभी-कभी एक चुनौती बन सकती है, खासकर जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्यों में.

वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को यूक्रेनवासियों द्वारा चुनना एक जटिल निर्णय था, जिसके परिणाम गहरे और दूरगामी थे. युद्ध से पहले की उनकी प्राथमिकताएं और युद्ध के दौरान उनके असाधारण नेतृत्व को अलग-अलग लेंस से देखा जा सकता है.

हालांकि, रूस के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के सामने, ज़ेलेंस्की का नेतृत्व निःसंदेह यूक्रेन के अस्तित्व और प्रतिरोध के लिए महत्वपूर्ण था. उन्होंने यूक्रेनवासियों को एकजुट किया, दुनिया का समर्थन जुटाया और एक मजबूत और दृढ़ राष्ट्र का चेहरा बन गए. इस असाधारण चुनौती का सामना करने में, उन्होंने अपने चुनाव को सही साबित किया.

यह कहना गलत नहीं होगा कि यूक्रेनवासियों ने एक ऐसे नेता को चुना, जिसने सबसे कठिन समय में अपने देश को मजबूती से खड़ा किया. चाहे भविष्य में क्या हो, ज़ेलेंस्की का नाम यूक्रेन के इतिहास में एक युद्ध कालीन नेता के रूप में अंकित रहेगा, जिसने अपने लोगों के लिए लड़ाई लड़ी.

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