लोकगीत किसी भी समाज की सांस्कृतिक धरोहर होते हैं, जो उस समाज के रीति-रिवाज़, परंपराएं, जीवनशैली और भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं. भारतीय लोक संगीत में चैतावर एक ऐसा ही लोकगीत है, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार के क्षेत्रों में गाया जाता है. यह गीत चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) के समय विशेष रूप से लोकप्रिय होता है, जब प्रकृति में नवजीवन का संचार होता है और फसलों की कटाई का समय होता है. चैतावर लोकगीत न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह सामाजिक एकता, प्रकृति प्रेम और जीवन के उल्लास को भी दर्शाता है.
चैतावर शब्द ‘चैत्र’ और ‘आवर’ (समय) से मिलकर बना है, जो चैत्र मास के समय को दर्शाता है. यह समय वसंत ऋतु का होता है, जब प्रकृति में हरियाली छा जाती है और खेतों में फसलें लहलहाने लगती हैं. चैतावर गीतों में प्रकृति की सुंदरता, किसानों की मेहनत और ग्रामीण जीवन की सादगी को बखूबी चित्रित किया जाता है. यह गीत सामूहिक रूप से गाए जाते हैं और इनमें समाज के हर वर्ग की भागीदारी होती है.
चैतावर गीत न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि ये समाज के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को भी संजोए रखते हैं. ये गीत मानव भावनाओं, जैसे प्रेम, विरह और उत्साह, को सजीव रूप में प्रस्तुत करते हैं. ये गीत किसानों की मेहनत, प्रकृति के प्रति सम्मान और सामुदायिक जीवन की महत्ता को उजागर करते हैं. इन गीतों के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी लोक संस्कृति का संरक्षण होता है और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखने में मदद मिलती है.
संकलन : – मिथलेश कुमार.
स्थान : – फतेहपुर.
Video Link : – https://youtu.be/rXqmj2o12bQ