story
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गलियों का शहर और उड़ता गुबार …
सुरंग के मुहाने पर खड़ा आलोक हिचकिचाया. अंदर का अंधेरा इतना घना था कि अपनी हथेली भी नहीं दिख रही…
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गलियों का शहर और उड़ता गुबार …
आलोक ने उस बूढ़े व्यक्ति को धन्यवाद कहा और गुपचुप गली में आगे बढ़ गया. हर कदम पर, उसे लगता…
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गलियों का शहर और उड़ता गुबार …
अंबरपुर की गलियाँ एक भूलभुलैया थीं. इतनी पुरानी, इतनी संकरी कि सूरज की रोशनी भी उनमें से मुश्किल से झाँक…
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सुरमई शाम…
समंदर किनारे वह शाम कुछ अलग थी। लहरों की आवाज़ में कोई अनकहा गीत था, हवा में घुलती धुन जो…
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सुरमई शाम…
वृद्ध व्यक्ति अपनी कांपती उंगलियों से तस्वीर को कसकर पकड़ रहा था. उसकी आँखें भावनाओं से भरी थीं—जैसे कोई भूली-बिसरी…
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सुरमई शाम…
आरव अपने स्केच को ध्यान से देख रहा था। वह चेहरा अभी भी अधूरा था, लेकिन उसमें एक अनकही कहानी…
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सुरमई शाम…
वह शाम कुछ अलग थी. खिड़की से छनकर आता नारंगी-गुलाबी प्रकाश कमरे को किसी चित्र की तरह रंग रहा था.…
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सुरमई शाम-1.
शहर के एक पुराने मोहल्ले की तंग गलियों में, नुक्कड़ पर एक छोटी-सी चाय की दुकान थी. शाम होते ही…
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सुरमई शाम…
सुरमई शाम—वह पल जब आसमान हल्का गुलाबी और नारंगी रंगों से भर जाता है, एक जादुई एहसास सा घिर जाता…
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अंतिम विदाई…
स्थान: – यमुना नदी का घाट, सुबह 4:30 बजे कोहरे में लिपटी सुबह, पक्षियों का मौन अस्थियों का अंतिम सफर…
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