story
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बेबसी का पिटारा…
मीरा की आँखें हमेशा चमकती थीं – सपनों की चमक, ज्ञान की प्यास की चमक। वह उन लड़कियों में से…
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बेबसी का पिटारा…
शंकर दादा के शब्दों और उनकी दी हुई थोड़ी सी मदद ने रामू के भीतर दबी हुई उम्मीद की चिंगारी…
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बेबसी का पिटारा…
रामू का जीवन उसकी छोटी सी ज़मीन और उस पर उगाई जाने वाली फसल के इर्द-गिर्द घूमता था. सूरज की…
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बेबसी का पिटारा…
बेबसी… एक ऐसा भाव जो भीतर गहरे तक पैठ जाता है, जैसे किसी ठंडी लहर का अचानक छू जाना. यह…
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जेठ की अल्हड़ पवन…
बारिश की पहली बूंदों ने गाँव की मिट्टी को भिगो दिया था, लेकिन इसके साथ ही दिलों में भी एक…
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जेठ की अल्हड़ पवन…
गाँव की गलियों में बारिश की पहली बूंदें गिरते ही हलवाई की दुकान पर भीड़ उमड़ पड़ी. गरमागरम जलेबी और…
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जेठ की अल्हड़ पवन…
गाँव के पुराने कुएँ की दीवारों पर काई जम गई थी, और उसकी गहराई में अंधकार पसरा था. सालों से…
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जेठ की अल्हड़ पवन…
गाँव की गलियों में अब खुशहाली लौट आई थी. पहली बारिश के बाद मिट्टी में सोंधी महक भर गई थी,…
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जेठ की अल्हड़ पवन…
जेठ की तपती दोपहरी में जब धरती आग उगलती थी, तब हर कोई आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठा रहता.…
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जेठ की अल्हड़ पवन…
गर्मी की दुपहरी में आम के बाग़ में घनी छाया तले गाँव के बच्चे जमा होते. हवा में आम की…
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