बीटिंग द रिट्रीट
बीटिंग द रिट्रीट (Beating the Retreat) भारत में गणतंत्र दिवस समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह कार्यक्रम हर साल 29 जनवरी को नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है, जो गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के समापन का प्रतीक है.
बीटिंग द रिट्रीट का इतिहास भारत में एक समृद्ध सैन्य परंपरा और औपनिवेशिक युग से जुड़ा हुआ है. यह परंपरा 17वीं शताब्दी में ब्रिटिश सेना के समय से चली आ रही है. बीटिंग द रिट्रीट की शुरुआत ब्रिटिश सेना में हुई, जब सैनिकों को सूर्यास्त के समय अपने शिविरों में लौटने का संकेत देने के लिए ड्रम और बिगुल बजाए जाते थे. यह सिग्नल दिनभर के युद्ध या अभियानों को समाप्त करने और सैनिकों को बैरकों में लौटने के लिए दिया जाता था. इसे “Retreat” कहा जाता था, जो सैन्य अनुशासन और परंपरा का प्रतीक था.
इस परंपरा को ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय सेना ने अपनाया. स्वतंत्रता के बाद, भारत ने इसे एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय आयोजन के रूप में बदल दिया, जो गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा बन गया. वर्ष 1950 में भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह के बाद, बीटिंग द रिट्रीट को 29 जनवरी को आयोजित करने का निर्णय लिया गया. इस कार्यक्रम को औपचारिक रूप से भारतीय सेना द्वारा डिजाइन और प्रस्तुत किया गया. यह कार्यक्रम भारतीय परंपराओं, सैन्य गौरव और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक बन गया.
पहले, कार्यक्रम में ब्रिटिश धुनों का उपयोग होता था। धीरे-धीरे भारतीय देशभक्ति संगीत को इसमें शामिल किया गया. “सारे जहां से अच्छा,” “वंदे मातरम्,” और “जन गण मन” जैसी धुनें इसका हिस्सा बन गईं. इस आयोजन को नई दिल्ली के प्रतिष्ठित विजय चौक और रायसीना हिल्स पर रखा गया, जहां राष्ट्रपति भवन की पृष्ठभूमि इसे और भव्य बनाती है.
समारोह के अंत में राष्ट्रपति भवन और आसपास के सरकारी भवनों को रोशनी से सजाने की परंपरा जोड़ी गई, जो इसे और अधिक भव्य बनाती है. यह न केवल भारतीय सेना की क्षमता और अनुशासन का प्रदर्शन करता है, बल्कि देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता का संदेश भी देता है. यह कार्यक्रम भारत की विविध सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रदर्शित करता है, क्योंकि संगीत और प्रदर्शन भारतीय परंपरा से प्रेरित होते हैं. इस आयोजन में राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते हैं, जो इसे और अधिक औपचारिक और महत्वपूर्ण बनाता है.
वर्ष 2022 में, पहली बार ड्रोन शो और लेजर शो को बीटिंग द रिट्रीट का हिस्सा बनाया गया, जो तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन है. “एबाइड विद मी,” जो महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन था, लंबे समय तक इस कार्यक्रम का हिस्सा रहा. हालांकि, हाल के वर्षों में इसे “ए मेरी वतन के लोगों” जैसी भारतीय धुनों से बदल दिया गया. यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और सैन्य गौरव का उत्सव है. इस आयोजन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं, और इसे भारतीय टेलीविजन चैनलों पर भी प्रसारित किया जाता है.
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Beating the Retreat
Beating the Retreat is an important part of the Republic Day celebrations in India. The event is held every year on 29 January in New Delhi, marking the end of Republic Day (26 January).
The history of Beating the Retreat is linked to a rich military tradition in India and the colonial era. The tradition dates back to the British Army in the 17th century. Beating the Retreat originated in the British Army, when drums and bugles were played to signal soldiers to return to their camps at sunset. This signal was given to end the day’s war or campaigns and return the soldiers to the barracks. It was called “Retreat”, which symbolized military discipline and tradition.
This tradition was adopted by the Indian Army during British rule. After independence, India transformed it into a cultural and national event, which became a part of the Republic Day celebrations. After India’s first Republic Day celebration in the year 1950, it was decided to hold Beating the Retreat on January 29. The event is formally designed and presented by the Indian Army. The event became a symbol of Indian traditions, military pride, and cultural diversity.
Earlier, the event used British tunes. Gradually, Indian patriotic music was included in it. Tunes like “Saare Jahan Se Accha,” “Vande Mataram,” and “Jana Gana Mana” became a part of it. The event is held at New Delhi’s iconic Vijay Chowk and Raisina Hills, where the backdrop of the Rashtrapati Bhavan makes it grander.
The tradition of decorating the Rashtrapati Bhavan and surrounding government buildings with lights was added at the end of the ceremony, which makes it more grand. It not only showcases the capability and discipline of the Indian Army but also gives a message of patriotism and national unity. The event also showcases India’s diverse cultural heritage, as the music and performances are inspired by Indian tradition. The President is the chief guest at the event, making it more formal and important.
In the year 2022, for the first time, drone shows and laser shows were made a part of Beating the Retreat, which is a display of technological advancements. “Abide With Me,” which was Mahatma Gandhi’s favourite hymn, was a part of the event for a long time. However, in recent years it was replaced by Indian tunes like “Ae Meri Watan Ke Logon.”
It is a celebration of India’s cultural diversity and military glory. The event is witnessed in large numbers and is also telecast on Indian television channels. It is a celebration of India’s cultural diversity and military glory. A large number of people come to watch this event, and it is also broadcast on Indian television channels.