Dharm

भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है बैद्यनाथ धाम, रावण से भी रहा है इस मंदिर का संबंध

देश में 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिनमें से बैद्यनाथ धाम भी एक है। देवघर का अर्थ है देवताओं का घर इसलिए इसे एक पवित्र स्थल माना जाता है। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा करने के लिए हजारों भक्त बाबा बैद्यनाथ धाम आते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर का संबंध रावण से रहा है।

बैद्यनाथ धाम की कहानी

रावण एक परम शिवभक्त था। रावण की मनसा थी कि भगवान शिव कैलाश को छोड़कर लंका में निवास करें। इसलिए रावण ने भोलेनाथ को मनाने के लिए कठिन तपस्या करने लगा। इसके बाद वह अपना सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने लगा। जैसे ही रावण अपना दसवां सर काटने चला तभी भगवान शिव प्रकट हो गए और उससे एक वरदान मांगने को कहा। रावण ने भगवान शिव से वरदान मांगा कि प्रभु कैलाश छोड़कर लंका चलें। इस पर भगवान भोलेनाथ ने उसकी मनोकामना पूरी करने की बात कहते हुए एक शर्त रखी। भगवान शिव ने रावण के सामने शर्त रखी कि वह कैलाश से लंका के सफर में कहीं भी शिवलिंग को जमीन पर नहीं रखेगा। इस पर रावण राजी हो गया और शिवलिंग को उठाकर चल पड़ा।

भगवान शिव के कैलाश छोड़ने के बाद सुनकर सभी देवता परेशान हो गए। सभी देव गण इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे। सभी देवताओं की विनती सुन कर भगवान विष्णु ने वरुण देव को रावण के पेट में जाने को कहा। इससे देवघर में रावण को लघुशंका लगी। जिसके बाद रामगढ़ वहां रुक गया और बैजू नाम के ग्वाले को शिवलिंग पकड़ने को कहा। यह ग्वाला   कोई और नहीं स्वयं भगवान विष्णु थे। श्री हरि ने रावण के लघुशंका के लिए जाते ही शिवलिंग को जमीन पर रख दिया। इस तरह रावण अपनी शर्त हार गया और भोलेनाथ वहीं स्थापित हो गए। बैजू के कारण मंदिर का नाम बैद्यनाथधाम पड़ा। ऐसी मान्यता है कि देवघर में बाबा बैद्यनाथ के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Rate this post
:

Related Articles

Check Also
Close
Back to top button
error: Content is protected !!