अंत्योदय दिवस
अंत्योदय दिवस भारत में हर वर्ष 25 सितंबर को मनाया जाता है. यह दिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष्य में समर्पित है, जो भारतीय जनसंघ के प्रमुख नेता और समाजसेवी थे. “अंत्योदय” का अर्थ है “सबसे अंतिम व्यक्ति का उत्थान” और इसका उद्देश्य समाज के गरीब, वंचित और पिछड़े वर्गों के जीवन को बेहतर बनाना है.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय के सिद्धांत को केंद्र में रखते हुए समाज के सबसे गरीब और हाशिये पर मौजूद व्यक्तियों के कल्याण के लिए कार्य किया. उनका विचार था कि विकास और समृद्धि तभी सच्चे अर्थों में हो सकती है जब समाज के सबसे कमजोर और पिछड़े लोगों का उत्थान किया जाए.
अंत्योदय दिवस के अवसर पर विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करते हैं. इसमें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है ताकि अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को मुख्यधारा में लाया जा सके और उसकी उन्नति सुनिश्चित की जा सके.
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Antyodaya Day
Antyodaya Day is celebrated every year on 25 September in India. This day is dedicated to the birth anniversary of Pandit Deendayal Upadhyaya, who was a prominent leader of the Bharatiya Jana Sangh and a social worker. “Antyodaya” means “upliftment of the last person” and aims to improve the lives of the poor, deprived and backward sections of the society.
Pandit Deendayal Upadhyaya worked for the welfare of the poorest and marginalized persons of the society keeping the principle of Antyodaya at the center. He was of the view that development and prosperity can happen in the true sense only when the most vulnerable and backward people of the society are uplifted.
On the occasion of Antyodaya Day, various government and non-government organizations organize special programs to help the poor and needy. In this, the focus is on schemes related to health care, education, and social security so that the last person in the line can be brought into the mainstream and his progress can be ensured.