एक नयी पहल…
पिता कन्यादान नहीं करूंगा जाओ
मैं नहीं मानता इसे ,
क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं ,जिसको दान में दे दूँ मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में पति के साथ मिलकर निभाना तुम मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा ,
आज से तुम्हारे दो घर ,जब जी चाहे आना तुम ,
जहाँ जा रही हो ,खूब प्यार बरसाना तुम ,
सब को अपना बनाना तुम ,पर कभी भी
न मर मर के जीना ,न जी जी के मरना तुम ,
तुम अन्नपूर्णा , शक्ति , रति सब तुम ,
ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम ,
न तुम बेचारी , न अबला ,
खुद को असहाय कभी न समझना तुम ,
मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें ,
मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ ,
उसे बखूबी निभाना तुम ……………..
*एक नयी सोच एक नयी पहल*सभी बेटियां के लिए
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father will not donate
I don’t believe it
Because my daughter is not a thing to donate, I tie your daughter in a holy bond, to maintain it together with your husband, I am not saying goodbye to you,
From today you have two homes, whenever you want, you can come.
Wherever you are going, you shower lots of love,
You make everyone yours, but never
Neither live after death nor die while living,
You Annapurna, Shakti, and Rati are all you,
You live life to the fullest
Neither you poor nor able,
Never consider yourself helpless
I am not donating to you
I am tying in another bond of love,
You handle it well.
*A new thought a new initiative* for all daughters.
Prabhakar Kumar.