
बड़ी नदी में शांति से बहते हुए, जलक और उसकी अनगिनत साथी बूँदें एक ऐसे गंतव्य की ओर बढ़ रही थीं जिसकी विशालता की कल्पना करना भी मुश्किल था. नदी चौड़ी होती जा रही थी, और किनारों की दूरी बढ़ती जा रही थी. पानी में एक गहरा नीला रंग घुलने लगा था, और हवा में एक नमकीन गंध महसूस हो रही थी, भले ही जलक के पास सूंघने की इंद्रिय न हो, उसने उस बदलाव को महसूस किया.
दूर क्षितिज पर, एक अथाह विस्तार दिखाई देने लगा – एक ऐसी जलराशि जो अंतहीन लग रही थी, जहाँ आकाश और पानी एक धुंधली रेखा में मिलते हुए प्रतीत होते थे. यह सागर था, उस विशाल जल भंडार का आह्वान जिसे नदी सदियों से पोषित कर रही थी.
जैसे-जैसे नदी सागर के करीब पहुँच रही थी, पानी का बहाव धीमा होता गया, मानो एक दौड़ समाप्त होने वाली हो. बड़ी-बड़ी लहरें अब और अधिक शक्तिशाली और लयबद्ध थीं, सागर की गहरी साँसों की तरह ऊपर उठती और नीचे गिरती थीं. जलक ने अपने चारों ओर की अन्य बूँदों में एक रोमांच और प्रत्याशा की भावना महसूस की.
संगम का क्षण भव्य था. नदी का मीठा पानी धीरे-धीरे सागर के खारे पानी में घुल रहा था. यह एक मिलन था, एक विशाल आलिंगन जहाँ एक जीवन चक्र पूरा हो रहा था और एक नया शुरू हो रहा था. जलक ने महसूस किया कि वह अब एक असीम विस्तार का हिस्सा बन रही है, एक ऐसे जल निकाय का हिस्सा जिसकी कोई सीमा नहीं थी.
सागर का रंग गहरा नीला था, कहीं-कहीं हरापन भी दिखाई दे रहा था. दूर-दूर तक पानी ही पानी था, और क्षितिज पर सिर्फ़ आकाश दिखाई दे रहा था. लहरें किनारों से टकराकर शोर मचा रही थीं, एक गर्जना जो लगातार जारी थी.
जलक, जो कभी एक छोटे से कुएँ की बूँद थी, अब इस विशाल सागर का एक अभिन्न हिस्सा बन गई थी. उसने अपनी लम्बी यात्रा को याद किया – कुएँ की शांति, सुरंगों का अंधेरा, धरती के नीचे का अद्भुत संसार, नदी की तेज़ धारा, हवा से दोस्ती, और बड़ी नदी का संगम. ये सभी अनुभव उसके इस अंतिम पड़ाव तक पहुँचने की यात्रा के महत्वपूर्ण हिस्से थे.
सागर में विलीन होकर, जलक ने अंत का नहीं, बल्कि एक नए आरंभ का अनुभव किया. सागर से पानी भाप बनकर ऊपर उठता है, बादल बनता है, और फिर बारिश की बूँद बनकर कहीं और गिरता है, शायद फिर से किसी कुएँ में. यह एक अनन्त चक्र है, जिसमें हर बूँद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
राधिका, जो कुएँ के पास बैठी यह सब कल्पना कर रही थी, ने एक गहरी साँस ली. उसे अब समझ में आ गया था कि “कुआँ से नदी का सफ़र…” सिर्फ़ एक भौतिक यात्रा नहीं है, बल्कि जीवन के निरंतर चक्र का एक हिस्सा है. हर अंत एक नई शुरुआत है, और हर छोटी सी बूँद भी इस विशाल और अद्भुत प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
यह “सागर का आह्वान” उस रोमांचक यात्रा का अंतिम पड़ाव है, लेकिन साथ ही एक नए चक्र की शुरुआत का संकेत भी है.
यह कहानियों का संग्रह एक छोटी सी पानी की बूँद, जलक, की यात्रा के माध्यम से जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाता है. कुएँ से शुरू होकर, एक छोटी सी धारा, फिर भूमिगत गुफा, नदी और अंततः सागर में विलीन होने तक की जलक की यात्रा प्रतीकात्मक है.
समाप्त…