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एक सफर…

हवा से दोस्ती

खुले मैदानों में बहती हुई, अब एक छोटी नदी का रूप ले चुकी जलक की धारा, पहले से कहीं ज़्यादा जीवंत और चंचल हो गई थी. सूरज की सुनहरी किरणें पानी की सतह पर चमक रही थीं, और किनारों पर हरी-भरी घास और रंगीन फूल हवा में झूल रहे थे. यह एक ऐसी दुनिया थी जो सुरंगों और गुफाओं के अंधेरे से बिल्कुल विपरीत थी – यहाँ रोशनी, रंग और गति थी.

एक दिन, जब जलक शांत गति से बह रही थी, उसने एक नई शक्ति को महसूस किया – हवा. पहले उसने हवा को सिर्फ़ किनारों पर पेड़ों की पत्तियों को हिलाते हुए देखा था, लेकिन अब वह सीधे पानी की सतह पर अपना प्रभाव डाल रही थी.

हवा के हल्के झोंके आए, और पानी की सतह पर छोटी-छोटी लहरें बनने लगीं. जलक और उसकी साथी बूँदें इन लहरों के साथ ऊपर-नीचे डोलने लगीं. यह एक नया अनुभव था, एक तरह का हल्का नृत्य पानी और हवा के बीच.

फिर, हवा थोड़ी तेज़ हुई, और लहरें बड़ी होने लगीं. पानी थोड़ा अशांत हो गया, और जलक को एक मज़ेदार एहसास हुआ, जैसे वह किसी झूले पर झूल रही हो. उसने अपने आस-पास की अन्य बूँदों को भी इस खेल का आनंद लेते हुए महसूस किया.

तभी, जलक को हवा की आवाज़ सुनाई दी – एक हल्की सी सरसराहट जो किनारों के पेड़ों से गुज़र रही थी, और फिर पानी की सतह पर एक नरम फुसफुसाहट में बदल गई.

“नमस्ते, छोटी बूँद,” हवा ने मानो कहा. “कैसी हो तुम?”

जलक, जो पहले कभी हवा से सीधे ‘बात’ नहीं कर पाई थी, थोड़ी हैरान हुई. “मैं ठीक हूँ,” उसने ‘महसूस’ किया. “यह बहुत मज़ेदार है, यह लहरों पर डोलना.”

हवा हँसी, एक हल्की सी सरसराहट जो पानी पर और भी छोटी लहरें पैदा कर गई. “हाँ, यह मेरा पसंदीदा खेल है. मैं जहाँ जाती हूँ, वहाँ सब कुछ नाचने लगता है.”

हवा ने जलक को अपने बारे में बताया – कैसे वह दूर-दूर से आती है, पहाड़ों की ऊँची चोटियों से, हरे-भरे जंगलों से, और विशाल मैदानों से. उसने जलक को उन जगहों के बारे में बताया जो उसने देखी थीं, रंगीन फूलों से भरे खेत, बर्फ से ढके पहाड़, और दूर क्षितिज पर चमकते हुए शहर.

जलक हवा की कहानियाँ सुनकर बहुत उत्साहित हुई. उसे उन दूर की जगहों को देखने की इच्छा और भी बढ़ गई. उसने हवा से पूछा कि क्या वह उस बड़ी नदी के बारे में जानती है जिसकी ओर वह जा रही है.

हवा ने उत्तर दिया, “ज़रूर जानती हूँ. वह यहाँ से बहुत दूर नहीं है. तुम बस बहती रहो, और मैं तुम्हें कभी-कभी आगे का रास्ता दिखाती रहूँगी.”

हवा और जलक के बीच एक अनोखी दोस्ती हो गई. हवा अक्सर आती और पानी की सतह पर खेलती, लहरें बनाती, और जलक को दूर-दूर की कहानियाँ सुनाती. हवा ने जलक को सिखाया कि कैसे आज़ाद महसूस करना है, कैसे गति के साथ बहना है, और कैसे अपने आस-पास की दुनिया को नए नज़रिए से देखना है.

इस दोस्ती ने जलक की यात्रा को और भी रंगीन और रोमांचक बना दिया. अब वह सिर्फ़ पानी के बहाव के साथ नहीं बह रही थी, बल्कि हवा के साथ एक तरह का तालमेल बिठाकर आगे बढ़ रही थी. उसे महसूस हुआ कि दुनिया में हर चीज़ एक-दूसरे से जुड़ी हुई है, और हर मुलाकात एक नया अनुभव लेकर आती है.

शेष भाग अगले अंक में…,

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