
कुएँ के शांत और गहरे पानी की सतह पर, सूरज की सुनहरी किरणें नृत्य कर रही थीं. असंख्य पानी की बूँदें एक-दूसरे से सटी हुई थीं, एक शांत और स्थिर संसार. इन्हीं बूँदों में से एक थी, एक छोटी सी, पारदर्शी बूँद, जिसे हम ‘जलक’ कह सकते हैं. जलक अन्य बूँदों की तरह शांत और स्थिर रहने के बजाय, हमेशा कुछ नया जानने की इच्छा रखती थी. वह अक्सर सतह के करीब तैरती थी, ऊपर की दुनिया की झलक पाने के लिए उत्सुक रहती थी – कभी गाँव के लोगों की परछाईं दिखती, तो कभी आकाश का नीला रंग.
आज, जलक कुछ अलग महसूस कर रही थी. कुएँ की जगत से एक हल्की सी हवा आई, और उसने महसूस किया कि उसके नीचे की बूँदें धीरे-धीरे खिसक रही हैं. उसे भी एक हल्का सा खिंचाव महसूस हुआ, जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसे नीचे की ओर खींच रही हो. यह एक नई अनुभूति थी, जो उसने पहले कभी महसूस नहीं की थी. अन्य बूँदें अभी भी शांत थीं, लेकिन जलक के भीतर एक अज्ञात रोमांच जाग उठा.
धीरे-धीरे, खिंचाव बढ़ता गया. जलक ने महसूस किया कि वह अपनी पड़ोसी बूँदों से थोड़ी अलग हो रही है. फिर, एक क्षण आया जब वह उनके साथ नहीं रही. वह धीरे-धीरे नीचे की ओर सरकने लगी. पहले तो उसे थोड़ा डर लगा, उस अज्ञात गहराई में जाने का डर, जहाँ सूरज की रोशनी भी नहीं पहुँचती थी. लेकिन उसकी उत्सुकता इस डर से कहीं ज़्यादा प्रबल थी. वह जानना चाहती थी कि यह नीचे कहाँ जाता है, यह खिंचाव उसे कहाँ ले जाएगा.
उसके चारों ओर अन्य बूँदें भी उसके साथ नीचे की ओर बह रही थीं. वे सब मिलकर एक पतली धारा का रूप ले रही थीं. कुएँ की ठंडी और नम दीवारें उनके करीब से गुज़र रही थीं. जलक ने महसूस किया कि दीवारें खुरदरी हैं, उन पर छोटी-छोटी दरारें और काई जमी हुई है. धारा धीरे-धीरे और संकरी होती गई, और वे एक अंधेरी सुरंग में प्रवेश कर गईं.
सुरंग में रोशनी बिल्कुल नहीं थी. जलक को पहली बार पूर्ण अंधकार का अनुभव हुआ. पहले तो उसे थोड़ा घबराहट हुई, लेकिन फिर उसे अपने आस-पास बह रही अन्य बूँदों की उपस्थिति महसूस हुई. वे सब एक साथ आगे बढ़ रही थीं, एक अनजान यात्रा पर. जलक ने महसूस किया कि वह अब अकेली नहीं है, वह एक बड़े प्रवाह का हिस्सा है.
सुरंग की दीवारों से अजीब सी फुसफुसाहट की आवाज़ आ रही थी – पानी के रिसने और पत्थरों के टकराने की हल्की ध्वनि. जलक ने अपनी ‘भावनाओं’ से महसूस किया कि सुरंग घुमावदार है, कभी सीधी तो कभी अचानक मुड़ जाती है. उसे कभी तेज़ बहाव महसूस होता, तो कभी गति धीमी हो जाती.
इस अंधेरी और रहस्यमय राह में, जलक को एक नई दुनिया का अनुभव हो रहा था. यह कुएँ के शांत और स्थिर जीवन से बिल्कुल अलग था. यहाँ हर पल कुछ बदल रहा था, हर मोड़ पर एक नया अनुभव था. जलक थोड़ी डरी हुई थी, लेकिन उसकी जिज्ञासा उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही थी. वह उस अज्ञात अंत को देखना चाहती थी, जहाँ यह सुरंग उसे ले जाएगी. यह उसकी यात्रा का पहला कदम था, एक छोटी सी बूँद का एक बड़े और रोमांचक सफ़र की ओर प्रस्थान.
शेष भाग अगले अंक में…,