Dharm

सुन्दरकाण्ड-12-4…

…समुन्द्र के इस पार आना, सबका लौटना, मधुवन प्रवेश-4…

चौपाई :-

सुनि सीता दुख प्रभु सुख अयना। भरि आए जल राजिव नयना।।

बचन काँय मन मम गति जाही। सपनेहुँ बूझिअ बिपति कि ताही।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराजजी कहते है कि, सीता जी का दुःख सुनकर सुख के धाम प्रभु के कमल नेत्रो मे जल भर आया और वे बोले – मन, वचन और शरीर से जिसे मेरी ही गति (मेरा ही आश्रय ) है, उसे क्या स्वप्न में भी विपत्ति हो सकती है?

कह हनुमंत बिपति प्रभु सोई। जब तव सुमिरन भजन न होई।।

केतिक बात प्रभु जातुधान की। रिपुहि जीति आनिबी जानकी।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराजजी कहते है कि, हनुमान् जी ने कहा – हे प्रभु ! विपत्ति तो वही  है जब आपका भजन-स्मरण न हो. हे प्रभु ! राक्षसो की बात ही कितनी है ? आप शत्रु को जीतकर जानकीजी को ले आवेंगे.

सुनु कपि तोहि समान उपकारी। नहिं कोउ सुर नर मुनि तनुधारी।।

प्रति उपकार करौं का तोरा। सनमुख होइ न सकत मन मोरा ।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराजजी कहते है कि, भगवान् कहने लगे हे हनुमान् ! सुनो , तेरे समान मेरा उपकारी देवता, मनुष्य अथवा मुनि कोई भी शरीरधारी नही है. मैं तुम्हारा प्रत्युपकार (बदले में उपकार) के लिए क्या करूँ, मेरा मन भी तुम्हारे सामने नही हो सकता.

सुनु सुत उरिन मैं नाहीं। देखेउँ करि बिचार मन माहीं।।

पुनि पुनि कपिहि चितव सुरत्राता। लोचन नीर पुलक अति गाता।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराजजी कहते है कि, हे पुत्र ! सुन, मैंने मन में विचार करके देख लिया कि मैं तुझ में उऋण नहीं हो सकता. देवताओ के रक्षक प्रभु बार-बार हनुमानजी को देख रहे है. नेत्रो में प्रेमाश्रुओ का जल भरा है और शरीर अत्यंत पुलकित है.

दोहा :-

सुनि प्रभु बचन बिलोकि मुख गात हरषि हनुमंत।

चरन परेउ प्रेमाकुल त्राहि त्राहि भगवंत ।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराज जी कहते है कि, प्रभु के वचन सुनकर और उनके प्रसन्न मुख तथा पुलकित अंगो को देखकर हनुमान जी हर्षित हो गए और प्रेम में विकल होकर ‘ हे भगवान् ! ’ मेरी रक्षा करो’ , रक्षा करो कहते हुए श्रीरामचन्द्र जी के चरणो मे गिर पड़े.

वालव्याससुमनजीमहाराज,

 महात्मा भवन,

श्रीरामजानकी मंदिर,

राम कोट, अयोध्या.

Mob: – 8709142129.

========== ========== ===========

…Samundr Ke Is Paar Aana, Sabaka Lautana, Madhuvan Pravesh-4…

Choupai:-

Suni Seeta Dukh Prabhu Sukh AyanaBhari Aae Jal Raajiv Nayana।।

Bachan Kaany Man Mam Gati JaaheeSapanehun Boojhi Bipati Ki Taahee।।

Explaining the meaning of the verse, Maharajji says that, hearing the sorrow of Sita ji, the lotus eyes of the Lord, the abode of happiness, were filled with water and he said – What a dream for the one who has only my movement (my only shelter) in mind, speech and body. Could disaster happen to me too?

Kah Hanumant Bipati Prabhu Soee। Jab Tav Sumiran Bhajan Na Hoee।।

Ketik Baat Prabhu Jaatudhaan Kee। Ripuhi Jeeti Aanibee Jaanakee।।

Shlok Ka Arth Bataate hue Maharaja Jee Kahate Hai Ki, Hanumaan Jee Ne Kaha – He Prabhu ! Vipatti To Vahee Hai Jab Aapaka Bhajan-Smaran Na Ho. He Prabhu! Raakshaso Kee Baat Hee Kitanee Hai ? Aap Shatru Ko Jeetakar Jaanakeejee ko le Aavenge.

Sunu Kapi Tohi Samaan Upakaaree। Nahin Kou Sur Nar Muni Tanudhaaree।।

Prati Upakaar Karaun Ka Tora। Sanamukh Hoi Na Sakat Man Mora ।।

Explaining the meaning of the verse, Maharajji says that God started saying, O Hanuman! Listen, there is no bodily being like you, my beneficent deity, human being, or sage. What should I do for your Pratyupkar (favor in return), even my mind cannot be in front of you.

Sunu Sut Urin Main Naaheen। Dekheun Kari Bichaar Man Maaheen।।

Puni Puni Kapihi Chitav Suratraata।Lochan Neer Pulak Ati Gaata।।

Explaining the meaning of the verse, Maharajji says, O son! Listen, after thinking in my mind, I saw that I cannot be in debt to you. The protector of the deities, Lord is looking at Hanumanji again and again. The eyes are filled with tears of love and the body is very happy.

Doha…

Suni Prabhu Bachan Biloki Mukh Gaat Harashi Hanumant

Charan Pareu Premaakul Traahi Traahi Bhagavant ।।

Describing the meaning of the verse, Maharaj ji says that, after hearing the words of the Lord and seeing his happy face and ecstatic limbs, Hanuman ji became happy and overwhelmed with love, ‘O God! Saying ‘protect me’, protect me, he fell at the feet of Shriramchandra ji.

Walvyassumanji Maharaj,

 Mahatma Bhawan,

Shriramjanaki Temple,

Ram Kot, Ayodhya.

Mob:- 8709142129

Rate this post
:

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!