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व्यक्ति विशेष– 719.

स्वामी रंगनाथानन्द

रामकृष्ण मिशन के तेरहवें अध्यक्ष और आधुनिक वेदान्त के प्रचारक थे स्वामी रंगनाथानन्द. सन्यासी बनने से पूर्व उनका नाम ‘शंकरन कुट्टी’ था. स्वामी रंगनाथनन्द का जन्म 15 दिसम्बर 1908 को केरल के त्रिसूर ग्राम में हुआ था. उनका नाम शंकरम् रखा गया था.

स्वामी रंगनाथनन्द ने वर्ष 1926 में मैसूर के रामकृष्ण मिशन से जुड़े और वहीँ के होकर रह गए. वर्ष 1933 में संन्यास की दीक्षा रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्य, स्वामी विवेकानंद के गुरुभाई तथा मिशन के द्वितीय अध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने दी थी. वर्ष  1939 से 1942 तक वे रामकृष्ण मिशन, रंगून (बर्मा) के अध्यक्ष और पुस्तकालय प्रमुख रहे.

स्वामी रंगनाथानन्द को उनके उत्कृष्ट व्याख्यानों और लेखन के लिए विश्व स्तर पर जाना जाता है, जिसमें उन्होंने वेदान्त के शाश्वत संदेशों को आधुनिक समाज के लिए व्यावहारिक रूप से प्रस्तुत किया. उन्होंने स्वामी विवेकानन्द के व्यावहारिक वेदान्त के दर्शन को आगे बढ़ाया, जिसमें धर्म को मनुष्य के चरित्र निर्माण और समाज सेवा के लिए एक प्रेरक शक्ति के रूप में देखा गया. उन्होंने पश्चिमी विज्ञान और वेदान्त के अध्यात्म के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर जोर दिया साथ ही इन दोनों को मानव जीवन के विकास के लिए भी आवश्यक बताया.

स्वामी रंगनाथानन्द का निधन 26 अप्रैल 2005 बेलूर मठ, कोलकाता में हुआ था. उन्होंने भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दूत के रूप में दुनिया भर के 50 से अधिक देशों का दौरा किया, जिसमें सोवियत संघ और पूर्वी यूरोप के साम्यवादी देश भी शामिल थे. उन्होंने कई पुस्तकों को लिखा जिनमें प्रमुख ‘एटरनल वैल्यूज़ फॉर ए चेंजिंग सोसाइटी’ और ‘भागवद् गीता’ एवं ‘उपनिषदों’ पर उनकी विस्तृत टीकाएँ शामिल हैं.

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पार्श्व गायिका उषा मंगेशकर

उषा मंगेशकर एक पार्श्व गायिका है. भारतीय सिनेमा की ‘स्वर कोकिला’ कही गईं लता मंगेशकर और पार्श्व गायिका आशा भोसले की छोटी बहन हैं. उनके अन्य भाई-बहन मीना खड़ीकर (बड़ी बहन) और हृदयनाथ मंगेशकर (छोटे भाई) हैं.

उषा मंगेशकर का जन्म 15 दिसंबर, 1935 को मध्य प्रदेश के ‘सांगली’ में हुआ था. उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था जो प्रसिद्ध रंगमंच अभिनेता, गायक तथा संगीतकार थे और उनकी माता का नाम सेवंतीबेन था. जब उनके पिता का निधन हुआ था उस समय उनकी उम्र महज 06 वर्ष की थी.

उषा मंगेशकर ने फिल्म ‘सुबह का तारा’ के हिंदी गीत ‘बड़ी धूमधाम से मेरी भाभी आई’ से बॉलीवुड इंडस्ट्री में डेब्यू किया था. उन्होंने अपने गायिकी कैरियर में लगभग सभी भाषाओं के गीतों में अपनी आवाज दी है. उषा मंगेशकर को मुख्यत: उनकी भक्ति गीतों के लिए जाना जाता है, विशेषकर फिल्म ‘जय संतोषी माँ’ के गानों से उन्हें पहचान मिली थी. उन्होंने पिंजरा, शान, इंकार जैसी फ़िल्मों में भी अपनी आवाज़ दी थी.

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राजनीतिज्ञ भजन लाल शर्मा

भजन लाल शर्मा एक राजनीतिज्ञ और बीजेपी से जुड़े हैं. वर्तमान समय में व राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं. वे सांगानेर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.

भजन लाल शर्मा का जन्म 15 दिसंबर 1967, भरतपुर जिले के नदबई तहसील के अटारी-बछामदी गाँव में किशन स्वरूप शर्मा और गोमती देवी के घर हुआ था. उन्होंने वर्ष 1993 में राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातक पास की.

भजन लाल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत स्कूल के दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से की थी. करीब 27 वर्ष की उम्र में व अपने गांव के सरपंच बने थे. वर्ष 2023 को 15 दिसंबर के ही दिन 15 दिसंबर 2023 को राजस्थान के 14वें मुख्यमंत्री बने.

भजन लाल शर्मा का राजनीतिक सफर सरपंच से शुरू होकर मुख्यमंत्री तक पहुँचा है। उनकी पहचान एक जमीनी नेता के रूप में है.

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पार्श्वगायक बाबुल सुप्रियो

बाबुल सुप्रियो एक पार्श्वगायक,टेलीविजन होस्ट, अभिनेता, राजनेता हैं. वे भारत की सोलहवीं लोकसभा में सांसद और भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम राज्य मंत्री हैं. उन्होंने जुलाई मे भाजपा छोड़ कर राजनीति को अलविदा कह दिया था.

बाबुल सुप्रियो का जन्म 15 दिसंबर 1970 को  पश्चिम बंगाल के एक छोटे से शहर में हुआ था. उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री ली थी. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक से की थी. कुछ दिनों बाद उन्होंने मनोरंजन उद्योग में प्रवेश करने का फैसला किया.

बाबुल सुप्रियो ने फिल्म “कहो ना प्यार है” के गाने दिल ने दिल को पुकारा से हिंदी सिनेमा में पहचान मिली थी. वे मुख्य रूप से हिंदी और बांग्ला में गाते हैं, लेकिन उन्होंने 11 अन्य भाषाओं में भी पार्श्वगायन किया है.

बाबुल सुप्रियो ने वर्ष 2014 में राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी से आसनसोल सीट से सांसद बने. वे केंद्र सरकार में भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम राज्य मंत्री तथा बाद में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में भी मंत्री रहे. उन्होंने जुलाई 2021 में उन्होंने बीजेपी छोड़ दी और बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए.

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सरदार वल्लभभाई पटेल

सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और स्वतंत्र भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे. उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था. उन्हें “लौह पुरुष” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने आजादी के बाद देश की 562 से अधिक देशी रियासतों का एकीकरण करके भारत को एक अखंड राष्ट्र बनाया. उनकी इस अद्वितीय सफलता को उनकी राजनीतिक कुशलता और दृढ़ निश्चय का प्रतीक माना जाता है.

वर्ष 1928 में बारडोली के किसानों के कर वृद्धि के विरोध में उन्होंने सफल आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसमें उनकी रणनीति और नेतृत्व क्षमता को पहचानते हुए उन्हें “सरदार” की उपाधि दी गई. आजादी के बाद विभिन्न देशी रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करना एक जटिल कार्य था. सरदार पटेल ने अपनी कूटनीति और शक्ति के संतुलन से अधिकांश रियासतों को बिना किसी संघर्ष के भारत में सम्मिलित कर लिया. पटेल ने भारतीय संविधान सभा में भी सक्रिय भूमिका निभाई और उन्होंने देश में एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा स्थापित करने में योगदान दिया.

सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर 1950 को हुआ. उनकी स्मृति में गुजरात में “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” का निर्माण किया गया है, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है और उनके महान योगदान का प्रतीक है. उनके जीवन और योगदान से आने वाली पीढ़ियाँ प्रेरणा लेती रहेंगी.

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स्वतन्त्रता सेनानी पोट्टि श्रीरामुलु

पोट्टि श्रीरामुलु भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे विशेष रूप से दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश राज्य के निर्माण के लिए अपने अनशन और अहिंसात्मक प्रदर्शनों के लिए जाने जाते हैं. पोट्टि श्रीरामुलु का जन्म 16 मार्च 1901 को हुआ था और उन्होंने अपने जीवन के दौरान भारतीय समाज में विभिन्न सामाजिक सुधारों के लिए काम किया.

उन्होंने आदिवासी और अन्य पिछड़े समूहों के उत्थान के लिए काम किया और छुआछूत के खिलाफ संघर्ष किया. उनका सबसे प्रसिद्ध आंदोलन आंध्र प्रदेश के लिए अलग राज्य की मांग के लिए उनका अनशन था, जो उनकी मृत्यु के बाद ही पूरा हुआ. उनकी मृत्यु ने भारतीय राजनीति में बड़ी प्रतिध्वनि उत्पन्न की और अंततः आंध्र प्रदेश के निर्माण की ओर अग्रसर की.

पोट्टि श्रीरामुलु का निधन 15 दिसम्बर 1952 को हुआ था. पोट्टि श्रीरामुलु को भारतीय इतिहास में एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक के रूप में याद किया जाता है.

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