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बादलों का टॉर्चर…

शहर के ऊपर एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी. सूरज कई दिनों से नहीं दिखा था और आसमान पर सिर्फ भूरे और काले बादलों का राज था. वे स्थिर थे, जैसे उन्होंने पूरे शहर को अपनी गिरफ्त में ले रखा हो. हर कोई इसे बस एक लंबे मानसून का हिस्सा मान रहा था, लेकिन कुछ लोग जानते थे कि यह कुछ और था.

शहर के केंद्र में रहने वाले राघव को यह सब कुछ अजीब लग रहा था. वह एक मौसम विज्ञानी था, और उसने अपने जीवन में ऐसे बादल कभी नहीं देखे थे. वे न तो बरसते थे, न ही कहीं जाते थे. वे सिर्फ हवा में लटके रहते थे, दिन-रात, और उनकी मौजूदगी से शहर में एक अजीब सा अवसाद फैलने लगा था.

लोगों ने शिकायत करना शुरू कर दिया. दिन का उजाला कम होता जा रहा था, और कृत्रिम रोशनी भी इस अवसाद को कम नहीं कर पा रही थी. हर कोई थकान और उदासी महसूस करने लगा था, जैसे उनकी सारी ऊर्जा उन बादलों ने सोख ली हो. यह टॉर्चर था! बादलों का टॉर्चर, जो बिना बारिश के ही लोगों को अंदर से तोड़ रहा था.

राघव ने अपने डेटा और सैटेलाइट इमेजरी का गहराई से अध्ययन किया. उसने पाया कि इन बादलों के अंदर एक असामान्य ऊर्जा का स्तर था. वे सामान्य जल वाष्प नहीं थे. वे कुछ और थे, कुछ ऐसा जो इस ग्रह का नहीं था. उसने अपने वरिष्ठों को चेतावनी दी, लेकिन उन्होंने उसकी बात को एक काल्पनिक सिद्धांत मानकर खारिज कर दिया.

जैसे-जैसे दिन बीतते गए, हालात और खराब होते गए. लोग घरों से बाहर निकलना बंद कर दिए. सड़कों पर सन्नाटा छा गया. बादलों ने न सिर्फ रोशनी सोखी थी, बल्कि जीवन की उमंग को भी सोख लिया था. छोटे-छोटे झगड़े, उदासी और निराशा ने समाज में अपना घर बना लिया था.

राघव ने महसूस किया कि इस रहस्य को सुलझाना अब उसकी अकेले की जिम्मेदारी है. उसने अपनी प्रयोगशाला में काम करना शुरू किया. वह बादलों के नमूने लेने का एक तरीका खोजना चाहता था. कई असफल प्रयासों के बाद, उसने एक विशेष प्रकार का ड्रोन बनाया जो बादलों के बीच जाकर उनके रासायनिक और ऊर्जा स्तरों को माप सकता था.

जब ड्रोन वापस आया, तो डेटा चौंकाने वाला था. बादलों के कणों में एक अज्ञात तत्व था जो नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता था. वे शहर की निराशा, डर और अवसाद को सोख रहे थे, और इस प्रक्रिया से वे और भी घने और शक्तिशाली हो रहे थे. यह एक दुष्चक्र था! लोग जितना उदास होते थे, बादल उतने ही मजबूत होते थे.

राघव ने इस डेटा को सार्वजनिक करने का फैसला किया. उसने एक समाचार चैनल के माध्यम से लोगों को यह बताया कि वे सिर्फ मौसम का शिकार नहीं हैं, बल्कि यह एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक हमला है. उसने लोगों से अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने और खुशी के छोटे-छोटे पल खोजने का आग्रह किया.

शुरुआत में लोगों ने उसकी बात को मजाक समझा, लेकिन धीरे-धीरे कुछ लोगों ने उसका पालन करना शुरू कर दिया. वे संगीत सुनते, अपने परिवार के साथ समय बिताते, और छोटी-छोटी चीजों में खुशियां तलाशते. जैसे-जैसे लोग अपनी उदासी से लड़ने लगे, बादलों की ताकत कम होने लगी.

एक दिन, एक छोटे से इलाके से बादलों में हल्की दरार दिखाई दी. सूरज की एक पतली किरण जमीन पर पड़ी. यह एक उम्मीद की किरण थी. लोगों ने यह देखा और उन्होंने और अधिक प्रयास करना शुरू कर दिया. वे एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां बांटते, एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते. सामूहिक खुशी की लहर ने बादलों को कमजोर करना शुरू कर दिया.

अंत में, कई महीनों के बाद, बादलों का यह टॉर्चर खत्म हो गया. वे धीरे-धीरे बिखर गए और आसमान फिर से नीला और साफ हो गया. सूरज की रोशनी ने न सिर्फ शहर को रोशन किया, बल्कि लोगों के दिलों में भी नई उम्मीद जगाई.

राघव एक नायक बन गया, लेकिन वह जानता था कि असली नायक वे लोग थे जिन्होंने निराशा के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. बादलों ने उन्हें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया था: सबसे गहरा अंधेरा तब होता है जब हम अपने अंदर की रोशनी खो देते हैं.

शेष भाग अगले अंक में…,

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