story

सुरमई शाम…

खोया हुआ स्केच

आरव अपने स्केच को ध्यान से देख रहा था। वह चेहरा अभी भी अधूरा था, लेकिन उसमें एक अनकही कहानी छिपी थी। तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई।

एक वृद्ध व्यक्ति अंदर आया, उसकी आँखों में वही धुंधली छाया थी जो आरव ने स्केच में उकेरी थी। “तुमने इसे कहाँ देखा?” उसने हौले से पूछा।

आरव ने हिचकते हुए कहा, “यह मेरे ख्यालों में आया था… लेकिन शायद यह सिर्फ़ कल्पना नहीं थी?”

वृद्ध ने एक पुरानी तस्वीर निकाली. वह वही चेहरा था. “यह मेरी बेटी थी… जो बरसों पहले खो गई।”

क्या आरव की कला किसी पुराने रहस्य को उजागर करने वाली थी? क्या यह स्केच सिर्फ़ उसकी कल्पना नहीं थी, बल्कि किसी अनकहे सच की परछाईं थी?

शेष भाग अगले अंक में…,

:

Related Articles

Back to top button