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गलत राह और बिछड़न

नलिन का अंधकारमय स्पाइरल,

गायत्री से झगड़े के बाद नलिन ने खुद को “डार्क लाउंज” के बार में पाया-जहाँ उसके दोस्त गौतम ने उसे पहला पैग दिलाया.

गौतम (शराब की बोतल झुकाते हुए)- “ये ले, तेरी ‘गाय-त्री’ को भूल जाएगा!”

नलिन (गटकते हुए)- “मुझे नहीं पता… वो मुझे छोड़कर कैसे इतनी आसानी से जी रही है?”

धीरे-धीरे, शराब ने उसके दर्द को सुन्न कर दिया. रात के 2 बजे, उसने गायत्री को एक भावुक वॉइसमेल छोड़ी,

“तुम्हारी याद आ रही है… बस इतना ही कहना था.”

लेकिन जवाब नहीं आया,

गायत्री का सच-

दूसरी तरफ, गायत्री अस्पताल के कैंटीन में सुलेखा से बात कर रही थी-उसकी आँखों के नीचे काले घेरे थे.

सुलेखा- “तुमने उसका फोन क्यों नहीं उठाया? वह तेरे लिए परेशान है!”

गायत्री (थकी हुई आवाज़ में)- “मैं उसकी शराबबाज़ी और जलन से थक चुकी हूँ… पर…”

वह रुकी, फिर फोन निकालकर नलिन की वॉइसमेल सुनी-और एक आँसू उसके गाल पर लुढ़क गया.

मंजू (पास आकर)- “डॉ. आर्यन तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है. केस स्टडी डिस्कस करनी है.”

गायत्री ने जल्दी से आँसू पोंछे और खड़ी हो गई.

भयंकर गलती-

एक हफ्ते बाद, नलिन नशे में धुत अपने घर वापस लौटा. उसका फोन बजा—गायत्री का कॉल.

गायत्री (चिंतित)- “तुम कहाँ हो? मैंने तुम्हारे घर का बेल बजाया-“

नलिन (अस्पष्ट आवाज़ में)- “तुम… तुम्हें अब फुर्सत है मेरे लिए? जाओ अपने डॉक्टर साहब के पास!”

गायत्री ने फोन क्रश कर दिया.

अगले दिन, नलिन के दरवाज़े पर एक चिट्ठी मिली-

“मैंने कोशिश की… पर तुम्हारा अहंकार और शक हमेशा हमारे बीच आएगा. अलविदा, -गायत्री”

बिछड़न का दर्द-

नलिन ने चिट्ठी पढ़ी-और पहली बार फूट-फूटकर रोया. उसने गायत्री के घर दौड़ने की कोशिश की, लेकिन उसकी दोस्त नीता ने दरवाज़ा खोला.

नीता (ठंडे स्वर में)- “वह मुंबई चली गई है. फाइनल ईयर की ट्रेनिंग के लिए. तुमसे बात नहीं करना चाहती.”

नलिन वहाँ से टूटा हुआ लौटा. उसने अपने कमरे में गायत्री की छोड़ी हुई मेहँदी की शीशी देखी- और उसे मुट्ठी में भींच लिया.

“शायद यही अंत था…”

नलिन अब अकेलापन और पछतावे में जी रहा था.

शेष भाग अगले अंक में…,

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